Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
07-17-2018, 12:14 PM,
#26
RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
26-

"आरती अभी कितनी देर लगेगी तुम्हे ..." साहिल ने घड़ी पर नज़र डालते हुए तीसरी बार आवाज़ लगाई .


"आ रही हूँ ना,, आपने क्या इतनी जल्दी मचा रखी है "

''एक घंटे लगेगा वहाँ पहुचने मे ..ज़्यादा लेट होने पर भीड़ भी बढ़ जाती है काउंटर पर ...जल्दी करो " साहिल ने काफ़ी धैर्य रखते हुए जबाब दिया ..


आरती कमरे मे तैयार हो रही थी और सहिल बाहर उसका वेट कर रहा था ...


आरती लगभग 15 मिनट बाद बाहर निकलती है ...साहिल उस पर एक निगाह डालता है और आगे बढ़ जाता है ...

"एक तो तुम लड़कियो को पता नही तैयार होने मे इतना टाइम क्यू लगता है "


"अच्छा तो क्या हमें लड़को जैसे बस शर्ट पॅंट पहनकर निकल जाना होता है " आरती ने फ़ौरन जवाब दिया लेकिन फिर अपनी बात पर ही शर्म से नज़रो को झुका लिया ...



साहिल उसकी बात को सुनकर चुप हो जाता है..उसे पता था उसकी आरती के कहने को वो मतलब नही था .. ..और बाइक लेकर गेट पर आ जाता है ..


"दीदी हम जा रहे है " साहिल गेट पर से ही आवाज़ देता हैं .



"ठीक है जाओ आराम से जाना और किसी से लड़ाई झगड़ा मत करना , बाइक धीरे चलाना"


मम्मी हम कोई बच्चे हैं ..आप भी ना "आरती साहिल से पहले ही बोल देती है ...


"हाँ,हाँ तू तो बड़ी सयानी है मेरी माँ..जा अब" दीदी आरती की बात पर हार मानकर बोलती है ..


आरती ने जीन्स और टॉप पहना हुआ था ..बालो को खुला ही छोड़ा था ..जवानी की चंचलता और अल्हधपन से उसका खूबसूरत मुखड़ा जगमगा रहा था ..बेहद खूबसूरत लग रही थी ..लेकिन आरती ने ये नोट किया था कि साहिल कुच्छ उखड़ा उखड़ा सा लग रहा था ...


आरती बाइक पर बैठ जाती है ..दोनो तरफ पैर करके ..साहिल काफ़ी आगे खिसक कर बैठा था .



आरती कुच्छ कुच्छ बोले जा रही थी लेकिन साहिल हू हाँ मे ही जवाब दे रहा था ...

आरती को काफ़ी गुस्सा आ जाता है 



"नही साथ लाना था तो पहले ही बोल देते " आरती गुस्से मे बोली .
"
मैने कब बोला कि मैं नही लाना चाहता था "



"तो फिर गुस्सा क्यू हो "

"मैं क्यू गुस्सा होने लगा तुमसे "


"हाँ.... हाँ..मुझसे क्यू गुस्सा होगे... मैं हूँ ही क्या तुम्हारी ..मुझे नही जाना चलो वापस मुझे छोड़कर जाओ फिर "



"हे भगवान ...तू चाहती क्या है ..अच्छा सॉरी "

"नही फिर आप बताओ कि क्या बात है "

"आरती वो...वो...वो..""

"
क्या ..बोलो भी ."



"मुझे तुम्हारा गाओं मे जीन्स पहन ना पसंद नही है..तुम नही जानती यहाँ यूनिवर्सिटी का महॉल ठीक नही होता ...अगर किसी ने कुच्छ बोल दिया तुम्हे तो मैं बर्दाश्त नही कर पाउन्गा "



आरती को कुच्छ पल समझ मे नही आता की वो खुश हो या उदास ..



"सिर्फ़ इसलिए कि लोग कॉमेंट्स करते है या फिर आपको जीन्स पहन ना ही नही पसंद "


" आरती मैं कोई दकियानूसी ख्याल का नही हूँ ..लेकिन मुझे सच मे तुम पर सूट ज़्यादा अच्छा लगता है ...लेकिन मेरे अच्छा लगने से कुच्छ नही होता ...बस जब तुम गाओं मे आया करो तो जीन्स घर मे ही पहना करो "



"तो ये घर पर ही बोल देते ..अब मैं जीन्स नही पहनूँगी...और आपसे किस ने बोल दिया कि आपके अच्छा लगने से कोई फ़र्क नही पड़ता ...हूउ..बताओ तो ज़रा "



"सच मे तो तुम्हे फ़र्क पड़ता है " साहिल को बहुत अंजानी सी ख़ुसी का अहसास होता है ..पहले बार किसी को उसकी पसंद नापसंद की फिकर थी 



"और नही तो क्या ..." आरती बिना झिझक के बोल देती है ."



ऐसे ही हल्की फुल्की बाते करते वो यूनिवर्सिटी पहुच जाते हैं.



