RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--3
गतान्क से आगे..........
(मुमु शर्माते हुए चेंजिग रूम से निकलती है। एलन का मुहँ खुला रह जाता है। उसकी धमनियों मे रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। और उसकी एक खास जगह पर तो ऐसा मानो की रक्त की बाढ़ आ गयी है। मोहिनी मूरत लिए मुमु धीरे-धीरे एलन की ओर बढ़ती है। भारी वक्ष जो आधे से भी ज्यादा ब्रा के बाहर झाँकते हुए और हर पग पर और भी ज्यादा बाहर निकलने की कोशिश करते है। पूरी गोलाई लिये नितंब हर पग पर दिलों मे भूचाल मचाने की क्षमता रखते हुए एक सगीत्मय लय मे हिलते हुए। तीखे नयन नक्श जो कि अजन्ता की मूर्ति को भी मात देदे। झीनी सी ब्रा में से बादामी रंग का दस रुप्ये के सिक्के का आकार और उस पर उठी हूई घुन्डीयाँ जैसे चूमने को आमंत्रित करती हों। नीचे की ओर एलन की नजर टाईट पैन्टी पर पड़ी तो मुमु की बालोंरहित कटिप्रदेश साफ विद्यमान होती हुई। सब कुछ मिला कर जैसे कोई स्वर्ग से अप्सरा आज एलन के पास कामसूत्र के राज खोलने आई हो।)
मुमु: तुम्हें क्या हुआ?
एलन: दिल पर बिजली गिर गयी। मुमु मै सोच रहा हूँ कि अपने शब्द वापिस ले लू। तुम्हारे हुस्न के ढ्के हुए जलवे देख कर मेरी जुबान में ताला लग गया है।
मुमु: (इठ्लाती हुई) अब इतनी भी ढ्की नहीं हूँ। ठीक है, मेरी फीस माफ करो, पाँच लाख रुपये कम नहीं होते।
एलन: इस बेमिसाल हुस्न के लिये कोई गधा ही कीमत लगाने की कोशिश करेगा। पर अभी तो प्रयोग बाकी है। चलो दूसरे रूम में चलते हैं।
(यह कह्ते हुए, एलन मुमु की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचता है।)
मुमु: तुम भूल रहे हो, तुम मुझे छूओगे नहीं।
(एलन खिलखिला कर हँस देता है।)
एलन: तुम्हें छू कर देख रहा था कि कोई सपना तो नही देख रहा हूँ। तुम्हें सामने खड़े देख कर मै अपने आपे मे नही रहा। अच्छा चलो, दूसरे रूम में चलते हैं।
(दोनों साथ-साथ चलते हुए एक कमरे में आ जाते है। छोटा सा कमरा, परन्तु बहुत सुन्दर सजावट, साईड में करीने से एक बेड लगा हुआ और एक्स्र्साईज करने के लिये काफी जगह।)
मुमु: क्या बात है, (मुस्कुराती हुई) यहाँ सब कुछ काम का इन्तजाम है। पर कुछ करने की सोचना भी नहीं।
एलन: जब से तुम्हारे हुस्न का दीदार हुआ है, तब से तुम्हारे साथ सिर्फ एक काम करने की सोच रहा हूँ, पर तुम हो कि वार्निग ही दिए जा रही हो या फिर मुझे छिपे शब्दों मे आमन्त्रित कर रही हो। (मुमु धीरे से सिर हिलाती है।) खैर जो भी हो, अपनी आँखे मीच लो, या तुम कहो तो मै तुम्हारी आँखो पर पट्टी बाँध देता हूँ।
मुमु: हाँ, पट्टी ठीक रहेगी।
(एलन एक काली पट्टी मुमु की आँखों पर बाँध देता है। उसका हाथ पकड़ कर कमरे के बीचोंबीच ले जा कर खड़ा कर देता है। एक बार फिर से झीनी सी ब्रा के बाहर झाँकते हुए उरोजों को और बादामी रंग की उठी हूई घुन्डीयों को भूखी निगाहों से घूरता है। कुछ पल हुस्न का जाम पीने के बाद, नीचे की ओर रुख करता है। मैचिंग गुलाबी रंग की टाईट जालीदार पैन्टी मै बालोंरहित कटिप्रदेश की तरफ ध्यान केन्द्रित करता है। कुछ न होता पाकर मुमु खड़े-खड़े कसमसाती है। अचानक एलन अपना मुख अधखुली