RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--5
गतान्क से आगे..........
राजेश: मेरी गुड़िया सी बेटी ने एक चीज चाही, क्या मै पैसों की ओर देखता। मै तो अपनी बेटी से बहुत प्यार करता हूँ। हाँ, मेरी बेटी तो मुझे अपने काबिल नहीं समझती यह अलग बात है।
टीना: (प्यार से राजेश के पेट पर अपनी एक टांग रख देती है) ऐसी बात नहीं है। पापा, हम दोनों एक दूसरे के पार्टनर बनेगें।
राजेश: नहीं बेटा, कोई जरुरी तो नहीं। (टीना को अपने उपर खींचकर लिटा लेता है। टीना के चेहरे को अपने हाथों मे ले कर) तुम अभी हामी भर रही हो, लेकिन ट्रेनिंग के बीचोंबीच छोड़ने पर मुझे काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। (लुगीं में राजेश का तन्नाया हुआ लिंग टीना की जांघों के बीचोंबीच आ टिकता है। टीना को फिर से एक बार किसी कठोर चीज का एहसास होता है। वह कसमसाती है और हिलने से उसकी अर्धविकसित छोटी-छोटी घुन्डियां रगड़ खा कर खड़ी हो जाती है।)
टीना: न……हीं पा…पा (उत्तेजना से काँपते हुए) मुझे आपके साथ ट्रेनिंग करनी है।
राजेश: (खुशी से टीना को अपनी बाँहों में भर कर अपनी बालिष्ट छाती से टीना के स्तनों को पीस देता है) ठीक है। कल मैं तुम्हारा नाप लेने डौली को भेज दूंगा जिससे तुम्हारा कोस्ट्यूम टाईम से तैयार हो जाए और हम एक्स्र्साईज भी शुरू कर दें। अच्छा इसी बात पर क्या मेरी बेटी मुझे प्यार से एक चुम्बन देगी?
टीना: हुँ… अब से जब भी आप चाहें, मुझे बता दें। (टीना झुक कर राजेश के होंठों पर अपने होठ रख कर चूमने और चूसने का दौर शुरु कर देती है। राजेश के दोनों हाथ टीना के नग्न नितंबों को गूँथना आरंभ कर देते है। टीना की आँखों में एक बार फिर से लाल-लाल डोरे तैरने लगते है। इसी कश्मकश में मासूम टीना अपनी आँखे मूंद लेती है। छातियों की गुलाबी घुन्डियों बार-बार रगड़ खाने से लाल हो जाती है। नीचे योनिद्वार में एक मीठी सी अकड़न होने लगती है और सारे शरीर में करन्ट प्रावाहित होना शुरु कर देता है। नीचे लिंगदेव टीना को अपनी पूरी कठोरता का एहसास कराते हुए योनिद्वार पर बार-बार ठोकर मारना शुरु कर देते है।)
राजेश: बेटा मुझे लगता है तुम्हारे प्यार की वजह से मेरे शरीर मे टाक्सिन बनने शुरु हो गये है। क्या तुमको भी ऐसा ही मह्सूस हो रहा है?
टीना: (अपने जुबान राजेश के होठों पर फिराते हुए) हुँ…हुँ…
(टीना के होठों को चूसते हुए राजेश एक झटके से करवट लेता हुआ पोजीशन बदलता है और टीना को अपने नीचे दबा लेता है। हल्के-2 हाथ से नग्न नितंबो को सहलाते हुए, कुछ दबाते हुए और अपने हथियार को बेटोक योनिच्छेद पर घिसते हुए राजेश पूरी हरकत मे आ गया है। अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से बेबस टीना का बायां पाँव उपर उठा कर अपने लिंग को ढकेलता है। एक हल्की सिसकारी के साथ टीना कस के राजेश को चिपट जाती है।)
टीना: पा .उई....प.आ...पा.…उ.उ.उ...आह.....
