RE: Chudai Story अनोखी चुदाई
तभी बड़ी ज़ोर की पेशाब लगी दीदी को, सो वो बिना कुछ बोले थोड़ी साइड में जा कर पेशाब करने लगीं.
उन्होंने सोचा भीमा काम कर रहा है, उसे क्या पता चलेगा इस घास में.
पर बड़ी ज़ोर की आवाज़ आ रही थी उनकी मूतने की, “सीटी” जैसी…
मैं छुप कर खड़ा हो गया और दीदी की तरफ, देखने लगा.
उफ्फ !! दीदी सलवार ऊपर करने ही लगी थीं की मेरी नज़र उन की गाण्ड पर चली गई और दीदी जी ने भी देख लिया.
दीदी बोली – भीमा, क्या देख रहे हो…
मैं चुप रहा.. क्या बोलता..
वो बोली – चलो, अब तैयारी करो… सामान ले लो और चलें…
यह सब देख कर, मेरा खड़ा हो गया था.
फिर क्या हुआ… ?? – मैंने पूछा..
जब दीदी ने मेरा देखा की खड़ा हो गया है और में लण्ड को छुपा रहा हूँ तो दीदी बोली – भीमा क्या कर रहे हो… इसे अंदर रख, बाहर आ रहा है…
मैंने खूब कोशिश की पर इतना लम्बा है की मुश्किल हो गया थे, छिपाना इसे..
बड़ी दीदी, बोली – भीमा, तेरा इतना लंबा है की छुपता तक नहीं है… चल दिखा अब, इसे मुझे… मैं भी देखूं की ऐसा कितना बड़ा है जो निक्कर मे छुप भी नहीं रहा है और वो हँसने लगी.
मैं शर्मा गया.
दीदी ज़ोर से बोली – दिखाओ…
मैंने धीरे से निकाल कर दिखा दिया.
दीदी बोली – बाप रे, इतना मोटा और बड़ा लण्ड है रे तेरा… तभी तो यह छुप नहीं रहा था… यह ऐसे नहीं छुपेगा, भीमा… कोई तरक़ीब सोचनी होगी…
फिर क्या था, दीदी ने मुझे साइड में घास के ऊपर बैठा दिया और हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी.
फिर थूक लगा कर, मेरे लण्ड को आगे पीछे करने लगी और अपने सलवार के अंदर हाथ डाल कर अपनी चूत भी सहलाने लगी और बोली – भीमा, घोड़ा बन गया है तू… इतना लंबा और मोटा तो घोड़े का ही होता है… और इस को ठंडा करने के लिए, घोड़ी ही चाहिए… घोड़ी, घोड़े का अंदर लेने को तैयार है…
दीदी ने मुझे नीचे लेटा दिया और अपनी सलवार खोल कर, मेरे ऊपर चढ़ गई और धीरे धीरे मेरा लण्ड अंदर लेने लगी.
कोई 15 मिनट में थूक लगा लगा कर, पूरा का पूरा अंदर ले लिया और ऊपर नीचे होने लगी.
दीदी बोली – तेरा बहुत बड़ा है, भीमा… दर्द हो रहा है लेकिन मज़ा भी आ रहा है… घोड़ा है रे, तू…
फिर दीदी, धीरे धीरे मुझ पर चढ़ कर मुझे चोदती रही और निकल गया, उन का पानी.
मेरा माल, दीदी ने बाहर मूठ मार कर निकाल दिया.
दीदी बोली – तेरा पानी भी घोड़े की तरह निकल रहा है… उफ्फ!! कितना निकल रहा है… देखा है क्या तूने घोड़े के लण्ड का पानी निकलता…
मैंने कहा – हाँ, दीदी जी…
दीदी – भीमा, तेरे लौड़े का इतना पानी किसी की चूत में चला गया तो समझो फूल गया उस का पेट…
दीदी ने 500 रुपये दिए और कहा – सुन भीमा, बताना मत किसी को भी…
उस दिन, मैं दीदी की पूरी चूत नहीं देख पाया था पर बड़ा ही अच्छा लगा था.
