RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--15
गतान्क से आगे..........
टीना: (भावविभोर हो कर) प्पा.उई...प लीज…काटिएआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…दर्द्…हो…ओ…ता है…
राजेश: …टाक्सिन बना रहा हूँ।
(एक स्तन छोड़ कर अपना ध्यान दूसरे स्तन पर केन्द्रित करता है। फिर वही चूमने और चूसने के कार्यक्रम को दोहराता है। टीना हर्षोन्मत्त हो कर सिर पटकती है। अबकी बार नग्न होने के कारण टीना के सीने का पोर-पोर अतिसंवेदनशील हो गया है। राजेश का मुख सुडौल स्तनों को पूरी तरह से अपने कब्जे मे ले कर सोखने में लग जाता है। कभी-कभी अपनी जुबान से फुले हुए निप्पलों से छेड़खानी करता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है। टीना का शरीर अब उसके काबू मे न रह कर किसी गहरे उन्माद में तड़पता है और उसकी योनिमुख भी फिर से एक बार हरकत मे आ कर अपने आप खुल-बन्द होने लगती है। पिघलता हुआ लावा बाहर की ओर बह कर चादर को गीला कर रहा है।)
टीन: उ.उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.
(राजेश नीचे की ओर रुख करता है। राजेश अपने होंठ नग्न योनिमुख के होंठों पर लगा देता है। अपनी उंगलियों से थोड़ा सा योनिमुख को खोलता है और अपनी जुबान से एंठीं हुई घुन्डी को सहलाता है। इस वार से तिलमिला कर एंठीं हुई घुन्डी रक्तिम लालिमा लिए सिर उठा कर खड़ी हो जाती है। कभी अपनी उंगलियों से योनिच्छेद को छेड़ता और कभी जुबान के अग्र भाग से एंठीं हुई घुन्डी को सहला कर ठोकर मारता है। इस दो तरफा वार को ज्यादा टीना बर्दाश्त नहीं कर पाती और उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगते है। एक झटका ले कर उसकी योनि झरझरा कर बहने लगती है। राजेश की जुबान भी चटखारे ले कर प्रेम का अम्रित पीने में लग जाती है।)
टीना: (जैसे नशे में हो).उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.
(टीना के योनिच्छेद पर मुख लगा कर राजेश सारा अम्रित सोखने मे लग जाता है। अपनी जुबान के अग्र भाग को कड़ा कर के अन्दर डालने की कोशिश करता है। कुछ क्षणों में एक बार फिर से लगातार झटके ले कर टीना की योनि में सैलाब आ जाता है जिसको राजेश फिर से चटखारे ले कर पी जाता है। दोनों थकान से निढाल हो कर बेड पर पड़ जाते हैं और अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में लाने की कोशिश करते है।)
टीना: (गहरी साँसे लेती हुई) पापा… अब मेरा हिस्से का टाक्सिन निकालने का समय आ गया है…
(अब तक दोनों की सारी शर्म काफूर हो चुकी है। टीना अपनी नग्नता को छुपाए बगैर राजेश की लुंगी को हटाती हुई लिंगदेव को अपनी मुट्ठी में ले कर सुपाड़े को उघाड़ती है। आज दोपहर की एक्सरसाइज के बाद फूला हुआ सुपाड़ा लाल से बैंगनी रंग का हो चुका है। कुकुरमुत्ते सामान सिर पर एक आँख के कोर से ओस की बूँद टपक कर टीना की उँगलियों पर गिरती है। टीना शीघ्रता से लिंगदेव के सिर को अपने मुँह में रख कर लोलीपाप की तरह चूसती है। टीना के सिर को पकड़ कर सहारा देते हुए ज्यादा से ज्यादा लिंगदेव को भीतर डालने के लिए प्रेरित करता है। इधर टीना भी अपने होंठों में सुपाड़े को फँसा कर उपर नीचे का खेल बड़ी तन्मयता से खेलने मे मस्त है। धीरे धीरे राजेश अपना नौ इंची हथियार टीना के गले तक उतार देता है। अब टीना की गले की माँसपेशियाँ लिंगदेव के सिर को जकड़ कर मालिश करना आरंभ कर देती है। दो सुन्दरियों को भोगने के बाद भी अब लिंगदेव के अन्दर लावा उफनते हुए छलकने लगता है और धीरे से झटके खाते हुए टीना के गले में बहने लगता है।)