राजेश: बेटा…(बात करते हुए, राजेश अपने तन्नाए हुए लिंग को भीषणता से ठेलता है। राजेश बार-बार टीना के गालों को चूमता, नीचे से अपने लिंग को धीरे से ठेलता हुआ अपनी चरम सीमा की ओर बढ़ता है। बार-बार नितम्बों पर दबाव, लगातार घर्षण और ठोकर से टीना की योनिद्वार के मुख से गर्म लावा बह निकलता है, टीना बदहवासी मे राजेश से कस कर लिपट जाती है। राजेश के तन्नाये लिंगदेव भी गुस्से से लावा उगलना शुरु कर दिया।)…बेटा…मेरे शरीर में से सारा टाक्सिन बाहर निकल गया।
टीना: (उत्साहित स्वर में) पापा, मेरा भी निकल गया।
(कुछ देर दोनों एक दुसरे के साथ लिपटे हुए अपनी-अपनी साँसों को काबु में लाते है। राजेश एक बार फिर से टीना के होठों को चूमता है। धीरे से अपने को टीना से अलग करता है। टीना के गालों पर हाथ फेरता है।)
राजेश: अब से हम ट्रेनिंग पार्टनर हैं।
टीना: (शर्माते हुए) हाँ। परन्तु परसों से।
राजेश: बेटा, मै अब जाता हूँ, बहुत रात हो गयी है तुम अब सो जाओ।
(यह कहते हुए राजेश अपनी अस्त-व्यस्त लुंगी को सम्हालता हुआ कमरे से बाहर चला जाता है। परन्तु टीना की आँखो मे नींद कहाँ, वह तो बार-बार उस रहस्यमयी कठोर चीज के बारे सोच रही है। इसी उधेड़बुन में निढाल सी पड़ी हुई टीना को अपनी पैन्टी के अन्दर कुछ गीलेपन का एहसास होता है। लेटे-लेटे ही वह अपनी पैन्टी को उतारती है और गीली जगह को सूंघ कर और छू कर देखती है। एक बार फिर से वही चिपचिपेपन को महसूस करती है। टीना उठ कर अपने बाथरूम मे जाकर फुल साइज आइने के सामने खड़ी हो कर अपने निचले हिस्से पर नजर डालती है। दो संतरे की जुड़ी हुई फाँके समान सफाचट गोरी योनि, हल्के भूरे रोएँ और योनिमुख के पास काला तिल देख कर रोमांचित हो उठती है। दो फाँकों के जोड़ पर धीरे से उँगली फिराती हुई उन्हें खोलने का प्रयत्न करती है। कुछ सोच कर वापिस बेड पर आकर लेट जाती है और पिछ्ले दो दिनों के अनुभव के बारे मे सोचते हुए और अगले दिन ट्रेनिंग कोस्ट्यूम की आस में सो जाती है।)
सीन-9
(शाम का समय, मुमु और टीना ड्राइंगरूम में बैठीं हुई हैं। डौली के न आने की वजह से टीना का मूड खराब है। घंटी बजती है, मुमु उठ कर दरवाजा खोलती है। करीना का आगमन्।)
मुमु: करीना, पाँव कैसा है?
करीना: हाय आंटी, अब ठीक है। हाय टीना…
टीना: (बुझे मन से) हाय करीना।
करीना: क्या बात है, आज नहीं चहक रही है। क्या मूड खराब है?
(पोर्च में कार रुकने की आवाज आती है। मुमु दरवाजे की ओर बढ़ती है)
मुमु: टीना लगता है कि तेरे पापा आ गये।
टीना: मुझे क्या। मै उनसे नाराज हूँ। मै उनसे बात नहीं करुंगी। चल करीना मेरे कमरे मे चलते है। (यह कहते हुए खड़ी हो कर करीना का हाथ थाम कर अपने कमरे मे करीना को ले जाती है।)
(राजेश और डौली का आगमन)
मुमु: हाय डौली। यह डौली तुम्हें कहाँ मिल गयी।
डौली: क्या यार, मैनें राजेश को फोन किया था कि घर जाते हुए मुझे फिट्नेस सेन्टर से लेता हुआ जाए क्योंकि तुम्हारा एक ट्रेनिंग कोस्ट्यूम तैयार हो गया था तो मैनें सोचा कि ट्राई करवा लूँगी तो बाकी पीसिज के लिये अच्छा रहेगा। इसी लिए तुम्हारी सेवा मे हाजिर। चलो जल्दी से ट्राई कर लो क्योंकि मुझे अभी वापिस जाना है।
मुमु: तुम्हारी लाडली नाराज बैठी है। बहुत गुस्से मे है।
(कोस्ट्यूम ले कर बाथरूम की ओर जाती है)
राजेश: (आँख मारते हुए) डौली, प्लीज तुम टीना के पास जाओ और कुछ मेरी सिफारिश कर दो। वैसे ही माँ और बेटी ने मेरी हालत पतली कर रखी है।
(डौली उठ कर टीना के कमरे मे चली जाती है। कुछ देर के बाद मुमु अपने कोस्ट्यूम पहन कर आती है। राजेश के मुख से सीटी निकल जाती है। गुलाबी रंग की स्पैनडक्स की टाईट वेस्ट जो सिर्फ मुमु के भारी वक्षों को बामुश्किल ढक पा रहे थे, सिर्फ जांघों तक की काली स्किन टाईट स्पैनडक्स पैन्ट, जो नीचे के सभी कटावों पर चिपक जाने से, आगे-पीछे के खास कटाव और भी ज्यादा उभर कर साफ तौर पर झलक रहे थे।)
मुमु: डौली कहाँ है? क्या मैं यह पहन कर ट्रेनिंग करुँगी?