दीदी, चीज़ ही ऐसी हैं की कोई भी मर जाए उन पर.
गोरी, चिकनी, चौड़ी गाण्ड और लंबे बाल.
पर बीबी जी, मैंने आप को ही बताया हूँ, आप किसी को बताना मत.
शीला भाभी की थोड़ी खुली है सो फिट बैठ जाता है लेकिन दीदी की चूत, बड़ी टाइट है, उसे तकलीफ़ होती है.
फिर भी, हफ्ते में एक दो बार ज़रूर वो चुदवा लेती हैं.
फिर एक बार, मैंने बड़ी दीदी से पूछा की जीजा का लण्ड कितना बड़ा है…
इस पर वो बोली – तेरे से आधा है पर चोदते बहुत हैं और मेरा दिल भर जाता है… लेकिन तेरा तो घोड़ा वाला लण्ड है… इस की तो बात ही और है…
जब भी बड़ी दीदी को चुदवाना होता तो अब घर बुला लेती है, काम के बहाने.
घर पर पहले, दूध का गर्म गिलास पीने को देती है और कहती हैं की चोदने से पहले, घोड़े को तैयार केरना ज्र्रूरी होता है.
जब भी चोदना हो तो कहती की बातरूम में लण्ड को साफ कर के आ जा.
अब तो मुंह में ले के भी चूसती हैं, पर आज तक मुझे ऊपर नहीं चढ़ने दिया.
खुद ही, ऊपर चढ़ कर अंदर लेती हैं, धीरे धीरे.
जब मेरा माल निकलने वाला होता तो कह देती है की मेरे बूब्स पर डाल दे..
भाभी की तरह, वो भी मेरे माल से दूध की मालिश करती है.
हाँ, निप्पल पर नहीं लगने देती.
एक बात है, बीबी जी… बड़ी दीदी हैं बहुत साफ और बदन, एक दम से गोरा, गदराया हुआ.
दीदी की फुददी में लण्ड डाल कर, उन की गाण्ड को भींचने में मुझे बड़ा मज़ा आता है.
मैंने पूछा की मेरे को माल अंदर क्यों नहीं डालने देती तो वो बोली – तेरा लण्ड बहुत लंबा है और मोटा भी है… जिस दिन, तेरे माल को अंदर लिया समझो गर्भ रह गया… मैं औलाद, तेरे जीजा के माल से ही पैदा करना चाहती हूँ… समझे, मेरे घोड़े…
वो मुझे, धीरे धीरे चूत चाटने को कहती है.
सो मैं सीख गया हूँ, बड़ा मज़ा आता है उन की चूत चाटने में..
कहती हैं की तुझे मैं चुदाई का “मास्टर” बना दूँगी… फिर जो भी चुदवायेगी, बार बार बुलागी तुझे…
मैंने कहा की तेरे मज़े हैं… जो दीदी, जैसी की चूत चोदने और चाटने को मिल रही है… दीदी को चोदना आसान नहीं है, यह में जानती हूँ… जवानी के दिनों में, कई लड़के अपना लण्ड हाथ में लिए घूमते थे, पर यह किसी को घास नहीं डालती थीं… यह तो तेरे लम्बे और मोटे लण्ड की ही करामात है… तू यह किसी को मत बताना, नहीं तो दीदी की इज़्ज़त की मां बहन हो जाएगी… समझा… दीदी को यह भी पता ना चले की मैं जानती हूँ, इस बात को… चाहे दीदी, कितना भी पूछे…
मैंने देखा की भीमा, अब मेरे दूध की तरफ देख रहा है.
उसने मौका देख कर, धीरे से अपने लण्ड को निकाल कर साइड में लटका दिया है.
मेरी तो चूत, अब तक “आग” हो रही थी और उधर, भीमा का लण्ड अंदर घुसने को उतावला हो रहा था.
लेकिन, मैं भीमा की बातें सुनना चाहती थी.
मैं तो बस, उसे तडफा रही थी नहीं तो भीमा तो मेरी चूत फाड़ने को तैयार था की कब मैं, सब की तरह उस का लण्ड हाथ में पकड़ लूँ और सलवार खोल कर अपनी चूत में उसका लंड घुसेड लूँ.
