Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
07-12-2018, 12:37 PM,
#14
RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--14

गतान्क से आगे..........

(राजेश गुस्से से सुन्दरी को घूरता है। सुन्दरी के आधे बाहर झाँकते हूई गोलाईयों मे उसकी नजर पल भर के लिए उलझ कर रह जाती है। फिर कुछ सोच कर करीना के होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले कर चूमने और चूसने का दौर शुरू करता है। अपने तन्नाते हुए लिंग को करीना की योनिच्छेद पर रगड़ता हुआ एक झटके से अन्दर कर देता है।)

राजेश: (लिंगदेव को पूरा धंसा देने के बाद रुक कर) सुन्दरी देख ले इसने पूरा ले लिया। यही तेरी कमर तोड़ देता था…तू कई दिन चल नही पाती थी। इस को देख ले, यह उमर में यह तेरे से बहुत छोटी है परन्तु कितने प्यार से इसने मुझे अपना लिया है…(पीछे की ओर अपने को खींच कर फनफनाते हुए प्रेमरस में नहायें लिंगदेव को बाहर निकाल लेता है)…इस को कहते है कामदेव कि रति…

करीना: (भावतिरेक में मुंदी आँखों से) डार्लिंग…प्लीज मत तड़पाओ…अन्दर डालो न…

(सुन्दरी का चेहरा वासना की आग में लाल हो गया और सारे शरीर में चींटियॉ सी चलने लगी है। तेज चलती हुई साँसें भारी सीने में कम्पन पैदा कर रही है। किसी नशे में चलती हुई बेड के सिरहाने बैठ कर करीना और राजेश के प्रेमरस मे डूबे हुए लिंगदेव को मुख मे भर कर साफ करती है। राजेश एक झटके से सुन्दरी के मुख से निकाल लेता है और फिर करीना की योनि की गहराई नापने लगता है। सुन्दरी अपने होंठों को चाटती रह जाती है और बड़ी हसरत भरी निगाहों से सामने काम-क्रीड़ा में मस्त युगल जोड़े को घूरती है। राजेश भी नये जोश में तीन-चार करारे धक्के देता है और करीना का ज्वालामुखी फट पड़ता है और योनिमुख से प्रेमरस रिसना शुरु कर देता है। करीना आँखे मूंद कर अपनी टांगे फैलाये बेड पर निढाल पड़ जाती है।)

राजेश: करीना…मेरा क्या होगा…यह तो नाइन्साफी है…

सुन्दरी: मालिक…मेरे उपर दया करिए…मालकिन को आराम करने दें…मेरे अन्दर ज्वर बैठ रहा है…कुछ दया करिए…

राजेश: ठीक है…पहले इसको साफ कर फिर सोचता हूँ…

(झपट कर पूरा लिंग अपने गले तक उतार कर साफ करती है। इधर करीना भी होश में आती है और यह द्र्श्य देख कर हतप्रभ रह जाती है और प्रश्नवाचक द्रष्टि से राजेश की ओर देखती है। राजेश उसे चुप रहने का इशारा करता है।)

राजेश: (लिंग पर से सुन्दरी का सिर हटाते हुए) देख तेरी मालकिन को होश आ गया है…उससे पूछ ले…

सुन्दरी: (घिघियाते हुए स्वर में) मालकिन मर जाऊँगी…मेरी मदद करो…सिर्फ मालिक ही मेरी आग बुझा सकते है…मालकिन…

(करीना को कुछ समझ नहीं आ रहा और वह राजेश की ओर देखती है।)

राजेश: बताओ करीना कि क्या करना है…तुम मेरी बराबर की जोड़ीदार हो…जो तुम कहोगी मै वही करूँगा…

करीना: (थोड़ी असमंजस में) क्या कहूं…(राजेश सिर हिला कर इशारा करता है)…ठीक है…आप इसकी आग बुझा दिजीए…वर्ना यह मर जाएगी…परन्तु इसके पति का क्या होगा…