राजेश: क्यों इसमे क्या खराबी है, बहुत सैक्सी लग रही हो। मुझे तो डर है कि कोई तुम्हें भगा के न ले जाए। मैने डौली को टीना को मनाने उपर भेजा है।
(थोड़ी देर बाद डौली टीना और करीना को ले कर नीचे आ गयी। टीना खुश हो कर राजेश के गले से लग जाती है। करीना के उपर नजर पड़ते ही राजेश झेंप जाता है। इधर करीना भी राजेश से नजर चुराती है। मुमु को कोस्ट्यूम मे देख कर टीना और करीना एक साथ हँस पड़ती है। दोनों को हँसता देख कर मुमु भी शर्माती हुई डौली की ओर शिकायती नजरों से देखती है।)
डौली: ऐसे क्यों देख रही हो। तुम तो बहुत सुन्दर लग रही हो। क्यों लड़कियों क्या ख्याल है?
टीना: मम्मी तुम बहुत सैक्सी लग रही हो।
मुमु: तेरे पापा भी यही कह रहें है।
करीना: नहीं आंटी, सच में आप बहुत अच्छी लग रहीं है।
डौली: लाजवाब फिटिंग है। मै अब चलती हूँ, राजेश तुम मुझे अपनी कार से वापिस सेन्टर पर छोड़ दो।
राजेश: यार, इतनी जल्दी किस बात की कर रही हो। कुछ देर ठहरो, चाय और नाश्ता कर के चलते हैं।
डौली: नहीं, मुझे जल्दी है। आज एलन भी सेन्टर पर नही है। मुझे निकलना चाहिए।
राजेश: चलो, फिर तुम्हें छोड़ कर मै कपड़े बदलूँगा।
(राजेश और डौली घर के बाहर निकल जाते है। मुमु भी अपने कपड़े बदलने बाथरूम मे चली जाती है। दोनों सहेलियाँ खुसर-पुसर मे लग जाती है और चलते हुए टीना के कमरे की ओर बढ़ जाती है। एक घंटे के बाद, राजेश का आगमन। राजेश सीधा अपने बेडरूम मे कपड़े बदलने चला जाता है और मुमु रसोई मे चाय बनाने चली जाती है। राजेश बनियान और रेशमी लुंगी मे सोफे पर आ कर बैठ जाता है और धीरे से चाय की चुस्की लेता है। मुमु भी राजेश के नजदीक आ कर बैठ जाती है)
मुमु: सच कहना, क्या मै कोस्ट्यूम मे बहुत बुरी दिख रही थी?
राजेश: पागल हो तुम। सच, तुम तो कोस्ट्यूम मे बहुत खूबसूरत दिख रहीं थी। सच मानो तुम लीना की बड़ी बहन लग रही थी।
मुमु: चलो झूठे। लेकिन कल से तुम्हें घर जल्दी आना पड़ेगा क्योंकि ट्रेफिक का ख्याल रखते हुए मुझे पाँच बजे निकलना चाहिए।
राजेश: तुम आराम से जाओ। यहाँ की फिकर करनी छोड़ दो। मै कल से ठीक टाईम से आ जाउँगा।
(मुमु खाने की तैयारी करने रसोई में चली जाती है। अंधेरा गहराता हुआ, करीना और टीना बात करते हुए सीड़ीयों से नीचे उतर कर दरवाजे की ओर बड़ते है।)
राजेश: भई, रात में यह जोड़ी कहाँ चल दी?
