RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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साहिल आरती को लेकर पार्क मे पहुचता है..पार्क काफ़ी खूबस्सोरात था पर इस समय ज़्यादा लोग नही थे वहाँ .साहिल आरती को लेकर एक पेड़ के नीचे बैठ जाता है.आरती उसे रूठी रूठी सी काफ़ी प्यारी लग रही थी ...एक ऐसा रूठना जिसमे ये चाहत छुपि होती है कि कोई आप को मनाए और आप जानते हैं कि वो ज़रूर मनाएगा .
साहिल आरती को एक टक देखे जा रहा था जबकि आरती सर नीचे किए हुए घास को उखाड़ रही थी .
"मेरा गुस्सा मासूम घास पर क्यू निकाल रही हो " साहिल ने उसे थोड़ा सा और छेड़ दिया .
आरती ने सर उठाकर उसे घूरा लेकिन बोली कुछ नही .
साहिल " पता है तुम जब नाराज़ हो जाती हो तो और भी खूबसूरत लगने लगती हो "
आरती ने हैरत से सर उठाकर देखा ..साहिल ने कभी उसकी तारीफ इतने खुले लफ़जो मे नही की थी ...और वो तो किसी की भी सुंदरता की तारीफ नही करता था.
आरती को अब साहिल को छेड़ने मे मजा आ रहा था .वो जानती थी कि साहिल उसे मनाने की कोसिस कर रहा है ..वो उसे सताने के लिए फिर कुच्छ नही बोलती ...
"आरती कुच्छ बोलो ना ..अच्छा आइ एम सॉरी"
"सॉरी किस बात की .ग़लती तो मेरी ही थी ..कुच्छ ज़्यादा ही हक़ समझ लिया था अपना आप पर....जाने क्यू सोचती थी अपनी कसम दूँगी और आप मान लोगे मेरा कहा ..मैं हूँ ही कौन आपकी..आपको क्या फ़र्क पड़ता है भला"
''आरती प्लीज़ ..ऐसा तो मत कहो .... तुमसे ज़्यादा मैं किसी को "मानता " हूँ क्या ...तू तो मेरी गुड़िया है ...तुम जानती हो मैं गुस्से मे था ..तुम्हे कोई गंदी नज़रो से देखे ले तो मन करता है उसकी आँखे नोच लू ..और वो कमिने ...जाने दो ..छोड़ो उन सब बातों को ..अच्छा माफ़ नही करोगी तो कोई सज़ा दे दो ..प्लीज़.."
आरती को साहिल की बातों पर बहुत प्यार आ रहा था ..नाराज़ तो वो पहले से ही नही थी क्योंकि वो जानती थी साहिल ने गुस्से मे बोल दिया था बस उसको सताना था ...जो वो हमेशा करती ..साहिल से अपने नाज़ नखरे उठवाना उसे बेहद पसंद था ...बचपन से ही वो साहिल पर अपना सबसे ज़्यादा हक़ समझती थी ...किस रिश्ते से ???? ये शायद उसे खुद नही पता था ...लेकिन मामा_ भांजी के रिश्ते से तो नही .
"मैं आपसे क्यू नाराज़ होने लगी भला "
"मुझे पता है तुम नाराज़ हो ..और तुम ये जानती हो ना कि मुझे किसी को मनाना नही आता...अब मान भी जाओ सॉरी बोल रहा हूँ ना ..देखो कान पकड़कर सॉरी "
साहिल बड़ी मासूमियत से कानो को पकड़ लेता है और याचना भरी आँखो से आरती की ओर देखने लगता है .
आरती को हँसी आ जाती है और वो मुस्कुरा देती है .."ठीक है पर आपको मुझे आइस क्रीम खिलानी पड़ेगी "
"अभी हाजिर है " साहिल खुश होता हुआ आइस्क्रीम वाले की तरफ बढ़ जाता है .
थोड़ी देर बाद दोनो आइस्क्रीम खा रहे होते है ..दोनो एक दूसरे के साथ बैठे थे लेकिन थोड़ी दूरी थी उनके बीच मे .
"मामा एक बात पुच्छू"
"हाँ पुछो "
"वो लड़की बोल रही थी किसी सोनम नाम की लड़की का आप पर कृश था ...क्या उसने आप को प्रपोज़ किया ???.फिर क्या आपने उसे मना कर दिया "
"अरे छोड़ो वो तो ऐसे ही बोल रही थी "
"नही मुझे बताओ "
"हाँ मना कर दिया था "
:क्यू"
"क्या मतलब क्यू ?? क्या लड़के किसी लड़की को मना नही कर सकते "
"हाँ बिल्कुल कर सकते है ..पर कुच्छ तो वजह रही होगी ...??"
"ह्म्म्म...वो मेरी टाइप की नही थी "
"ओह ऊओ...आपके टाइप की नही थी ...देखने मे तो इतने भोले लगते हो ..और लड़कियो के टाइप का पता है आपको " आरती को एक अच्छा पॉइंट मिल गया था साहिल को छेड़ने का .
"अब तू मेरी टाँग मत खीच ..तू मेरे पिछे पड़ गयी तो मैने यूँही बोल दिया था "
"अच्छा ..सॉरी...मामा वैसे आपकी की टाइप की लड़की कैसी होगी ..मतलब किस टाइप की लड़की आपको पसंद आएगी "
"तू क्या बोल रही है ...क्या मेरी शादी हो रही है जो तू मुझसे मेरी पसंद ना पसंद पुच्छ रही है " साहिल ने हैरत से आँखे चौड़ी करते हुए पुच्छा .
प्लीज़ बताओ ना ..मैं किसी को नही बोलूँगी ..प्रॉमिस ." आरती बड़ी मासूमियत से बोल देती है .
"'कोई ऐसी लड़की जो मेरा साथ कभी ना छोड़े ...मैं आज क्या हूँ कल क्या बन पाउन्गा ...क्या अचीव कर पाउन्गा या नही कर पाउन्गा ..इन सब बातों से जिसे कोई फ़र्क ना पड़े .."
--साहिल जैसे सपनो की दुनिया मे खो जाता है---
"आरती तुझे एक बात बोलूं.....पता नही कैसे लोग होते हैं जो कहते हैं कि ""ब्रेक अप"" हो गया ...फिर कभी किसी और के साथ ""पॅच अप"' हो गया ..यार प्यार क्या कोई खेल है जिसमे हार जीत हो कि एक बार हार गये तो फिर से खेलो और जीत जाओ ..मुझे तो ये लगता है कि जो सच्चा प्यार करते है वो एक दूसरे को पूरी लाइफ प्यार करते है चाहे कभी मिले चाहे ना मिले ..और उनका प्यार कभी नही हारता ..और जिसने प्यार मे धोखा दे दिया वो हार गया ...फिर चाहे कितनी बार भी प्यार का दावा कर ले उसका प्यार कभी नही जीत सकता ... प्यार तो एक बार ही हो सकत्ता है और उसी एक बार मे या तो वो हार कर हमेशा के लिए मर जाता है या फिर जीत कर अमर हो जाता है ...तो फिर लोग ऐसा क्यू बोलते हैं ?"'
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