RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--13
गतान्क से आगे..........
राजेश: डार्लिंग…बस बहुत नहला दिया है…अगर अब इस को इसकी जगह पर नहीं बिठाया तो यह यहीं पर ढेर हो जाएगा।
(करीना को अपने अगोश में लेकर प्यार से चूमते हुए बेड पर लिटा देता है। नग्नता में भी करीना गजब की सुन्दर दिखती है। वासना के उन्माद में कमसिन जवानी बेड पर अपनी ही लगाई हुई आग में तड़पती हुई बार-बार अपनी टांगों को खोलती है और अपने ही हाथों से अपने स्तनों को पीसती हुई राजेश को आमंत्रित करती है। करीना के आग से तपते हुए जिस्म को अपने जिस्म से ढक देता है।)
राजेश: लव…अबकी बार हमारा मिलन बेरोकटोक होगा और दर्द भी नही होगा…तैयार हो…
करीना: प्रिय…अब देर मत करो…आह…मेरा शरीर आग में तप रहा है…
(यह सुन कर राजेश बालोंरहित कटिप्रदेश और योनिमुख को अपनी उंगलियों से टटोलने में लग जाता है। राजेश की उँगलियाँ जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को खोल कर अलग करती है। अपनी उंगली से अकड़ी हुई घुन्डी को छेड़ता है। गीली होने की वजह से अकड़ी हुई घुन्डी और भी ज्यादा संवेदनशील हो चुकी है।)
करीना: .उई...माँ….उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....
(राजेश अपनी उंगली से घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों की गिरफ्त में करीना के होंठों को ले लेता है। एक हाथ से कभी उन्नत और सुडौल स्तनों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे स्तनाग्र को फँसा कर तरेड़ता, कभी एक कलश को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। करीना भी असीम आनंद में लिप्त होती जा रही हैं।)
राजेश: (करीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) करीना…करीना…
(राजेश अपने तन्नायें हुए लिंग मुठ्ठी में लेकर एक दो झट्के देकर योनिमुख पर टिका देता है। जलती हुई सलाख एहसास होते ही करीना के मुख से एक सिसकारी निकल जाती है। राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर घुन्डी को दबाते हुए सरकते हुए योनिच्छेद के मुख पर लगा कर अपने लिंग को ठेलता है। संकरी परन्तु गीली जगह होने की वजह से फुला हुआ सुपाड़ा फिसल कर जगह बनाते हुए अन्दर घुस जाता है।)
करीना: …उ.उई.माँ..अँ.उ… उक.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....
(राजेश धीरे-धीरे आगे पीछे होते हुए लिंग का घिसाव अन्दर तक करीना को विचलित कर देता है। उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती करीना के होंठों को राजेश अपने होंठों से सीलबंद कर देता है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लिंग प्रेम रस से सरोबर जड़ तक धँस जाता है। करीना की आँखें एक बार फिर से खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी। पर इस बार की चीख प्यार के एकाकार की है।)
करीना: …आह..ह..ह.…हाय
राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) करीना…करी…ना अब की बार दर्द तो नहीं हुआ…
करीना: न…हीं…उफ..ए…आह..ह..हा.य
(करीना की योनि ने भी राजेश के लिंग को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ रखा है। क्षण भर रुक कर, राजेश ने करीना के नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है। लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सुपाड़ा करीना की बच्चेदानी के मुहाने को खोलता हुआ अन्दर तक धँस कर बैठ जाता है। धीरे से राजेश लिंगदेव को गरदन तक बाहर निकालता है और फिर उतनी ताकत से अन्दर धकेल देता है। करीना की योनि भी अब इस प्रकार के दखल की आदि हो गयी है।)
राजेश: (गति कम करते हुए) करीना अब दर्द तो नहीं हो रहा है…
करीना: नहीं…बहुत अच्छा और मीठा सा दर्द हो रहा है…ऐसा लगता है कि मै पूरी तरह से भर गयी हूँ…
राजेश: (रोक कर)…तुम्हारी चू…त बहुत टाईट है…मेरे लं…ड को तो जैसे निचोड़ रही हो। तुम्हें इन नये शब्दों का ज्ञान है कि नहीं?