टीना: पापा, मै करीना को घर छोड़ने जा रही हूँ।
राजेश: (मुस्कुराते हुए) क्या बात है करीना, न कोई हैलो-हाय, बस चुपचाप आयीं और चल दी।
करीना: (नजरें चुराती और झेंपती हुई) ऐसी कोई बात नहीं अंकल्। (दोनों की नजरें मिलती है, एक बार फिर से करीना नजरें नीचे कर लेती है।)
राजेश: तुम्हारे पापा टूर से वापिस आ गये?
करीना: (नीची नजरें किये) अभी नहीं। वह तो अगले हफ्ते वापिस आएगें।
टीना: क्या हम जाएं अब?
राजेश: क्यों तुम्हारी सहेली को मेरा बात करना अच्छा नहीं लगता? (यह सुन कर करीना शर्माती है) खाने का टाईम हो रहा है, आज करीना तुम हमारे साथ खाना खा कर जाना।
टीना: हाँ करीना। तू हमारे साथ खाना खा कर जाना। मै मम्मी से कह देती हूँ कि वह तेरी मम्मी को फोन पर बता दें।
करीना: नहीं, पापा भी नहीं है और घर पर सब इंतजार करेंगे। रात भी हो गयी है मैं चलती हूँ।
(फोन की घंटी बजती है। राजेश टीना की ओर इशारा करता है। टीना फोन पर बात करती है तो पता चलता है कि लीना का फोन है। दोनों बहनें लम्बी बातें शुरु कर देती है। करीना सकुचाई सी घर जाने के लिये दरवाजे पर निगाहें झुकाए खड़ी है।)
राजेश: मुमु लीना का फोन है। (मुमु भाग कर आती है और टीना के हाथ से फोन ले लेती है।)
टीना: मम्मी मुझे दीदी से जरूरी बात करनी है, फोन बन्द मत करना। (मुमु के साथ खड़ी हो जाती है। टीना की नजर करीना पर पड़ती है)
टीना: पापा प्लीज आप करीना को घर तक छोड़ दो क्योंकि मुझे दीदी से बात करनी है।
करीना: नहीं ठीक है। अभी इतनी रात नहीं हुई है। मै चली जाउँगी।
राजेश: क्यों भई, प्रामिस आज मै तुम्हें नहीं गिरने दूँगा। ठहरो, मै शर्ट पहन कर आता हूँ।
(इस से पहले करीना न नुकर करे, राजेश शर्ट पहनने अपने कमरे मे चला जाता है। करीना बेबसी की हालत में खुले दरवाजे के सामने खड़ी रह जाती है। कुछ पलों मे राजेश शर्ट के बटन लगाते हुए करीना की तरफ आता है। नजरें मिलते ही राजेश मुस्कुरा देता है। करीना एक बार फिर से झेंप जाती है।)
राजेश: आओ चले।
(करीना का हाथ थाम कर बाहर निकल आता है।)
सीन-10
(रात का समय, अंधेरा गहराता हुआ। सड़क पर गाड़ियों की आवाजाही भी कम होती हुई। दूर-दूर बसे हुए घरों से आती हुई रोशनी भी बाहर का अंधियारा मिटाने मे नाकामयाब होती लग रही है। राजेश प्यार से करीना को निहारता है। चांदनी रात में फूल और पत्तियों के डिजाइन कि घुटने तक की फ्राक पहने करीना गजब की लग रही थी। राजेश सिर्फ शर्ट और लुगीं पहने करीना के उमड़ते हुए यौवन के हर कटाव को आँखों से पीने की कोशिश में लगा हुआ था। चलते हुए राजेश हल्के से करीना कि बाँह थाम लेता है।)
राजेश: क्या बात है करीना आज बहुत चुप हो। तुम ठीक तो हो?
करीना: अंकल ठीक हूँ। बस…ऐसे ही आप को लग रहा है।
राजेश: (पैंतरा बदलते हुए) तो तुम मुझे आज इतनी सुन्दर क्यों लग रही हो?