साहिल ने उस साल अपना कॉलेज टॉप किया था ..सो उसको जान ने वाले काफ़ी थे..लेकिन साहिल काफ़ी रिज़र्व रहने वाला बंदा था ज़्यादा किसी को लिफ्ट नही देता ...और कुच्छ उसे दोस्त भी ऐसे ही मिले जो सिर्फ़ उसका फ़ायदा उठाते ..



आरती को लेकर साहिल यूनिवर्सिटी के अंदर चला जाता है ..फॉर्म भर कर काउंटर पर जमा करने के बाद उसे 2 घंटे बाद आने को कहा जाता है .. 



साहिल आरती को लेकर कॅंटीन की तरफ चल देता है ...काफ़ी सारे लड़को की निगाहें आरती की तरफ उठ रही थी..कुछ उसे घूर कर देखते और कुच्छ साहिल की किस्मत पर रस्क करते ..



साहिल का बस नही चल रहा था कि एक एक की आँखे नोच ले ...वो आरती को कहीं छुपा लेना चाहता था कि कोई उसे देख भी ना पाए ..



आरती और साहिल कॅंटीन के अंदर आकर बैठ जाते है साहिल आरती की पसंद की कुच्छ चीज़े ऑर्डर कर देता है



साहिल आरती के साथ कॅंटीन मे बैठा था लेकिन उसे अच्छा बिल्कुल नही लग रहा था क्योंकि कुच्छ लड़को की निगाहें उसे चुभती हुई सी आरती के जिस्म पर पड़ती दिख रही थी और अनायास ही उसका सर आरती के चेहरे की तरफ़ उठ जाता है जो चाउमीन खाने मे मस्त थी ...आरती कितनी खूबसूरत है ..उसके दिल के तारों को छेड़ जाती है उसकी ये सोच ..



आरती उसे अपनी ओर देखता देखकर " क्या हुआ ,,खाओ ना ,,क्या देख रहे हो ? "



"आअँ..कुच्छ नही " और साहिल भी इसी प्लेट मे से खाने मे लग जाता है ..
वो साहिल को जल्दी से जल्दी वहाँ से ले जाना चाह रहा था.



" क्या मस्त माल है भाई" उनके टेबल के बगल वाले टेबल पर बैठे एक लड़के के कॉमेंट्स साहिल के कानो मे पड़ते हैं..उसका हाथ रुक जाता है ..



"हाए क्या हॉट है लाल लाल...क्या किस्मत है स्पून की जो साला अंदर बाहर जा रहा है ..ओह होये "



"अबे साले तू अभी होंठो तक ही पहुचा ...उसकी नीचे की हिमालय की पहाड़िया तो देख..जान ही ले लेंगी आज तो ये "



साहिल का खून खौल उठ ता है उनकी बाते सुन कर ...आरती समझ चुकी थी कि अब यहाँ बहुत ज़्यादा बात बिगड़ जाएगी ..वो साहिल का हाथ पकड़ लेती है जो गुस्से से खड़ा हो चुका था 



"प्लीज़....तुम्हे मेरी कसम "



आरती साहिल को ज़बरदस्ती खिच कर वहाँ से ले जाती है ...साहिल का मूड बहुत खराब हो चुका था ...



अब आरती उसे नॉर्मल करने की कोशिश मे लग जाती है ..



"जाने दो मामा ...उनका यही काम ही होता है ..हर लड़की को देख कर ऐसे ही बोलते होंगे ..ऐसे लोगो के मूह नही लगते.."



"साले हर लड़की को देख कर बोले चाहे ...तुम्हे कोई बोल दे ये मैं नही सहूँगा और तुम्हे क्या ये बात बात पर कसम देने की आदत पड़ गई है ..तुम्हे क्यू लगता है कि तुम कसम दोगि और मैं मान जाउन्गा .."



साहिल अपना सारा गुस्सा उस मासूम लड़की पर निकाल देता है जो उसे सबसे प्यारी थी ..आरती की आँखो से आँसू की दो बूंदे उसके गालो पर लुढ़क जाती हैं .साहिल आरती को कभी नही डाँट ता था ...आरती उसकी छेड़ छाड़ चलती और फिर रूठना मनाना...जिसमे ज़्यादातर साहिल ही आरती को मनाता ..पर उसने इतनी बुरी तरह कभी उसे नही बोला था ..



"सॉरी ..पता नही क्यू लगता है कि आप मान जाओगे मेरी कसम देने पर ...सॉरी ..अब कभी अपनी कसम नही दूँगी"


आरती को रोता और सॉरी बोल ता देख साहिल का सारा गुस्सा गायब हो जाता है ...



"मैं भी कितना गधा हूँ ,,इसे रुला दिया .भला इसकी क्या ग़लती थी ...."साहिल मन मे बहुत ज़्यादा पछताने लगता है..



