Chudai Story अनोखी चुदाई
07-16-2018, 12:06 PM,
#4
RE: Chudai Story अनोखी चुदाई
मेरी बीबी, हमें पूरा वक्त दे रही थी.
मैंने पूछा – भाभी की कभी ऐसा एक्सपीरियेन्स हुआ है, पहले आप के साथ क्या… ?? आप तो बॉम्बे में ही रहती हैं, काफ़ी दिनों से…
वो बोली – एक बार हुआ है, ऐसा… वो भी मार्केट के अंदर वाली, तंग गली में… और तो और, बारिश के टाइम में ही… उस टाइम में, अपने हसबैंड के साथ थी और बहुत भीड़ हो गई थी… फिल्में देख देख कर, मुझे स्कर्ट पहनने की आदत थी, शुरू में… अमन (उसका हसबैंड) ने कहा भी था की मार्केट में जाने पर स्कर्ट मत पहना करो… मैं नहीं मानी, कहा – क्या फ़र्क पड़ता है… ?? कोई ऐसे थोड़े ही अंदर डाल देगा… अमन बोला – तेरी मर्ज़ी है, बाद में मत कहना मुझे… यह बॉम्बे है, यहाँ मुस्टंडे हाथ मे “ला..” मेरा मतलब है, अपना हाथ में ले के घूमते हैं… उस मार्केट में से, हम ने भी समान वगेरह लिया और फिर चल पड़े… बारिश का ही टाइम था, उन दिनों भी… भीड़, काफ़ी बढ़ गई… यहाँ तो कुछ आदमी, ऐसे टाइम का फ़ायदा उठाने के लिए ही घूमते हैं… बड़ी हिम्मत होती है, बन्दो में… किसी की “चू..” में तो किसी की “गा..” में उंगली कर देते हैं… वैसे पब्लिक में सीधा “ल..” “चू..” में डालना तो बहुत ही हिम्मत का काम है… (अभी भी उसके होंठ “चू..” “ल..” और “गा..” बोलते हुए, एकदम कातिलाना अंदाज़ में घूम रहे थे. जो मुझे ज़रूरत से ज़्यादा चिढ़ा और उकसा रहे थे.) मेरे पीछे, बहुत से आदमी थे… अचानक, एक काले से आदमी ने बड़ी ही चालाकी से, अमन को साइड में धकेल दिया… सांड़ सा था, देखने में पर उस की हिम्मत की तो दाद देनी पड़ेगी, मुझे… उस ने धीरे से स्कर्ट में नीचे हाथ डाला और मेरी चड्डी धीरे से साइड में कर के, अपनी उंगली मेरी “चू..” पर रखी और धीरे धीरे, टिकलिंग करने लगा… मेरे पास, इधर उधर होने की जगह नहीं थी… सो, मुझे पहले तो बड़ा गुस्सा आया पर क्या करती… चुप रह गई… अमन ने पहले ही कहा था, ड्रेस के बारे में… स्कर्ट मत पहनो… जल्दी ही, मुझे भी मज़ा आने लगा… चूत तो चूत है… अपना, पराया, छोटा, बड़ा, मोटा, पतला, काला, गोरा यहाँ तक की, रिश्ते नाते भी नहीं समझती… और तो और, ससूरी, ये भी नहीं देखती घर है या बाहर… ये भी नहीं सोचती की सुनसान नहीं, भीड़ भाड़ है… बस उंगली लगती नहीं की मचलना शुरू हो जाती है… वो आदमी भी बहुत चालू था क्यूंकी उस की नज़र बराबर केसू की साइड थी… और इतना शांत खड़ा था की पीछे मुड़ने पर, उस पर कोई शक ही ना हो… लगता था, उसका रोज़ का ही ये काम है… शाम के 8 बजने को थे, भीड़ बहुत ही ज्यादा बढ़ गई था… जब मैंने, कोई गुस्सा या प्रतिक्रिया नहीं दी और मेरी निगोडी चूत ने आ आन म म्मेरा मतलब “चू..” ने अपना “चुड़ द कड़ प ना..” दिखा दिया, अपना जूस उसकी उंगली को पीला कर तो वो आदमी मेरे साथ, एक दम से चिपक गया और जब उस ने महसूस क्या की मेरी “च च चू..” बहुत ज़्यादा ही गीली हो गई है तो पूरी उंगली अंदर कर दी… मैंने अपनी “गा..” पीछे कर के भींच दी और वो, इशारा समझ गया… कोई 2 3 बार अंदर बाहर करते ही, मेरी चू में दबाब बढ़ गया और और टंकी लीक हो गई… (उनमह…) अब उस आदमी ने तो फिंगरिंग बंद कर दी और ना जाने से, कैसे धीरे से अपना लंबा सा निकाल कर मेरी “गा न..” के नीचे रगड़ना शुरू कर दिया और अपने “ला न..” का टोपा, मेरी “चू ह त ह” (इश्स) को टच कराने लगा…
कुछ देर बाद, वो चूत में अंदर करने की कोशिश करने लगा… जब मैंने यह महसूस किया तो मेरे तो होश ही उड़ गये की यह भीड़ में क्या कर रहा है… तब मैंने सोचा की यह हरामी मानने वाला नहीं है… भरी पब्लिक में, बेइज़्ज़ती हो जाए इससे अच्छा है, जल्दी जल्दी चूत को ठंडक पहुँचा लूँ… और मैंने थोड़ा सा झुक के पीछे को धक्का मारा, जिससे उस का पूरा “ला” सररर से अंदर घुस गया… 
अब मैं बोल पड़ा – बस करो ना, भाभी…
भाभी – क्या… ??
मैं – ये “ला” “चू” का नाटक… इतना सुनने के लिए तो मैं कभी नहीं तडपा…
भाभी – सच्ची… क्या सुनने के लिए… ??
