RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--10
गतान्क से आगे..........
(टीना तो पहले से ही आग में जल रही थी। जब से उसने गर्म राड थामी थी, उसके उदर मे हलचल मची हुई थी और नीचे धीमी सी आग जल उठी थी। नग्न स्तनों के मर्दन की वजह से पूरे शरीर में अनजानी सी अकड़न होने लगी थी। राजेश की बात सुन कर सारे शरीर में एक बिजली सी कौंध जाती है। परन्तु…)
टीना: पर पापा…मेरा कास्ट्यूम्…
राजेश: मुख में कपड़े के रोएं जुबान से चिपक जाते है… आज मेरे लिए…उसको रहने दो…
टीना: पर हमारा रूटीन्…एक्सरसाईज में तो ऐसा नहीं है…
राजेश: क्या मेरा बेटा मेरे लिए एक बार बिना एक्ससाइज के अलावा भी मेरे कहने से कुछ और कर सकता है…
टीना: पापा…(राजेश की याचक नजरें देख कर)…चलिए ठीक है…
राजेश: थैंक यू…मुझे पता था कि मेरी बेटी मुझसे बहुत प्यार करती है और वह मेरा दिल रखने के लिए कभी भी मना नहीं करेगी।
(एक बार फिर टीना सीधी हो कर बेड पर लेट जाती है। नग्न पुष्ट सीना और उन पर फुले हुए ऊर्ध्व गुलाबी निप्पल और नीचे एक छोटी सी काटन पैन्टी जो कि एक साईड से पूरी तरह उधड़ गयी है। कमसिन यौवन को अपने बेड पर हिलोरें मारते द्र्श्य को देख राजेश का मन एक बार फिर से मचल उठा।)
राजेश: बेटा उपर लगे आईने में जरा अपने को देखो और खुद की सुन्दरता पर गर्व करो कि तुम्हारा गोरा बदन कैसे साँचे में ढला हुआ है। जो इसको देखे मर मिटे…
(एक बार फिर से राजेश अपने जिस्म से टीना को ढक देता है। इस बार वह जल्दी में है और सीधा टीना के होठों को अपने होंठों मे ले कर चूमने और चूसने लगता है। टीना भी अब पूरी निपुण हो कर राजेश का साथ देती है। टीना की जुबान अपने होठों मे दबा कर चूसता है और कभी अपनी जुबान टीना के होंठों के हवाले कर देता है। काफी देर टीना के गुलाबी होंठों को लाल करने के बाद, राजेश का ध्यान सीधा नग्न सीने पर केन्द्रित हो जाता है। टीना के उन्नत स्तनों को अपने हाथों में भरकर बड़े प्यार से दबाने का क्रम शुरु करता है। टीना के अन्दर की धीमी सुलगती हुई वासना की आग अब भड़कने लगी है।)
टीना: प्पा.उई...पअआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…आह..ह..ह.
(तेज चलती हुई साँसें फूले हुए स्तनों में अजीब सी कँपन ला रहे है और लगातार मर्दन से लाल हो गये है। क्षण भर रुक कर, एक बाज की दायें स्तन को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लेता है और सोखना शुरु कर देता है। मुख से निकलती हुई लार पुरे पुष्ट स्तन को नहला देती है। कभी नग्न निप्पल को निशाना बनाता है और कभी पूरे स्तन को निगलने की कोशिश करता है। कभी लम्बवत्त निप्पल को अपनी जुबान के अग्र भाग से छेड़ता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है।)
टीना: (भावविभोर हो कर) प्पा.उई...प लीज…काटिएआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…दर्द्…हो…ओ…ता है…
राजेश: …हूँ…हाँ, बेटा…टाक्सिन बनने लगा है क्या?
