RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--9
गतान्क से आगे..........
राजेश: टीना…कल हमने तुम्हारे हाथों (सहला कर दिखाते हुए) पिंडुली की (सहला कर दिखाते हुए) कमर की (सहला कर दिखाते हुए) और जांघों की (थोड़ी ज्यादा देर तक सहला कर दिखाते हुए) एक्सरसाईज की थी। आज तुम्हारे इन सारे अंगो को रेस्ट देना होगा इसलिए आज का सारा रूटीन सिर्फ टाक्सिन बनाने और निकालने के लिए है। इसी वजह से आज का कास्ट्यूम स्पेशल है।
टीना: (थोड़ा हिचकिचाते हुए) पापा…क्या हम कल वाला रूटीन दुबारा नहीं कर सकते…
राजेश: नहीं बेटा, ऐसा करने से तुम्हारे शरीर की माँस-पेशियाँ किसी एथलीट की तरह बन जाएगी। सारे शरीर का कोमलपन खत्म हो जाएगा और उसमें कड़कपन आ जाएगा। तुम्हें याद होगा कि कल मैनें तुम्हारे द्वारा निकाला हुआ टाक्सिन को पीने की कोशिश की थी। याद है न्…
टीना: हाँ, पर आपने ऐसा क्यों किया, आपने ही तो कहा था कि यह शरीर के अन्दर का जहर है…
राजेश: हाँ, शरीर का जहर उत्तेजना से उतपन्न केमिकल के साथ रिएक्ट हो कर टाक्सिन बनता है। यही टाक्सिन नर और मादा का स्वरूप में एक दूसरे के पूरक बनते हैं। जो तुम टाक्सिन बना सकती हो वह मै नहीं बना सकता। इसी तरह मेरे द्वारा बनाया केमिकल तुम्हारे लिये अम्रित का काम करता है क्योंकि वह तुम्हारा शरीर कभी भी नहीं बना सकता।
टीना: (हैरानी से) तो अगर मै आपका वाला केमिकल नहीं लेती तो इससे मुझे क्या नुकसान होगा…
राजेश: …इस को न लेने से तुम्हारे शरीर के अन्दर बहुत सारे विटामिन और मिनरल की कमी रह जाएगी। इसकी कमी से जल्दी बाल सफेद हो जाँएंगे, चेहरे पर झुर्रियॉ आ जाँएंगी…
टीना: मैं नहीं कर सकूँगी पापा…मुझे बहुत गन्दा लगता है, छि:…
राजेश: बेटा, पहली बार सब को ऐसा ही लगता है…तुम्हारी मम्मी को भी लगा था…परन्तु बाद मे सबको आदत पड़ जाती है…एलन की एक्सरसाईज की विशेषता है कि एक्सरसाईज के दौरान इस के सेवन की आदत पड़ जाए… क्या ख्याल है… एक्सरसाईज शुरु की जाए…
टीना: (हिचकते हुए) मेरे को यह सब ठीक नहीं लग रहा… (झिझकते हुए) मै आपकी बेटी हूँ और …(पिछले दो-तीन दिनों के घटनाक्रम ने टीना के दिमाग में हलचल मचा दी है। जब भी राजेश के उभरे हुए अंग पर नजर पड़ती तो उसके शरीर में अजीब सी सिहरन दौड़ जाती और कटिप्रदेश में मीठी सी तड़प महसूस करने लगी थी। छूने मात्र की कल्पना से कई बार योनि में से कुछ पिघल कर निकल पड़ता और अगर किसी कारणवश नहीं निकलता तो सारे जिस्म में बैचेनी बड़ जाती…ऐसी पेशोपश में नादान टीना कुछ समझ नही पा रही है पर दिल को यह सब करना अच्छा लग रहा है परन्तु दिमाग इन सब को गलत मानता है।) … पापा, ऐसा करना अनुचित है