(राजेश उसका हाथ छोड़ कर अपना हाथ करीना के कंधे पर रख देता है और अपनी ओर खींच कर सटा लेता है।)
राजेश: करीना तुम्हारी फ्राक बहुत सुन्दर है। (अपना हाथ करीना के कंधे से सरकाता हुआ कमर तक ले जाता है जैसे कि कपड़े की सलवटें हटा रहा हो। करीना के सारे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। असमंजस में अलग होने की कोशिश करती है परन्तु राजेश कमर को कस कर थाम लेता है।)
करीना: अंकल कोई देख लेगा…
राजेश: क्या देख लेगा? यही कि मैं तुम्हें बड़े संभाल के ले जा रहा हूँ। यह सब छोड़ो, मुझे सच सच बताओ कि कल तुम्हें आराम से नींद आ गयी थी।
करीना: आप ऐसे क्यों पूछ रहे हो…
राजेश: रात भर मै नहीं सो सका, इसीलिए।
करीना: क्यों…
राजेश: मुझे डर था कि कहीं मेरे हाथ की चोट की वजह से तुम्हारे सीने में कैंसर न हो जाए। अगर ऐसा हुआ तो मै जीते जी मर जाउँगा।
करीना: नहीं, मुझे कुछ नहीं हुआ।
राजेश: तुम्हें क्या पता इन सब चीजों का, तुम तो अभी बच्ची हो। हाँ, तुम अगर चाहो तो मेरी परेशानी दूर कर सकती हो।
करीना: कैसे…
राजेश: (बड़े भोलेपन से) एक बार मै देख लूँ कि सब ठीक है तो मुझे विश्वास हो जाएगा।
करीना: नहीं अंकल, किसी ने देख लिया तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी। नहीं, बिलकुल नहीं।
राजेश: (अपना हाथ कमर से सरकाते हुए पीठ पर ला कर) पाँच कदम पर वही पगडंडी आ जाएगी, अगर तुम कहो तो दो मिनट के लिए नीचे उतर कर झुरमुटों के पीछे चल कर मुझे दिखा दो तो मेरी टेन्शन कम हो जाएगी। प्लीज करीना।
करीना: नहीं अंकल, किसी को पता चल गया तो आफत आ जाएगी।
राजेश: कौन बताएगा, तुम या मैं, हम दोनों तो बताने से रहे तो फिर कौन।
(करीना के घर की ओर जाने वाली पगडंडी पर पहुँच कर करीना की पीठ पर हल्का सा जोर लगाते हुए नीचे की ओर झुरमुटों के पीछे ले जाता है।)
राजेश: प्लीज करीना, मेरी चिन्ता को दूर करो। (बात करते हुए फ्राक के पीछे लगे हुए हुक धीरे से खोल देता है।)
करीना: (डरते-डरते) अंकल प्लीज जल्दी किजीए।
(राजेश पीछे से खुले हुए स्थान मे हाथ सरकाते हुए आगे बढ़ा कर ब्रा के उपर अपनी हथेली बायें उरोज पर टिका देता है। करीना चिहुँक उठती है। राजेश पीछे से आकर दायाँ उरोज भी अपनी हथेली मे ले लेता है। करीना के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ब्रा के उपर से ही राजेश सहलाने, दबाने और मसलने का कार्य आरंभ कर देता है। इधर उत्तेजना में करीना की साँसे तेज होने लगी और उधर राजेश का मतवाला हथियार पूरे जोश में आ कर नितंबो पर दबाव बढ़ाने लगा है। धीरे से राजेश एक हाथ से ब्रा का हुक खोल देता है। इससे पहले नादान करीना को इसका आभास हो, राजेश की हथेलियाँ करीना के नग्न, सुडौल और उन्नत उरोजों को अपने कब्जे मे ले लेती है। अब बिना रुके राजेश सहलाने और दबाने के कार्य में लीन हो गया है। कभी अपनी उँगली को सुप्तअवस्था मे पड़ी चोटियों पर फिराता और कभी बीच-बीच में खड़ी हुई घुन्डियों को दो उँगलियों मे फँसा कर तरेड़ता। लुंगी से ढके अपने तन्नाये हुए लिंग को नितंबो कि दरार मे फसाने की कोशिश करता हुआ राजेश करीना के कानों पर चुम्बनों की झड़ी लगा देता है।)
राजेश: करीना
करीना: हुं…
राजेश: मुझे आगे से देखना है क्योकि मुझे तुम्हारे सीने मे कोई सूजन तो नहीं महसूस हो रही है। (इससे पहले करीना कुछ बोले राजेश घुमा कर अपने सामने कर लेता है। शर्म और उत्तेजना से लाल हुई करीना अपनी नजरें झुका देती है। राजेश धीरे से उपर से खुली हुई फ्राक को नीचे सरका कर दोनों उन्नत पहाड़ियों को अनावरित कर देता है। कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे घुन्डियों को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक देता। यह कार्यक्रम कुछ देर चलने के बाद, राजेश ने अपने दोनों हाथों मे करीना का चेहरा लेकर अपनी ओर किया। आँखे मुदें हुए करीना का चेहरा उत्तेजना से लाल और दोनों होंठ ह्ल्के से खुले हुए देख कर राजेश अपने आप को रोक नहीं सका और तड़ से उन थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में ले लिया। नादान करीना ने भी एक अनजान सफर पर चलने के लिये अपने आप को राजेश की बाँहों मे ढीला छोड़ दिया। वासना की आग मे झुलसते दोनों धम्म से जमीन पर बैठ जाते जैसे की पैरों की जान ही निकल गयी हो।)
राजेश: करीना
करीना: हुं…
राजेश: (करीना को अपनी गोद में खींचते हुए) करीना कैसा लग रहा है… तुम्हारी सुन्दरता को देख कर (नीचे की ओर झुक कर बायें वक्ष पर चुम्बन जड़ देता है) मै अपने को काबू में नहीं रख सका (और फिर पूरा बाँया वक्ष अपने मुँह में समाने के लिये कोशिश करता हुआ, जुबान से फूले हुए निपल को छेड़ता है)।
करीना: .उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…आह.....