(दायाँ स्तन छोड़ कर अपना ध्यान बायें स्तन पर केन्द्रित करता है। फिर वही चूमने और चूसने के कार्यक्रम को बायें स्तन के साथ दोहराता है। टीना हर्षोन्मत्त हो कर सिर पटकती है। अबकी बार नग्न होने के कारण टीना के सीने का पोर-पोर अतिसंवेदनशील हो गया है। राजेश का मुख सुडौल स्तनों को पूरी तरह से अपने कब्जे मे ले कर सोखने में लग जाता है। कभी-कभी अपनी जुबान से फुले हुए निप्पलों से छेड़खानी करता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है। टीना का शरीर अब उसके काबू मे न रह कर किसी गहरे उन्माद में तड़पता है और उसका योनिमुख भी फिर से एक बार हरकत मे आ कर अपने आप खुल-बन्द होने लगा है। पिघलता हुआ लावा बाहर की ओर बह कर काटन पैन्टी को गीला कर रहा है। राजेश के तनतनाते हुए हथियार ने भी अपने मुख से लार टपकाना आरंभ कर दिया है।)
टीन: उ.उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.
राजेश: आह..ह..ह.हाँ
(अपने उन्माद को काबू में कर के राजेश एक बार फिर नीचे की ओर बढ़ कर गीले पैन्टी के हिस्से को मुख मे थाम कर सोखना आरंभ करता है। अपने एक हाथ से टीना की उधड़ी हुई पैन्टी के हिस्से में फँसाता है और उपर की ओर उठाता है जिस की वजह से सारी सिलाई खुदब्खुद खुलती चली जाती है। अति उल्लासित अवस्था में टीना को इसका पता ही नहीं चल पाता है वह सिर्फ बेड पर तड़पती हुई सिर पटक रही है। राजेश धीरे से पैन्टी के उपर वाले सिरे को एक तरफ उठा कर अपने होंठ नग्न योनिमुख के होंठों पर लगा देता है। अपनी उंगलियों से थोड़ा सा योनिमुख को खोलता है और अपनी जुबान से एंठीं हुई घुन्डी को सहलाता है। इस अप्रत्याशित वार से तिलमिला कर एंठीं हुई घुन्डी रक्तिम लालिमा लिए सिर उठा कर खड़ी हो जाती है। कभी अपनी उंगलियों से योनिच्छेद को छेड़ता और कभी जुबान के अग्र भाग से एंठीं हुई घुन्डी को सहला कर ठोकर मारता है। इस दो तरफा वार को ज्यादा टीना बर्दाश्त नहीं कर पायी और उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगते है। एक झटका ले कर उसकी योनि झरझरा कर बहने लगी। राजेश की जुबान भी चटखारे ले कर अम्रित को पीने में लग जाती है।)
टीना: (जैसे नशे में हो).उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.
(टीना के योनिच्छेद पर मुख लगा कर राजेश सारा अम्रित सोखने मे लग जाता है। अपनी जुबान के अग्र भाग को कड़ा कर के अन्दर डालने की कोशिश करता है। कुछ क्षणों में एक बार फिर से लगातार झटके ले कर टीना की योनि में सैलाब आ जाता है जिसको राजेश फिर से चटखारे ले कर पी जाता है। दोनों थकान से निढाल हो कर बेड पर पड़ जाते हैं और अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में लाने की कोशिश करते है। थोड़े समय के बाद राजेश उठ बैठता है।)
राजेश: (टीना के साथ सट कर लेटते हुए) टीना…बेटा…टीना…
टीना: (अपनी साँसों को काबू मे लाती हुई)…हूँ …हाँ
राजेश: आज की एक्सरसाइज कैसी रही…
टीना: (थकी हुई आवाज में) …हाँ…पापा मुझे लग रहा है कि मैं उड़ रही हूँ… (अपने हाथ को नीचे ले जाती है फिर रोंएँदार कटिप्रदेश की नग्नअवस्था का एहसास होता है)…पापा…(चीखते हुए उठ बैठती है और ढकने का प्रयत्न करती है)