राजेश: ठीक है। मै इसकी आग तो शान्त कर दूँगा परन्तु मेरी भी एक शर्त है…यह तुम्हारी योनि को अपने मुख से साफ करेगी और मै इसके पीछे से दोनों द्वार खोलूँगा…मंजूर हो तो ठीक है अपितु कुछ नहीं…

सुन्दरी: मालिक मुझे सब मंजूर है…

राजेश: तो अपने कपड़े तो उतार ले…तेरी मालकिन को भी तो तेरा हुस्न दिखा दे…

(सुन्दरी जल्दी से अपनी चोली और लहंगा उतार फेंकती है। तीखे नयन-नक्श, गेहुआं रंग, भरे हुए सुडौल स्तन और उनके शिखर पर भूरे फूले हुए दो निप्पल, घुंघराले बालों से ढका हुआ पागल हो जाये। गले मे पड़ी हुई चेन दोनों स्तनों के बीच की खायी मे झूल रही है। कमर पर चाँदी की करघनी की वजह से उठते हुए गोल नितंब ज्यादा उभरे हुए दिखते है। पाँव की पाजेब उसके जरा से हिलने पर एक संगीतमय ध्वनि छेड़ते हुए लग रहे है। करीना की बात सुनते ही सुन्दरी लेटी हुई करीना के योनिमुख की ओर झपटती है और अपना मुख योनिच्छद पर लगा कर रिस्ता हुआ प्रेमरस को सोखती है और अपनी जुबान से उठी हुई लाल घुंडी को चाटती है। जब तक करीना कुछ समझती, तब तक तो अपनी जुबान को कड़ा कर के मुहाने के भीतर डालने की कोशिश में लग जाती है। एक स्त्री द्वारा ऐसा कार्य का पहला अनुभव करीना को भावविभोर कर देता है।)

राजेश: सुन्दरी तेरी मालकिन की जांघों से उपर और नाभि से नीचे की कोई भी जगह अनछूई नहीं रहनी चाहिए…(कहते हुए सुन्दरी के पीछे की ओर बढ़ जाता है)… और तू तब तक नहीं हटेगी जब तक मैं नहीं हटता।

(राजेश अपने लिंग को मुठ्ठी में लेकर एक दो करारे झटके मारता है। अपने सुपाड़े को सुन्दरी की योनि के मुहाने पर लगा कर आगे की ओर ठेलता है। तन्नायें हुए लिंगदेव अपनी जगह बनाते हुए अन्दर घुस जाते हैं। आधा लिंग घुसाने के बाद राजेश झुक कर सुन्दरी के दोनों स्तनों को अपने हाथों मे लेकर कुछ देर मसकता है और कभी निप्प्लों को तरेड़ता है और कभी खींचता है। इधर करीना सुन्दरी के मुख और जुबान की हरकतों से एक नये प्रकार का अनुभव करती है। वासना की आग में तीन जिस्म भभक उठते हैं। करीना हर्षोन्माद में सिर पटकती है और सुन्दरी की योनि धीरे-धीरे तपते हुए लिंगदेव के अन्दर घुसने का एहसास करती है। राजेश इस नये अनुभव का पूरा लुत्फ लेते हुए करीना के चेहरे पर बदलते हुए भाव को निहारता हुआ एक करारा धक्का देता है और जड़ तक अन्दर धँसा देता है।)

सुन्दरी: (दर्द से बिलबिलाती हुई) हाय…मर गयी दैया री…(औंधे मुँह करीना के उपर गिर जाती है और मुँह खुला का खुला रह जाता है)

