RE: XXX Hindi Kahani बिना झान्टो वाली बुर
RajSharma stories
बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--6
गतान्क से आगे....................
कामिनी और चमेली जो आगे से चुदवा रही थी घूम कर टेबल पर झुक कर
खरी हो पिक्चर देखने लगी और जीजाजी उन दोनो को बारी-बारी से डोगी स्टाइल
में चोदने लगे. कामिनी के बाद वे चमेली के पीछे आ कर जब उसकी बुर
चोद रहे थे तब एक बार उनका लंड चमेली की बुर से बाहर निकल आया और
उसकी गंद की छेद पर टिक गया. जीजाजी ने चुदाई की धुन में धक्का मारा तो
बुर के रस से सने होने के कारण चमेली की गंद में घुस गया. चमेली दर्द से
कराह उठी और बोली "जीजाजी पिक्चर देख कर गंद मारने का मन हो आया क्या? अब
जब घुसा दिया है तो मार लो, आपकी ख़ुसी के लिए दर्द सह लूँगी" फिर क्या था
जीजाजी शेर हो गये और हचा-हच उसकी गंद मारने लगे. कामिनी बोली, "जीजाजी
इसकी गंद जम कर मारना सुना है इसने आपकी गंद चून्चि से मारी थी" "क्या
दीदी! चून्चि से जीजाजी की गंद तो सुधा दीदी ने मारी थी और फँसा रही हैं
मुझे" अब जीजा जी का ध्यान कामिनी की तरफ गया. चमेली की गंद से लंड निकाल
कर वे कामिनी के पीछे आए. कामिनी समझ गयी अब उसके गंद की खैर नही पर
बचने के लिए बोली, "जीजाजी मैने कभी गंद नही मराई है, अभी रहने
दीजिए, जब एक लंड का इंतज़ाम और हो जाएगा तो दोहरे मज़े के लिए गंद भी
मरवा लूँगी". पर जीजाजी कहाँ मानने वाले उन्होने कामिनी की गंद की छेद पर
लंड लगाया और एक जबारजस्ट शॉट लगाया और लंड गंद के अंदर दनदनाता हुआ
घुस गया. कामिनी चीख उठी, "उईइ मा! बरा दर्द हो रहा है निकालिए अपने
घोरे जैसे लंड को"
इस पर चमेली ब्यंग करती हुए बोली, "जब दूसरे में गया तो भूस में गया
जब अपनी में गया तो उई दैया" मैं खिलखिला कर हंस पड़ी.
कामिनी गुस्से में मुझसे बोली, "साली, छिनार रंडी मेरी गंद फट गयी और
तुझे मज़ा आ रहा है, जीजा जी की गंद तूने मारी और गंद की धज्जी उड़वा दी
मेरी, रूको! बुर्चोदि, गन्दू, लौंडेबाज, तुम्हारी भी गंद जब फाडी जाएगी तो
मैं ताली पीट-पीट कर हँसूगी... प्लीज़ जीजाजी ....बहुत आहिस्ते आहिस्ते मारिए
....दर्द हो रहा है" धीरे धीरे कामिनी का दर्द कम हुआ और अब उसे गंद
मरवाने में अच्छा लगने लगा "जीजाजी अब ठीक है मार लो गंद....तुम भी क्या
याद रखो गे कि किसी साली की अन्छुइ गंद मारी थी"
उसको इस प्रकार गंद मारने का आनंद लेते देख मेरा भी मन गंद मारने का हो
आया, पर मैने सोचा कभी बाद में मरवाउंगी अभी नशे में जीजाजी गंद का
कबाड़ा कर देंगे और अभी जीजाजी इतना सम्हाल भी नही पाएँगे.और यही हुआ
कामिनी की सकरी गंद ने उन्हे झड़ने के लिए मजबूर कर दिया और वे कामिनी की
गंद में झार कर वही सोफे पर ढेर हो गये.
अब स्क्रीन पर दूसर द्रिश्य था, दोनो लरकियाँ उन तीनो आदमियॉंके लंड को मूठ
मार्कर मुँह से चूस कर उनका वीर्य निकालने का उद्यम कर रही थी. उन तीनो के
लंड से पानी निकला जिसे वो अपने मूह में लेने की कोशिस कर रही थी. वीर्य
से उन दोनो का मूह भर गया जिसे उन दोनो ने घुटक लिया. ब्लू फिल्म समाप्त हुई
कामिनी टीवी बंद कर बोली, "चलो अब खाना लगा दिया जाई बड़ी ज़ोर की भूख लगी
है"
तैयार खाने में आवश्यक सब्जियों को चमेली नीचे से गरम कर लाई और तब
तक मैं और कामिनी ने मिल कर टेबल लगा दिया खाना प्लेट में निकालना भर
बाकी था तभी जीजाजी की आवाज़ आई, "आरे कामिनी! इस ग्लास में किस ब्रांड की
विस्की थी? बरी अच्छी थी, एक पेग और बना दो इसका, ऐसी स्वदिस्त विस्की मैने
कभी नही पी. मैने उधर देखा और अपना सर पीट लिया. जीजाजी ग्लास में
रखे मूत (पी) को शराब समझ कर गटक चुके थे और दूसरे ग्लास की माँग
कर रहे थे. शायद चमेली ने मुझे ग्लास में मूतते देख लिया था, उसने
कहा "दीदी मुझे लगी है मैं जीजाजी के ब्रांड को तैयार करती हूँ" वह एक
ग्लास लेकर शराब वाली अलमारी तक गयी और एक लार्ज पेग ग्लास में डाल कर
अलमारी के पल्ले की ओट कर अपनी मूत से ग्लास भर दिया. कामिनी यह देख गुस्सा
करती मैं उसे खिच कर एक ओर ले गयी और उसे सब कुच्छ बता दिया. मैं बोली
"दीदी! क्या करती इज़्ज़त का सवाल था. अपना बचा कर रखना दुबारा फिर ना
माँग बैठे. वह मस्कराई और बोली, " तुम दोनो बहुत पाजी हो"
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