राजेश: (भोली सूरत बना कर)…क्या हुआ…अच्छा यह्…देखते ही मै समझ गया था कि मेरी बेटी ने मेरा मन पढ़ लिया था और अपनी पैन्टी को साइड से उधेड़ लिया था जिससे मुझे कोई तकलीफ न हो। बेटा थैंक्स्…।
टीना: (झिझक कर)…नहीं मैनें ऐसा…
राजेश: (नग्न योनिमुख की दरार में से झाँकती हुई रक्तिम घुन्डी को अपनी उँगलियों से सहलाते हुए) अच्छा कुछ न कहो…आज मेरी बेटी ने मेरी बात रख कर दिखा दिया कि वह मुझसे कितना प्यार करती है…
टीना: (एक सिसकारी ले कर)…पापा आप तो बड़े वो हो…
राजेश: (रक्तिम घुन्डी को उंगलियों से छेड़ते हुए) मुझे सच बताना तुम्हें पहला दौर अच्छा लगा या दूसरा दौर्…।
टीना: (हल्की सी दबी आवाज में) दूसरा दौर्…
राजेश: मै जानता हूँ…(इतना कह कर टीना को अपने आगोश में भर लेता है)…कपड़ों के बिना एक्सरसाइज करने से ज्यादा टाक्सिन बनता है, आज यह बात भी भलि-भाँति हम दोनों ने सीख ली…है न्…
टीना: (झिझकते हुए) हाँ पापा…
राजेश: (बहुत दुखी मन से)…पर बेटा तुम्हारा तो रूटीन हो गया परन्तु मै तो ऐसे ही रह गया…अब तो नहीं कर सकते हैं क्योंकि तुम्हारी मम्मी के आने का समय हो गया है।
टीना: हाँ पापा…(चिड़ाते हुए)…पर क्या हुआ…आज जहाँ पर छोड़ा है कल वहीं से शुरु करेंगे…मै जाऊँ…
राजेश: हाँ बेटा…परन्तु जाने से पहले मुझे तुम्हें जी भर कर देखने दो…
(टीना बेड पर खड़ी होती है। राजेश एक बार प्यार भरी नजरों से टीना के नग्न जिस्म के एक-एक अंग को निहारता है। फिर फटी हुई पैन्टी को नीचे खींच कर अलग कर लेता है। धीरे से टीना की योनि को चूमता है और दरार पर अपनी जुबान फेरता है। टीना को अपनी गोद मे खींचकर उसके होंठों को चूमता है और फिर नग्न स्तनों को अपने मुख मे ले कर सोखता है।)
टीना: (चंचलता से) क्या बात है पापा…मन नहीं भरा…मम्मी आने वाली है…(तभी दरवाजे की घंटी बजती है। दोनों सहम कर इधर-उधर देखते है। राजेश जल्दी से अपना कास्ट्यूम उतारने की कोशिश करता है लेकिन अकड़े हुए लिंगदेव उसकी कोशिश को नाकाम कर देते है। घबराहट में बिना सोचे समझे अपना हाथ अन्दर डाल कर गुस्से से फनफनाते हुए लिंगदेव को बाहर निकालता है। उपर की खाल पीछे खिंचने से फूला हुआ लाल रंग का कुकुरमुत्ते नुमा सिर आसमान की ओर निशाना लगाता हुआ सामने आ जाता है। राजेश बेध्यानी में उसे गरदन से मुठ्ठी में पकड़ कर एक दो करारे झटके देता हुआ अपनी लुगीं को ढूँढता है। अचानक राजेश की नजर जड़वत खड़ी टीना पर पड़ती है जो भौचक्की सी लाल टोपी वाले को घूर रही है।)
राजेश: (अपनी मुठ्ठी में लिंगदेव को पकड़े हुए) टीना…टीना…बेटा जल्दी से अपने कमरे मे जा कर कपड़े पहन लो…मै दरवाजा खोलता हूँ…कहाँ खो गयी हो…बेटा यह (अपने लिंग को हिलाते हुए) तुम्हारा खिलौना है बाद में देख लेना…अभी जाओ…
(एक बार फिर से घंटी बजती है। टीना जैसे नींद से जागती है और तुरन्त अपने कमरे की ओर भागती है। राजेश को सामने मेज पर तह की हुई लुंगी दिखती है जिसे जल्दी से लपेट कर बाहर दरवाजे की ओर भागता है। और दरवाजा खोलता है……)
सीन-18
(राजेश दरवाजा खोलता है तो सामने थकी हुई मुमु को खड़ी पाता है। मुमु के हालत देख कर राजेश उसे अन्दर आने के लिए जगह देता है। मुमु सीधे जा कर धम्म से सोफे पर जा कर पसर जाती है।)
राजेश: बहुत थकी हुई लग रही हो?