और फूली हुई योनि के बहुत नजदीक लेजा कर धीरे से फूँक मारता है। इस अप्रत्याशित हमले से मुमु चिहुँक उठती है और उत्तेजना से काँप उठती है। अब एलन लगातार धीरे-धीरे गर्म साँस छोड़ना शुरु करता है। सबसे पहले बालोंरहित कटिप्रदेश पर ध्यान केन्द्रित करता है, जैसे कि हवा से बंद फूल को खोलने की कोशिश कर रहा हो। धीमी रफ्तार से नंगी जांघों के अन्दरुनी भाग पर अपनी गर्म शव्सों को लगातार छोड़ते हुए फिर से उपर बालोंरहित कटिप्रदेश की ओर बढ़ता है। अपनी योनि पर लगातार गर्म साँसों का आघात से मुमु थोड़ा विचलित होने लगती है। एक अजीब सी सनसनाहट सारे शरीर में फैलना शुरु हो जाती है, और अपने शरीर को बस में रखने के लिये पंजो को निरन्तर सिकोड़ने लगती है।)
एलन: तुम्हारी तिजोरी के कपाट बिलकुल सील बंद दिख रहे है, दो बच्चों के बाद तो तिजोरी की दरार बहुत गहरी हो जाती है। क्या बात है राजेश के हथियार ने तिजोरी खोलना बंद कर दिया है।
(ऐसी अश्लील बातें मुमु की परेशानी और बढ़ा रहीं है। बार-बार एलन की साँसों का आघात कभी ज़ाँघो के अन्द्रुनी हिस्सों पर और कभी जंघाओं के बीचोंबीच मुमु को विचलित किये जा रहीं हैं। बहुत दिनों से मुमु की दबी हुई भावनाओं में आज उफान आने लगा है। एलन बीच में सब कुछ छोड़ कर अब खड़ा हो गया। अबकी बार उसने मुमु के दाएँ कान के पीछे से अपना कार्य शुरु किया और धीरे-धीरे चेहरे के पास आ कर पंखुडी से होठों पर लगातार प्रहार करना आरंभ कर दिया। थोड़ा रुक कर, फिर गले से होता हुआ दो हसीन पहाड़ियॉ के बीचोंबीच बनी खाई पर आ कर रुक गया। अबकी बार एलन के निशाने पर झीनी गुलाबी ब्रा में उठी हूई घुन्डीयाँ थी और अपनी गर्म साँसें से उन पर आघात करना आरंभ कर दिया। इधर मुमु भी उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचने को हो रही है, कभी गुदगुदी का एहसास, कभी शरीर मे सिहरन, कभी अनजानी राह की अनिश्चितता, और इन सब में धीमी आँच मे जलता हुआ तन। बार-बार मुमु के अर्धनग्न जिस्म् पर गर्म-गर्म साँसों का प्रहार एक तूफान आने का संकेत दे रहा है।)
मुमु: .उ.अ..आह.अ.उउआ.आह.ए...ल...लन..हा..लन..लन
एलन: चाहिए क्या…इस वक्त तुम्हारी…तिजोरी…को एक सख्त हथौड़े की जरुरत है। क्या चाहिए हथौड़ा?
(एलन एक बार फिर से नीचे बैठ कर कटिप्रदेश पर ध्यान केन्द्रित करता है।)
एलन: मुमु....क्या......कुछ हुआ....क्या? (खुशी से चिल्लाते हुए) तुम्हारी मचलती कली ने बाहर झाकँना शुरु कर दिया है। अर....रे.. उस पर तो ओस की बूदं भी आ गयी है। (मुमु कुछ कहती, इससे पहले एलन झट से अपनी जुबान से कली के ऊपर पड़ी बूंद को चाट जाता है।)
मुमु: अ..आह....लन....लन..लन। (एलन का सिर पकड़ कर जबरदस्ती योनिमुख पर रख देती है)
(एलन की जुबान हरकत में आ जाती है। अपनी दोनों उँगलियों से योनिमुख को खोलता है और उसमें से झाँकती कली पर टूट पड़ता है। बेहाल मुमु सिर्फ पागलों की तरह झूमती हुई अवाजे निकालती है। एक कँपकँपी के साथ ढेर हो कर बैठ जाती है। उत्तेजना से काँपते हुए एलन से लिपट जाती है।)
एलन: मुमु…मुमु… सिर्फ अभी बाईस मिनट हुए है। आठ मिनट और बचे हुए है। अगर तुम कहो तो अपने हथौड़े का प्रयोग करुँ…?