(राजेश का एक हाथ दाएँ वक्ष के मर्दन में लग जाता है और दूसरा हाथ फ्राक के नीचे खिसक कर पैन्टी के उपर से ही योनिमुख को टटोलता है।)
करीना: (इस दो तरफा वार से छ्टपटती हुई) .उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…क्या कर आह.हो....(करीना अपने दोनों हाथों से राजेश का हाथ पकड़ने की कोशिश करती है, पर राजेश की उँगलियों पैन्टी को एक तरफ सरका कर जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को अलग करने मे जुट जाती है। राजेश की उंगली योनिच्छेद में जगह बनाती अकड़ी हुई घुन्डी पर जा टिकती है।)
करीना: .उई...माँ….अँ.क.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....
(अचानक कुछ आह्ट सुनाई देती है, दोनों चुपचाप पड़ जाते है। दो लोग आपस में बात करते हुए पगडंडी पर चले आ रहे है। राजेश करीना को चुप रहने का इशारा करता है, परन्तु अपनी उंगली से घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। बेबस हुई करीना इस नये वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश अपने होठों से करीना के होंठों को सीलबन्द कर देता है, अपने एक हाथ से कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निपल को फँसा कर खींचता, कभी एक पहाड़ी को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। ऐसे तीन तरफा वार को करीना बरदाश्त नहीं कर पायी और असीम आनंद की सिसकियाँ गले में घुट कर रह गयी और झटके लेते हुए ढेर होई। अब तक जाने वाले भी चले गये थे और पगडण्डी पर भी शान्ति छा गयी।)
राजेश: (करीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) करीना…करीना…
करीना: (शर्म से अधमरी हुई जा रही) हुं…
राजेश: क्या हुआ…कैसा लग रहा है?
करीना: हुं…ठीक हूँ…
राजेश: बताओ तो, कैसा लगा… आज तुमने जवानी की देहलीज पर पहला कदम रख लिया है। कैसा लगा…
करीना: अंकल यह गलत है। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था।
राजेश: मै तुम्हारी सुन्दरता पर मर मिटा हूँ (इतना कह कर एक बार फिर से नीचे की ओर झुक कर बायें वक्ष पर चुम्बन जड़ देता है) तुम इतनी सुन्दर हो कि मै अपने को काबू में नहीं रख सका (और एक बार फिर से कभी जुबान से फूले हुए निपल को छेड़ता और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है)।
करीना: (राजेश को ढकेलती हुई) .उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…आह.....
