Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
07-12-2018, 12:38 PM,
#16
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--16

गतान्क से आगे..........

राजेश: बेटा…देखो कितने सेक्सी तरीके से मैनें तुम्हारे कपड़े तुम्हारे जिस्म से अलग कर दिए। अब इसी तरह तुम मेरे कपड़े भी उतार दो…

टीना: (थोड़ा सकुचाते हुए) पापा प्लीज आप ही उतार लो… (और कह कर अपने बालरहित कटिप्रदेश को हाथों से ढकने की नाकाम चेष्टा करती है)

राजेश: न बेटा… यह तुम्हें करना है। हाँ जो तुम ढकने की कोशिश कर रही हो उस को मै अपने हाथों से ढक देता हूँ…(कहते हुए अपनी एक हथेली टीना की नग्न योनि पर रख देता है)

(टीना धीरे से राजेश के शर्ट के बटन खोलती है। राजेश अपनी शर्ट को उतार फेंकता है। उसकी बालिष्ट छाती पर टीना प्यार से अपनी कोमल उंगलियों को फिराती है। फिर वह बेल्ट को ढीला करके राजेश की पैन्ट की जिप को खोलती है। पैन्ट ढीली हो कर कमर से सरक कर जमीन पर आ जाती है। अब टीना के हाथों का निशाना राजेश के वी-शेप जांघिया पर है और एक झटके के साथ उसे भी शरीर से अलग कर देती है। दोनों थोड़ा सा हट कर एक दूसरे का नग्न जिस्म को अपनी-अपनी आँखों से पीते है।)

टीना: आपके…(लिंग की ओर इशारा करते हुए) ल्ड क्या हुआ है। यह ऐसे कैसे लटका हुआ है… पहले तो यह इतना कठोर होता था।

राजेश: बेटा इसको ल्ड नहीं लंड या लौड़ा कहते है। इस बेचारे की हालत तुम्हारी वजह से ऐसी है। आज सारे दिन यह सिर्फ तुम्हारे नीचे वाले मुख में विराजमान होना चाह रहा था परन्तु तुम इतनी कठोर हो गयी तो इसकी सारी कठोरता समाप्त हो गयी है।

टीना: पापा छोड़िए सब कुछ्…आइए हम अपना रूटीन करते है। बताइए क्या करना है।

राजेश: बेटा…सब से पहले हम लूजनिंग एक्सरसाइज करेंगें… जा कर बेड पर सीधी हो कर लेट जाओ और अपने जिस्म को उपर लगे हुए आईने में निहारों। (टीना के नग्न कमसिन जिस्म को सहलाते हुए) …बेटा तुम बिल्कुल अजन्ता की मुर्ती दिखती हो…

(टीना सामने पड़े किंग साइज बेड पर जा कर लेट जाती है। उपर लगे हुए मिरर में अपने उमड़ते हुए यौवन को निहारती है। पुष्ट सीने पर ताज की तरह गुलाबी चूचियाँ एक अजीब सी अकड़न के कारण तड़क रही है। टीना की मासूम आँखों में एक बार फिर से लाल-लाल डोरे तैरने लगते है। अजीब बैचैनी और कश्मकश में टीना अपनी आँखे मूंद लेती है। छातियों की घुन्डियों मे से करन्ट फिर से प्रावाहित होना शुरु कर देता है। राजेश की निगाह कटिप्रदेश पर पड़ती है तो चूत की दो फांकों के बीच से लाल घुन्डी अपना मुख बाहर निकालती हुई दिखाई देती है।)

राजेश: (अपनी उँगली से बाहर झाँकती हुई घुन्डी पर वार करता हुआ) टीना… तुम्हारी क्लिट मेरे लौड़े को ढूँढ रही है…तुम्हारी चूत इसको पूरा निगलना चाहती है…