मुमु: हाँ, लेकिन बहुत मजा आ रहा है…तुम लोग क्या कर रहे थे…बहुत देर लगा दी दरवाजा खोलने में…
राजेश: टीना कुछ देर पहले उपर अपने कमरे में फ्रेश होने चली गयी थी और मै नहाने के लिये बाथरूम में जा रहा था तभी तुम्हारी घंटी बजी। बस कपड़े रख कर आ रहा था कि तुमने दूसरी बार घंटी बजा दी…
मुमु: मै बहुत थक गयी हूँ…खाने का क्या करें…आज बाहर से मंगा लेते है।
राजेश: भई, ऐसा कब तक चलेगा…
मुमु: प्लीज्…कुछ दिन बरदाश्त कर लो…
राजेश: ठीक है…मैं पंचगुनी रेस्टोरेन्ट को फोन पर आर्डर दे देता हूँ, पन्द्र्ह मिनट में डिलीवरी की गारंटी है। तुम हाथ मुँह धो कर रेडी हो जाओ…
(इतना कह कर फोन करने अपने कमरे में चला जाता है। मुमु सोफे पर सिर टिका कर आँखे मुंदे पड़ी रहती है। थोड़ी देर बाद दरवाजे की घंटी बजती है तब मुमु की नींद टूटती है। मुमु जा कर दरवाजे को खोल कर पैक्ड खाने की डिलीवरी लेती है। डाईनिंग टेबल पर खाना सजाती है।)
मुमु: टीना…टीना…खाना लग गया है। (कह कर बाथरूम की ओर रुख करती है)
(थोड़ी देर के बाद, सब डाइनिंग टेबल पर इकट्ठे हो कर खाना खाते हैं। खाना खाने के बाद टीना अपने कमरे में चली जाती है और राजेश और मुमु अपने कमरे में सोने चले जाते है।)
मुमु: मुझे आज नींद की गोली दे दो क्योंकि मै बहुत थक गयी हूँ…
राजेश: मुमु, तुम अब बहुत ज्यादा इन गोलियों पर डिपेन्ड करने लगी हो…यह अच्छी बात नहीं है।
मुमु: डौली बता रही थी कि कुछ दिनों में मुझे इस वर्कआउट की आदत हो जाएगी तब मुझे इन गोलियों की जरूरत नहीं पड़ेगी।
राजेश: ठीक है…दराज में से ले लो…मैं टीना के पास जाता हूँ। आज डाइनिंग टेबल पर बहुत चुप थी, तुमने भी तो उससे कोई बात नहीं की…लगता है वह नाराज है।
मुमु: प्लीज्…तुम उसको कुछ दिन सँभाल लो…अरररे…मैं तो बिलकुल भूल गयी…आज उसके स्कूल से फोन आया था कि कल सुबह उसको स्कूल जाना है क्योंकि कल बोर्ड की परीक्षा के फार्म भरे जाएँगे।
राजेश: तुम अब बता रही हो…
मुमु: आज कल हम मिल कहाँ रहे है…प्लीज क्या तुम कल उसको सुबह स्कूल छोड़ दोगे क्योंकि स्कूल बस नहीं चलेगी।
राजेश: ठीक है, तुम थक गयी हो सो जाओ…मै टीना के पास जा रहा हूँ। देखूँ कि कहीं सो तो नहीं गयी। (कह कर कमरे से बाहर आ जाता है और किसी से फोन पर बात करने के लिए नम्बर मिलाता है।)
राजेश: हैलो…हाँ डार्लिंग मैं बोल रहा हूँ…कैसी हो…कुछ दर्द कम हुआ…(उधर से करीना की आवाज आती है)
करीना: अंकल्…सौरी…मेरे प्रीतम…अब ठीक है…दर्द तो नहीं है…
राजेश: तो फिर कुछ देर के लिए चाँदनी रात में मुहब्बत का इजहार करने के लिए आ जाओ…
करीना: नहीं, अभी तो सब जाग रहें है…और मुझको कल स्कूल जाना है फार्म भरने के लिए…क्या टीना को नहीं बताया…उसको भी तो जाना है…