"आरती प्लीज़ चुप हो जाओ सब लोग देख रहे हैं " आरती अपने आँसू पोंछती हुई साहिल के साथ आगे बढ़ जाती है . अब दोनो मे बात चीत बंद थी ...आरती नाराज़ थी और साहिल शर्मिंदा.



"अरे साहिल आप ...सर्टिफिकेट लेने आए हैं क्या ?"साहिल इस आवाज़ पर मुड़कर देखता है ..



"हेलो शशि , कैसी हो आप ,,,हाँ उसी लिए आया हूँ..सुम्मित नही आया है क्या "



"आया है ..कामन हाल मे है ..बस आता ही होगा .....ये कौन है? "
शशि नाम की उस लड़की ने पुछा ,आँखो मे काफ़ी शरारत थी.



"ये...मेरी भांजी है .आरती और आरती ये है शशि मेरी क्लासमेट ""



और मैं हूँ सुमित ..साहिल का क्लासमेट, दोस्त......और अपनी शशि का एकलौता बाय्फ्रेंड" पीछे से आते लड़के ने हँसते हुए कहा.



"हेलो,नाइस टू मीट यू ऑल " आरती ने ज़बरदस्ती की मुस्कान चेहरे पर लाते हुए कहा .


"ह्म्‍म्म तो साहिल जी...भांजी को यूनिवर्सिटी घुमा रहे हैं ...ह्म भी सोचे इतनी खूबसूरत लड़की इतने बोर बंदे के साथ ..इंपॉसिबल..हा... हा.. हा.." सुमित ने तंज़ करने के अंदाज़ मे कहा ..



"सुमीत ??" साहिल ने थोड़े सख़्त लहजे मे कहा . आरती को उसका साहिल को बोर करना बिल्कुल भी पसंद नही आया था और वो जानती थी कि साहिल को दोस्त सब सिर्फ़ मतलब के लिए बोलते हैं.



"तू भी ना सुमीत ..साहिल पर तो कितनी लड़किया अपनी क्लास की ही फिदा थी ...और याद है अपनी सोनम तो साहिल को जी जान से चाहती थी ..लेकिन साहिल ने ही कभी...."
शशि ने साहिल एक नागवारी को देखकर बात अधूरी छोड़ दी .



आरती को जाने क्यू बेहद ख़ुसी का अहसास हो रहा था अब और साहिल पर फक्र भी .



"हमें निकलना चाहिए...तुम लोगो ने तो अपने सर्टिफिकेट ले लिए हैं ...मुझे अभी लेना है ..चल आरती ..एग्ज़ूज़ मी."




साहिल सबको बाइ बोलता हुआ निकल जाता है ..काउंटर पर उसका नाम बुलाया जा रहा था ..साहिल जल्दी से जाकर अपना लीविंग सर्टिफिक्ट कलेक्ट करता है और आरती को लेकर पार्किंग की ओर चल पड़ता है .



आरती अभी भी साहिल से थोड़ा नाराज़ थी .वो जानती थी कि साहिल ने किसी और का गुस्सा उसपर निकाल दिया था लेकिन जिस साहिल ने आज तक उसकी कोई बात नही टाली थी , बचपन से जिसको वो पूरे हक से अपना समझती थी ...आज उसने उसे बुरी तरह से डाँट दिया था... इस बात का उसे दुख हो रहा था ..वो जब भी साहिल की ओर देखती साहिल नज़रे चुरा लेता ..उसे पता था साहिल काफ़ी शर्मिंदा है बस बोल नही पा रहा ..लेकिन वो एक बार साहिल के मूह से सुन ना चाह रही थी.



साहिल की शख्सियत का एक और रंग आज खुला था उसपर ..उसका मजबूत कॅरक्टर.


साहिल के पीछे बाइक पर बैठे आरती काफ़ी चुप थी .


"आरती, नाराज़ हो मुझ से "

आरती कुच्छ नही बोलती ..

वो यूनिवर्सिटी से थोड़ी दूर और आगे आ जाते हैं ..अब भीड़ भाड़ काफ़ी कम हो चुकी थी और साहिल भी काफ़ी आराम से बाइक चला रहा था .


"आरती ..प्लीज़ कुच्छ तो बोलो "


आरती फिर भी चुप रहती है ..साहिल जान चुका था कि आरती उस से सच मे नाराज़ है ..वो बाइक मोड़ लेता है और पास के एक खूबसूरत पार्क की ओर चल देता है.


"ये कहाँ चल रहे है ...मुझे घर जाना है "


बस थोड़ी देर..मेरे लिए ..प्लीज़"


आरती साहिल को मना नही कर पाती..

साहिल बाइक पार्क करता है और पार्क की ओर बढ़ जाता है ..कुच्छ कदम आगे बढ़ने के बाद वो देखता ही आरती अभी भी खड़ी है ..वो वापस जाता है और उसका हाथ पकड़ लेता है 



"..प्लीज़" साहिल ने पहली बार इस तरह से आरती का हाथ पकड़ा था ..आरती अपना हाथ छुड़ा लेती है ..


"ठीक है ..चलिए "
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