राजेश: अरी क्या हुआ…क्या पहली बार लिया है जो इतना शोर मचा रही है।

(सुन्दरी को नितंबों से पकड़ कर पीछे की ओर खींच लेता है। सुन्दरी अपने काम मे वापिस लग जाती है। कमरे में सिस्कारियाँ गूँज रही है और वातावरण को मादक और विलासपूर्ण बना रही हैं। राजेश भी अब लय में पूरी तरह आ गया है। दो चार हल्के धक्के के बाद दो चार करारे धक्के मारता और सुन्दरी के स्तनों को गूँधता हुआ राजेश अपने उफनते हुए लावा को खौलने पर मजबूर कर देता है। इस बीच करीना तीन बार झरझरा कर बह निकली और एक्साइटमेन्ट में बेहोश हो गयी। सुन्दरी की योनि दो बार लावा उगल चुकी और अब तीसरी बार उफान फिर से जोर पकड़ रहा है। एक और करारा धक्का सुन्दरी की योनि में बिजली कड़क गयी और झरझरा कर बह निकली।)

सुन्दरी: मा…लि…क…ह्हा…यउह्…आ…आह्…यह…म्…ररर…ग्…यी…दैया री (कहते हुए निढाल हो कर औंधे मुँह करीना के उपर लेट गयी। राजेश का लिंग अभी भी भन्नायें हुए हवा में लहरा रहा था।)…

राजेश: सुन्दरी…सुन्दरी…इस का क्या करूँ…

सुन्दरी: मालिक…मै इस अजगर से भर पाई…

(राजेश सिरहाने से तीन तकिये ला कर सुन्दरी के पेट नीचे लगा कर उसके नितंबो को उपर उठाता है। अपने लिंग को सरसों के तेल मे नहला कर सुन्दरी के सुरजमुखी छिद्र के मुहाने पर टिका कर एक भरपूर धक्का देता है। तेल की चिकनाई और करारा धक्का लिंगदेव सारी बाधाएं पार करके आधे से ज्यादा अन्दर धँस कर बैठ जाते है।)

सुन्दरी: (बेबसी में चीखती हुई) ममम…र ग्…यीई…ईई…इ मालि…क इसे नि…का…लिए…

राजेश: अब तो गया…अब तू सिर्फ मजे ले…(चीख से करीना को होश आता है और उठ बैठती है)…करीना यहाँ आओ और देखो…(करीना अपने को धीरे से सुन्दरी के नीचे से निकाल कर राजेश के निकट आती है और इस नये आसन को ध्यान से देखती है…राजेश का अभी एक तिहाई लिंग बाहर है)

करीना: अंकल…इसे बहुत दर्द हो रहा है…आप इसको बाहर निकाल लो…

राजेश: यह इसके साथ पहली बार नहीं हुआ है…इसका बाप आगे से नहीं परन्तु पीछे का शौकीन है। तुमने पूछा था कि इस के बाप ने मुझे इसके साथ करने दिया…यही वजह थी। पीछे की आग तो वह बुझा देता था लेकिन अपनी औरत की आगे की आग बुझाने के लिए मेरे पास भेज देता था…समझी कुछ…यह त्रिया-चरित्र कहलाता है…

(राजेश थोड़ा सा पीछे हो कर दो चार छोटे छोटे धक्के लगाता है जैसे कि जगह रमा कर रहा हो। जब आराम से लिंग अन्दर-बाहर होने लगा तो एक और करारा धक्का लगाता है और जड़ तक फँसा देता है। करीना को अपनी ओर खींच कर उसके होंठों को अपने होंठों मे दबा कर उनका गुलाबीपन सोखने लगता है और अपनी हथेली से करीना के स्तन और उन पर विराजमान गुलाबी शिखर को अपनी उंगलियों में फँसा कर तरेड़ता है। सुन्दरी अब शान्त हो कर राजेश के लिंग की लंबाई और मोटाई को महसूस करने की कोशिश करती है। कुछ देर करीना के अंगो के साथ खिलवाड़ करके एक बार फिर से दो चार छोटे छोटे धक्के लगाता है और फिर धीरे-धीरे अपने लिंग की पूरी लंबाई को नापते हुए तेज धक्के देता है। काफी देर से दूध में उफान आ रहा है और दो चार लंबे धक्के लगाते ही जव्लामुखी फट पड़ता है और काफी देर तक झटके लेते हुए अपने प्रेम रस से सुन्दरी की सुरंग भर देता है।)