राजेश: बेटा…हम एक्सरसाईज कर रहे है…तुम्हारे दिमाग में ऐसी-कैसी उचित और अनुचित बातें आती है…इन सब रूटीन को अपनी एक्सरसाईज का हिस्सा मान कर करो…आओ चलें…क्योंकि अगर हम ने कल का रूटीन करना है तो आज का पार्ट पूरा करना पड़ेगा…(इतना कह कर राजेश टीना को पकड़ कर बेड की ओर ले कर जाता है)… बेटा, तुम मेरे किंग साइज बेड पर सीधी लेट जाओ…
टीना: (असमंजस में चलती हुई) पापा…हम एक्सरसाईज कर रहें है, न्…(और जा कर लेट जाती है)
(राजेश के लिंगदेव का तो अपना दिमाग काम कर कर रहा है। छोटी सी बिकनी में अर्धनग्न टीना सामने बेड पर छत पर लगे हुए फुल साइज मिरर में देख कर शर्माती है और पलक बन्द कर के निश्च्ल पड़ जाती है। इधर राजेश बेड पर टीना के दोनों पाँवों को अलग कर बीच में घुटनों के बल आ कर बैठ जाता है।)
राजेश: टीना…टीना…अपनी आँखें खोलो और उपर आईने में देखो…याद रखना जो भी मैं करता हूँ.…वह सब तुम्हें मेरे साथ करना पड़ेगा…(टीना आँखे खोल कर देखती है…)
राजेश सब से पहले टीना के पाँव पर ध्यान केन्द्रित करता है। केले के समान चिकनी टाँगे अपने हाथ से पकड़ कर उठाता है और बायें पाँव की पिंडुली को चूमता है और धीरे से अपने होंठ खोल कर चूसना और चूमना आरंभ करता है। थोड़ी देर बाद यही क्रिया दायें पाँव के साथ दोहराता है।)
टीना:…पापा…मुझे गुदगुदी होती है…
राजेश: बेटा, इस के करने से तुम्हारे शरीर के इस भाग के अन्दर जमा हुए टाक्सिन उपर की ओर उठेंगें…
(फिर योजनाबद्ध तरीके से टीना के नितंबों को अपने हाथों मे लेकर उसकी जांघों पर निशाना साधता है। अपनी जुबान से जांघों के अन्दरूनी हिस्सों पर अपने होंठों की मौहर लगाता है। अब तक टीना के कमसिन शरीर में एक जानी पहचानी उथल-पुथल आरंभ हो चुकी है। धीमी आग में सारा शरीर तपने लगता है और अनजानी बढ़ती हुई तड़प से टीना बिस्तर पर करवटें लेने में लग जाती है।)
टीना: उ.उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.
राजेश: (रुक कर) बेटा…अब मैं उपर से नीचे की आउँगा…(कह कर टीना को अपने शरीर से ढक देता है)
(राजेश अपने को एड्जस्ट करता हुआ टीना के उपर लेट जाता है। टीना के माथे को चूमता हुआ पलकों से होता हुआ होठों पर आ कर रुकता है। टीना के होंठों को अपने होंठों मे ले कर चूमने और चूसने का सिलसिला जारी रखता है। टीना भी अब पूरी निपुणता से राजेश का साथ देती है। टीना की जुबान अपने होठों मे दबा कर चूसता है और कभी अपनी जुबान टीना के होंठों के हवाले कर देता है। काफी देर टीना के गुलाबी होंठों को लाल करने के बाद, राजेश का ध्यान गरदन और कन्धों पर केन्द्रित हो जाता है। अब लगातार टार्गेट बदलने से राजेश के सीने ने टीना के उन्नत स्तनों को बड़ी बेरहमी से पीसना आरंभ दिया है। सब उचित-अनुचित भूल कर, टीना के अन्दर की धीमी जलती हुई आग अब भड़कने लगी है।)
टीना: प्पा.उई...पअआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…आह..ह..ह.
राजेश: बेटा…टाक्सिन बनने लगा है क्या…?