करीना: (अपनी टाँगे राजेश की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेटते हुए) आह…न…हीं…नही…
(पन्द्रह-बीस धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया है और ज्वालामुखी फटने से पहले आखिरी वार करते हुए अपने लिंग के सुपाड़े को बच्चेदानी के अन्दर धँसा देता है। इस वार को करीना बरदाश्त नहीं कर पाती और धनुषाकार बनाती हुई करीना की योनि झरझरा कर बहने लगती है। उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगते हैं और राजेश के लिंग को गरदन से जकड़ कर योनिच्छेद दुहना शुरु कर देते है। इसका एहसास होते ही सारे बाँध तोड़ते हुए लिंगदेव भी बिना रुके लावा उगलना शुरु कर देते है। करीना की योनि को राजेश अपने प्रेमरस से लबालब भरने के बाद निढाल होकर पड़ जाता है। राजेश अपने लिंग को फँसाये रखता है और नई-नवेली संकरी जगह का लुत्फ लेता है। एक बार फिर करीना भावविभोर होकर बेहोश हो जाती है।)
राजेश: (उपर से हटते हुए अपने सिकुड़ते हुए लिंग को बाहर निकालते समय कार्क खुलने की आवाज का एहसास होता है) करीना…करीना…
करीना: (कुछ क्षणों के बाद)….गअँ.न्ई…आह..... (अपनी आँखें खोलती हुई) डार्लिंग…
राजेश: (करीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) करीना…आज एक बार फिर…।
करीना: (पल्कें झपकाती हुई) हाँ, एक बार फिर से साँस घुटती हुई लगी और मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया।
राजेश: बहुत कामुक हो…अगर इस उमर में यह हाल है तो आगे क्या होगा…।
करीना: यह तो आपके एक आँख वाले अजगर का कमाल है…पता नहीं पर ऐसा लगता है कि मेरे पेट को भेद कर सीधे ह्र्दय पर वार करता है…(अपना हाथ नीचे की ओर ले जाकर योनिमुख से रिसते हुए प्रेमरस को पौंछती है।)
राजेश: पहले कुछ देर आराम कर लो फिर अगले राउन्ड की तैयारी करेंगे…
(राजेश प्यार से करीना को बाँहों मे भर कर उसके होंठों को चूमता है। दो नग्न जिस्म एक दूसरे के साथ लिपटे हुए पड़े है…कि दरवाजे पर आहट होती है।)
सीन-21
(आहट सुन कर राजेश जल्दी से करीना के नग्न जिस्म को सुन्दरी के दुपट्टे से ढक देता है और अपने उपर पास पड़ी हुई चादर को डाल कर, आवाज देता है।)
राजेश: कौन है…अन्दर आ जाओ…
(एक अच्छी कद काठी का वृद्ध हाथ में चाय की ट्रे लेकर अन्दर आता है और उसके पीछे भजिया-पकौड़े की प्लेट थामे सुन्दरी आती है।)
राजेश: आओ शमशेर सिंह…कैसे हो…यहीं बेड पर रख दो।
शमशेर सिंह: ठीक हूँ मालिक…(अपनी गिद्ध सी पैनी नजर से करीना को घूरता हुआ बेड पर सामान सजाता है)
(उसकी नजर दुपट्टे के नीचे करीना के कमसिन नग्न जिस्म को नापने मे लग जाती है। झीने से दुपट्टे के नीचे करीना का जिस्म की गोलाईयाँ और कमर के कटाव शमशेर सिंह की आँखों के सामने विदित हो रहे है। सीने पर खड़े हुए भूरे शिखर दुपट्टे को टेन्ट बनाते हुए और नग्न केले सी चिकनी पिंडुलियाँ दुपट्टे के बाहर निकली हुई शमशेर सिंह के सीने मे अजीब सा हौल पैदा कर देती है।) राजेश: तुम्हारी बिटिया बहुत खुश है…और सुनाओ खेती का काम कैसा चल रहा है…
शमशेर सिंह: ठीक चल रहा है मालिक…बहुत दिन हुए उस को देखा नहीं अगर आप आज्ञा दें तो हम दोनों उस से शहर जा कर मिल आये…
