RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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आरती प्यार से साहिल के तरफ देखती है ....वो अभी भी गहरी नीद मे है ...... एक पल को आरती को लगा था कि साहिल ने ये जान बुझ कर किया है .....पर शायद जब वो बैठी थी उसके पास तभी उसका एक हाथ तो साहिल के सर की मालिश कर रहा था और दूसरा जाने कब साहिल के हाथो मे आ गया था ....
आरती को थोड़ी मायूसी होती है ....और साहिल पर बहुत प्यार भी आता है ...वो आहिस्ता से अपना हाथ छुड़ा कर साहिल का हाथ उसके सीने पर रख देती है .
रत के 8.30 बज चुके थे ...आरती खाने का ऑर्डर दे रही थी ...
कुच्छ देर बाद किशोर खाना लेकर आता है " दीदी खाना हाज़िर है "
किशोर की आवाज़ पर दरवाज़ा खोलती है आरती .
किशोर आरती को बहुत मानता था बिल्कुल बड़ी बेहन के जैसे ....वो कॉलेज मे रहने वाली लड़कियो का छोटा मोटा समान भी लाया करता था ..सब उसे एक नौकर का दर्ज़ा देते लेकिन आरती उसे से बहुत प्यार से पेश आती ....
किशोर अपने छोटे मोटे खर्च के लिए कभी कभी आरती से कुछ उधार पैसे भी ले लेता था ...
आरती ही थी जिस से वो थोड़ी बहुत बाते किया करता था ....
" दीदी ? "
" हाँ बोलो "
"ये हमारे होने वाले जीजा जी है क्या ??? "
किशोर खाने की सारी प्लेट टेबल पर लगाते हुए पूछता है ...क्यूकी वो जानता था आरती बहुत सीधी साधी लड़की है और किसी गैर मर्द के साथ एक कमरे मे रहना ......
"बहुत बोलने लगा ह...भाग जा नही तो पिट जाएगा आज "
आरती उसे प्यार भरी घुड़की देती है ..किशोर की बात वैसे बहुत अच्छि लगी थी उसे ...
किशोर मुस्कुरा देता है ..और वापस जाने को मुड़ता है .
" सुन "
"जी दीदी ""
" हाँ वही है ""
आरती शरमा कर बोलती है .
" बहुत अच्छि जोड़ी रहेगी आप दोनो की "
आरती फिर से बुरी तरह से लजा जाती है ....
अच्छा अब जा तू "
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