RE: Chudai Story अनोखी चुदाई
मेरी बहन और भाभी तो अपने उपर, मखी भी नहीं बैठने देती थी.
फिर एक नौकर के नीचे, चौड़ी हो उस का मोटा, लम्बा लण्ड गुपा गुप खा रही हैं.
एक बार देखूं, जो मेरी बहन और भाभियों को पसंद आया है.
सो मैंने भीमा को 1000 रुपए देते हुए बोला – चल अब, तू घर जा… लेकिन पहले अपना लण्ड मुझे भी दिखाओ… मै भी तो देखूं जो मेरी बहन और भाभी को बड़ा पसंद है…
उस का लण्ड एक दम से खड़ा था, अब.
मेरे कहने पर उस ने फ़ौरन, लण्ड बाहर निकल दिया ओर वो यही तो चाहता था..
हे मां !! यह क्या है… घोड़े जैसा, काले नाग जैसा… कोई 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा…
मैंने कहा – भीमा… क्या, है क्या ये… ख़ाता क्या है रे, तू… तूने तो मेरी बहन और भाभी की चूत चौड़ी कर दी होगी, अब तक… तभी तो मैं देख रही थी की उन की गाण्ड भी बहुत चौड़ी हो रही है, आज कल… और तेरे पर भी बड़ी मेहरबान हैं, यह तीनों आज कल…
उस का लण्ड देखते ही, मेरे तो होश उड़ गये थे.
मैं समझ गई की ऐसी कौन औरत नहीं होगी जो इस का लण्ड, अपनी चूत में नहीं लेना चाहेगी.
मैंने ना चाहते हुए भी, उस के लण्ड को हाथ में पकड़ा और आगे पीछे करने लगी.
बिना किसी होश के, ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रही थी मैं उस की.
मैंने देखा की और कड़क होता जा रहा था.
भीमा एक दम से बोला – बीबी जी… बड़ा मज़ा आ रहा है, आप के हाथ से मूठ मरवाने में… आप को कैसा लग रहा है…
मैं – बहुत अच्छा, रे…
मैंने देखा की उस के लण्ड का सुपाड़ा, कोई दो इंच लंबा है और आगे से “कटा” हुआ है.
तो मैंने पूछा – यह कटा हुआ, क्यूँ है…
वो बोला – बीबी जी, पहले से ही है जब मैं श्रीनगर में था…
मैं – तो तुम “पठान” हो…
हाँ बीबी जी, सिर्फ़ आप ही पहचान पाईं हैं, इस बात को… – वो थोड़ा झेप का बोला..
अप बताना मत किसी को भी… नहीं तो शायद, सब बुरा ना मान जाएँ…
इस दौरान, में उस के लण्ड को आगे पीछे करती रही..
मुझे तो शुरू से मोटे लंबे लण्ड को हिलाने और मूठ मारने में, बड़ा मज़ा आता है.
यहाँ, लगातार मेरी चूत पानी छोड़ रही थी, लेकिन टाइम कम था इसलिए कुछ करने का सही वक्त नहीं था, उस दिन.
इतने बड़े लण्ड को तो बड़े प्यार से लेना चाहिए और खुल के मज़े करने चाहिए.
वैसे भी मुझे लम्बा, साफ सुथरा सुपाड़ा बहुत अच्छा लगता है, चूसने में.
मैंने भीमा को बोला – तेरा लण्ड अब तक खड़ा हुआ है, क्या बात है…
वो बोला – बीबी जी, इतनी जल्दी ठंडा होने वाला नहीं है यह…
तो मैंने पूछा – क्यों… ?.
वो बोला – आप जो हैं, सामने… फिर, कैसे बैठ जाएगा… आपको, सलामी दे रहा है…
मैं, ज़ोर से हंस पड़ी.
अच्छा, यह बात है तो तेरी पूरी परेड ही करानी पड़ेगी, लगता है…
वो बोला – करा दो, बीबी जी… वैसे आप जब काम कर रही रही थी तो मुझे आप की गाण्ड के थोड़े से दर्शन हो गये… देख ली थी मैंने आपकी, जब आप झुकी हुई थीं…
(मेरे कपड़े, जो भीमा के आने से पहले ही मैंने जान मुझ कर पतले से पहने हुए थे.. जिस से, भीमा को सब नज़र आता रहे..)