राजेश: आह..ह..ह.हाँ…बेटा टाक्सिन की एक भी बूँद को बर्बाद न करना।
टीना: (सारा प्रेम रस गटकने के बाद सुपाड़े को चूसती हुई)…कैसा लग रहा है पापा
राजेश: स्वप्निल… तुम्हारे गुलाबी होंठों में इसे फँसा हुआ देख कर मै तो निहाल हो गया।
टीना: (राजेश के सीने से लिपटते हुए) पापा…कल आप मुझे इसका (वासना की आग से पिघले हुए लिंगदेव की ओर इशारा करते हुए)…नाम बताने का वादा किया था।
राजेश: हाँ बेटा…इसको इस हालत में लंड कहते है…
टीना: लंड… ऐसा लगता है की लंडन से आया है…
राजेश: जब यह अजगर की तरह फुफकारता है तब इसे लौड़ा कहते है।
टीना: लंड और लौड़ा… आपने क्या नाम दिए हैं।
राजेश: यही नहीं, बेटा यह कुकुरमुत्ते जैसे सिर को टोपी या सुपाड़ा कहते है और दो नीचे अण्डाकार जैसी लटकती हुई वस्तुओं को टट्टे या आँड कहते है। सारा सफेद रंग का गाड़ा द्र्व्य इन्हीं अण्डों में बनता है।
टीना: यह नाम आपने दिए है…
राजेश: न बेटा… यह नाम तो जग प्रचिलित है। सभी इन को इसी नाम से पुकारते है।
राजेश: बेटा तुम्हारे शरीर के संवेदनशील अंगों के भी नाम है…जैसे (स्तन को अपने हथेली से मसकते हुए) इस को चूचक या बोबे या कभी मुम्में भी कहते है। और इसे (तने हुए सिर उठाए शिखर कलश को अपनी उंगलियों के बीच में फँसा कर तरेड़ते हुए) चूची या निप्पल कहते है।
टीना: आपको कौन सा शब्द इनके लिए अच्छा लगता है।
राजेश: (मुस्कुराते हुए) मुझे तो बस इन्हें अपने मुँह मे दबा कर रखना अच्छा लगता है… तुम चाहे इन्हें फिर किसी भी नाम से पुकारो… अब नीचे की ओर रुख करते हैं। बेटा तुम कुछ देर के लिए खड़ी हो जाओ।
(टीना बेड पर खड़ी हो जाती है)
राजेश: (कटिप्रदेश पर अपनी उँगलियॉ फिराते हुए) बेटा…(योनिमुख पर उँगली रख कर) इसे चूत कहते है। (दो जुड़ी हुई फाँकों को खोल कर सिर उठाते हुए बीज पर उँगली रगड़ते हुए) इसको चूत का दाना या क्लिट या कभी बीज कहते है।
टीना: बड़े अजीब नाम है…
राजेश: बेटा जरा घूम जाओ…(राजेश की ओर पीठ करके टीना खड़ी हो जाती है) बेटा तुम्हारा यह तीसरा मुख है…(टीना के सूरजमुखी छिद्र के मुख पर अपनी उँगली फेरते हुए) इसे गाँड कहते है…
टीना: पापा… छि: क्या इसका भी कोई उपयोग है?
राजेश: टीना…एक लड़की के पास एक लौड़े को निगलने के लिए तीन मुख होते है- पहला तुम्हारे चेहरे के होंठों के बीच में है, दूसरा तुम्हारे नीचे के होंठों के बीच में है जिसे सब चूत कहते है और तीसरा तुम्हारे नितंबों के बीच मे छुपा हुआ है जिसे गाँड कहते है। एक लड़की यह पूँजी सिर्फ उसको देती है जिससे वह सबसे ज्यादा प्यार करती है और उस पर सबसे ज्यादा विश्वास करती है।
टीना: पापा मै सबसे ज्यादा आप पर विश्वास और प्यार करती हूँ…
राजेश: बेटा मैं धन्य हो गया… थैंक्स… तुम्हें मेरी शर्त वाली बात याद है न…
टीना: कौन सी शर्त… अच्छा वह… बताईए क्या शर्त थी…मुझे क्या करना होगा।
राजेश: ज्यादा कुछ नहीं… बस… इस (अपने लंड की ओर दिखाते हुए) को अपने तीनों मुख में बारी-बारी से निगलना होगा।
टीना: नहीं…ऐसा नहीं हो सकता
राजेश: क्यों नहीं… क्या मुझसे प्यार नहीं करती
