RE: Chudai Story अनोखी चुदाई
ना जाने, कितनी देर हो गई थी और यहाँ भीमा की बातों से मेरी चूत तो पानी से भर गई थी..
सोच रही थी की अगर, भीमा ने जबरदस्ती कर दी तो ज्यादा देर नहीं लगेगी इस के लण्ड को घुसने में क्योंकि अब तक उस का डंडा खड़ा ही था.
कह तो वो सच रहा था, उसका लंड वाकई बहुत बड़ा था.
पर मैंने भी पूरी तरह से, अपने ऊपर कंट्रोल कर रखा था और उस से बातें करती रही.
वो फिर शुरू हुआ.
मज़ा, उसे भी बहुत आ रहा था.
फिर एक दिन, शीला भाभी ने कहा – लकड़ी काटने है… जंगल से… जंगल कोई दो किलोमीटर पर है…
सो उन्होने मां से बोली की दो तीन घंटे के लिए, भीमा चाहीए…
मां ने कहा – लिये जा… कोई काम नहीं है, उसे आज…
और वैसे भी, भाभी मुझे पैसे दे देती थी, जो मैं माँ को बता देता था.
मां कहती – रख ले गूड़बक और खा लेना, जो मर्ज़ी इन पैसों से… मज़ा कर…
किसी को, कभी शक़ भी नहीं होता था.
सब सोचते मैं “एडा” हूँ.
मुझे हँसी आई क्यूंकी मैं भी, ऐसा ह सोचती थी.
फिर, भीमा बोला – उस दिन, भाभी को एक पानी के नाले के पास खड़े खड़े ही चोदा…
सबसे ज़्यादा मज़ा, मुझे तब ही आया.
भाभी, पेड़ का सहारा ले उल्टी खड़ी थी और मैंने पीछे से लंड घुसाया उनकी चूत में.
हर झटके मे, उनकी “नरम, नरम, मांसल गांड” मेरे से टकराती तो मुझे बहुत मस्त लगता.
हाँ, बीबी जी.. लेकिन, उस दिन मेरा जल्दी निकल गया..
मैंने भाभी की गांड पर छोड़ा और भाभी ने मेरे मूठ से काफ़ी देर मालिश कराई.
मालिश करते करते, मैंने भाभी से कहा – भाभी बताओ ना, कोई और है क्या… किस को चोद सकूँ… आपने उस दिन कही थी…
भाभी बोली – तू बहुत चालू हो गया है, कुत्ते अब तो… ज्यादा लालच ठीक नहीं, बहन चोद… और ख़याल रही की यह गाँव है… किसी को पता चला तो तू गया, काम से… यह बड़ा, बहन चोद गाँव है… भून देंगे, गोलियों से तुझे… और पहली गोली मां ही चलाएगी, जिस का तू बड़ा चहेता है…
खैर, मेरे काफ़ी कहने पर भाभी बोली – भीमा, तू ऋतु दीदी और बड़ी भाभी के घर जाता है क्या…
मैंने कहा – कभी कभी… लेकिन, क्यों पूछा आप ने…
तो भाभी बोली – कही, उन की नज़र ना पड़ जाए… तेरे इस घोड़े जैसे लौड़े पर और यह हो गया तो तेरे मज़े हो जाएँगे… ऋतु और उसका पति तो साथ में, मज़े लेते हैं… मैंने देखी, एक बार दुपहरी के समय दोनो मिया बीबी, अपनी गाँव की भूरी के साथ चुदाई कर रहे थे… बड़ा मज़ा आया, मुझे देखन में… चुदाई देख, दबे पाँव लौट आई मैं… और तेरे को बता दूं भीमा, की कोई भी औरत जब तेरे जैसे के इतने बड़े और मोटे लण्ड को देखेगी तो वो रह नहीं पाएगी, अपनी चूत में इसे लिए बगैर… गाँव की सब से टॉप की औरतें हैं, यह दोनों ही हैं… घर की बात घर में… कोई डर भी ना…
भीमा – लेकिन भाभी, ऐसा कैसा होने लगा…
भाभी बोली – तेरे लण्ड की लंबाई और मोटाई देख कर, कोई भी औरत तेरे से मरवाना चाहेगी… पर तेरे को ध्यान रखना होगा की तू उन्हें, यह लण्ड खुद ना दिखाए… बस अचानक ही, अकेले में निक्कर में खड़ा कर के खड़े रहना जैसे पता ही ना हो… फिर देखना, उन की चूत कैसे पानी छोड़ती है…
भीमा – भाभी, वो इतनी सुंदर और अच्छी हैं की ऐसा नहीं हो सकता… पढ़ी लिखी हैं, सो अलग…
तो भाभी बोली – सुअर की औलाद… मैं नहीं हूँ, क्या पढ़ी लिखी… मैं पराए लण्ड नहीं घुसवाती… तुझे क्या लगता है, मैं किसी और का नहीं लेती… वो और ज्यादा चुड़दकड़ है… बेपनहा चुदती हैं… तू घबरा मत, अपनी कोशिश चालू रख… एक दिन, दोनों ही तेरा यह डंडा अंदर ज़रूर ले लेंगी…
टाइम, बहुत ज़्यादा हो गया था.
मज़ा तो बहुत आ रहा था पर था, वो गाँव सो मैंने कहा – चलो, घर चलें… अब फिर बाकी की बातें होंगी… और, हम घर चले गये.
भीमा, अब अपनी निक्कर में अपने लण्ड को दबा रहा था.
मैंने कहा की ठंडा कर ले, इस को अब… नहीं तो घोड़े की तरह गाँव भरे में हिलता रहेगा… गाँव में, सही नही लगेगा… मेरे साथ है… नहीं तो मूठ मार ले… पता है ना, कैसे मारते हैं… और तू लंगोट, क्यूँ नहीं पहनता…
भीमा – हाँ, बीबी जी… पर मैं यह बहुत कम करता हूँ… एक बार कुकी ने तेल लगा कर मारी थी, मेरी मूठ… पूरा ज़ोर लगा दिया था, उस ने… जब निकाला था तो बोली थी की देख, कैसे निकलता है तेरा पानी घोड़े की तरह…
तीन दिन के बाद…
मैंने मां को कहा की भीमा को घर भेज दें… घर की सफाई, करनी है…
भीमा, सुबह ही आ गया था.
मैंने भीमा को काम पर लगा दिया और बातें करने लगी.. ..
मैं – हाँ तो भीमा… बता आगे… फँसा उन में से, कोई…
वो बोला – शर्म आती है बीबी जी, बताने को…
मैंने कहा – 1000 रुपए और दे दूँगी…
वो खुश हो गया और चालू हो गया.
भीमा – बुरा मत माने, बीबी जी… आप की बड़ी बहन ऋतु, एक दिन अचानक ही फँस गई… शीला भाभी वाला आइडिया, ऋतु दीदी पर भी चल गया…
मैं – क्या कह रहे हो… वो ऐसा नहीं कर सकती… मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा… कैसे फँसी, वो तेरे साथ…
वो बोला – एक दिन, हम घास काट रहे थे… बहुत टाइम से काम में लगे थे… खाना खाने के बाद, हम यह काम ख़तम कर के जाना चाहते थे… मां और कुकी, खाली बर्तन ले कर चली गई, घर और भाभी जी नहीं आई थी, उस दिन…
दीदी ने कहा – भीमा, जल्दी करो… हम भी चल पड़ेंगे, थोड़ी देर में…
मैंने कहा – ठीक है, दीदी जी…
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