राजेश: आ…आह्…(करते हुए सुन्दरी के जिस्म को अपने बदन से ढक देता है)

(बिना निकाले करीना के मोहक बदन के साथ फिर से छेड़खानी करने लगता है। एक पट की आवाज के साथ सिकुड़ा हुए लिंगदेव कार्क की तरह बाहर निकल आते है और सुन्दरी का पीछे का सुराख खुला का खुला रह जाता है और धीमी गति से बहुत गाड़ा सफेद रंग का द्र्व्य बाहर रिस कर जांघों से होता हुआ चादर पर फैलने लगता है।)

राजेश (अपनी घड़ी की ओर देखते हुए): जानेमन करीना…आज बहुत देर लग गयी। तुम जल्दी से बाथरूम में जा कर शावर ले लो उसके बाद मै शावर ले कर जल्दी से तैयार हो कर सात बजे तक तुम्हें घर छोड़ दूँगा।

(करीना निर्वस्त्र हो कर कुल्हे मटकाती हुई, इठलाती और बल खाती हुई बाथरूम की ओर रुख करती है। राजेश प्यार से सुन्दरी को उठाता है और उसके होंठों को चूमता हुआ उसके नग्न बदन के साथ कुछ देर खिलवाड़ करता है। थोड़ी देर के बाद सुन्दरी लहंगा और चोली पहन कर अपने घर का रुख करती है।)

राजेश: करीना…जरा दरवाजा खोलो…मुझे बहुत तेज पेशाब लगा है…खोलो…

करीना: वह तो पहले से ही खुला है…

(राजेश बाथरूम का दरवाजा खोल कर सीधा कमोड पर जा कर एक मोटी धार के साथ अपने को हल्का करता है। करीना शावर लेते हुए सब कुछ बड़े ध्यान लगा कर देखती है। हल्का होने के पशचात राजेश की नजर करीना पर पड़ती है। करीना की जवानी का शबाब को एकटक देखता हुआ कमोड पर बैठ जाता है। शावर की तेज धार में करीना अपने अंग-अंग को साफ करती हुई देख कर राजेश से रहा नहीं जाता और करीना के करीब जा कर उसे अपने आगोश मे लेकर साथ-साथ नहाता है। उसके कोमल अंगो के साथ खिलवाड़ करता है। काफी देर पानी में चुहलबाजी करने के बाद दोनों एक दूसरे को बड़े प्यार से टावल से सुखाते है और झटपट कपड़े पहन कर तैयार हो जाते है। करीना और राजेश के चेहरे पर संतुष्टि की आभा झलक रही है। कमरे के बाहर शमशेर सिंह और सुन्दरी खड़े हुए है।)

शमशेर सिंह: मालिक जल्दी वापिस आईए…(स्कूल यूनीफार्म में खड़ी करीना को घूरता है)

राजेश: हाँ अब जल्दी चक्कर लगा करेंगें। सुन्दरी अच्छी तरह साफ-सफाई करके रखना।

सुन्दरी: जी मालिक…

(चलते हुए दो पाँच सौ के नोट शमशेर के हाथों मे रख कर अपनी कार में बैठ जाता है। सुन्दरी की ओर हाथ हिला कर करीना दूसरी ओर से कार में बैठ जाती है। राजेश कार बढ़ा कर सड़क पर ले आता है और एक हाथ करीना के गले में डाल कर अपनी ओर खींच कर उसके होंठों को चूम लेता है।)

