RE: Behen Sex Kahani दो भाई दो बहन
"तुम मुस्कुरा रही हो इसका मतलब है कि तुम्हारे पेपर ठीक हुए है."
जीत ने कहा.
"हां ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है... थॅंक्स." रोमा ने जवाब दिया.
"आओ अंदर आओ." जीत ने उसकी कमर मे हाथ डालते हुए कहा.
जीत के हाथों का स्पर्श अपनी कमर पर रोमा को अछा लग रहा था....
"चलो आज इस खुशी मे बाहर जाकर कहीं पार्टी करते है." जीत ने
कहा.
"में एक अछा रेस्टोरेंट जानता हूँ.. चलो वहीं चलते है.. तुम्हे
अछा लगेगा." जीत ने कहा.
रोमा का दिल खुशी से भर उठा.. "जीत तुम बहुत अच्छे हो.. तुम इतना
सब मेरे लिए क्यों कर रहे हो?" रोमा ने अपना सिर उसके कंधों पर
रखते हुए पूछा.
"इसलिए की मुझे तुम्हारा साथ अच्छा लगता है." जीत ने अपने दिल की
बात कही. जीत रोमा के खिलखिलाते चेहरे और उस पर छाई खुशी को
नही देख सका.
बीस मिनिट बाद दोनो एक रेस्टोरेंट मे दाखिल हो रहे थे जिसका नाम
था 'कपल्स'
"ये तुम मुझे कहाँ ले आए." रेस्टोरेंट का नाम पढ़ वो हंसते हुए बोली.
"कहनी नही बस.. तुम्हे इस सहर की सैर करा रहा हूँ."
दोनो रेस्टोरेंट के अंदर आकर एक कॅबिन मे बैठ गये... जीत ने
वेटर को बुला कर खाने का ऑर्डर दे दिया.
थोड़ी देर मे वेटर टेबल पर खाना लगा गया.. वेटर के जाते ही
जीत ने रोमा की कमर मे हाथ डाल उसे अपने नज़दीक खींच लिया..
मुस्कुराते चेहरे से वो रोमा के चेहरे को निहारने लगा... उसका बदन
कांप रहा था... वो उसे चूमना चाहता था लेकिन हिक्किचाहत और डर
के मारे वो ऐसा नही कर पाया.
"तुम बहोत सुंदर हो रोमा... जी करता है कि तुम्हे चूम लूँ." जीत
हिक्किचाते हुए कहा.
"तो फिर चूमते क्यों नही...." रोमा ने मुक्सुरा कर जवाब दिया.
जीत ने उसके चेहरे को अपने हाथो मे लिया और अपने होठ उसके होठों
पर रख उसे चूमने लगा... इतने महीनों मे वो पहली बार इस तरह
रोमा को चूम रहा था... रोमा भी उसका साथ देने लगी और उस पर
झुकते हुए उसने अपनी चुचियों को उसके छाती पर गढ़ा दी.
अपनी चुचियों को उसकी छाती पर रगड़ते हुए रोमा ने अपनी जीब उसके
होठों मे डाल दी.... जीत भी काम विभोर हो उसकी जीब को चूसने
लगा....
रोमा भी उत्तेजित हो गयी थी... उसकी चुचियों कठोर हो गयी थी और
निपल तन कर खड़े हो चुके थे...जीत का हाथ अब उसके चेहरे से हट
कर उसकी पीठ पर आ गया था और वो उसकी पीठ को सहलाने
लगा......फिर फिसलते हुए उसके हाथ उसके कुल्हों पर आ गये और उसने
उसके कुल्हों को अपने हाथों मे भर मसल दिया.... रोमा अपनी चुचियों
को और ज़ोर से उसकी छाती पर रगड़ने लगी... जीत का लंड भी पॅंट के
अंदर हरकत करने लगा था....
जीत ने अपने आप को रोमा से अलग किया, "तुम्हे चूम कर बहोत अछा
लगा रोमा."
"अगर अछा लगा तो रुक क्यों गये..?" रोमा ने पूछा.
"हमे खाना भी तो खाना है." जीत ने टेबल पर पड़े खाने की ओर
देखते हुए कहा.
"हां वो तो है." रोमा ने खिलखिलते हुए कहा... जीत की हालत देख
उसे हँसी आ रही थी.
जीत के अलग होते ही रोमा ने अपनी निगाह उसकी जाँघो की ओर डाली जहाँ
लंड तन कर खड़ा हो चुका था... रोमा ने अपनी उंगली धीरे से पॅंट
के उपर से लंड पर फिराई.... और फिर अपना हाथ हटा हँसने लगी.
"तुम बहोत शैतान हो?" जीत ने उसे डाँटते हुए कहा.
"हां वो तो हूँ... और कभी कभी इससे भी ज़्यादा शैतान हो जाती
हूँ." रोमा ने फिर हंसते हुए कहा.
दोनो मिलकर खाना खाने लगा... जीत एक निहायत ही शरीफ और
हॅंडसम नौजवान था.. रोमा उसे पसंद करने लगी थी.. उससे उमर मे
थोड़ा बड़ा था तो क्या हुआ....आख़िर वो कब तक अकेली रहेगी.. जिससे वो
सच्चा प्यार करती थी उसका भाई राज.. उसे रिया मे दिलचस्पी ज़्यादा
थी.....दिल मे छुपे दर्द ने एक बार फिर उसकी आँखों को भीगो दिया.
जीत रोमा को देख सोचने लगा... उसे नही पता था कि रोमा के साथ
बढ़ता रिश्ता कहाँ तक जाएगा.. जब उसने रोमा की मदद करने को कहा
तो उसके दिल मे कोई भावना नही थी.. वो एक शरीफ इंसान की तरह
उसकी मदद करना चाहता था... उसने दिल और मन दोनो लगाकर उसकी
पढ़ाई मे मदद की थी.
पर वक्त के साथ हालत और रिश्ते बदल गये थे.. वो रोमा को पसंद
करने लगा था.. रोमा भी काफ़ी बदल गयी थी...दिल कहता था कि रोमा
को उससे प्यार हो गया था लेकिन वो अपने प्यार का इज़हार करते हुए डरता
था... कई रातें उसने अपने लंड को मसल्ते रोमा के सपने देखे
थे... और रोमा की हरकत सॉफ इशारा कर रही थी कि उसका सपना
हक़ीकत मे बदालने वाला था.
* * * * * * *
बेडरूम मे आते ही रिया ने अपने कपड़े उतारे और नंगी अपने पलंग पर
लेट गयी.. जे भी पीछे नही रहा वो भी नंगो होकर अपनी बेहन के
बगल मे लेट गया.... उसका लंड अभी तन कर खड़ा नही हुआ था....
"जय आज में तुम्हारी हूँ.." रिया ने अपने नंगे जिस्म को अपने भाई को
पेश करते हुए कहा, "तुम जैसे चाहो इससे खेल सकते हो.. में कुछ
नही कहूँगी."
"में चाहता हूँ कि तुम मेरा लंड चूसो... जब तुम्हारे होठ मेरे
लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले चूस्ते है तो मुझे बहोत अछा लगता है."
जय ने कहा.
जय अपनी आँखे बंद किया लेटा रहा और रिया उसकी टाँगो के बीच आकर
उसने उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.
"क्या रानी भी तुम्हारे लंड को चूस्ति है?" रिया ने पूछा.
"कभी कभी." जय ने जवाब दिया.
|