RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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साहिल अपनी ही धुन मे बोलता चला जाता है...
फिर अचानक आरती की तरफ देखता है, जो अपने गालो पर हाथ रखे उसकी बातों बड़े ध्यान से सुन रही थी ..." ओह..सॉरी ..मैं ज़्यादा ही लेक्चर दे गया...मेरे दोस्त भी यही कहते है कि मैं हर बात पर लेक्चर देता हूँ जो उन्हे बुरा लगता है"
"लेकिन मुझे तो आपकी बाते बिल्कुल बुरी नही लगी..इनफॅक्ट आपने बहुत बड़ी बात कह दी "
आरती ने साहिल की आँखो मे देखते हुए कहा..
"अच्छा चलो अब चलते है "
"ठीक है चलिए "
दोनो बाते करते हुए घर की तरफ लौटने लगते है ..शाम के अंधेरा हर ओर फैलने लगा था . गाओं की शाम बहुत खूबसूरत होती है .
रास्ते मे गाओं की एक लड़की मिलती है ...
"अरे साहिल ये कौन है" नाम था उसक निधि, अच्छि शकल सूरत ,बड़ी बड़ी आँखे और सीने पर दो मतवाले पर्वत शिखर , रंग थोड़ा सांवला,लेकिन कुल मिलाकर बहुत ही आकर्षक .
"अरी तुमने पहचाना नही ..ये आरती है ..मेरी दीदी की बेटी ..और आरती ये निधि है ..मेरे कॉलेज मे पढ़ती है ..तुम मिल चुकी हो पर शायद तुम्हे याद ना हो "
"हाँ मुझे याद नही ,,हेलो निधि "
"हाई ,कैसी हो ...कब आई तुम ..और इधर कहाँ से आ रहे थे "
वो ये आज ही आई..और फिर मैं इसे अपने खेत दिखाने लाया था "
"ह्म्म्म..तभी तो आज तुम भी दिख गये ...नही तो तुम्हे देखने को आँखे तरस जाती हैं "
निधि मुस्कुराते हुए कहती है ..साहिल झेंप जाता है.. ."वो हमे देर हो रही है ..चल आरती "
आरती को निधि से थोड़ी जलन हो रही थी या फिर उस पर गुस्सा आ रहा था ...क्यू? शायद खुद आरती को भी नही पता था .
"क्या चक्कर है मामा"
"हे भगवान...मेरी माँ कोई चक्कर नही है ..वो बस ऐसे ही तंग करती है ..कॉलेज मे पढ़ती है तो कभी कभी मिल जाती है आते जाते और दो चार बाते हो जाती हो हैं ...
"मामा, बाते ही करना सिर्फ़ , समझे "
"अब तू मूह बंद रख नही तो पिट जाएगी मेरे से "
"आप मारोगे मुझे" आरती ने रोनी सी शकल बनाने की आक्टिंग करते हुए कहा ..".फिर मैं रो दूँगी "
साहिल बस मुस्कुरा कर रह जाता है .."चल घर, पूरी नौटंकी है तू "
आरती और साहिल घर पहुचते हैं . रोहन फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था और बाकी सारे लोग बाहर बैठे बाते कर रहे थे . रेणु रसोई मे थी.
"आ गया मेरा बच्चा ..आ जा मेरे पास बैठ "
नाना ने दुलार से आरती को अपने पास बैठा लिया . साहिल भी वी पड़ी चारपाई पर बैठ गया .
"अब जल्दी से कोई अच्छा सा लड़का देख कर मेरे जीते जी इसकी शादी कर दो " नानी ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा .
"क्या नानी अभी तो मैं बच्ची हूँ " आरती ने अपना सर उनकी गोद मे रखते हुए कहा .
साहिल को ये बात काफ़ी बुरी लगी ..इसलिए सिर्फ़ कि आरती को पराया करने की बात थी वो ...पर वो कुच्छ नही बोलता और वहाँ से उठकर चला जाता है .
"'हाँ बिल्कुल,,अभी ये बहुत छोटी है और अभी इसे बहुत पढ़ना है .." नाना अपनी लाडली के बचाव मे उतर आए .
"थॅंक यू नानू"
आरती खुश हो गई .
""अरे पुष्पा तुझसे एक बात करनी थी ..वो साहिल का मन आगे की तैयारी करने का है..वो आइएएस की तैयारी करने को बोल रहा है. सुधीर की ( साहिल के बड़े भैया जो कि डिप्लोमा कर रहे थे ) पढ़ाई तो हो चुकी है और उसकी जॉब भी लग गई है ..पर अभी सॅलरी ज़्यादा नही है.. आइएएस की तैयारी गाओं से तो नही हो सकती ..अब यहाँ के हालात तो तुम्हे पता ही हैं ...क्या करे.... तुमसे पुछ्ना चाह रहा था "'
"तो मामा भी हमारे साथ दिल्ली चलेंगे ..सिंपल "
दीदी के बोलने से पहले ही आरती बोल पड़ती है
"पापा आरती बिल्कुल ठीक कह रही है ...मैं अभी उस से बात करती हूँ और एक बार सुधीर से बात करना भी ज़रूरी है "
"बेटा सुधीर से मैने बात की थी ..उसने भी दिल्ली जाने को कहा था ..लेकिन वो बोल रहा था कि वो अलग रूम लेकर रहे ..तुम्हारे यहाँ नही..महीने का खर्च वो दे देगा साहिल का ...बस इसीलिए पुच्छ रहा था कि तुम बुरा ना मानो "
"नही पापा, सुधीर ठीक कह रहा था ..फॅमिली मे रहकर पढ़ नही पाएगा ..इसमे बुरा मान ने की कोई बात नही है "
"ठीक है बेटा फिर एक बार उस से पुछ लो कब जाएगा "
मामा का साथ जाने का सुन कर आरती खुश हो जाती है और वो दौड़कर चली जाती है साहिल को बताने.
बातों ही बातों मे काफ़ी रात हो गई थी ...
रेणु ने आकर सबको खाने के लिए अंदर चलने को कहा ..
सब लोग खाना खाए अंदर चले जाते हैं ..
"क्या लाजवाब खाना बनाया है साली साहिबा आपने "' आरती के पापा ने रेणु की तारीफ की .".जी चाहता है आपकी उंगलिया चूम लूँ"
इस समय सारे लोग रसोई मे थे बस साहिल के मम्मी पापा को खाना बरामदे मे ही दे दिया गया था .
"क्या जीजा आप भी ना " रेणु शर्मा जाती है .
"अरे भाई इतना तो हक़ है ..आधी घरवाली हो "
"चुप रहिए आप बच्चो का भी ख्याल नही होता कि बड़े हो रहे है ..मत तंग करो मेरी भोली भाली बेहन को "
साहिल की दीदी ने उन्हे घुड़की लगाई .
"हुह जालिम जमाना" आरती के पापा बोले और सब हँस दिए ..
सब खाना खा रहे थे और रेणु सबको पुच्छ पुच्छ कर कुच्छ कुच्छ दे रही थी ...
"जीजा और कुच्छ दूं आपको "
"नही बस पेट भर गया "
"अरे मुझे तो पुछा ही नही " रोहन ने फिर अपना मिशन शुरू किया ..
"ओह सॉरी , कुच्छ चाहिए तुम्हे ."
"हाँ "रोहन जो बगल वाले रूम मे .टी.वी के सामने बैठा खा रहा था ...
आरती उसके पास चली जाती है .."क्या चाहिए रोहन "
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