राजेश: जानेमन…कैसा रहा आज का दिन…

करीना: स्वप्निल…मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन था।

(ऐसे ही बात करते हुए घर का रास्ता तय करते हैं। राजेश पगडंडी के पास कार खड़ी कर के करीना को छोड़ देता है। करीना भागती हुई अपने घर का रुख करती है। राजेश कार को खड़ी कर के करीना को तब तक देखता है जब तक वह अपने घर का गेट खोल कर अन्दर चली जाती है। राजेश अपने घर की ओर रुख करता है…।)

(राजेश के घर पर सन्नाटा छाया हुआ है। कार खड़ी कर के दरवाजे पर लगी हुई घंटी बजाता है। कुछ देर बाद मुमु दरवाजा खोलती है।उसका गुस्से से मुँख लाल है और मुमु के पीछे टीना खड़ी हुई है। राजेश घर के अन्दर प्रवेश करता है और सीधा जा कर सोफे पर निढाल सा हो कर बैठ जाता है।)

मुमु: कहाँ गये थे…इतनी देर लगा दी…

राजेश: सो सौरी यार…शहर के बाहर गया था क्लाईन्ट से मिलने…पर क्या हुआ…

मुमु: तुम भूल गये कि मुझे इस हफ्ते रोज ट्रेनिंग के लिए जाना है।

राजेश: तो फोन किस लिए है…मुझे फोन कर देती

टीना: (बीच में बात काटते हुए) शाम से फोन मिला रहे है पर आउट ओफ़ रीच आ रहा है।

राजेश: तो कोई बात नहीं…टीना को छोड़ कर टैक्सी ले कर चलीं जाती…तुम्हें लेने के लिए मै और टीना आ जाते…खैर कोई बात नहीं आज रेस्ट कर लो…इसी बहाने आज घर का खाना मिल जाएगा।

टीना: पर मेरा क्या…मेरी तो शाम खराब हो गयी।

राजेश: मेरी प्यारी बेटी…मै कल शाम को आज और कल का हिसाब पूरा कर दूँगा…प्लीज सौरी…माफ कर दो।

मुमु: जल्दी से मुँह-हाथ धो लो…मै खाना लगाती हूँ। टीना तुम जा कर मेज पर सामान लगाओ।

(मुमु और टीना रसोई की ओर रुख करती है। राजेश अपने कमरे की ओर रुख करता है। थोड़ी देर में कुर्ता और लुंगी पहने टीना और मुमु के साथ डाईनिंग टेबल पर आ कर बैठ जाता है। मुमु सब का खाना परोसती है और पूरा परिवार साथ बैठ कर खाना खाता है। खाना खाने के बाद राजेश और टीना टीवी के सामने जा कर बैठ जाते है और मुमु बरतन समेट कर रसोई मे रख कर दोनों के साथ जा बैठती है)

मुमु: क्या टीना आज बोर्ड के फार्म भर दिये…

टीना: हाँ मम्मी। आज ही हमारी सारी क्लास के फार्म भर दिये गये।

मुमु: अब पढ़ाई में ध्यान लगाना शुरु कर दो…वक्त निकलते हुए पता भी नहीं चलेगा।

राजेश: अब बस भी करो…जब देखो पढ़ाई…अभी बहुत समय है। पढ़ लेगी जब वक्त आएगा।

मुमु: हाँ बिगाड़ो मुझे क्या…आज मिसेज शर्मा मिली थी बता रहीं थी कि करीना ने कोई कोचिंग क्लास जोइन कर रखीं है। मै सोच रही हूँ कि टीना को भी उसी क्लास में भर्ती करा दूँ।

टीना: मुझे नहीं जाना। टाइम खराब करना है तो जाओ…

राजेश: मेरे ख्याल में टीना सही कह रही है। करीना ने बताया था कि साइंस में कमजोर होने की वजह से उसने यह क्लास चुनी है। अपनी टीना तो साइंस में अच्छी है पर वैसे भी आगे चल कर इसे साइंस में कोई रुचि नही है। तो क्या फायदा…