टीना: आह..ह..ह.हाँ…पा…पप्पा…
(नीचे की ओर खिसकता हुआ राजेश का ध्यान अब पूरी तरह अब टीना की अर्धनग्न उन्नत और सुडौल स्तनों पर आ टिकता है। तेज चलती हुई साँसें फूले हुए स्तनों में अजीब सी कँपन ला रहे है। क्षण भर रुक कर, एक बाज की तरह ब्रा समेत बायें स्तन को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लेता है और सोखना शुरु कर देता है। मुख से निकलती हुई लार महीन नाईलोन की ब्रा को पारदर्शी बना देती है। कभी नग्न हिस्से को निशाना बनाता है और कभी ढके हुए हिस्से को पूरा निगलने की कोशिश करता है। पारदर्शी ब्रा में से झाँकते हुए फुले हुए बायें ऊर्ध्व निप्पल को पहले अपनी जुबान के अग्र भाग से कुछ देर तक छेड़ता है और फिर धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है।)
टीना: प्पा.उई...पअआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…आह..ह..ह. (होश मे आते हुए) पा…उई…पा, यह हम एक्सरसाईज कर रहें है क्या…।
राजेश: (भावविभोर हो कर)…हूँ…हाँ, बेटा… टाक्सिन बनने लगा है क्या?
(बायाँ स्तन छोड़ कर अपना ध्यान दायें स्तन पर केन्द्रित करता है। फिर वही चूमने और चूसने के कार्यक्रम को दायें स्तन के साथ दोहराता है। टीना हर्षोन्मत्त हो कर सिर पटकती है। राजेश का मुख सुडौल स्तनों को पूरी तरह से अपने कब्जे मे ले कर सोखने में लग जाता है। कभी-कभी अपनी जुबान से फुले हुए ऊर्ध्व निप्पलों से छेड़खानी करता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है। टीना का शरीर अब उसके काबू मे न रह कर किसी गहरे उन्माद में तड़पता है। इसी उन्माद में टीना को एहसास होता है कि उसका योनिमुख अपने आप खुल-बन्द होने लगी है और उस मे से कुछ पिघलता हुआ लगातार बाहर की ओर बहने लगा है। राजेश का भी हाल टीना से भिन्न नहीं है। उसके लिंगदेव ने भी टीना की कमसिन जवानी की सुगन्ध लेकर लगातार अपने मुख से लार टपकाना आरंभ कर दिया है।)
टीन: उ.उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.
राजेश: आह..ह..ह.हाँ
(अपने उन्माद को काबू में कर के राजेश एक बार फिर नीचे की ओर बढ़ता है। पेट और कमर को लाल करके पैन्टी पर आकर रुकता है। अपने दोनों हाथों से टीना के नितंबों को थाम कर उपर की ओर उठाता है और अपने होंठों को नाईलोन की महीन पैन्टी से ढकी योनिमुख के होंठों पर लगा देता है। इस अप्रत्याशित वार से टीना कसमसा कर खड़े होने की कोशिश करती है परन्तु हिलने की वजह से थोड़ा सा योनिमुख खुल जाता है और तपाक से राजेश की जुबान अपना रास्ता ढूँढते हुए सीधा वार एंठीं हुई घुन्डी पर कर देती है। इस वार से तिलमिला कर टीना की योनि झरझरा कर बहने लगती है। राजेश की जुबान भी चटखारे ले कर महीन नाईलोन से छ्नते हुए अम्रित को पीने में लग जाती है। टीना के योनिच्छेद पर मुख लगा कर राजेश सारा