टीना: नहीं पापा…यह सब गलत है…

(राजेश अपने हाथों में टीना का चेहरा ले कर, बड़े प्यार से अपने होंठ टीना के होठों पर रख देता है और धीरे से अपनी जुबान का अग्र भाग टीना के निचले होंठ पर फिराता है। इस खेल में पूर्णतः निपुण टीना के होंठ थोड़े से अपनेआप खुल जाते है। उसी क्षण राजेश के होंठ टीना के निचले होंठ को अपने कब्जे मे ले लेते है और धीरे-धीरे निचले होंठ को चूसना शुरु कर देता है और बीच-बीच में अपनी जुबान टीना के उपरी होंठ पर फिराता है।टीना अपने आपे में नहीं रह पाती और अपने होठों को पूरा खोल देती है पर राजेश टीना से अलग हो जाता है। टीना आँखे मूंदें अपने झोंक में राजेश के होंठों को छूने के लिये आगे को झुकती है पर कुछ न पा कर आँखें खोलती है तो राजेश से आँख मिलते ही झेंप जाती है।)

राजेश: बेटा… यह वो आग है जिसमें मै इतने सालों से झुलस रहा हूँ… और तुम हो कि…

टीना: (अन्दर लगी हुई आग में बेचैन होते हुए) पापा…

(टीना की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से उसे अपने नीचे ले लेता है। दोनों की दिल की धड़कने बड़ने लगती हैं क्योंकि अब दोनों के गुप्तांग अपने-अपने दिमाग से सोच रहें है। टीना के स्तन राजेश के सीने में गड़ जाते है और नीचे से लिंगदेव भी हरकत में आ कर बहती हुई योनिद्वार पर ठोकर मारते है। बार-बार राजेश की गर्म साँसों का आघात अपने चेहरे पर और कभी ज़ाँघो के अन्द्रुनी हिस्सों पर फनफनाते हुए एक आँख वाले अजगर के एहसास ने टीना को विचलित कर रखा है। राजेश धीरे से पंखुडी से होठों पर अपने होंठों से लगातार प्रहार करता है। थोड़ा रुक कर, फिर गले से होता हुआ दो हसीन पहाड़ियॉ के बीचोंबीच बनी खाई पर आ कर रुक जाता है। इधर टीना भी उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचने को हो रही है, कभी गुदगुदी का एहसास, कभी शरीर मे सिहरन, कभी अनजानी राह की अनिश्चितता, और इन सब में धीमी आँच मे जलता हुआ उसका कमसिन बदन राजेश के फौलादी जिस्म के नीचे दब कर तड़प रहा है।)

राजेश धीरे से लाल हुए मुकुट मटर को अपनी उँगली से छेड़ देता है। टीना:.उ.अ..आह.पा…अ.उउआ.पाआह....

राजेश: बेटा तुम्हारी चूत को अपनी आग ठंडी करने के लिए मेरा लंड चाहिए… इस वक्त तुम्हारी…चूत को एक सख्त हथौड़े…नहीं लौड़े की जरुरत है। क्या कहती हो…चाहिए कि नहीं?

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह.... (योनिद्वार के मुहाने पर लिंगदेव के फूले हुए सिर को महसूस करती हुई) प…आपा… यह गलत…है

राजेश: (अपना पैंतरा बदलते हुए) बेटा यह गलत नहीं है…हम एक्सरसाइज कर रहें…हमारे शरीर में टाक्सिन बन रहें है…इसमें क्या गलत है। जब तुम बीमार होती हो तब तुम्हें दवाई पीनी पड़ती है या उसका इन्जेक्शन लगता है… तुम मेरे बनाए गए टाक्सिन बहुत बार अपने मुख से ले चुकी हो…परन्तु जो आग तुम्हारे अन्दर भड़क चुकी है उसके लिए इन्जेक्शन जरूरी है… तो इसमें क्या गलत है।

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह....हम एक्सरसाइज कर रहें है।

राजेश: हाँ… और क्या कर रहें है…

(राजेश का एक हाथ एक बार फिर से टीना की गोरी पहाड़ियों के मर्दन में और उसका मुख गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाते है। हल्के हाथ से नग्न नितंबो को सहलाते हुए, कुछ दबाते हुए और अपने हथियार को बेरोकटोक योनिच्छेद पर घिसते हुए राजेश पूरी हरकत मे आ गया है। अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से उत्तेजना से बेबस टीना का बायां पाँव उपर उठा कर अपने लिंग को ढकेलता है। एक हल्की सिसकारी के साथ टीना कस के राजेश को चिपट जाती है।)

टीना: पा .उई....प.आ...पा.…उ.उ.उ...आह.....