भीमा बोला – इतनी गोरी गाण्ड को देख कर तो मुर्दे का भी खड़ा हो जायगा और वो फिर से जीना शुरू कर दे… मेरी तो बात ही अलग है…
मैंने कहा – तो मेरे देसी घोड़े, अब इसे अंदर कर ले और ठंडा कर ले…
भीमा बोला – बीबी जी, ठंडा तो यह रात को कुकी की चूत में ही होगा… वैसे, बीबी जी आप को कैसा लगा मेरा लण्ड…
मैंने कहा की ऐसा लण्ड, किसी किसी के पास ही होता है और जिस किसी के पास होता है वो कई चूत का मालिक होता है… तू तो यह बता की मैं तुझे कैसी लगती हूँ…
शरमाते हुए, वो बोला – सच बोलूं, बीबी जी… जब आप चलती हैं ना तो एक मस्त हिरनी लगती हैं… मैं सोचता हूँ की इस हिरनी का, हिरण बन जाऊं और पीछे से आपकी चूत चाट चाट कर एक ही धक्के में पूरा लण्ड अंदर घुसेड दूँ… छुट्टी आती है ना तो मेरा लण्ड तो आप को देख कर, हुंकार भरता रहता है… मैं ही जानता हूँ की इसे कैसे, लगाम दे कर रख ता हूँ…
मैं हंसते हुए बोली – तो फिर, तेरा क्या इरादा है मेरे बारे में… चोदना चाहता है, मेरी चूत…
भीमा – आप को, कौन नहीं चोदना चाहेगा… आदमी तो क्या, घोड़ा तो क्या, गधा भी, अपना लण्ड पलेने को हुंकार भर देगा… आप की गाण्ड, है ही ऐसी… वैसे आप बहुत शांत हैं… कोई दूसरी होती तो अब तक, चार बार मेरा लण्ड ले चुकी होती… इतनी गरम बातें सुन कर भी, आप की चूत नहीं भड़की…
मैं – चल, अब मक्खन मत मार… देख, आज तो यह सब होगा नहीं… फिर, सही टाइम पर बता दूँगी…
भीमा – बीबी जी, मैं किस्मत वाला हूँ, जो आप के चूत में अपना इतना बड़ा और मोटा लण्ड पेलुँगा और आप को भी मेरा यह हथियार बहूत अच्छा लगेगा…
मैं – अरे, अच्छा तो है ही… बस, अब अंदर लेना है किसी दिन…
मैंने, ना बोला, ना जाहिर होने दिया उस को की मेरी चूत का शोला भी भड़क़ उठा है और हालत खराब हो चुकी है, इन सब की चुदाई की कहानी सुनते हुए.
असल में तो, चिप चिप कर रही है मेरी चूत अंदर से.
एक बात थी की मां ने सब के घर, अलग अलग बनवा दिए थे और सब अपने अपने में ही रहते थे.
नहीं तो मुश्किल होती, यह सब कुछ कांड करने की.
फिर, मैंने कहा – भीमा, अच्छा मैं सोचती हूँ…
अब तेरा लण्ड मुझे सोने तो नहीं देगा… – यह बात, मैंने दिल में ही रख ली.
मैं सोचती रही की लूँ, इस का मूसल लण्ड अपनी नाज़ुक चूत में की नहीं.. क्या करूँ..
मुझे, मेरे हब्बी का भी ख़याल था, इस लिए इस पेशोपश में काफ़ी समय रही लेकिन उस का लण्ड, रात दिन आँखो के सामने आ रहा था.
दूसरे दिन संयोग से, फिर मुलाकात हो गई, भीमा से खेतों में.
देखा की उस की नज़र रह रह कर, मेरी गाण्ड पर ही जा रही थी.
एक बार तो मेरी बड़ी दीदी ने कुछ भाँप सा भी लिया के भीमा, कुत्ता छोटी को भी पेलने के चक्कर में है क्या.
वो भी सोचती होगी की यह नहीं ले पाएगी, इस के मूसल जैसे लण्ड को.
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