(धीरे से मुमु होश मे आती है और अपनी साँसों को काबू करती हुई एलन से अलग हो जाती है। चेहरे पर शर्म की लालिमा और झुकी आँखे लिये, मुमु आत्मग्लानि महसूस करती है और एलन से लिपट जाती है। एलन प्यार से मुमु की पीठ सहलाता हुआ उसके होंठों को अपने होंठों के कब्जे मे ले लेता है। अब मुमु ने भी अपने सारे हथियार डाल कर एलन का साथ देना आरंभ कर देती है। एलन किसी शातिर खिलाड़ी की तरह होठों को चूमते, चूसते और काट्ते हुए धीरे से मुमु को निवस्त्र कर बेड पर लिटा देता है। मुमु को वासना की आग मे तड़पती हुई छोड़ कर धीरे-धीरे अपने को निवस्त्र करता है।)
मुमु: आह.ए...ल...लन अब और न तड़पाओ, मेरे शरीर में आग लगी हुई है जल्दी से इसे बुझाओ।
एलन: अब जो मै कहूँगा, तुम वही करोगी तो मै तुम्हें जन्नत की सैर कराऊँगा वर्ना इतना ही काफी है। मै तुम्हें और गलत काम के लिए नहीं उकसाऊँगा।
मुमु: मै तुम्हारी बात समझ गयी…बस और न तड़पाओ। आगे से तुम जो भी कहोगे मै मानूँगी।
एलन: प्रामिस्।
मुमु: हाँ गोड प्रामिस्।
(एलन का इतना सुनना था कि वह मुमु पर टूट पड़ा। अपना ढाई इंची गौलाई और नौ इंची लम्बे फनफनाते हथियार को मुमु के योनिमुख पर लगा कर धीरे से अन्दर सरका दिया। एलन का एक हाथ गोरी पहाड़ियों को रोंदने में मस्त है, और उसका मुख पहाड़ियों की गुलाबी बुर्जीयों को लाल किये जा रहा है। नीचे अन्दर सरकता हुआ हथियार मुमु को मीठे दर्द का एहसास करा रहा है। एलन थोड़ा रुक कर अचानक एक जोर का धक्का मारता है और उसका हथियार लबालब पूरा अन्दर तक धँस जाता है।)
मुमु: (दर्द से बिलबिला कर)….उ.अ..आह.मर.र…गई… उई माँ…ए...ल...लन....लन..…(एलन जल्दी से अपने मुख से मुमु का मुख ढक कर उसकी चीख दबा देता है। मुमु कुछ क्षणों के लिए शिथिलता से एलन के नीचे दबी पड़ी रहती है।)
एलन: मुमु…क्या हुआ? बस अब कुछ नहीं बाहर है।
मुमु: तुम्हारे काले अजगर ने मुझे बीच में चीर दिया। अपनी जगह बनाने की जल्दी मे इसने मेरी जान ही निकाल दी।
एलन: अब कैसा लग रहा है। आगे का रास्ता अब सिर्फ प्यार और मजे का रह गया है।
(अब दोनों बेल की तरह एक दूसरे के साथ लिपटे पड़े हुए हैं। एलन अपने आप को थोड़ा सा पीछे खीच कर फिर से एक करारा धक्का देता है। मुमु के मुख से संतुष्टि से भरी सिसकारी निकल जाती है। एलन का एक हाथ एक बार फिर से गोरी पहाड़ियों के मर्दन में और उसका मुख गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाते है। दूसरा हाथ धीरे से मुमु के नितंबों पर बेखट्क कुछ ढूंढने के लिए विचरने लगता है। इधर एलन बिना रुके अपने हथियार से शाट पर शाट लगाये जा रहा है और मुमु भी उचक-उचक कर हर शाट का जवाब शाट से दे रही है। मुमु की सिसकारीयाँ और एलन की गहरी साँसों ने कमरे का वातावरण बहुत उत्तेजक बना दिया है। इस आपाधापी मे एलन की उंगली मुमु के सूरजमुखी आकार के पिछ्ले छिद्र पर आ टिकती है। धीरे से एलन अपनी उँगली को मुमु के पिघलते लावे मे निहला कर छिद्र पर फिराता है। मुमु इन बातों से अनभिज्ञ, मिलन की चरम सीमा पर पहुँचने के लिए व्याकुल हो उठी तो एलन धीरे से अपनी उंगली को छिद्र पर रख कर दबाव बढ़ाता है। मुमु की बायीं बुर्जी को चूसता हुआ काट लेता है और पूरी ताकत से उँगली को सूरजमुखी आकार के छिद्र मे प्रविष्ट कर देता है। इस अप्रत्याशित तीन तरफे हमले से मुमु कि योनि झरझरा कर बरस पड़ती है और कुछ पलों की देर से एलन का हथियार भी अपने लावे को उगल कर मुमु की आग को शान्त कर देता है। दोनों एक दूसरे को बाहों मे कसे निढाल पड़ जाते है।)
एलन: (अपने को अलग करते हुए) मुमु क्या एक और पारी खेलनी है?