अम्रित सोखने मे लग जाता है। कुछ क्षणों में एक बार फिर से लगातार झटके ले कर टीना की योनि में सैलाब आ जाता है जिसको राजेश फिर से चटखारे ले कर पी जाता है। इस बार टीना बिना कुछ बोले निढाल सी पड़ जाती है। उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगते है और फिर अंधेरा छा जाता है। राजेश भी थकान से निढाल हो कर टीना की योनि पर मुख रख कर पसर जाता है। दोनों अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में लाने की कोशिश करते है। थोड़े समय के बाद राजेश उठ बैठता है।)
राजेश: टीना…बेटा…टीना…
टीना: (अपनी साँसों को काबू मे लाती हुई) …हूँ …हाँ
राजेश: हमारा आधा रूटीन पूरा हो गया…आज तुमने बहुत सारा टाक्सिन निकाला है…देखो (पारदर्शी गीली पैन्टी के बीचोंबीच झाकँती हुई दरार पर उंगलियों को फिराता है। निढाल पड़ी टीना बिना हिले-डुले अबकी बार इस हरकत पर चिह्नकती नहीं बल्कि आँखें चार होते मुस्कुरा भर देती है।)
राजेश: कैसा लग रहा है…।
टीना: बहुत हल्का महसूस कर रहीं हूँ…पापा मेरे सारे कपड़े आपने गीले कर दिये…
राजेश: सारी बेटा, तुम इतनी सुन्दर हो की मेरे मुँह से लार निकलना बन्द ही नहीं हो रही थी…जैसे ही मैं (टीना के स्तन पर हाथ फिराते हुए और उँगलियों मे निप्पल को पकड़ कर तरेड़ते हुए) इन के पास पहुँचा तो मेरा बाँध टूट गया और मेरे मुख में सैलाब उमड़ पड़ा।
टीना: क्या अब मुझे भी यही सब करना है…
राजेश: हाँ, अगर तुम नहीं चाहती तो मत करो…लेकिन मैने तो तुम्हारे द्वारा बनाए सारे विटामिन सोख लिए परन्तु तुमको इस एक्सरसाईज से फायदा लेना है…तुम इसका पूरा फायदा नहीं उठा पाओगी…
टीना: पापा…मुझे अजीब सा लग रहा है… मैं कपड़े बदल कर आती हूँ…तब मै आपका वाला रूटीन करने की कोशिश करूँगी…
राजेश: बेटा, आज के रूटीन का तो सिर्फ एक ही सेट है फिर बदल कर कौन से कपड़े पहनोगी? इन्हें पहने रहो…अभी कुछ देर मे अपने-आप सूख जाएँगे…वरना तुम अपनी कोई पुरानी काटन की ब्रा और पैन्टी पहन लो क्योकिं तुम्हारा कास्ट्यूम छोटा और टाईट है…
टीना: मुझे गीलापन सता रहा है…मै अपने पुराने कपड़ों में से काटन की ब्रा और पैन्टी निकाल कर ले आती हूँ…
(इतना कह कर उठ कर अपने कमरे की ओर जाती है…)
(टीना अपने पुराने कपड़ों को खंगाल कर पुरानी काटन की ब्रा और पैन्टी निकालती है…बाथरूम में जाकर बदलती है। बहुत तंग होने के कारण ब्रा के हुक दोनों स्तनों को कस कर भींचने के बाद भी नहीं लग पाते। जैसे-तैसे बेचारी साँस रोक कर बड़ी मुश्किल से हुक को लगा कर पैन्टी पहनने की कोशिश करने के लिए झुकती है तो ब्रा का एक हुक खिंच कर टूट जाता है और पैन्टी को उपर खींचती है तो साइड की सिलाई उधड़ जाती है। नीचे से राजेश की आवाज सुनाई देती है)
टीना: पापा, अभी आई… (इतना कह कर नीचे की ओर भागती है)