राजेश: बेटा…(टीना के थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर लगातार चूमता हुआ और दोनों अनावरित उन्नत पहाड़ियों को सहलाते हुए कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे घुन्डियों को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक देता। उधर आँखे मुदें हुए टीना का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा है।)

राजेश: टीना अब आगे बढ़ा जाए…

टीना: हुं….उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…आह.....

(राजेश बालोंरहित कटिप्रदेश और योनिमुख को अपनी उंगलियों से टटोलता है और अपनी उँगलियों जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को अलग करता है। राजेश की उंगली योनिच्छेद में जगह बनाती अकड़ी हुई घुन्डी पर जा टिकती है।)

टीना: .उई...माँ….पअ.पा.……उफ.उ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगली से सिर उठाती हुई घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों से टीना के होंठों को सीलबन्द कर देता है। नये उन्माद में टीना की सिसकारियाँ बढ़ती जाती हैं।)

राजेश: (टीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) टीना…टीना…

टीना: (शर्म से अधमरी हुई जा रही) हुं…

राजेश: क्या हुआ…अब कैसा लग रहा है?

टीना: हुं…(एक सिसकारी भरती हुई)…ठीक हूँ…

(एक बार फिर से कभी जुबान से फूले हुए निप्पल को छेड़ता और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है। राजेश अपने तन्नायें हुए हथियार को मुठ्ठी में लेकर धीरे से एक-दो बार हिलाता है और फिर टीना की चूत पर टिका देता है। लोहे सी गर्म राड का एहसास होते ही टीना के मुख से एक सिसकारी निकल जाती है। राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपने फनफनाते हुए अजगर से रगड़ता है और फिर धीरे-धीरे रगड़ाई की लम्बाई बढ़ाता है)

टीना: (आँखें मूदें महसूस करती हुई कि एक गर्म सलाख सिर उठाती घुन्डी को दबाते हुए सरकते हुए योनिच्छेद को छेड़ते हुए नीचे की ओर बड़ती हुई नितंबों के बीच में छुपे हुए छिद्र पर जा कर टिक गयी और जैसे ही वापस होने को हुई)…उ.उई...पापा.उ… उक.……उफ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी जुबान से टीना के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापता है। घुन्डी के उपर लिंगदेव का घिसाव अन्दर तक टीना को विचलित कर देता है। राजेश तन्नाये हुए लिंगदेव को टीना की चूत के अन्दर डालने का प्रयास करता है और उत्तेजना में तड़पती टीना के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है।)

राजेश: टीना… आज तुम्हारी पहली बार है…याद है कि पहली बार तुम्हें इन्जेक्शन लगा था तो बहुत दर्द हुआ था परन्तु बाद में सब ठीक हो गया था…अपने आप को ढीला छोड़ दो और मेरे लंड को अपने भीतर जाते हुए मह्सूस करो…

(राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर घुन्डी को दबाते हुए सरकते हुए योनिच्छेद के मुख पर लगा कर अपने कड़कते हुए लंड को धीरे से ठेलता है। संकरी और गीली जगह होने की वजह से फुला हुआ कुकुरमुत्तेनुमा लाल सुपाड़ा फिसल कर जगह बनाते हुए कमसिन चूत के दोनों होंठों को खोल कर अन्दर घुस जाता है।)

टीना: …उ.उई.माँ..पाअ.…पा.……उफ...न्हई…आह.....

(टीना के स्तन को अपने मुख में भर कर राजेश रसपान करने मे लग जाता है। लिंगदेव अपना सिर अटकाए शान्ति से इन्तजार करते है कि अनछुई चूत इस नये प्राणी की आदि हो जाए। राजेश के धीरे-धीरे आगे पीछे होने से सिर का घिसाव अन्दर तक टीना को विचलित कर देता है। इधर चूत मे फँसे हुए लिंगदेव अपने सिर की जगह बन जाने के बाद और अन्दर जाने मे प्रयासरत हो जाते है। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती टीना अपने होंठ काटती हुई कसमसाती है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लौड़ा प्रेम रस से सरोबर सारे संकरेपन को खोलता हुआ और टीना के कौमर्य को भंग करता हुआ जड़ तक जा कर अन्दर फँस जाता है। टीना की आँखें खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी।)

टीना: उ.उई.माँ..उफ…मररउक.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह.

राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) शश…शशश्…टीना…ना

टीना: पापा निका…उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररगय…यईई…निक्…उफ..लि…ए…आह..ह..ह.

राजेश: शश…श…बस अब सारा कष्ट खत्म, बस आगे आनंद ही आनंद…।

(टीना की चूत ने भी राजेश के लिंग को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ रखा है। चूत की गहराई नापने की कोशिश मे टीना की चूत में कैद राजेश का लंड भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह निचुड़ा हुआ पा रहा है। क्षण भर रुक कर, राजेश ने टीना के गोल सुडौल नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है। एक तरफ लंड का फूला हुआ नंगा सिर टीना की बच्चेदानी के मुहाने पर चोट मार कर खोलने पर आमादा हो जाता है और फिर वापिस आते हुआ कुकुरमुत्ते समान सिर छिली हुई जगह पर रगड़ मारते हुए बाहर की ओर आता। धीरे से बाहर खींचते हुए जैसे ही लंड की गरदन तक निकलता, एक बार फिर से उतनी ही स्पीड से अन्दर का रास्ता तय करता। टीना की चूत भी अब इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गयी है।)

राजेश: (गति कम करते हुए) टीना… बेटा अब दर्द तो नहीं हो रहा है…

टीना: हाँ …पापा बहुत दर्द हो रहा है…

राजेश: (रोक कर)… ठीक है मै फिर निकाल देता हूँ… (और अपने को पीछे खींचता है)

टीना: (अपनी टाँगे राजेश की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेटते हुए) …न…हीं, अभी नही…

राजेश: अगर मजा आ रहा है तो …

टीना: पापा प्लीज्…

(ऐसे ही जबरदस्त धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया। वह अपने आप को कंट्रोल मे करने के लिए एक पल के लिए रुक जाता है। वह टीना के जिस्म को सहलाते हुए अपनी उत्तेजना को काबू मे लाने की कोशिश करता है। कभी टीना के गुलाबी गालों को चूमता है और कभी अपने मुख मे भर कर चूसने मे लग जाता है। कभी वह कमसिन चूचियों को चूसता है और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है। इसी बीच टीना की कमसिन चूत मे एक बार भूचाल आता है और अपनी चूत को हिलाने की कोशिश करती है। परन्तु राजेश के नीचे दबी होने के कारण वह हिल नहीं पाती। राजेश उसके मचलते हुए जिस्म की आग को महसूस करते हुए एक बार फिर से धीरे-धीरे धक्के लगाना आरंभ कर देता है। अबकी बार टीना मस्ती मे राजेश का साथ देने लगती है। धक्कों का सिलसिला अब धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगता है और एक वक्त ऐसा आता है कि दोनों अपनी आग बुझाने के लिए तड़प उठते है। राजेश अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। ज्वालामुखी फटने से पहले एक जबरदस्त आखिरी वार करता है। नौ इंची का अजगर अपनी जगह बनाते हुए बच्चेदानी का मुख खोल कर गरदन तक जा कर अन्दर धँस जाता है। इस वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पाती और मीठी सी पीड़ा और रगड़ की जलन आग मे घी का काम करते हुए धनुषाकार बनाती हुई टीना की चूत झरझरा कर बहने लगती है और राजेश के लंड को जकड़ कर झट्के लेते हुए दुहना शुरु कर देती है। हर्षोन्मत्त टीना की आँखों के सामने तारे नाँचने लगते हैं। राजेश को इसका एहसास होते ही उसका लंड भी सारे बाँध तोड़ते हुए बिना रुके अपने मुख से लावा उगलना शुरु कर देता है। टीना की चूत को अपने प्रेमरस से लबालब भरने के बाद भी राजेश अपने लंड को फँसाये रखता है और नई-नवेली संकरी चूत का कुछ देर लुत्फ लेता है। राजेश बड़े प्यार से टीना को चूमता है। टीना शिथिल अवस्था मे उसके नीचे दबी पड़ी हुई है। एक बार फिर से राजेश दो चार धक्के देकर अपने ढीले पड़ते हुए लंड को जगाने की कोशिश करता है लेकिन हारे हुए सैनिक की तरह उसका लंड शहीद हुए सैनिक की तरह अपने आप बाहर सरक कर निकल आता है। लंड के निकलते ही, टीना की चूत से प्रेमरस धीरे से रिसता हुआ नीचे बिछी हुई सफेद बेड-शीट पर हल्के गुलाबी रंग से टीना के प्रथम एकाकार की कहानी लिखता हुआ प्रतीत होता है।)