मुमु: एक ही पारी मे तुमने मेरी यह हालत कर दी कि अब उठने की भी हिम्मत नहीं है। क्या टाइम होगा। मुझे तो लगता है कि अब मै चल भी नहीं पाउंगी।
एलन: (हड़बड़ाहट में) अरे हमें गुथे हुए एक घंटा हो गया। डौली हमारा इन्तजार कर रही होगी। चलो चलते हैं।
मुमु: (एलन के लिंग को सहलाते हुए) डौली बहुत लकी है।
एलन: इसको मत छेड़ो, अगर उठ बैठा तो तुम आज कहीं जाने के लायक नहीं रहोगी।
(दोनों अपने कपड़े पहनते है और रिसेप्शन की ओर बढ़ते है जहाँ डौली किसी नवयुवक से हँसते हुए बात कर रही है।)
डौली: अरे मुमु तुम्हें क्या हुआ? तुम्हारे चेहरे पर यह लालिमा कैसी? तुम्हारा चेहरा दीप्तीमान हो गया है।
मुमु: (झेंपती हुई) तुम्हारे मियाँजी की करतूत है। मुझे ट्रेंनिग करवा रहे थे।
डौली: फिर क्या सोचा। तुम्हें अभी एनरोल करूँ या बाद में?
मुमु: बिलकुल, अभी करो।
डौली: मै जानती थी, मैने सारा पेपर-वर्क करके रखा हुआ है, बस तुम यहाँ साइन कर दो। (आँख मारते हुए) जिस किसी के पीछे मै एलन को लगाती हूँ मजाल है कि वह न कर दे।
(मुमु भिन्न-भिन्न पेपरों पर साइन कर देती है और एलन और डौली के साथ बाहर आती है।)
डौली: मुमु, तुम ने तो अपना पार्टनर तो चुना नहीं।
मुमु: मै तो एलन के साथ ट्रेंनिग करने की सोच रही थी।
एलन: मुमु, मैनें तुम्हें बताया था कि तुम रोज एक नया पार्टनर चुनना, इस तरह तुम नये-नये तरीके सीख पाओगी। जब समय हो तो कभी-कभी तुम मेरे साथ भी ट्रेंनिग कर लेना।
डौली: हाँ, यह भी ठीक रहेगा। मैं भी इसी तरीके को प्रिफर करती हूँ।
एलन: डौली, तुम कल मुमु के घर चले जाना और ट्रेंनिग-कासट्यूम के नाप ले आना।
डौली: ठीक है। मुमु मै कल लंच टाइम में तुम्हारे घर नाप लेने आउँगी।
मुमु: ओके।
(मुमु अपनी कार में बैठ कर घर की ओर रवाना हो जाती है।)
डौली: तुमने तो कमाल कर दिया। एक घंटे में इस पंछी को शीशे मे उतार लिया।
एलन: दोस्ती में क्या-क्या करना पड़ता है।
डौली: रहने दो। बिकनी में देख कर तो तुम्हारे मुँह से लार टपक रही थी। वैसे शरीर से काफी अच्छी है। राजेश बहुत लकी है, जब घर में ऐसा खजाना छुपा हो तो बाहर की ओर रुख करना मुश्किल है।
एलन: आज अपने छोटे भाई से मिलवा दिया तो देखो कैसी चेहरे पर चमक आ गयी। पहिले तो मुमु मुझसे कटी-कटी रहती थी।
(दोनों खिलखिला कर हँस पड़ते है और आफिस में चले जाते है।)
सीन-6
(शाम का समय, राजेश का ड्राइंगरूम। अभी कुछ देर हुई है मुमु को फिटनेस सेन्टर गये हुए।)