टीना: (राजेश से लिपटते हुए) मै आपसे बहुत प्यार करती हूँ। पर डरती हूँ कि……
राजेश: तुम अपनी बात से मुकर रही हो……याद है न……“मुझे सब मंजूर है”
टीना: (कुछ सोच कर) ठीक है…परन्तु सिर्फ एक बार
राजेश: नहीं…हमारी शर्त में कितनी बार की कोई बात नहीं थी।
टीना: पापा…यह गलत है…
राजेश: हाँ कि नहीं…। मैं तुम्हें सब से ज्यादा प्यार करता हूँ। अगर तुम नहीं चाहोगी तो मैं जबरदस्ती नहीं करूँगा। यह प्यार का खेल है और मै चाहता हूँ कि मेरी बेटी इस खेल में मेरा साथ दे।
टीना: पापा… (कुछ सोचते हुए)… क्या आप मुझे कुछ समय देंगे? मै सोच कर बताऊँगी…
राजेश: ठीक है… मुझे कल सुबह तक बता देना…(टीना अपनी गरदन हिला कर मना करती है) खैर हमारी ट्रेनिंग के टाइम पर बता देना।
टीना: ठीक है…
(राजेश एक बार फिर से टीना के नग्न जिस्म को छेड़ते है। उसके होंठों को चूमता है और उन्नत स्तनों को सहलाता है।)
राजेश: बेटा सोचना…मै चलता हूँ मुझे अब नींद आ रही है…तुम भी थक गयी हो तुम भी सो जाओ…
(राजेश बेड से उतर कर अपनी लुंगी ठीक करता है और कमरे से बाहर चला जाता है। टीना भी थकान से बोझिल आँखों को मूंद कर यथावत सो जाती है…)
(सुबह का समय। राजेश चाय की चुस्कियॉ लेते हुए बेडरूम में मुमु से बात कर रहा है।)
राजेश: मुमु…आज मैं पाँच बजे तक आऊँगा तुम तैयार रहना।
मुमु: ठीक है। मगर मुझे आज देर हो जाएगी क्योंकि कल वाला रूटीन भी मुझे आज पूरा करना होगा।
राजेश: ठीक है। कैसा चल रहा है तुम्हारा प्रोग्राम… अच्छा लग रहा है? तुम्हारे चेहरे पर संतुष्टि की रौनक और बदन भी खिला-खिला सा प्रतीत होता है।
मुमु: सच मै सोच भी नहीं सकती थी कि मुझे इस ट्रेनिंग करने से कितना आत्मिक सुख मिलेगा। …खैर छोड़ो। जो भी तुमने मेरे लिए किया वह क्या कम है।
राजेश: भूल जाओ…सब कुछ। बस ऐसे ही खुश रहा करो और वैसे भी इस जीवन में बहुत टेन्शन है। मुझे जल्दी निकलना है मै तैयार होने जा रहा हूँ…तुम नाश्ता वगैरह की तैयारी करो।
(कहते हुए राजेश बाथरूम में घुस जाता है और मुमु बेड से उतर कर रसोई में चली जाती है। थोड़ी देर में राजेश आफिस जाने के लिए तैयार हो कर डाईनिंग टेबल पर आता है। मुमु झटपट उसके लिए नाश्ता टेबल पर सजाती है। अखबार पड़ते हुए राजेश नाश्ता करता है और फिर अपने आफिस की ओर निकल पड़ता है। मुमु भी तैयार होने के लिए बाथरूम की ओर रुख करती है।)
टीना: मम्मी…मम्मी कहाँ पर हो…बड़े जोरों की भूख लग रही है।
मुमु: (कमरे से निकलती हुई) तुम बैठो मै मेज पर नाश्ता लगाती हूँ…
टीना: मम्मी मै कुछ देर के लिए करीना के पास जाना चाहती हूं…
मुमु: ठीक है पर जल्दी आ जाना…
(दोनों माँ और बेटी साथ बैठ कर नाश्ता करते है। थोड़ी देर के बाद, टीना तैयार हो कर करीना के घर चली जाती है। फोन की घंटी बजती है और मुमु फोन पर किसी से गुस्से से बात करती है और फिर बहुत गुस्से से फोन को पटक देती है और रसोई में खाना बनाने के लिए चली जाती है…। शाम के पाँच बज गये है। मुमु जिम जाने के लिए तैयार बैठी हुई है। सामने टीना घड़ी की ओर टिकटिकी लगा कर देख रही है। कार रुकने की आवाज आती है।)
टीना: लगता है पापा आज टाइम से आ गये…(कहते हुए दरवाजा खोलती है और सामने राजेश कार से उतरता हुआ दिखता है।)
राजेश: हाय्…बेटा आज मेरे लिए बड़ी बेचैनी से इंतजार कर रही हो…क्या बात है?