मुझे लगता था, उस को अब इस बात का भरोसा हो गया था की बीबी जी भी अब उस से ठुकवायगी, ज़रूर.. आज नहीं तो कल..
मैंने कहा – और बता, कुकी के क्या हाल चाल है…
तो वो बोला – बीबी जी, कुकी तो अब पूरा लण्ड एक ही झटके में ले लेती है… उसे मेरा लण्ड, बड़ा पसंद है… अब तो वो भी अपनी चूत साफ रखती है… किसी को पता नहीं है, हमारी चुदाई का… हाँ, लेकिन बीबी जी एक बड़ी अजीब बात है, दीदी मुझसे चुदवाने से पहले मेरे लंड पर मूतती थीं और चुदवाने के बाद, अपनी चूत पर मुझसे मूतवाती थी… जब तक मैं मूत ना दूं वो मुझे जाने नहीं देती थीं…
ये सुन के, तब मुझे भी अजीब लगा क्यूंकी तब मैं नहीं जानती थी की मूत “एंटीसेप्टिक” होती है.
खैर, मैं बोली – चलो, सब ठीक है… आता होगा उन्हें मज़ा, इसी में… अब यह बता की चौथी खुशकिस्मत कौन है, जो इस फौलादी घोड़े का फौलादी लण्ड ले रही है…
तो वो बोला की आप हैरान होंगी, बीबी जी के यह बड़ी भाभी ही हैं… वो भी बहूत ही अच्छी है…
मैं शॉक में आ गई की एक मेरी बड़ी बहन, दूसरी मेरी बड़ी भाभी, यह क्या हो रहा है..
यह घोड़ा साला, मेरे घर में सब को खुले तबेले की घोड़ियों की तरह चोद रहा है क्या..
दूसरे मुझे ये लगा की भाभी तो भीमा को कभी भी नहीं मुँह नहीं लगाएँगी क्यूंकी वो तो उसे बहुत डांटा करती हैं और तो और, भीमा भी भाभी से बहुत डरता है.
सो मैंने कहा की भीमा एक बात बता… क्या खानदान की सब औरतें अपने सलवार खोल कर रखती हैं, तेरे लिए… अपनी टाँगें खोल कर, उठा कर, अपनी चूत चुद्वाने के लिए तैयार रहती है… पूरे घर में, तेरी ही चल रही है लगता है… अपना लंड फेंक के मेरा खानदान चोदता फिर रहा है रे तू, बहन चोद… चलो, ठीक है… अब ये बताओ, यह कैसे हुआ की भाभी तेरे जाल में फँसी… इस का मतलब है की शीला भाभी का ज्ञान, सही बैठा…
भीमा – हाँ, बीबी जी…
मैं – अच्छा तो यह बता की निशा भाभी, कैसे फसाई तूने… ये तो मैं जानती हूँ कम से कम, उन्हें फसाना इतना आसान नहीं है… यह तो मैं जानती हूँ पर लगता तूने, कोई जादू किया होगा…
भीमा – यह कहानी भी तगड़ी है, बीबी जी…
मैं – चल बता, कैसे… ??
तो वो बोला – भाभी जी ने गाय रखी है, घर में… हुआ ऐसे की गाय रांभने लगी थी तो भाभी जी ने मां को कहा की गाय रांभने लगी है और चुप नहीं हो रही है…
मां ने कहा की गाय के गयावान होने का वक्त है… उसको सांड को दिखाने की ज़रूरत है… मैं भीमा को भेजती हूँ… वो गाँव से सांड को ले आएगा, तेरे घर…
इस पर, भाभी बोली – ठीक है… मैं घर पर ही हूँ…
दोपहर का टाइम था.
मां ने मुझे कहा – गाँव में जो सांड है, उसे अपनी भाभी के घर ले जाओ…
मेरी किस्मत से, उस दिन भाभी जी घर पर अकेली थीं.
भाई साहब तो तीन दिन के लिए, बाहर गये हुए थे.
मैं सांड को ले कर, भाभी के घर चला गया.
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