राजेश: (टीना को आवाज लगाता है) टीना बेटे उठ जाओ। शाम हो गयी है… रात को फिर नींद नहीं आएगी।
(राजेश आवाज लगा कर सोफे पर लेट कर नावल पढ़ने लगता है। सुबह और दोपहर की धींगामस्ती से थक कर टीना अपने कमरे मे सो रही है। समय निकलता जा रहा है और राजेश बीच-बीच में घड़ी को देख कर झुँझलाता है। मुमु एक घंटे की कह कर गयी है, पर वह जानता है कि एलन और डौली इतनी जल्दी मुमु को नहीं छोड़ेगें। राजेश एक बार फिर से स्टेअरस के पास खड़े हो के आवाज लगाता है।)
राजेश: शाम हो गयी है, टीना बेटे उठ जाओ।
टीना: (उनीदीं आवाज में) मैं उठ गयी हूँ पापा। हाथ-मुहँ धो कर अभी थोड़ी देर मे नीचे आती हूँ।
राजेश: ठीक है। मै चाय बनाने जा रहा हूँ, जल्दी से नीचे आ जाओ। क्या तुम्हारे लिये कुछ खाने के लिये भी बना दूँ। दोपहर मे भी तुम ने कुछ नहीं खाया था।
(बोलते हुए राजेश रसोई की तरफ रुख करता है। मोबाइल फोन की घंटी बजती है। एलन का फोन है, राजेश बात करता है)
टीना: (नीचे आ कर, अलसायी सी आवाज मे) पापा, मै आपकी कोई मदद करूँ?
राजेश: न बेटा, चाय तो बन गयी है। मै अभी ले कर आता हूँ।
(टीना अपने पारदर्शी नाइट-गाउन मे धम से सोफ़े पर पसर जाती है। नादान टीना अपनी नग्नता से अनभिज्ञ आँखे मूंद कर लेटी हुई है। राजेश ट्रे मे चाय ले कर आता है कि उसकी नजर केले सी चिकनी व गोरी टांगे, मासंल जांघों तक की नग्नता, पर पड़ती है। सीने पर कसाव के कारण, सीने की गुलाबी गगनचुम्बिँया साफ विद्यमान हो रही है। ऐसा उत्तेजक द्र्श्य किसी को भी पागल करने की क्षमता रखता है।)
राजेश: (हिचकिचाते हुए) उठो बेटा, चाय पी लो।
(टीना अलसायी सी मुद्रा लिये उठ कर बैठ जाती है। राजेश उसके समीप बैठ जाता है। दोनों चुपचाप कुछ सोचते हुए धीरे-धीरे गर्म चाय की चुस्की लेते है। राजेश का दिमाग आगे की गुत्थी सुलझाने मे लगा हुआ है। टीना के होठों का जायका लेकर अन्दर का शैतान तो अब पुरा रास्ता तय करने का मन बना चुका है। और इधर टीना सुबह और दोपहर के घटनाक्रमों में उलझी हुई है। बार-बार उन घटनाओं की याद कर उसके शरीर के अंग-अंग में अजीब सा कसाव उत्पन्न हो जाता है।)
टीना: पापा…
राजेश: हूँ…
टीना: आपने एलन अंकल के यहाँ मेरी ट्रेंनिग के बारे में कुछ सोचा है?
राजेश: वही सोच रहा हूँ। अगर तुम वहाँ पर गयीं और तुम्हारी मम्मी को पता लग गया तो आफत आ जाएगी।
टीना: मै जानती हूँ। पर आप एलन अंकल से बात क्यों नहीं कर लेते?