राजेश: हाँ भई, वह तुम्हारी बेटी है क्यों नहीं परन्तु आजकल बहुत व्यस्त रहती है। उसके पास मेरे लिए भी टाइम नहीं है…ऐसा करना पहले फोन कर लेना और फिर चले जाना…
शमशेर सिंह: ठीक है मालिक…आपको किसी भी चीज की जरूरत हो तो घंटी बजा देना…(कह कर बाहर की ओर निकल जाता है)…सुन्दरी तू भी जल्दी से सामान रख कर वापिस आजा…मुझे कुछ काम है।
सुन्दरी: (मुँह बिचका कर)…हाँ आती हूँ…लगता है कि मालकिन के जिस्म को देख कर बुढ्ढे के जिस्म मे आग लग गयी है। मालिक…इनके क्या हाल हैं…(थोड़ी आँखे मटका कर) कुछ मालिश वगैराह की जरूरत तो नहीं है…
राजेश: तू इनकी फिकर मत कर…जब जरूरत होगी यह अपने आप बता देगी…इनकी मालिश के लिए मै ही काफी हूँ…अब जा…देख रही है न (अपनी चादर को उघाड़ कर लिंगदेव के दर्शन कराते हुए) की मेरा फिर से मचल रहा है…(करीना भी एकटक सारी स्तिथि का चुपचाप जायजा लेती है)
सुन्दरी: अगर ऐसी बात है तो…मै यहीं रुक जाती हूँ…लेकिन पता नहीं फिर पिताजी क्या करेंगें। मैनें कटोरी मै तेल गुनगुना करके रख दिया है…अगर (करीना की ओर रुख करके) आप ज्यादा थक जाएँ तो मुझे बुलवा भेजिएगा मै आपकी मालिश कर दूँगी…(कह कर बाहर निकल जाती है।)
(राजेश और करीना चुपचाप चाय की चुस्कियाँ लेते हुए एक दूसरे को निहारते है)
करीना: आप बड़े बेशर्म हो…सुन्दरी को इसे दिखाने की क्या जरूरत है?
राजेश: उस को जला रहा हूँ…बहुत नखरे दिखा रही थी पिछ्ली बार…तुम्हारे हुस्न को देख कर बैचेन हुए जा रही है…(पकड़ कर दुपट्टा करीना के उपर से खींच कर हटा देता है। निर्वस्त्र करीना जल्दी से अपने हाथ से सीने को ढकती है)
करीना: क्या कर रहे हो…
राजेश: (अपने उपर पड़ी चादर हटा देता है) जो मैनें तुम्हारे साथ किया वही अपने साथ कर रहा हूँ…क्या गलत है…(अपने लिंग को मुठ्ठी मे पकड़ कर अपनी फोरस्किन को हटा कर कुकुरमुत्ते सा सिर के उपर अपने अँगूठे को फिराता है)…देखो यह अब दूसरी पारी खेलने के लिए तैयार हो गया है…
करीना: आप इस…(लिंगदेव को अपने कोमल हाथों में थाम कर सुपाड़े पर अपनी उँगलियॉ फिराते हुए)… को क्या कहते हो?
राजेश: जब सुप्त अवस्था मे हो तो लंड और जब अजगर की तरह फुफकार रहा हो तो लौड़ा…पर इस भाषा का प्रयोग हम दूसरों के सामने नहीं कर सकते…यह सिर्फ दो प्यार करने वाले अकेले में करते है।
करीना: मै इसे क्या बुलाऊँगी…लंड या लौड़ा
राजेश: जब इसके साथ तुम हाथों से या अपने मुख से खेलती हो तो लंड और जब तुम्हारे अन्दर तक धँसा हुआ हो तो लौड़ा…यह सब छोड़ो…तुम्हारा जो भी मन हो वह बोलो…
करीना: अब आगे क्या…(राजेश के लिंग को सहलाते हुए)
राजेश: अभी तुम्हारी मालिश कर देते है…जिससे दूसरा दौर काफी लंबा चल सके…क्या कहती हो…
करीना: पर पहले मैं आपके लंड की मालिश करुँगी…(कहते हुए बेड से उतर कर मेज तक जाती है। राजेश की निगाह उसके स्पंदन करते हुए नितंबों पर जा कर टिक जाती है। पतली कमर और गोल भरे हुए नितंब और उनमे पड़े हुए गड्डे उसके हर कदम काँपते हुए प्रतीत होते है। तेल से भरी कटोरी ले कर जब वह मुड़ कर राजेश की ओर आती है तो राजेश की नजरें करीना के सीने पर आते हुए भूचाल की ओर आकृष्ट हो जाती है। पहली बार राजेश को करीना के कमसिन नग्न जिस्म को दिन की रौशनी मे देखने का मौका मिला है।)