मुमु: ठीक है…कुछ तुम सही हो और कुछ तुम्हारी लाडली…मै ही गलत हूँ

टीना: मम्मी का रेकार्ड शुरु हो गया…

राजेश: ठीक है भई, अगली बार करीना आएगी तो पूछूँगा कि इन क्लासेज से उसे कोई फायदा हुआ क्या…अगर वह हाँ कहती है तो टीना को भी भर्ती करा दूँगा…ठीक है

मुमु: हाँ अब ठीक है…तुम्हें बताना भूल गयी की लीना अपनी क्लास के साथ इतवार को सुबह की फ्लाइट से आ रही है। जरा पता करना की इन्डिगो की फ्लाइट कब आती है।

टीना: मै और आप दीदी को लेने जाएगें…

राजेश: हाँ…ठीक है। परन्तु मुमु तुम भी घर पर क्या करोगी…तुम भी चलना…

मुमु: देखूंगी…

राजेश: मै थक गया हूँ…सोने जा रहा हूँ…टीना बेटा तुम भी आराम कर लो…

मुमु: हाँ बहुत रात हो गयी…चलो सोने पर कल जल्दी आना और भूलना नहीं…

(कहते हुए तीनों उठ कर खड़े हो जाते है। मुमु और राजेश अपने कमरे मे जाते हैं और टीना अपने कमरे मे चली जाती है…।)

(राजेश कुछ देर के बिस्तर पर करवटें बदलने के बाद साथ में लेटी हुई मुमु को सोता देख कर उठता है। आज दोपहर की क्रीड़ा से थका हुआ है लेकिन टीना के बारे में सोच कर थोड़ा बेचैन है। चुपचाप उठ कर टीना के कमरे की ओर रुख करता है।)

राजेश: (दरवाजे पर कान लगा कर ठकठकाता है) टीना…टीना…

टीना: …हूँ

राजेश: (कमरे मे घुसते हुए) बेटा…अभी सोई नहीँ क्यों…

(गुलाबी रंग की लम्बी सी टी-शर्ट पहने टीना बेड पर अधलेटी अवस्था में नावल पढ़ रही है। टी-शर्ट जांघों तक खिंचने से केले सी चिकनी दूधिया टांगें कमरे की रौशनी में चमक रही है। पुष्ट सीने की पहाड़ियाँ राजेश की आँखों के सामने हर श्वास के साथ काँपती हुई लगती है।)

टीना: (अंगड़ाई लेते हुए) कुछ नहीं ऐसे ही नावल पढ़ रही थी…

राजेश: (सिरहाने के निकट बैठते हुए) अरे मैनें तो सोचा कि मेरे लिए जाग रही हो…

टीना: मै आपके लिए क्यों जागूँगी… मै तो आपसे बात नहीं करती। मै गुस्सा हूँ।

राजेश: (नजदीक सरकते हुए अपनी एक बाँह टीना की गरदन में डालते हुए) क्यों बेटा… मुझसे क्यों नाराज हो मैनें ऐसा क्या कर दिया…

टीना: आज की एक्सरसाइज नहीं हो पाई… शाम से ही मै आपकी राह देख रही थी…लेकिन आप न…

राजेश: (उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाते हुए) सच बताओ… सिर्फ एक्सरसाईज के लिए या फिर जो काम सुबह अधूरा रह गया था उस के लिए…

टीना: (शर्मा कर आँखे झुकाते हुए) पापा… आप बड़े खराब हो।

राजेश: (कन्धे से हाथ हटा कर कमर मेँ डाल कर अपनी ओर खींचते हुए) क्यों तुम्हारे दिल में हलचल नहीं हो रही है… (अपना दूसरा हाथ टीना की जांघों के अन्दरूनी भाग पर फिराते हुए धीरे से योनिमुख की ओर ले जाते हुए)… क्या तुम्हारी पैन्टी के भीतर सुबह से आग नहीं सुलग रही है? अरररे… यह क्या (अपनी उंगलियों को योनि की दरार पर फिराते हुए) पैन्टी नहीं पहनी आज……

