RE: Biwi ki Chudai किराए का पति
किराए का पति--4
गतान्क से आगे……………………………..
में अपना समान कार की डिकी मे रखने लगा. कार का ड्राइवर मेरी मदद करता रहा. समान रखे जाने के बाद मेने ड्राइवर को 500 रुपये दिए और वो कार की चाभी मुझे देकर चला गया.
"राज ये क्या हो रहा है, किसकी गाड़ी है ये?" सोनिया ने फिर पूछा.
"थोड़ा और सब्र करो, थोड़ी देर मे तुम्हे सब पता चल जाएगा." मेने कहा.
जैसे ही वो ड्राइवर गया मेने सोनिया को गाड़ी मे बैठने को कहा.
"जब तुम मुझे सब कुछ नही बताओगे में तुम्हारे साथ कहीं नही जाउन्गि," सोनिया ने कहा.
"सोनिया गाड़ी मे बैठो जिद्द मत करो. अगर तुम नही चली तुम्हे यहाँ अकेला सड़क पर छोड़ में चला जाउन्गा फिर तुम उस हनिमून होटेल जाकर सफाई दे देना कि तुम अपने पति के बिना वहाँ क्यों आई हो."
मेने थोड़ा गुस्से मे कहा.
सोनिया ने इतने गुस्से मे मेरी और देखा जैसे कि वो मेरा खून ही कर देगी. फिर वो गाड़ी मे बैठ गयी, "पर मुझे बताओ ये सब क्या हो रहा है, और तुम क्या चाहते हो?"
"आराम से सोनिया, ये भी कोई तरीका है अपने पति से बात करने का." मेने कहा.
"बकवास बंद करो राज, में सब कुछ जानना चाहती हू कि तुम क्या चाहते हो?"
"आसान सी बात है मेरी जान, में तुम पर विश्वास नही करता. तुमने बड़ी आसानी से मेरी सुहागरात वाली बात मान ली. तुम्हारे दिमाग़ ने तुमसे कहा कि जो माँग रहा है इस वक़्त हां कर दो, एक बार शादी हो जाएगी तो तुम अपनी ज़ुबान से मुकर सकती हो. तब तक शादी हो चुकी होगी और वो इंसान पैसे के लालच मे कुछ नही बोलेगा. क्यों मे सच कह रहा हूँ ना?" मेने उसकी ओर देखते हुए कहा.
"नही राज ये सच नही है, मेरे मन मे ऐसा कुछ नही था,"
"यही सच है सोनिया. जिस तरह से तुमने सब प्लॅनिंग की थी मुझे उसी वक़्त लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है. हो सकता था कि होटेल मे पहुचने के बाद तुम अमित के कमरे मे चली जाती जो हमारे सामने के कमरे मे तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा होता, या फिर वो चल कर हमारे कमरे के दरवाज़े पर दस्तक दे देता और तुम उसे अंदर बुलाकर हमारा साथ देने की दावत दे देती.
हो सकता था कि जो मेने सोचा वो ग़लत होता पर ऐसा हुआ नही. मेने तुम्हे अमित से आँख मिलाते देख लिया था जो अपनी घड़ी की ओर इशारा कर तुम्हे याद दिला रहा था. तुमने मुझसे चाल चलने की कोशिश की पर मेने भी अपना प्लान पहले से ही बना लिया था. इस वक़्त हम दूसरे होटेल मे जा रहे है जहाँ मेने सब व्यवस्था कर रखी है. और जो हम दोनो के बीच तय हुआ है वो आज हमारी सुहागरात मे होकर रहेगा."
"राज ये तो कोई तरीका नही हुआ अपनी शादी की शुरुआत करने का?" सोनिया ने कहा.
"सोनिया तुम भी ये जानती हो कि ये शादी नही एक व्यापारिक समझौता है. में अपना वचन निभाउन्गा. मेरा वचन एक पत्थर की लकीर है पर तुम्हे भी अपना वचन निभाना होगा."
इतना कहकर मेने गाड़ी रोड के साइड मे खड़ी कर दी. "अभी वक़्त है अगर तुम्हारा इरादा नही है तो तुम अपने वचन से पीछे लौट सकती हो. में कल ही कोर्ट मे अपने तलाक़ के काग़ज़ात दाखिल कर दूँगा फिर तुम आज़ाद हो."
मेने देखा कि सोनिया के चेहरे पर अजीब अजीब से भाव आ रहे थे. थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा, "में अपना वादा ज़रूर निभाउन्गि राज. मुझे हैरानगी इस बात की हो रही है कि तुमने मुझपर विश्वास नही किया."
"सोनिया ये तुम भी जानती ही कि हमारी शादी एक समझौता है. फिर एक दूसरे से झूठ बोलना बंद करो. तुम मुझे जितना बेवकूफ़ समझती हो उतना में हू नही. मेने कुछ फोन किए थे और मुझे पता चल गया. हमारी बुकिंग रूम नंबर 1216 मे जिस होटेल मे हुई थी ठीक उसी कमरे के सामने वाला कमरा 1217 मिस्टर. अमित कप्पोर् के नाम बुक था. मेने तुम्हे पहले ही कहा था कि हमारी सुहागरात के दिन वो हमसे पाँच मील की अंदर नही होना चाहिए. में तुम्हारे जाल मे नही फँसा सोनिया बस इतनी सी बात है." मेने कहा.
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