RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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साहिल और आरती यूही थोड़ी देर तक गले लगे रहे ...
साहिल आज सबकुच्छ भूल कर आरती के सीने से चिपका हुआ था ...दिल मे एक नई खुशी ने जन्म ले लिया था ..आज उसकी लाडली उसकी दोस्त बन गई थी ..एक भरोसा सा आ गया था ज़िंदगी मे ..
"मामा घर चले " आरती जानती थी कि साहिल बहुत खुस है और खुस तो वो भी बहुत थी .उसने दूसरी बार साहिल से पुछा.
"नही" साहिल ने सन्छिप्त सा जवाब दिया..आज उसे बहुत रोना आ रहा था ..उसे बाते जो हर किसी को प्रवचन या उपदेश सी लगती थी आज लाइफ किसी को इस कदर भा गई थी ..कोई ऐसा था जिसे उन बातों की , उन जज्बातो की कद्र थी ..कोई था जिसे उसकी कद्र थी ,,,जिसे उसकी दोस्ती की कद्र थी ...हर बात उसे रुला रही थी ..लेकिन ये ख़ुसी के आँसू थे.
"आरती , तुम आजतक मेरी गुड़िया थी अब मेरी दोस्त हो ..कभी ये दोस्ती मत तोड़ना नही तो...."
"भरोसा नही है मुझपर " आरती ने साहिल के चरे को पकड़ कर अपने सामने करते हुए पुछा .
"हुउऊँ..बोलिए भरोसा नही है अपने दोस्त पर ..अपनी दोस्ती पर ?" आरती ने उसकी तसल्ली करनी चाही .
"खुद से भी ज़्यादा" ..साहिल ने कहा और फिर उसके गले लग गया.
"अच्छा उठो ,,, चलो अब घर चलते है "
आरती ने साहिल के बालों मे हाथ फेरते हुए कहा .
साहिल ने हाँ मे सर हिलाया और दोनो उठकर बाइक तक आ गये ..सही ने बाइक स्टार्ट की और आरती बैठ गयी...साहिल के कंधे पर हाथ रख कर ..साहिल को अपने दिल मे सुकून सा उतरता हुआ महसूस हुआ ..उसने बाइक आगे बढ़ा दी.
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