(एक बार फिर से राजेश का हाथ फ्राक के नीचे खिसक कर योनिमुख को टटोलते हुए पैन्टी के गीलेपन को महसूस करता है।)
करीना:.उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…क्या कर आह.हो....(करीना अपने दोनों हाथों से राजेश का हाथ पकड़ने की कोशिश करती है, पर राजेश अपनी उँगलियों दोनों ओर से पैन्टी की इलास्टिक मे फसाँ कर नीचे की ओर घुटनों तक सरका देता है। हल्की रोशनी में राजेश के सामने सफाचट और फूले हुए पाव की भाँति जुड़ी हुई संतरे की फाँकें विद्दमान होती है। इस नजारे को देख कर राजेश की उत्तेजना चरम-सीमा पर पहुँच जाती है।)
राजेश: करीना…जरा उठो, जमीन पर बैठने से फ्राक गन्दी हो जाएगी। ठहरो मै अपनी लुगीं बिछा देता हूँ।
करीना: अंकल्…न (राजेश हाथ पकड़ कर करीना को उठा देता है।)
राजेश: (लुगीं उतारते हुए) करीना अपनी आँखे बन्द कर लो, क्योंकि आज मै तुम्हें जवानी के दूसरे कदम का भी आभास करा देता हूँ। (लुगीं को उतार कर जमीन पर बिछा देता है और करीना की तरफ बड़ता है।)
(करीना चुपचाप कनखियों से राजेश की ओर देखती है तो उसकी निगाहें लिंगदेव पर पड़ती है। गोरे रंग का सर उठाए लम्बा, परन्तु बहुत मोटा, हर चाल पर पेट से टकरा कर सलामी देता हुआ। कौतुहलवश चुपचाप जड़वत खड़ी रह जाती है। राजेश उसे गोदी मे भरकर जमीन पर लिटा देता है। बदहवासी में करीना खुद को अलग करने मे जुट जाती है। राजेश (69) पोजीशन मे आ कर अपने शरीर से करीना का बदन ढक देता है। बड़े प्यार से जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपनी जुबान टिका देता है।)
करीना: .उई...माँ….अँ.क.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....
(राजेश अपनी जुबान से घुन्डी के उपर घिसाव आरंभ करता है। बेबस हुई करीना इस नये वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश अपने होठों से करीना की योनि को अपने कब्जे में ले कर बार-बार अपनी जुबान को योनिच्छेद के अन्दर डालने का प्रयास करता है। उधर उत्तेजना में तड़पती करीना के चेहरे और होंठों पर तन्नाये हुए लिंगदेव भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है। बेचारी करीना अपना चेहरा बचाने की कोशिश में राजेश के लिंग को अपने हाथ में ले लेती है। नरम हाथ का स्पर्श पा कर लिंगदेव एक जिवित गर्म लोहे की सलाख में तब्दील हो जाते है।)
करीना: उ.उई...अँ.उ…उक.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....
(राजेश की जुबान योनि की गहराई और लम्बाई नापने की कोशिश मे वार पर वार कर रही थी और करीना के हाथ में कैद लिंगदेव ने भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह उघाड़ दिया है। क्षण भर रुक कर, राजेश करीना के दोनों हाथों को पकड़ कर फिर से अपने कार्य में लग गया है। अब की बार दो तरफा वार शुरु करता है। एक तरफ जुबान का वार योनिच्छेद पर, दूसरी ओर लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर करीना के होंठों को खोलने पर आमादा हो रहा है। ऐसे दो तरफा वार को करीना बरदाश्त नहीं कर पायी और असीम आनंद में झटके खाते हुए अपने होंठ खोल दिये। राजेश तो बस इसी क्षण की आस में बैठा था, जैसे ही होंठों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हल्का सा जोर लगाते हुए लिंगदेव के सिर से करीना के मुख को सीलबन्द कर दिया।)
करीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.न्ई…आह.....
(साँस घुटती हुई लगी तो करीना को मुख पूरा खोलना पड़ गया, राजेश ने वक्त की नजाकत को समझते हुए थोड़ा और अन्दर सरका दिया। बेबस करीना पुरी ताकत से राजेश को उपर से हटाने की कोशिश करती, राजेश थोड़ा उपर खिसकता पर लिंग पर दबाव बढ़ा कर उसे और अन्दर खिसका देता। कुछ मिनट यह मुख के अन्दर-बाहर का दौर चलता रहा और लगातार लिंग के नंगे सिर पर करीना के होंठों के घर्षण से झट्के के साथ उबलता हुआ लावा करीना के मुख मे बेरोकटोक बहने लगा। बेचारी करीना छटपटाती रह गयी पर निर्दयी राजेश ने अपने लिंगदेव को उसके मुँख से बाहर नहीं निकलने दिया जब तक कि वह सारा लावा गटक नही गयी। तूफान आ कर थम गया। दोनों अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसो को काबू करने मे लगे थे। राजेश ने आगे बढ़ कर करीना को अपने आगोश में ले कर जमीन पर लेट गया। अंधेरा और गहराता हुआ।)
क्रमशः
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