करीना का यह रूप देख कर राजेश का हथियार एक ठुमका लगाता है)
करीना: इस को क्या हुआ…यह क्यों झटके खा रहा है? अब क्या करना है, मुझे बताइए…
राजेश: यह तुम्हारे प्यार में पागल हो गया है…तुम आज मुझे देख लो फिर अगली बार जब हम यहाँ पर मिलेंगे तब तुम मेरी मालिश कर देना…अब तुम सीने के बल बेड पर आराम से लेट जाओ।
(करीना सीने के बल लेट जाती है। राजेश गुनगुने सरसों के तेल को अपनी हथेली पर डाल कर रगड़ता है और फिर कुछ तेल की बूँदें करीना की पीठ पर टपका देता है। करीना की दोनों टांगों को फैला कर और उनके बीच में अपने घुटनों के बल पर बैठ कर पीठ की मालिश आरंभ करता है। पीठ पर दबाव देकर अपनी दोनों हथेलियाँ से कोमल काया को रगड़ता है। कुछ घर्षण की गर्मी और कुछ तेल गरम, करीना के पोर-पोर खोल देती है। हथेली जब फिसलती हुई साइड में उभरे हुए स्तन के भाग पर पहुँचती तो वह अपना हाथ अन्दर सरका कर पुरे कलश को अपनी गिरफ्त में ले कर मसक देता है। अजगर की तरह फनफनाते हुए लिंगदेव भी नितंबो के बीच में बनी दरार में मालिश करने में लगे हुए है।)
करीना: (हर घिसाव पर) आह…हा…य…आ…ह
(थोड़ी देर तक पूरी पीठ मालिश से लाल हो उठी है। राजेश सरक कर पीछे होता है और दोनों नितंबों और जांघों पर थोड़ा सा तेल फैला देता है। अब बड़ी बेदर्दी से जाघों से नितंबो तक रगड़ता है। कभी-कभी अपनी उँगली को दरार में छिपे सूरजमुखी फूल जैसे छिद्र के मुख पर फिराता है। कुछ ही देर में करीना के अंग-अंग का दर्द पुरी तरह से निचोड़ देता है और एक नयी स्फूर्ती सारे शरीर में भर जाती है। राजेश अपनी बीच की उँगली तेल में डुबो कर सूरजमुखी छिद्र के भीतर डालने की कोशिश करता है। करीना अचकचा कर उठती है परन्तु राजेश के दबाव के कारण उठ नहीं पाती है। राजेश एक झटके से अपनी उँगली को अन्दर तक धँसा देता है।)
करीना: उई…ई…ई यह क्या
राजेश: यह तुम्हारा तीसरा मुख है…पहला तुम्हारा मुख, दूसरी तुम्हारी प्यारी सी चूत और तीसरी तुम्हारी गाँड…तुम्हारे दो मुख तो मेरे लंड को निगल चुके है अब तीसरे की बारी है।
करीना: न्…हीं…मुझे…नहीं करना…(अचकचा कर उठने का यत्न करती है)
(राजेश अपनी उंगली को एक बार फिर से तेल में डुबो कर छिद्र में धँसा कर उसके कसाव को अपनी उँगली का आदि करता है। करीना बेहाल हो जाती है और हर वार पर चिहुँक उठती है। राजेश थोड़ी देर के बाद अपने अँगूठे को उँगली की जगह इस्तेमाल करने लगता है। थोड़ा सा छिद्र और खुल जाता है। अब तक करीना का सारा उफ़ान ठंडा पड़ जाता है। राजेश अब अपना पैंतरा बदलता है और अपनी उँगली से करीना की योनिमुख पर वार करता है। दोनों फांकों के बीच में से उँगली सीधी चीरती हुई सीप में छिपी हुई मोती के उपर वार करती है। करीना के मुख से एक लम्बी सिस्कारी निकल जाती है।)
करीना: आ…ह
राजेश: अब बताओ कि कैसा लग रहा है…
करीना: (सिर पटकते हुए) हा…य क्या…हु…आ
(राजेश अपने दो-तरफा वार की गति बढ़ाता है। अपने अँगूठे से छिद्र का मुहाना धीरे से खोलता है और अपनी उँगली से एंठीं हुई घुन्डी को रगड़ता है। दूसरे हाथ से राजेश नितंबों को गूँधता और मसकता है और कभी-कभी दाँतों में दबा कर धीरे से काट लेता है। करीना इन वारों को झेलने में अस्मर्थ पाती है और अचानक योनि में छोटे-छोटे विस्फोट होने लगते है।)