राजेश: (गालों को सहलाते हुए) टीना…टीना…

टीना: (कुछ क्षणों के बाद)….गअँ.न्ई…आह..... (अपनी आँखें खोलती हुई) पापा…

राजेश: (टीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) क्या हुआ टीना…।

टीना: (पल्कें झपकाती हुई) कुछ नहीं पापा, साँस घुटती हुई लगी और मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया।

राजेश: इस स्तिथि को सातवें आसमान पर कहते हैं।

टीना: (खुश हो कर) अच्छा…

राजेश: (अपने सीने से लगाते हुए) जो लड़की बहुत कामुक, संवेदनशील और रोमांटिक प्रवऋत्ति की होती हैं वही इस स्तिथि का बोध कर पाती है। टीना तुम तो गजब हो… क्या एक बार फिर से…।

टीना: नहीं पापा…कुछ देर के बाद। अभी बहुत दुख रहा है…

राजेश: बेटा तुम जरा थोड़ी देर ऐसे ही लेटी रहोगी तो सब कुछ जम जाएगा। ऐसा करो कुछ तकलीफ़ तो होगी परन्तु तुम्हारी चूत को इससे बहुत फायदा होगा अगर तुम पालथी मार कर बैठ जाओ…

टीना: अच्छा… पर आप मेरी मदद करो क्योंकि मुझसे हिला भी नहीं जा रहा है।

(राजेश धीरे से टीना को बैठाता है और फिर दोनों पाँवों को पकड़ कर पालथी मारता है। जैसे ही पाँव मोड़ता है टीना के मुख से चीख निकल जाती है। लेकिन पालथी मारते ही की चूत की अधखुली सुरंग पूरी तरह खुल जाती है और गाड़े गुलाबी रंग का प्रेमरस उबल कर बेड-शीट को रंगता हुआ सारी ओर फैल जाता है।)

टीना: (घबराहट में) पापा…यह क्या हुआ…यह खून कैसा…

राजेश: बेटा घबराने की कोई बात नहीं है। यह हमारे पहले एकाकार की कहानी है…अब कैसा लग रहा है।

टीना: हाँ…अब दर्द कम हो गया है…

राजेश: बेटा तुम इस तरफ आ कर लेट जाओ और आराम करो…मै यह चादर बदल देता हूँ।

(राजेश यह कहते हुए उठता है और एक नयी चादर लेने के लिए अलमारी की ओर बढ़ जाता है। टीना बेड पर से उतर कर सोफे के पास आ कर खड़ी हो जाती है। अभी भी प्रेमरस धीरे से रिसते हुए टीना की जांघ पर आकर सूख गया है। राजेश रंगी हुई चादर को निकाल देता है और एक नयी सफेद चादर बिछा देता है। राजेश अपनी बाँहों मे टीना को उठाता है और फिर धीरे से ला कर उसे बेड पर लिटा देता है।)

राजेश: बेटा तुम आराम कर लो मै कुछ तुम्हारे लिए एनर्जी ड्रिंक और खाने के लिए सनैक्स ले कर आता हूँ।

(राजेश यह कहते हुए बाहर रसोई में जाता है। टीना को थकान की वजह से नींद आ जाती है। रसोई से राजेश अपने हाथ में गर्म दूध लिए बेडरूम में आता है। कुछ देर पूर्व हुई काम क्रीड़ा के पश्चात, सामने पूर्णता निर्वस्त्र टीना बेड पर गहरी नींद में सो रही है। उसके चेहरे पर संतुष्टि की आभा है और होंठों पर चिरपरिचित मुस्कुराहट जो उसके हुस्न को चार चाँद लगा रही है। धीरे से राजेश बेड के सिरहाने आ कर खड़ा हो जाता है।)