राजेश: हाँ उसको भी जाना है…पर तुम्हें मेरी याद नहीं आ रही है। मै ही पागल हूँ जो तुम्हारी याद में तड़प रहा हूँ…
करीना: नहीं…यह बात नहीं है, आप नहीं जानते कि जब से आँख खुली है तब से सिर्फ कल रात की बात सोच-सोच कर पागल हुई जा रही हूँ…मगर्…क्या करूँ…
राजेश: तुम फिकर न करो…तुम जल्दी से ठीक हो जाओ फिर तो तुम्हें मै रात भर सोने नहीं दूँगा…एक किस तो फोन पर दे दो फिर मै आराम से सो जाउँगा…
करीना: प्रिय्…मम्मी बुला रहीं है (किस की आवाज आती है और फोन कट जाता है)
(राजेश मुस्कुराते हुए सीड़ीयाँ चड़ता हुआ टीना के कमरे के पास पहुँच कर रुक जाता है। धीरे से दरवाजा खोलता है तो बेड खाली पड़ा है। इधर-उधर देखता है तो उसे टीना कहीं नहीं दिखाई देती है। बाथरूम के दरवाजे से कान लगा कर सुनता है तो टीना के नहाने की आवाज आ रही है। आश्वस्त हो कर राजेश बेड पर लेट जाता है और टीना का इन्तजार करता है। नहाती हुई टीना के जिस्म के बारे मे सोच कर उसका लिंग एक बार फिर से सिर उठाने लगता है। थोड़ी देर के बाद सिर्फ टावल लपेटे टीना बाहर आती है। सामने आँखे मूंदे राजेश को बेड पर लेटे देख कर चौंक जाती है।)
टीना: पापा…आप यहाँ…(शरारती स्वर में)…क्या नींद नहीं आ रही…
राजेश: (आँखें मलता हुआ)…हाँ नींद में तुम्हारे ही सपने देख रहा था…बेटा…कल तुम्हें स्कूल जाना पड़ेगा…अभी तुम्हारी मम्मी ने बताया कि तुम्हारे स्कूल से फोन आया था…
टीना: (बेड के नजदीक आ कर गुस्से में) क्यों अभी तो हमारी छुट्टियाँ चल रही हैं, यह स्कूल वाले पागल हो गये है…
(राजेश प्यार से टीना को अपनी ओर खींचता है और पास में बिठाता है। टीना की नग्न पीठ पर पानी की बूँदें धीरे से रिस रही है। राजेश प्यार से पीठ पर हाथ से बूँदें हटाता हुआ…)
राजेश: बेटा ऐसे नहीं बोलते…कल तुम्हारी बोर्ड की परीक्षा का फार्म भरा जाएगा…इस लिए तुम्हें स्कूल बुलाया है (कहते हुए कमर में हाथ डाल कर अपने उपर खींच लेता है। टीना अपने को छुड़ाने का प्रयास करती है लेकिन राजेश उसे अपने आगोश में भर कर अपने साथ लिटा लेता है। टीना के शरीर से उठती हुई भीनी-भीनी साबुन की सुगन्ध बेडरूम का समा और भी मादक बना देती है।)
टीना: पापा…छोड़िए न्… (अपने को छुड़ाने का प्रयास करती हुई)…मुझे चेंज करना है…
(राजेश टीना को पकड़ कर करवट लेता है और टीना को अपने नीचे ले आता है। इसी खींचतान में टीना का टावल खुल जाता है। टीना को छोड़ कर राजेश उसके नग्न जिस्म को एक बार फिर से निगाहों से पीने की कोशिश करता है।)
टीना:…उफ…पापा आपने मुझे एक बार फिर से…(कहते हुए झेंप गयी और अपने हाथों से नीचे की ओर कर के ढकने का प्रयत्न किया)