टीना: (कसमसाती हुई) पापा… नहीं करिए…(हाथ को पकड़ते हुए)

राजेश: (धीरे-धीरे संतरे सी फांकों को खोलते हुए और खड़े हुए बीज को रगड़ते हुए) क्यों आग बुझानी है कि नहीं…

टीना: आअ…अआह… हूँ।

राजेश: (कमर पर पड़े हुए हाथ को टी-शर्ट के भीतर डाल कर नग्न स्तन को हौले से दबाते हुए) जब तक तुम नहीं बोलोगी मै कुछ भी नहीं करूँगा… और तुम रात भर यूहीं जलती रह जाओगी…

टीना: (गरदन हिला कर हामी भरते हुए) पाप…आह्…नन…हीं

राजेश: (नीचे से अपनी उँगलियों से खिलवाड़ करते हुए) ठीक है…तुम कहती तो मै… (झूठे को अपना हाथ निकालते हुए)… जाता हूँ

टीना: (राजेश के हाथ को अपनी जांघों से भींचते हुए) न…नहीं प्लीज पापा

राजेश: तो बोलो…

टीना: (धीरे से) प्लीज पापा… (सिसकारी भरते हुए) आप को जो करना है करो प्लीज…

राजेश: (शिखर कलश को तरेड़ते हुए) क्या करूँ… अपनी उँगली से या फिर अपने मुख से… (कहते हुए टीना के होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त मे ले कर चूमते और कुछ देर तक पंखुड़ियों से होंठों के रस को सोखते हुए) …बोलो

टीना: (वासना की आग मे तड़पते हुए) पापा, कुछ भी…

राजेश: नहीं… पहले बताओ

टीना: पापा दोनों से… मैं मर जाऊँगी… (कहते हुए अपनी टी-शर्ट उतार फेंकती है और राजेश से लिपट जाती है)

राजेश: बेटा… इस आग को बुझाना बहुत जरूरी है… पर मेरी एक शर्त है मानो तो बोलूँ…

टीना: (एक्साइटिड हो कर) मुझे सब मंजूर है और भी कुछ हो तो वह भी मंजूर है…

राजेश: सोच लो… (कहते हुए टीना के नग्न जिस्म को अपने नीचे लेते हुए)

टीना: मुझे सब मंजूर है।

(ब्लेंक चैक मिलते ही राजेश ने टीना के कमसिन नग्न जिस्म पर छा गया। टीना के होठों को अपने होंठों मे दबा कर चूमने और चूसने लगता है। टीना भी अपने होंठों के साथ अठ्खेलियों करते हुए राजेश का पूरा साथ देती है। टीना की जुबान अपने होठों मे दबा कर चूसता है और कभी अपनी जुबान टीना के होंठों के हवाले कर देता है। काफी देर टीना के गुलाबी होंठों को सोखने के बाद राजेश अपना ध्यान नग्न सीने पर केन्द्रित हो जाता है। टीना के सुडौल स्तनों को अपने हाथों में भरकर बड़े प्यार से दबाने का क्रम शुरु करता है। टीना के अन्दर की धीमी सुलगती हुई वासना की आग अब भड़कने लगी है।)

टीना: प्पा.उई...पअआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…आह..ह..ह.

(तेज चलती हुई साँसें फूले हुए शिखर कलश में अजीब सी कँपन ला रहे है और लगातार राजेश की जुबान के मर्दन से लाल हो गये है। मुख से निकलती हुई लार पुरे पुष्ट स्तन को नहला देती है। कभी नग्न निप्पल को निशाना बनाता है और कभी पूरे स्तन को निगलने की कोशिश करता है। कभी लम्बवत्त निप्पल को अपनी जुबान के अग्र भाग से छेड़ता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है।)

क्रमशः
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RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ - by sexstories - 07-12-2018, 12:37 PM

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