RE: Behen Sex Kahani दो भाई दो बहन
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गतान्क से आगे.............
रोमा अब उसके लंड को पूरा अपने गले तक लेकर चूस रही थी, "ऑश
रोमा ऐसी हीईिइ चूऊसो." राज की नसों का तनाव बढ़ने लगा. वो
रोमा के चेहरे को पकड़ जोरों से अपने लंड को उसके मुँह के अंदर
बाहर करने लगा. रोमा के मुँह के थूक से उसकी पूरी जंघे गीली हो
गयी थी.
"रोमा अपनी ज़ुबान को मेरे लंड पर उपर से नीचे तक फिराओ." राज ने
कहा.
रोमा ने उसके लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया, "तुम हर वक़्त
क्या लिखते रहते हो." उसने इस तरह पूछा की जैसे उसे कुछ मालूम
ही नही हो.
रोमा ने पहले उसकी गोलियों को मुँह मे लेकर चूसा फिर अपनी ज़ुबान
को उसके लंड के नीचे से उपर तक फिराने लगी. एक अजीब सी गुदगुदी
राज के शरीर और लंड मे पैदा हो गयी. वो सोचने लगा कि रोमा को
क्या कहे, अगर उसे सचाई का पता चल गया तो वो क्या सोचेगी.
"कुछ नही सिर्फ़ मेरे ख़याल जिन्हे में एक कहानी का रूप दे देता
हूँ" उसने सच को छुपाते हुए कहा. कल्पना अपने आप मे ख़याल ही तो
है.
रोमा अपनी ज़ुबान फिराते हुए उपर की ओर आई और उसके सिर्फ़ सूपदे को
अपने मुँह मे ले चूसने लगी. फिर अपनी ज़ुबान नीचे की ओर कर
चाटते हुए उपर को आई और फिर सूपदे को चूसने लगी. गाढ़ा वीर्य
उसके लंड से निकलने लगा. वो उसे चाट गयी स्वाद ज़रूर खारा सा था
लेकिन उसे अच्छा लग रहा था. अपने भाई को खुशी देने मे उसे मज़ा
आ रहा था.
"क्या लड़कियों के बारे मे लिखते हो?" रोमा ने एक बार फिर राज से
पूछा.
"तुम ये सब क्यों जानना चाहती हो?" राज ने पलट कर प्रश्न किया.
"क्या तुम ये लिखते हो कि लड़कियाँ तुम्हारा लंड कैसे चूस्ति है और
तुम उनकी चूत को कैसे चोद्ते हो?" उसने फिर पूछा. ये सब गंदी
गंदी बातें रोमा के शरीर मे और आग लगा रही थी, उसे मज़ा भी
आ रहा था.
रोमा ने फिर उसके लंड को अपने मुँह मे लिया और अपने गले तक ले
लिया. उसका दिल तो कर रहा था कि इतने लंबे लंड को वो पूरा का पूरा
अपने मुँह मे ले किंतु वो ले नही पाई उसकी साँसे रुक गयी. उसने
वापस लंड को बाहर कर उसके सूपदे को चूसने लगी.
"क्या तुम मेरे बारे मे लिखते हो?" वो एक बार फिर उसे पूछने लगी. वो
चाट्ती थी कि भले ही वो झूट बोले लेकिन बोले कि वो उसी के बारे
मे लिखता है कि किस तरह वो उसके शरीर को प्यार करता है और वो
किस तरह उसकी चुदाई करता है.
राज को लगा कि आज तक जो बातें उसने छुपाने की कोशिश की थी अब
वो छुपी नही रह गयी थी इसलिए उसने कहा, "हाँ में हम दोनो के
बारे मे लिखता हूँ. मैं लिखता हूँ जो हम आज कर रहे है,
मुझे तो ऐसा ही था कि हम हज़ारों साल मे भी ये सब नही कर
पाएँगे जो हम कर रहे है."