राजेश: (टीना की जांघ पर थपथपता हुए) मैं उस से कल बात करुँगा। अभी तो तुम्हारी मम्मी वहाँ पर होंगी।
(फिर कुछ देर के लिये चुपचाप बैठ जाते है। राजेश का हाथ अभी भी टीना की नग्न जांघ पर रखा हुआ है। वह बड़ी सहजता से हल्के हाथ से जांघ को सहलाता है जैसे कि वह कुछ सोच रहा है और इधर टीना के शरीर में चीटीयाँ सी दौड़ने लगती है। सहलाने का दायरा बड़ाते हुए राजेश चुप्पी तोड़ता है।)
राजेश: बेटा, तुम कुछ सोच रही हो। क्या बात है?
टीना: (झेंपती हुई) नहीं पापा, (राजेश के उपर खिसकते हाथ को पकड़ते हुए) कोई खास बात नहीं। आपके छूने से मुझे कुछ हो जाता है।
राजेश: (धीरे से हाथ छुड़ाते हुए) क्या हो जाता है? तुम्हें अच्छा नहीं लगता है, क्या (थोड़ी सी चेहरे पर मायूसी लाते हुए)?
टीना: नहीं, ऐसी बात नहीं है। (भोलेपन से) मुझे लगता है कि मेरे शरीर मे आपके छूने से टाक्सिन बनने लगते है।
राजेश: यह तो अच्छा है। इसका मतलब है कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो। कोई जब किसी से बहुत प्यार करता है, तो उस व्यक्ति के छूने मात्र से शरीर में टाक्सिन बनने लगता है। ऐसा लगता है कि शरीर में चीटीयाँ सी दौड़ने लगी, आँखों में एक नशा सा छा गया, सारे बदन के अंगो में अजीब सा कसाव आ जाता है।
टीना: हाँ पापा ऐसा ही कुछ होता है। (खुशी में राजेश से लिपट जाती और उसके गाल चूम लेती है)।
राजेश: न ऐसे नहीं बेटा, मैने तुम्हें प्यार से चूमना दोपहर को बताया था। अब जब तुम्हारी मम्मी नहीं है, क्यों न तुम थोड़ा प्रेक्टिस कर लो। आखिर कल तुम्हारी शादी होगी, वहाँ पर कौन सिखाएगा।
टीना: अभी? (शर्माते हुए) ठीक है।
राजेश: बेटा अबकी बार हम बैठ कर किस करते है। तुम मेरी छोटी सी गुड़िया हो, गोदी में बैठ जाओ। हम एक दूसरे के नजदीक भी होंगें और थकान भी नहीं होगी।
(टीना उठ कर राजेश की गोदी में धम से बैठ जाती है। राजेश धीरे से टीना की कमर को पकड़ कर आमने-सामने पोजीशन मे अपने जांघों पर बिठाता है, टीना की चिकनी व गोरी टांगों को पकड़ कर अलग करते हुए अपने पाँवों के दोंनों ओर लटका देता है। पारदर्शी नाइट-गौन उपर खिसक कर मासंल जांघों तक नग्न कर देती हैं और सीने की गुलाबी गगनचुम्बिँया राजेश की आँखों के सामने विद्यमान हो उठीं हैं। अपनी नग्नता से अनभिज्ञ टीना ग़रदन झुकाये राजेश के पाजामे मे सिर उठाये लिंग को हैरत से देख रही है।)
राजेश: टीना (कमर से पकड़ कर खींचते हुए) नजदीक आओ।
(टीना सरक कर आगे हुई तो अपनी कोमल योनिमुख पर अनजानी कठोर चीज की ठोकर महसूस करती है। उसकी नारंगी जैसे सख्त उरोज राजेश की छाती से जा टकराते है।)
राजेश: (टीना को अपने बाहुपाश में भर कर) हाँ, अब ठीक है। टीना, तुम दुबारा से शुरु करो।
(टीना शर्माती हुई अपने होठों के बीच राजेश के निचले होंठ को ले कर धीरे से चूसते हुए आँखे मूंद लेती है। अपनी जुबान के अग्र भाग को राजेश के उपरी होंठ पर फिराती है। उत्तेजना में राजेश अपनी बालिष्ठ बाहों मे कसमसाती हुई टीना के उन्नत स्तनों को पीस देता है। नीचे पाजामे में से राजेश का लिंग कठोरता धारण कर बार-बार टीना की योनिमुख पर दस्तक देनी शुरु कर देता है।)
क्रमशः
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