मैं – आपके मुँह से “चूत और गाण्ड”… अब बस भी करो ना, प्लीज़…
भाभी – ठीक है, बाबा… तो फिर, हाँ… उस का “ला न ड” मोटा “लू न ड” (उन्म इश्स) लौ डा भी ऊपर से गीला था सो सीधा ही, अंदर घुसता चला गया… मेरी “चू त ह” में… चिकनी चूत में… (आहस्स) 
मैं – ओह!! भाभी… सरे आम…
भाभी – हाँ… सरे आम… बीच बाज़ार… कम से कम, 200 लोगों के सामने… मेरी चूत की चुदाई हो रही थी… (आह हह)… फिर वो धीरे धीरे, धक्के मारने लगा, उस भीड़ में ही… यह मेरे पति को पता नहीं चला, शुरू में… लेकिन फिर अमन समझा की कुछ तो चल रहा है, इन दोनों में… कितने ही धीरे हो, हिल तो हम रहे ही थे… लेकिन तब तक वो मुझे चोद चुका था… क्यों की हरामी का लंड भले ही मोटा था पर 5 – 10 मरियल से धक्कों में ही भर दी, मेरी चूत अपने पानी से… मुझे अजीब सा लग रहा था, चिपचिपि हो रही थी, चूत… पर क्या करती… सब मेरी चड्डी में ही टिप टिप कर रहा था… कुत्ते की हिम्मत देखो, चलते हुए उस ने कहा – मेडम जी, मज़ा आ गया… 
मैंने कहा – कुत्ता, कहीं का… निकल, चुपचाप… 
अमन ने पूछा, रास्ते में – क्या हो रहा था और क्या कर रहा था, वो आदमी…

मैंने कहा – क्या होना था… फिंगरिंग कर रहा था, मेरी चूत में… 
उस ने कहा – वो तो होना ही था… लण्ड तो नहीं घुसेड़ा ना, अंगुली तक तो ठीक है… 
मैंने कहा – कोशिश कर रहा था, लेकिन पूरा नहीं गया… 
इस पर अमन ने कहा – मोटा था क्या, जो अंदर नहीं गया…
मैंने कहा – इतना मोटा नहीं था, लेकिन लंबा काफ़ी था… फिर तो तू पक्का चुद कर आ रही है… 
अमन भी मज़े लेने लगा था, मेरी बातों से… 
मैं – भाभी, एक बात तो बताओ… आप अमन से, ऐसी सब बातें कर लेती थीं…
भाभी – तो तुझे क्या लगता है, बस तू ही अपनी बीबी के साथ जिंदगी के मज़े ले सकता है…
मैं – नहीं नहीं, भाभी… ऐसा नहीं है… मैं तो बस…
भाभी – अब आगे बता दूं… या पप्पू ने उल्टी कर दी… 
मैं – अरे, नहीं नहीं… पप्पू तो सिर उठाए, सलामी दे रहा है…
भाभी – तो फिर अमन बोला – सच बताओ, मुझे… 
मैंने कहा – बहुत जल्दी है तो सुनो, पूरा अंदर तक घुसेड दिया था, जड़ तक… एक ही धक्के में और फिर हिला हिला के मुझे चोदा… उस के लण्ड का पानी, अब तक भी मेरी चूत में है और चिप चिप हो रहा है… 2 फीट दूर खड़े तुमको कुछ पता भी नहीं चला… भरे बाज़ार, नंगे लंड से चुदि तुम्हारी बीबी… अब घर चल के चुपचाप मूत की धार लगा देना, मेरी चूत में… 
अमन – मिनी, तू है ही ऐसी चीज़ जो भी देखता है अपने लण्ड पर हाथ फेरने लगता है… पर ये बात ग़लत है, मेरे सामने तो कभी चुदि नहीं… अकेले मज़े लेकर आ गई… ऐसे नंगे लंड से बिना प्रोटेक्शन के चुदना सही नहीं, जानू… मूत तो मैं दूँगा पर अकेले, कभी ऐसा मत करना… ठीक कपड़े पहन कर ही बाहर जाना… ये बॉम्बे है और यहाँ बहुत से डांस बार और कई रंडीखाने हैं… भरे बाज़ार चोदने वाला आदमी, कोई शरीफ तो होगा नहीं… चल, जो हुआ सो हुआ… आगे, ऐसा नहीं होना चाहिए… सड़क की कुतिया मत बन, बनना है तो “चुदाई की रानी” बन… मज़े ले, कोई मनाही नहीं… पर सुरक्षा पहले… एक तो तूने नंगा लंड लिया और उपर से भरे बाज़ार… जान, मैं तो हर हाल में तेरे साथ हूँ… पर लगता है, तुझे ही मुझ पर भरोसा नहीं…
मैं – ऐसा नहीं है, जान… बस मुझे चूत से टपकते उसके पानी से गुस्सा आ रही थी… मुझे माफ़ कर दो… तुम सही हो… पर क्या करती, शोर तो मचा नहीं सकती थी… सो मज़ा ही करना पड़ा… यह शुक्र था की मोटा, असल में बस दिखने भर का था, दो पल नहीं रोक पाया… नहीं तो फाड़ देता, मेरी चूत को… 
घर पहुँचे तो अमन ने फटा फट कपड़े उतारे, दो तीन ग्लास पानी पिया और कहा – आज मैं, तुझ को सबक सिखाता हूँ… मेरे कपड़े खींच कर उतार दिए और अपने लण्ड को दो तीन बार हिला कर, मेरी चूत पर अपनी गरम गरम धार लगा दी… 
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RE: Chudai Story अनोखी चुदाई - by sexstories - 07-16-2018, 12:06 PM

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