राजेश: बेटा जल्दी से आओ क्योंकि थोड़ी देर में मम्मी के आने का टाइम हो जाएगा…हमें यह रूटीन आज ही पूरा करना है…क्योकिं कल फिर मसल की एक्सरसाइज करनी होगी…।
(राजेश पूरी तरह नग्न सिर्फ एक वी-शेप ब्रीफ में बेड पर सीधा लेटा हुआ है। उसका जननांग महीन से नाईलान के कपड़े को कान्डम की तरह ओड़ कर किसी अजगर की भाँति हवा में लहराते हुए झटके खा रहा है। टीना झिझकती हुई बेड के पास आती है।)
राजेश: बेटा, इस रूटीन में सिर्फ तुम्हे अपने मुख का इस्तेमाल करना है। तुम्हें याद है न कि मैने शुरु कहाँ से किया था…
टीना: (मुस्कुरा कर) हूँ…पापा आपके पाँव पर तो बाल हैं…सब मुँह मे आएँगे…
राजेश: (हँस कर) ठीक है…तो वहीं से शुरु करो जहाँ पर तुम्हें बाल नहीं दिख रहे…मेरे होंठों पर तो बाल नहीं है…वहीं से शुरु करो…
टीना: हाँ (मन ही मन सोचती है कि इसी बहाने उस फनफनाते हुए अजगर से तो दूर होगी)… यही ठीक जगह है
(टीना साईड से राजेश के मुख की ओर बढ़ती है। झुक कर राजेश के होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त मे ले लेती है। टीना अपनी जुबान से राजेश के होंठों को नापने में लग जाती है और उधर राजेश भी उसके होंठों को चूस कर गुलाबी से लाल कर देता है। दोनों कि जुबान भी द्वंद्वयुद्ध में लग जाती है। कभी टीना राजेश के गले की गहराई नापती है और कभी राजेश टीना के गले की गहराई नापता है। दोनों उत्तेजना मे हाँफते हुए एक दूसरे से अलग होते है।)
राजेश: बेटा, यहाँ पर बड़ी देर से काम कर रही हो… अब आगे…
टीना: पापा, बाकी सब जगह तो आपके बाल आड़े आ रहे है…
राजेश: न बेटा, तुम भूल रही हो…मेरा एक अंग तुम्हें बुला रहा है…(आँखों से अपने हथियार की ओर इशारा कर के बताते हुए) …
टीना: नौटी पापा…मैं नहीं कर पाउंगी…बहुत बड़ा और मोटा है…।
राजेश: बेटा प्लीज्…ऐसा न कहो…आज सुबह से मै इसी……मेरा यह मतलब है कि मै सुबह से आज के रूटीन के बारे मे सोच रहा था कि तुम्हारे सारे टाक्सिन को मै कैसे पी पाउंगा पर तुम्हारी आँखों में मेरे लिए असीम प्यार को देख कर मै अपने आप को चाह कर भी रोक नहीं सका।
टीना: (इतना सुन कर) ठीक है पापा…आप बताते जाइए…मैं वैसा ही करती जाऊँगी।
राजेश: सबसे पहले तो मेरी दोनों टांगों के बीच में घुटनों के बल बैठ जाओ। फिर अपने होंठ खोल कर आईसक्रीम की तरह जुबान से इसके सिर को चाटो और मुँह को खोल कर सोखना शुरु कर दो…
(टीना शर्माते हुए दोनों पाँवों के बीच में जाकर बैठ जाती है। जैसे झुक कर लिंगदेव के नजदीक पहुँचती है, लिंगदेव एक झटका ले कर टीना के होंठों पर वार कर देते हैं। बेचारी नादान टीना इस अप्रत्याशित वार से डर कर पीछे होती है तो उसकी पैन्टी की सिलाई और उधड़ जाती है।)
राजेश: क्या हुआ…
टीना: यह मारता है…
राजेश: कौन मारता है…
टीना: (शर्माते हुए इशारा करते हुए) यह्…
राजेश: यह कौन?