राज की बातें सुन रोमा मन ही मन उछल पड़ी. इसका मतलब उन
कहानियों मे वो में थी जिनके बारे मे राज लिखता है.उसका उत्तेजित
शरीर खुशी के मारे झूम उठा. वो राज के लंड को और जोरों से
चूसने लगी वो उसके रस की एक एक बूँद पीना चाहती थी.
रोमा के इस बदले व्यवहार को देख राज चौंक उठा, "ऑश रोमा ये क्या
कर रही हो डार्लिंग तुम्हारे दाँत लग रहे है.... थोड़ा धीरे
धीरे चूसो ना ऑश."
पर रोमा थी कि वो सुन ही नही र्है थी, मुट्ठी मे उसके लंड को
मसल्ते हुए जोरों से उसे चूस रही थी. राज ने उसके सिर को पकड़ा
और अपने वीर्य की धार उसके मुँह मे छोड़ दी. रोमा जल्दी जल्दी उसके
वीर्य को निगलने लगी. उसका वीर्य की आखरी बूँद निगलने के बाद भी
वो उसके लंड को चाट्ती रही.
"मुझे तो बहोत मज़ा आया लेकिन ऐसा लगता है कि तुम्हे मेरा
लंड चूसने मे मुझसे ज़्यादा मज़ा आया." राज ने कहा.
रोमा ने अपना चेहरा चादर के नीचे से निकाला और उसके बगल मे
लेटते हुए कहा, "ये तो शैतानी थी पर अब मेरी चूत मे आग लगी
हुई है."
"में भी कभी कभी शैतान हो जाता हूँ." कहकर राज उसकी टाँगो के
बीच आ गया.
रोमा ने अपने प्यारे भाई के लिए अपनी टाँगे फैला दी. जब राज ने
अपना मुँह उसकी चूत पर रखा तो सिसक पड़ी. राज उसकी चूत मे अपनी
उंगली के साथ अपनी जीएब दल उसे चाट रहा था तो कभी उसकी छूट
को मुँह मे भर चूसने लगता.
"हाआँ राअज इसी तरह ऑश कितना अछा लग रहा है.." रोमा मादकता
मे चिल्लाने लगी, "हाआँ राज इसी तरह चूसो ऑश थोडा नीचे को
चॅटो नाअ हाँ भर लो मुँह मे ऑश थोडा काटो ना....."
राज अपनी जीभ को पूरा फैलाते हुए उसकी चूत को उपर से नीचे तक
चाटने लगा साथ ही वो उंगलियों को अंदर बाहर कर रहा हा.
"ऑश ऑश हाआँ आईसीईइ ही." रोमा सिसक रही थी . वो छूटने के
कगार पर पहुँच चुकी थी.
राज की फुदक्ति जीब अजीब सा मज़ा दे रही थी रोमा को. वो और जोरों
से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा. रोमा का शरीर आकड़ा और उसने
अपनी कमर उठा अपनी चूत को राज के मुँह पर और दबा पानी छोड़
दिया.
राज पूरी चूत को मुँह मे भर उसके रस को पीने लगा. आक्खिर एक एक
बूँद चूसने के बाद वो निढाल हो उसके बगल मे लेट गया.
रोमा ने अपनी एक टांग उठा कर राज के उपर रखते हुए कहा, "राज
मुझे पर एक कहानी लिखो, एक दम गंदी तुम्हारे जो दिल चाहे लिखो,
में तुम्हारा हर सपना हर ख़याल पूरा करूँगी."
"ज़रूर लीखूंगा रोमा....." कहकर राज ने उसे अपनी बाहों मे भर
लिया.
दोनो अंधेरे मे एक दूसरे की उखड़ी सांसो की आवाज़ो को महसूस कर रहे
थे. आज वो खुस था कि अब उसे काग़ज़ पर लिख कर अपने ख़यालों को
तालाब की गहेराइयों मे नही फैंकने पड़ेगा, कोई तो है जिसके साथ वो
उन ख़यालों को बाँट सकता है. तो भाई लोगो कैसी लगी ये कहानी
ज़रूर लिखना आपका दोस्त राज शर्मा
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