RE: Biwi ki Chudai किराए का पति
मेरा विश्वास सही निकाला वो राजदीप हमे ही घूर रहा था जब हम अंदर घुसे. सोनिया ने भी इस बात को महसूस किया और वो मेरी ओर देख कर मुस्कुरा दी. रात मे घर लौटते वक़्त उसने पूछा, "क्या इन लोगो की नज़रों मे में आज भी शक की निगाह पर हूँ?"
"मुझे पता नही सोनी हो सकता हो कि ये इत्तफ़ाक़ भी हो पर हमे सावधान रहना होगा." मेने जवाब दिया.
उसने अजीब सी निगाहों से मेरी ओर देखा, "तुमने मुझे ऐसे क्यों बुलाया?"
"क्या"
"सोनी, तुमने मुझे सोनी कहकर क्यों पुकारा?" उसने पूछा.
"ऐसे ही कोशिश कर रहा था." मेने जवाब दिया.
"पर क्यों?"
"इसलिए कि हम दोनो एक दूसरे से बहोत प्यार करते है. और जब पति पत्नी इतना प्यार करते है तो उनके कुछ प्यार भरे नाम भी होते है. आज के बाद पब्लिक मे में तुम्हे इसी नाम से पुकारूँगा और ये दिखावा करूँगा कि में तुमसे सही मे बहोत प्यार करता हूँ.
सोनिया मेरी बात सुनकर थोड़ी देर चुप रही फिर मुझसे पूछा, "तुम अंदर क्या कहना चाहते थे कि मुझे देखकर तुम्हे बरसों से...."
"किस बात के बारे मे कह रही हो?" मेने उससे पूछा.
"वही जब टाय्लेट के बाहर तुम अपने खड़े लंड को मसल्ते हुए कही थी." सोनिया ने जवाब दिया.
"ओह..... अछा उसके बारे मे पूछ रही हो." मेने थोड़ा हंसते हुए कहा.
"हां उसी के बारे मे....तुम्हारा मतलब क्या था?"
"यही की तुम इतनी सुन्दर हो और हर उस मर्द की तरह जो तुम्हारे लिए काम करता है तुम्हे पाने की कामना ज़रूर रखता है." मेने जवाब दिया.
"कहीं मेरा मज़ाक तो नही उड़ा रहे हो?" सोनिया ने थोड़ा सोचते हुए कहा.
"में मज़ाक नही कर रहा ये तुमने देख ही लिया है, अब हक़ीक़त को अपनाना सीखो." मेने कहा.
बाकी का घर तक का सफ़र हमने चुप रहकर गुज़ारा.
जब हम घर पहुँचे तो अमित हमारा इंतेज़ार कर रहा था. वो और सोनिया डिन्निंग रूम मे बने बार की तरफ बढ़ गये और में अपने कमरे की तरफ. जब में चादर ओढ़ सोने की तैयारी कर रहा था उसी वक़्त अमित और सोनिया ने मेरे कमरे मे कदम रखा.
"राज थोड़ा खिस्को और मेरे और तुम्हारी बीवी के लिए थोड़ी जगह बनाओ... तुम्हारी बीवी अपनी चूत चूसवाना चाहती है और में तुम्हे ये करते हुए देखना चाहता हूँ. तुम्हे नियम तो याद है ना?" अमित ने हंसते हुए कहा जैसे मुझे याद दिलाना चाहता है कि में तो सिर्फ़ किराए का पति या गुलाम हूँ जिसे इस काम की पूरी कीमत चुकाई जा चुकी है.
खैर मुझे कांट्रॅक्ट के हिसाब से सारे नीयम याद थे. मेने उन दोनो के लिए थोड़ी जगह बनाई और बिस्तर के बगल मे बने नाइट्स्टॉंड से अपनी कीताब उठा ली जो में उन दोनो के आने के पहले में पढ़ रहा था. में जानबूझ कर उन्हे नही देख रहा था और अंजान बना अपनी कीताब पढ़ने लगा.
बड़ी मुश्किल से में अपने खड़े लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था जो कि पहले तो सोनिया को नंगी देख और अब उसकी सिसकारियाँ सुन कर और तन्ता जा रहा था.
अमित जब अपने काम से फारिग हुआ तो सोनिया के पास से हट गया और लगभग मुझे चिढ़ाते हुए कहा "अब ये तुम्हारी है."
में खिसकते हुए सोनिया के पास आ गया अपना चेहरा सोनिया की जांघों के बीच दे दिया. शायद भाग्य आज मेरा साथ दे रहा था. मेने सोनिया की जांघों को फैलाया और उसकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया. जैसे ही मेरे जीभ उसकी चूत की गहराई तक पहुँची उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
में हुचक हुचक कर उसकी चूत को पिए जा रहा था और वो अपनी कमर उचका अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह पर मारते हुए सिसक रही थी, 'ओह राजा मज़ाअ एयेए गया ओह हां चूसो आज खा जाआओ मेरी चूओत ऑश मैं तो गाइिईई." ज़ोर से सिसकते हुए चूत ने एक बार और पानी छोड़ दिया.
सोनिया ने मुझे हल्का सा धक्का देते हुए कहा, "बस राज अब और नही."
में एक बार फिर से उससे दूर हट गया और अपनी कीताब पढ़ने लगा. थोड़ी देर बाद वो दोनो मेरे कमरे से चले गये और में लाइट बुझा गहरी नींद मे सो गया.
वो पहली और आखरी रात थी कि अमित ने सोनिया को मेरे सामने चोदा हो साथ ही उसके लिए वो पहली और आखरी रात थी कि मेने उसके सामने सोनिया की चूत को चूसा हो. शायद उसे इस बात से दुख पहुँचा था कि जो कमाल उसका लंड नही दीखा पाया वो कमाल मेरी जीभ ने दीखा दिया, की सोनिया इतनी जोर्र से सिसकते हुए उसके सामने झड़ी थी.
पर में उसे ये बता भी तो नही सकता था कि उस रात पहली बार ऐसा हुआ था कि सोनिया इतनी जोरों से झड़ी थी शायद मेरी तकदीर मेरा साथ दे रही थी.
और छह महीने इसी तरह गुज़र गया. किसी चीज़ मे कोई परिवर्तन नही आया सिर्फ़ इस बात के की अब सोनिया पहले से ज़्यादा रातों को मेरे कमरे मे आने लगी..
पहले तो सोनिया हफ्ते मे दो या तीन दिन आती थी किंतु अब तो लगभग हर रात आने लगी. उसके स्वाभाव मे भी थोड़ा परिवर्तन आ गया. पहले वो मेरे लंड को झटके देकर मुझे उठाती थी और फिर मेरे चेरे पर चढ़ अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती थी. पर अब मुझे उठाने के बजाए वो तब तक मेरे लंड को मसल्ति जब तक मेरी नींद खूदबा खुद ना खूल जाती.
अब अक्सर ऐसा होने लगा वो रात को को मेरे कमरे मे आती और मेरे लंड को तब तक मसल्ति रहती और जब तक मेरा लंड पानी ना छोड़ देता तो मेरे चेहरे पर चढ़ अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती.
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