राजेश: ऐसी तो कोई नयी चीज नहीं है जो मैनें नहीं देखी है। बचपन में तुम्हें बहुत नहलाया है। अभी कुछ देर पहले ही मैने तुम्हें इसी अवस्था मे देखा है…फिर क्यों छुपाने की कोशिश कर रही हो…
टीना: अब मैं बड़ी हो गयी हूँ…
राजेश: हाँ यह तो सही बात है…बचपन में तुम्हारा सीना सपाट था पर आज यह (एक स्तन को सहलाते हुए और फिर उसके गुलाबी निप्पल को तरेड़ते हुए) सुडौल और उन्नत हो कर मुझे चिड़ा रहे है। यह कमर (हाथ फिराते हुए नितंबों तक ले जाते हुए) पहले सीधी थी पर अब कितना सुन्दर कुल्हे पर कटाव बन रहा है।
टीना: पापा…
राजेश: क्यों क्या हुआ…चेहरा तो वही है पर पंखुड़ियों से गुलाबी होंठ (झुक कर टीना के होंठों पर अपने होंठों की मौहर लगाता है) की लालिमा और भी निखर गयी है। और (पेट से योनि तक अपनी उंगली से रेखांकित करते हुए) सबसे ज्यादा बदलाव इधर हुआ है।
टीना: (शर्माते हुए पाँव सिकोड़ती हुई) पापा…क्या बदलाव आया है…
राजेश: (टीना के पाँव खोलते हुए और योनिमुख पर उँगलियॉ फिराते हुए) पहले यह ज्वालामुखी सुप्त अवस्था में था पर अब लावा उगलने की क्षमता रखता है…
टीना: न न…करिए…(एक बार फिर से पाँव सिकोड़ती है और फिर से राजेश अपने पाँव से टीना के पाँव खोलता है)…पापा…मुझे चुभ रहा है…
राजेश: क्या चुभ रहा है…
टीना: (ठुनकती हुई) आप भी न…इसे पीछे करिए…
राजेश: बेटा, प्लीज इसको तुम अपने हाथों से पीछे कर दो…(राजेश का एक हाथ उन्नत उभारों के मर्दन में लगा हुआ था और दूसरा हाथ योनि में छुपे सीप के मोती को छेड़ने मे लीन है)… तुम्हें तो पता है कि मेरे दोनों हाथ काम पर लगे हुए है।
(गुस्से से भन्नायें लिंगदेव बार-बार नग्न योनिच्छेद पर ठोकर मार रहे है। टीना कसमसाती हुई अपना सीधा हाथ दोनों शरीरों के बीच में डालती हुई लिंगदेव को अपनी उँगलियों में थामने की कोशिश करती है। इस बीच टीना के तपते होंठों को अपनें होंठों की गिरफ्त में लेकर राजेश उनका सारा रस सोखने में लग जाता है। झटके खाते हुए लिंगदेव की गरदन जैसे ही टीना की उँगलियों में आती है लिंगदेव और भी तन्ना कर रौद्र रूप धारण कर लेते है। टीना को लगता है कि उसने एक जिवित परन्तु तपती हुई लोहे की सलाख अपने हाथ में पकड़ ली है। उधर राजेश कभी पंखुड़ियों से होंठों को चूमता है कभी टीना के कान के नीचे गरदन पर अपने होंठों से वार करता है। टीना भी एक नये उन्माद में बहकती जा रही है। एक तरफ तो राजेश की लगातार उसके अंगों के साथ छेड़खानी और दूसरी ओर उसके हाथ में बैचेन जिवित तपती हुई सलाख।)
क्रमशः
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