टीना: (ठुनकते हुए) पापा…आप बहुत नौटी हो…
राजेश: बेटा, यह तुम्हें बहुत प्यार करता है, यह अपना प्यार दिखा रहा था।
टीना: अच्छा जी…(प्यार से हिलते हुए लिंगदेव को हल्की सी चपत लगाती है)…पापा यह बहुत हिल रहा है…
राजेश: ठीक है, बेटा इसकी गरदन से पकड़ कर इसके सिर को अपने मुख में लेकर आइसक्रीम की तरह सोखना शुरु करो…।
(टीना तन्नायें हुए लिंगदेव को अपने हाथों मे थाम कर पुचकारती है और फिर अपने होंठों को थोड़ा सा खोल कर सिर को मुख में ले कर चूसने का प्रयत्न करती है। नरम हाथ का स्पर्श पा कर लिंगदेव एक बार अपनी सारी उर्जा टीना के हाथों पर तब्दील कर देते है। टीना झीने से कपडे में से भी गर्मी महसूस करती है)
करीना: पापा…यह तो बहुत तप रहा है…आह.....
राजेश: वेरी गुड…बेटा अपना मुँह खोलो इसके सिर को पूरा मुख में भर कर सोखो…जिससे यह ठंडा हो जाए…
(टीना अपना पूरा मुख खोल कर लहराते हुए अजगर का सिर को अन्दर लेकर चूसना आरंभ करती है। राजेश भी नीचे से अपने नितंबों को उठा कर लिंगदेव को अन्दर ढकेलने की कोशिश करता हुआ टीना के मुख को सीलबन्द कर दिया।)
टीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.…आह....(मुख से लिंगदेव को बाहर निकालने की कोशिश करती है)….
(साँस घुटती हुई लगी तो टीना को साँस लेने के लिए मुख पूरा खोलना पड़ गया, राजेश ने वक्त की नजाकत को समझते हुए थोड़ा और अन्दर सरका दिया। राजेश थोड़ा अपने को उपर खिसका कर लिंग का दबाव बढ़ा कर और अन्दर खिसका देता है। कुछ मिनट यह मुख के अन्दर-बाहर का दौर चलता रहा और लगातार लिंग के सिर पर टीना के होंठों के घर्षण से झट्के के साथ उबलता हुआ लावा टीना के मुख मे महीन कपड़े से छ्न कर बेरोकटोक बहने लगा। इस अचानक सैलाब से घबरा कर बेचारी टीना ने अपने आप को पीछे किया तो दूसरा और आखिरी हुक ने भी जवाब दे दिया। ब्रा के नीचे गिरने से उन्नत स्तन अवतरित हो गये। राजेश ने उठ कर टीना के सिर पर दबाव दे कर लिंगदेव को उसके मुँख से बाहर नहीं निकलने दिया जब तक कि वह सारा लावा गटक नही गयी। तूफान आ कर थम गया। दोनों अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसो को काबू करने मे लगे थे। राजेश ने आगे बढ़ कर टीना को अपने आगोश में ले कर बेड पर लेट गया और नग्न स्तनों के साथ खेलने लगा)
राजेश: टीना…टीना…
टीना: (रुआँसी आवाज में) पापा…मेरा दम ही निकल गया। मुझसे साँस लेने में तकलीफ हो रही थी कि आपने इसे मेरे मुँह में पूरा धँसा दिया…मेरी तो जान ही निकल गयी…
राजेश: (धीरे से एक स्तन को दबाते हुए) टीना…यह पहली बार बहुत जरूरी होता है। मुझे एलन अंकल ने कहा था कि एक बार इसका टेस्ट कराना जरूरी होता है… इसी लिए मुझे ऐसा करना पड़ा… कैसा लगा?
करीना: (शर्माती हुई) हुं…ठीक है
राजेश: अच्छा अब पूरा रूटीन हो गया है (अचानक टीना को एहसास होता है कि उसका सीना नग्न है और राजेश की हथेली ने एक स्तन को ढक रखा है और उसकी उंगलियों के बीच में गुलाबी निप्पल मुँह उठाए खड़ा हुआ है)
टीना:…पापा…यह क्या…(झेंप कर अपने हाथों से ढकने की कोशिश करते हुए)…
राजेश: कुछ नहीं बेटा…इनकी मालिश कर रहा हूँ जिससे यह हमेशा सुडौल और उन्नत रहे…क्या तुम्हारा रूटीन एक बार फिर कर लें…अभी तो बहुत टाइम है…
क्रमशः
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