RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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जीवन वाटिका काफ़ी बड़ा बना हुआ था . थोड़ी थोड़ी दूर पर बंग्लॉ जैसे किंतु उनसे छोटे घर बने थे और हर 4_5 घरो के मध्य एक बगीचा. अगर कोई एक घर मे रहे तो दूसरे घर वाले से कोई मतल्लब बिल्कुल नही है.
यह इस बात का ध्यान रखकर बनाया गया था कि जो भी यहाँ रहे उसका किसी दूसरे से किसी तरह से डिस्टर्ब ना हो. जनरली लोग अपनी फॅमिली के किसी मेंबर के साथ ही आते थे और अगर आवश्यकता होती तो ऑर भी मिल सकते थे .
आरती अपने कॉलेज की सबसे अच्छि स्टूडेंट रही थी , और उसके कोलेज के द्वारा ही यह चलाया जाता था .. तो यहाँ पर आरती की बहुत अच्छि जान पहचान थी.
रूम तक पहुचते पहुचते शाम के 5 बज गये थे .सर्दियो का मौसम होने के कारण अंधेरा घिर आया था .
आरती ने जो "घर" लिया था वो काफ़ी किनारे बना हुआ था ..सेकेंड फ्लोर पर उनका सारा सेट अप था . जीवन वाटिका की लोकेशन इस तरह की थी कि आने वाला हर इंसान खुद को नेचर के बहुत करीब महसूस करता ...
साहिल ठीक तो हो गया था लेकिन अभी भी काफ़ी कमज़ोरी थी .आरती और साहिल के बीच अभी एक दीवार थी .दोनो एक दूसरे से वैसे बिल्कुल बात नही कर पा रहे थे जैसे बरसो पहले करते थे - जब वो दो जिस्म एक जान हुआ करते थे .
आरती जानती थी इस दीवार को उसे ही गिराना है ..आख़िर ये दीवार बनाई भी तो उसके ही बेरूख़ी ने थी.
साहिल वॉशरूम से फ्रेश होकर निकला था जब उसकी नज़र सोफे पर आधी लेटी सी आरती पर पड़ती है . आरती बहुत थक गयी थी और उसकी आँख लग गयी थी. आरती ने वूलेन सूट पहेना हुआ था जिसके उपर से स्वेटर और फिर ओवरकोट ..एक शॉल उसके कंधे से झूल रही थी . गुलाबी पतले होठ , घनी पलके ,काली ,लंबी घनी जुल्फे जिसका कुच्छ अंश उसकी चोटी से निकल कर गालो को चूम रहा था... सुरहिदार गर्दन और उनके नीचे वो एवरेस्ट की दो चोटियाँ ...उफ्फ किसी का भी ईमान डोल जाए इस परी को देखकर.
"हुह ..आज भी उतनी ही मासूमियत है इस चेहरे पर ..उफ्फ ये मासूम चेहरा" साहिल के दिल मे एक टीस सी उभरती है.
"दीदी चाइ लाया हूँ"
किशोर की आवाज़ पर आरती हड़बड़ा कर उठ जाती है और साहिल को खुद को देखते पाकर हल्का सा मुस्कुरा देती है...साहिल जैसे चोरी करते पकड़ा गया हो इस तरह से नज़रे झुका लेता है .
आरती दरवाज़ा खोलती है...
" किशोर कुच्छ खाने को नही लाए हो ,,बहुत भूख लगी है पर मैं बोलना भूल गयी "
"लाया हूँ दीदी, मुझे लगा ही था आप लोग भूखे होंगे "
और ये कहकर वो पूरी ट्रॉल्ली अंदर कर देता है जिस पर ढेर सारी चीज़े खाने की रखी थी .
"थॅंक यू किशोर "
किशोर बस मुस्कुरा कर रह जाता है और बाहर निकल जाता है .
आरती चाइ बना कर साहिल की ओर बढ़ा देती है और कुच्छ स्नेक्स भी .साहिल चुप चाप कप पकड़ लेता है .
थॅंक यू"" साहिल के मूह से निकल जाता है .
"अब इतनी पराई हो गई हूँ मैं"
" मैं झूठे सपने नही देखता ..सच्चाई का सामना करना सीख लिया है मैने "
साहिल इतना बोलकर वहाँ से उठकर जाने लगता है ..आरती उसका हाथ पकड़ लेती है .
"प्लीज़ जाओ मत मैं कुच्छ नही बोलूँगी अगर तुम नही चाहते तो "
साहिल तुमने सच का सामना अभी किया ही कहा है ..वो तो मैने किया है जान - आरती अपने मन मे सोचती है और आँसू की दो बूंदे उसके गालो को भिगो देती है जिन्हे वो बड़ी सफाई से छुपा लेती है .
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