टीना: (झेंप कर) हाय पापा…
(दोनों अन्दर आते है। मुमु सोफे पर बैठी हुई है। राजेश को देख कर उठती है और बाहर निकलती हुई राजेश से कहती है)
मुमु: आप जरा मेरे साथ बाहर आएँगे…
राजेश: (अचंभे में) हाँ क्यों नहीं… (कहते हुए बाहर की ओर मुमु के साथ निकलता है।)
मुमु: आज कितने साल बाद मेरे परिवार को मेरी याद आयी है। पिताजी का फोन आया था मिलने के लिए कह रहे थे…
राजेश: तो मिल लो…इसमें क्या बुराई है। आखिर उन्हें तुम्हारी याद तो आयी।
मुमु: तुम्हें तो सब पता है…फिर भी
राजेश: यह तुम्हारा परिवार है। यह तुम्हें सोचना है कि कैसे इस रिश्ते को निभाओगी। मुझे तो बस अपना वचन याद है…(मुस्कुराते हुए)
मुमु: आप भी न…मै उनसे कोई भी रिश्ता नहीं रखना चाहती… वैसे भी… आज कल तुम्हें पता है कि पिताजी ने स्वर्णआभा की भी जिंदगी बर्बाद कर दी है। …न मैनें सोच लिया है कि मुझे उन के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना है।
राजेश: तुम नाहक ही गुस्सा कर रही हो… खुशी-खुशी जिम जा कर ट्रेनिंग करो और मौज करो। भाड़ में जाने दो अपने पिताजी को… जाओ (कहता हुआ मुमु को कार में धकेलता है।)
मुमु: बाय… (कहते हुए कार आगे बढ़ाती है)।
राजेश: बाय… (कहते हुए अपने घर में प्रवेश करता है)
टीना: (खुशी से चहकते हुए) पापा आज का क्या रूटीन है…
राजेश: पहले मेरी शर्त… क्या सोचा?
टीना: (ठुनकते हुए) पहले आप…
राजेश: बेटा आज कोई भी कास्ट्यूम नहीं है… आज सिर्फ तुम्हारे सारे अंगों की एक्सरसाईज होगी।
टीना: तो क्या पहने… क्या वही पुराने कपड़े…
राजेश: नहीं… आज की एक्सरसाईज में कपड़े वर्जित है।
टीना: तो फिर…
राजेश: तुम बिल्कुल ठीक समझ रही हो… इधर आओ (टीना को खींच कर अपने पास बुलाता है) आज का रूटीन हम तुम्हारे कमरे मे करेंगें। चलो…
टीना: क्यों आपके कमरे क्यों नहीं… आपका कमरा बड़ा है और उसमें बहुत विभिन्न प्रकार के मिरर लगे हुए है…
राजेश: तुम्हारी मर्जी…ठीक है मेरे कमरे मे सही। चलें…
(दोनों राजेश के बेडरूम में जाते है। राजेश अपने कमरे पहुँच कर टीना को घुमा कर अपने सामने खड़ा करता है। धीरे से अपनी ओर खींचकर उसके होंठों का रसपान करता है। कभी नीचे के और कभी उपर के होंठ को अपने मुँह में ले कर चूसता है और कभी अपनी जुबान से टीना के गले की गहराई नापता है। टीना कसमसा कर अलग होने की कोशिश करती है।)
राजेश के भी जिस्म मे धीरे-धीरे उत्तेजना से मचल उठता है। वह टीना के नीचे के और कभी उपर के होंठ को अपने मुँह में ले कर चूसता है और कभी अपनी जुबान से टीना के गले की गहराई नापता है। टीना कसमसा कर उससे अलग होने की कोशिश करती है।)
टीना: पापा…पापा हम अपना रूटीन कब करेंगे…
राजेश: अभी करते हैं… पहले मै अपना आज का टैक्स तो वसूल कर लूँ…(कहते हुए फिर से एक बार टीना के गुलाबी होंठों को लाल करने में लग जाता है)
टीना: (सब कुछ जान कर भी अनजान बनते हुए) हूँ…पापा आप…
(टीना के होठों का रसपान करते हुए राजेश अपने हाथ टी-शर्ट के भीतर डाल कर ब्रा को टटोलता है। पर कुछ न पा कर टीना के उन्नत स्तनों को अपनी हथेली में लेकर धीरे से दबाता है। इस हरकत से टीना चिहुँकती है मगर कुछ कह पाने से पहले ही राजेश टी-शर्ट को उतार फेंकता है। टीना का सीना पूर्णता नग्न हो गया है और अब राजेश होंठों को छोड़ कर अपनी हथेली से स्तनों की सुडौलता को नापता हुआ अपने मुख में गुलाबी निप्प्ल को लेकर उनका रस सोखने की कोशिश करता है।)
टीना: आ…ह पापा…
(राजेश स्तनों को अपने मुख के रस से नहलाता हुआ टीना कि स्कर्ट के हुक खोल देता है। ढीली हो जाने से स्कर्ट जांघो से फिसल कर जमीन पर आ जाती है। इन प्ररंभिक वारों से टीना की जवानी भी आवेश में आ जाती है। राजेश स्तनपान करता हुआ टीना की पैन्टी की इलास्टिक मे अपनी उँगलियॉ को फँसा कर उतार देता है। टीना अब पूर्णतः नग्न हो कर राजेश से लिपट जाती है।)
क्रमशः
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