करीना: न…हीं…उफ..ए…आह..ह..हा.य
(राजेश का लिंग भी उन्माद में लार टपकाने लगता है। एक हाथ से करीना को नाभि पकड़ के उठाता है और अपने तन्नायें हुए लिंग को योनिमुख पर लगा कर एक भरपूर वार करता है। लिंगदेव बिना रुके सीधे बच्चेदानी के मुहाने पर वार करते हुए अन्दर तक धँस जाते है। करीना के प्रेमरस में नहाये हुए लिंगदेव धीरे से गति पकड़ते है। अभी भी योनि का संकरापन वैसा ही बना हुआ है जैसा कि पहले दिन था। राजेश एक दो गहरे धक्के मार कर अपने हथियार को बाहर निकाल लेता है और खुले हुए सूरजमुखी आकार के छिद्र के मुहाने पर बिठाता है और फिर धीरे से अन्दर की ओर ढकेलता है। छिद्र के मुहाने को लिंगदेव का सिर धीरे से खोल कर अन्दर जा बैठता है।)
करीना: आ…ईईइ म…र ग…यी…म…आआ…
राजेश: करीना अपने को ढीला छोड़ दो तो कष्ट नहीं होगा…इसे अपने अन्दर आने दो…जितना रोकने की कोशिश करोगी उतना ही ज्यादा कष्ट होगा।
करीना: (शरीर को अकड़ाती हुई) बहुत बेदर्दी हो…मुझे दर्द हो रहा है…
राजेश: (लिंगदेव के सिर पर फन्दा कसता हुआ महसूस करता हुआ) आ…ईइ…ऐसा लगता है कि तुम मेरे लंड का सिर धड़ से अलग कर दोगी…ढीला छोड़ो प्लीज…दर्द हो रहा है…
(करीना अपने शरीर को ढीला छोड़ती है। दर्द से छ्टपटाते हुए राजेश अपने लिंग को बाहर निकाल लेता है। धम्म से करीना बेड पर गिर जाती है छिद्र का मुहाना अब खुला हुआ है। राजेश की नजर अपने लिंग पर पड़ती है। पुरा सुपाड़ा सूज कर लाल हो गया है जैसे कि सारे खून का बहाव कट गया हो…)
राजेश: जानेमन…अगर आज तुम्हारा बस चलता तो मेरा एक तिहाई लंड कट कर कार्क की तरह तुम्हारे अन्दर फिट हो जाता।
करीना: (खिलखिलाती हुई) जान…बहुत दर्द हो रहा है…लाओ इस पर तेल लगा कर मालिश कर देती हूँ।
राजेश: (प्यार से करीना को अपने नीचे लेते हुए) करीना की बच्ची आज मै तेरा तीसरा मुख खोल कर ही दम लूँगा…(और करीना के नग्न जिस्म पर अपने होंठों की मौहर लगाने लगता है)
करीना: प्रिय तीसरे मुख का उदघाटन अगली बार कर लेना…आज…मेरे दूसरे मुख को तृप्त कर दिजिए…न
राजेश: जानेमन तुम कहती हो यही सही (अचानक किसी के हँसने की आवाज आती है)…कौन है…सुन्दरी…यहाँ आ…
(धीरे से दरवाजे के खुलने की आहट आती है और सुन्दरी अन्दर आ जाती है। लता कि तरह लिपटे हुए दो नग्न जिस्मों को नीची निगाह करके घूरती हुई बेड के पास खड़ी हो जाती है। करीना शर्माते हुए अपनी नग्नता छिपाने की कोशिश करती है परन्तु राजेश उसे रोकता है।)
राजेश: तुम नाह्क ही इससे शर्मा रही हो। जब यह बेशर्म दरवाजे की ओट से हमारी काम-क्रीड़ा बड़े चाव से देख रही है तो हम इस से क्यों शर्मायें…क्यों री क्या कर रही है दरवाजे के पीछे खड़ी हो कर…(करीना के उन्नत स्तनों को सहलाते हुए सुन्दरी को घूरता है)…तुझसे जाने को कहा था न…तेरे बाप को पता है कि तू क्या कर रही है…
सुन्दरी: न मालिक…मुझे लगा कि आप मुझे बुलाएँगें तो मैं बाहर आकर खड़ी हो गयी थी…
क्रमशः
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