RE: Chudai Story अनोखी चुदाई
बीबी बोली – आज तो मेरा भी बहुत मन था… दोनों साथ में चुदती… हाय!! मेरी चूत में तो इतना भार लग रहा है, जैसे पत्थर रखे हो… उस साले ने भी अंदर तक उंगली डाल दी थी और आगे पीछे फटा फट कर रहा था… दो तीन बार तो मैंने महसूस किया की उस का लण्ड गाण्ड पर टच कर रहा है… मैं डर गई थी, कही रगड़ना शुरू ना कर दे… मेरा एक हाथ खाली था, सो थोड़ा मैंने पीछे किया तो पता चला की उस का डंडा खड़ा हुआ है… वो भी समझ गया था, इस को पता चल गया है… इन मर्दों का कोई भरोसा नहीं… जय तो इतना मरते हैं, मेरी चुदाई देखने को की डर लगता है कहीं कभी मेरे कपड़े ही ना फाड़ दें, किसी के सामने…
भाभी बोली – मज़ा तो तुझे भी बहुत आएगा, बन्नो… पति के सामने, जब किसी और मर्द को नंगा बदन दिखाएगी… इससे ज़्यादा मज़ा, शायद जिंदगी में कुछ नहीं… अपनी चूत मरे और अपने पति मज़े लें… तुझे मज़े नहीं आ रहे थे, जब जय वही था और पीछे से तेरी चूत में उंगली हो रही है…
बीवी – भाभी… मज़ा तो आ रहा था पर बंद कमरे में होता तो अच्छे से होता… मेरी तो चूत फटी जा रही है, सोच कर… मूत कर आती हूँ…
भाभी – यहीं मूत ले… ये ले ग्लास… मैं भी तो देखूं, चूत से निकलती हुई मूत, कैसी लगती है… अपनी तो दिखती नहीं…
बीबी – क्या भाभी… आप भी… ऐसे ही देखो, मैं ग्लास में नहीं मूत सकती…
भाभी – चल तो मेरे मुँह में तो मूत सकती है… अमन की तो बहुत चखी है… ज़रा अपनी जमात की भी तो चखूँ…
मेरी बीवी ने साड़ी उठाई और भाभी, उसकी चूत मसलने लगी.
दो पल नहीं लगे और मेरी बीबी की धार निकल गई और भाभी, पूरी की पूरी मुँह खोल के पीने लगी.
भाभी – मज़ा आ गया, यार… मूत है या एसिड… बड़ी कुत्ती चीज़ है ये चूत की आग… जितना मज़ा लो, उतना ही कम है… मुझे तो इंतजार है जब अपन दोनों, जय के मुँह में मुते… (अन्महह..)
बीवी – भाभी, अब मत आग लगाओ ना ज्यादा…
भाभी बोली – आज, जय तो यह सब देख रहा था… मैंने उन की तरफ देखा तो उसने इशारा किया की खड़े रहो… अब क्या कर सकते हैं…
दो लड़कियों को एक दूसरे के ऊपर मूतता देख, मेरा लंड हिलोरे मारने लगा था.
यून्हीं ही दिमाग़ में आया, क्या खूबसूरती बक्शी है ऊपर वाले ने लड़कियों को.
इनकी हर चीज़ देखने में, अपना ही मज़ा है.
खाने के बाद, हमने सोने का प्रोग्राम बनाया.
अब तो हम बहुत खुल गये थे सो कोई प्राब्लम नहीं थी.
लेकिन फिर भी, मैंने बीबी को बोला – तुम दोनों सो जाओ… मैं अकेला सोता हूँ…
भाभी तुरंत बोली – नहीं… तुम दोनों, साथ में सो जाओ… मैं अकली सोती हूँ… रोज़ सेब खाने से, डॉक्टर की ज़रूरत नहीं पड़ती… और आज तो दोनों सेब, इतने पक गये हैं की तुमने नहीं खाए तो सड़ जाएँगें…
भाभी का इशारा, मेरी बीबी के “मम्मे” की तरफ था.
फिर लगभग एक घंटे बाद, मैं बीबी के ऊपर चढ़ गया.
उस ने खुद ही, सलवार खोल दी और तुरंत नंगी हो गई.
थोड़ी चुम्मा चाटी और सेब खाने के बाद, चुदाई शुरू हो गई.
बड़े लोगों की कहावत थोड़ी अलग हो जाती है –
“एक चुदाई का दौर रोज़ करो और डॉक्टर को बाइ बाइ करो !!”
फ़चा फ़च की आवाज़, आने लगी थी.
बीबी की चूत से रस धार बह रही थी, जो चुदाई का मधुर संगीत पैदा कर रही थी.
और इधर मैं, जानमुझ कर थपा ठप कर रहा था.
भाभी हमारी आवाज़ और बातें सुन रही थीं.
मैंने अपनी बीबी से कहा – भाभी सुन रही हैं, हमारी आवाज़…
जैसा मुझे अंदाज़ा था, भाभी जाग रही थी और फट से बोली – जीजा जी, कोई बात नहीं… ज़ोर लगा के चोदो, दीदी को आज तो… वैसे भी आज, बहुत गरम है…
मैंने हंसते हुए कहा – आज तुम दोनों मोटे लण्ड से चुद नहीं पाईं… नहीं तो मज़ा आ जाता…
|