राजेश: टीना…टीना बेटे…

टीना: (अधखुली आँखों से) हूँ…

राजेश: बेटा उठ कर दूध पी लो…

टीना: (नींद में बुदबुदाते हुए)…नहीं, मुझे नहीं पीना…सोने दिजीए (कहते हुए करवट बदलती है और पीठ कर के फिर से सो जाती है)

राजेश: (सिरहाने रखी साइड टेबल पर गिलास रखता है और टीना के साथ लेट कर टीना को अपनी ओर घुमाता है) बेटा… उठो, यह दूध इस वक्त पीने से शरीर के लिए बहुत लाभदायक है। उठो…(जबरदस्ती पकड़ कर टीना को बैठाता है)…

टीना: पापा…(कुनमुनाते हुए दूध पीती है। अचानक अपनी नग्नता का आभास होते ही हाथ मे थामा गिलास छलक जाता है और थोड़ा सा दूध टीना के नग्न सीने से बहता हुआ नाभि और फिर उसके नीचे कटिप्रदेश से होता हुआ चादर पर टपक जाता है)…ओह शिट……सौरी

राजेश: (टीना के कंधे को पकड़ कर)…क्या हुआ…

टीना: (कुछ देर पहले का घमासान एक चलचित्र की भाँति कुछ क्षणों में आँखों के सामने से गुजर जाता है) …पापा (कहते हुए राजेश से शर्मा कर लिपट जाती है)।

राजेश: अब कैसा लग रहा है… दर्द तो नहीं है।

टीना: (गरदन हिला कर मना करते हुए) इतना नहीं…परन्तु नीचे हल्की सी पीड़ा हो रही है।

राजेश: कहाँ पर भीतर या बाहर…

टीना: भीतर…(अपनी उँगलियों से महसूस करती हुई)

राजेश: बेटा…(टीना के उँगलियों को रोकते हुए)…अब हम दोनों का टाक्सिन तुम्हारे अन्दर मिल गया है (अपनी एक उँगली से योनिमुख को सहलाता हुआ) अब तुम बड़ी हो गयी हो क्योंकि तुम्हारी चूत मेरा पूरा लंड निगल गयी थी।

टीना: अब मै बड़ी हो गयी हूँ…पापा मेरी चूत में कुछ हो रहा है

राजेश: बेटा यह आग की जलन है। अभी आग पूरी तरह से बुझी नहीं है और अगर जल्दी से तुमने मेरे लंड को नहीं निगला तो यह आग फिर से भड़क जाएगी…(कहते हुए अपनी लुंगी खोल कर पास ही फेंक देता है)

(यह कहते हुए राजेश ने टीना को एक बार फिर से बेड पर लिटा कर उसके नग्न जिस्म को अपने जिस्म से ढक देता है। राजेश धीरे से अपने होंठ टीना के होठों पर रख देता है और धीरे से अपनी जुबान का अग्र भाग टीना के निचले होंठ पर फिराता है। टीना भी इस खेल में राजेश का साथ भरपूर देती है)

राजेश: बेटा…जब मेरा लंड तुम्हारी चूत के मुहाने पर दस्तक देता है तो तुम्हारी आग से बेचारा झुलस जाता है…

टीना: पापा…

(टीना की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से अपने नीचे लेता है। टीना के उन्नत स्तनों को अपनी हथेली में लेकर कर मसकता है। राजेश की गर्म साँसों का आघात अपने चेहरे पर महसूस करते हुए टीना अधिक उत्साह से अपनी टांगों को राजेश की कमर पर लपेट देती है। भावतिरेक हो कर राजेश का लंड अपना भयावह रूप धारण कर लेता है और टीना की ज़ाँघो के अन्द्रुनी हिस्सों पर से सरकता हुआ चूत के मुहाने पर जा कर ठोकर मारता है। राजेश धीरे से पंखुड़ियों से होठों पर अपने होंठों से लगातार उनका रस निचोड़ता है। थोड़ा रुक कर, फिर गले से होता हुआ दो हसीन पहाड़ियॉ के बीचोंबीच बनी खाई पर अपने होंठों की मौहर अंकित करता है। इधर टीना भी उत्तेजना में अपना सिर इधर-उधर पटकती है।)

क्रमशः
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RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ - by sexstories - 07-12-2018, 12:38 PM

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