RE: Jawan Ladki Chudai कमसिन कलियाँ
कमसिन कलियाँ--2
गतान्क से आगे..........
सीन-4 (ड्राइंगरूम का सीन)
(राजेश अपने कुर्ते-पाजामे में सोफ़े पर बैठ कर टीवी पर अंग्रेजी फिल्म देख रहा है। टीना का आगमन्। मलमल का कुरता, जींन्स, चेहरे पर मासूमियत और यौन संतुष्टि की पुर्ण रौनक)
राजेश: आओ, बेटा मेरे पास बैठ जाओ।
टीना: पापा, मुझे मम्मी के साथ एलन अंकल के फिट्नेस सेन्टर में एनरोल करा दिजिये। मेरी छुट्टियाँ भी अच्छी तरह से कट जाएँगीं।
राजेश: पर तुम्हारी मम्मी नहीं मानेंगी।
टीना: (ठुनकते हुए) यह भी कोई बात हुई। आप किसी भी तरह मम्मी को राजी कराईए।
राजेश: तुम जानती हो अपनी मम्मी को, वह नहीं मानेगी। (राजेश अपनी ओर टीना को खींचता है।)
टीना: (राजेश से सटती हुई उसके गाल को चूमती है) आप मुझे प्यार करते हो?
राजेश: (जवाब में राजेश भी उसके गाल को चूमता है) यह भी कोई पूछने की बात है। मैं तुमसे सब से ज्यादा प्यार करता हूँ।
राजेश: हाँ, एक काम कर सकता हूँ कि तुम एलन अंकल वाली एक्सरसाईज भी कर पाओ और मम्मी को भी पता न चले।
टीना: (खुशी से राजेश के उपर कूद पड़ती है) पापा, मेरे लिए प्लीज कुछ ऐसा कर दो।
(राजेश टीवी पर ध्यान लगाता है। सीन में आदमी एक नवयौवना को बाँहों में लेकर उसके होंठ चूमता है। लड़की भी उसके होंठ अपने होंठों में लेकर चूमती है।)
टीना: छिँ ... छिँ.. पापा, आप क्या गन्दी फिल्म देख रहे हो। मेरी मदद करो।
राजेश: क्यों बेटा, इस में क्या गन्दा है। वह अपने प्यार का इजहार कर रहें है। जब कोई किसी से प्यार करता है, वह ऐसे ही चूमते है।
टीना: क्या यह करना जरुरी है?
राजेश: हाँ, बिलकुल। ऐसा करने से वह अपने प्यार को प्रगाढ़ करते है और उसके परिणामस्वरूप उनके शरीरों से उतप्न्न टाक्सिन बाहिर निकाल फेकते है।
टीना: (मन्त्र्मुग्ध सी राजेश की बात सुनती है) आखिर यह टाक्सिन क्या होता है।
राजेश: टाक्सिन शरीर के अन्दर का जहरीला केमिकल है जिसकी वजह से चेहरे पर दाग, बालों का झड़ना, खाल में झुर्रियॉ, इत्यादि, हो जाती है। टाक्सिन का शरीर से निकालना बहुत ही आवयश्क है। वर्ना व्यक्ति जल्दी बूढ़ा होने लगता है।
टीना: पापा, क्या मेरे चेहरे पर भी दाग आजाएगें अगर मैनें टाक्सिन बाहिर नहीं निकाल फेके? राजेश: बिलकुल।
(टीना का चेहरा अपने हाथ में ले कर, राजेश धीरे से गालों को चूमता है)
राजेश: बताओ, तुम्हें कुछ मह्सूस हुआ?
टीना: नहीं, कुछ भी नहीं।
राजेश: इसका मतलब है कि ऐसे चूमने से तुम्हारे शरीर का जहर टाक्सिन नहीं बन पाया।
टीना: पर सब तो ऐसे ही करते है। क्या अभी आप ने मुझे ऐसे नहीं चूमा था?
राजेश: हाँ। तुम सही कह रही हो। पर मैं मुमु को तो तुम्हारी तरह नहीं चूमता हूँ। उसके तो होंठों को अपने होंठों मे ले कर चूमता हूँ।
टीना: पर मुझसे क्यों नहीं? या इस लिए कि मै आपकी बेटी हूँ और यह अच्छी बात नहीं।
राजेश: पहली बात, सिर्फ प्यार मे दो व्यक्ति ऐसा करते है। प्यार के बिना चूमने से टाक्सिन नहीं बनेंगें। दूसरी बात, जब तुम छोटी थी, मैं तुम्हें ऐसे ही चूमता था, पर जब से तुम बड़ी हुई मैं ऐसा करने से डरता था।
टीना: क्या आप मम्मी से डरते थे? या मुझसे?
राजेश: दोंनों से। यह पता नहीं ज्यादा डर किस से लगता है। (बड़े दुखी से चेहरे के साथ) पर मुझे लगता था कि अब तुम मुझे प्यार नहीं करती हो इस लिए मैं अपने प्यार का इजहार तम्हें नही कर पाता हूँ। और कहीं कर दिया तो तुम्हारी मम्मी को ऐसा न लगे कि मै तुम्हें उस से ज्यादा प्यार करता हूँ।
टीना: (खुशी में राजेश के गाल को जोरों से चूम लेती है) पापा मैं आपसे सब से ज्यादा प्यार करती हूँ। मम्मी और दीदी से भी ज्यादा। पर ऐसे चूमना गलत नहीं होगा।
राजेश: बताओ तुम मुझसे प्यार करती हो?
टीना: हाँ।
राजेश: (बड़े भोले अन्दाज में) और मै तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। जब हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है तो ऐसे चूमना गलत कैसे होगा?
टीना: (कुछ सोचती और सकुचाई हुई) ऐसा तो मैनें सोचा ही नहीं था। पर पापा मुझे तो ऐसे चूमना नहीं आता।
राजेश: बेटा, जब तुम्हें मैथ्स के सवाल नहीं आते, तो किसके पास सीखने जाती हो?
टीना: आप के पास।
राजेश: तो फिर आज से हम ऐसे ही चूमेगें। इस से हमारे बीच प्यार भी बढ़ेगा और हमारे शरीर से टाक्सिन भी निकलवायेंगे। (थोड़ा रुक कर) पर तुम तो जानती हो की तुम्हारी मम्मी कितनी शक्की किस्म की औरत है। अगर उसके सामने हम ने ऐसा किया तो वह सोचेगी मै तुम्हें उस से ज्यादा प्यार करता हूँ।
टीना: हाँ, इस से तो वह अपना सारा गुस्सा हम पर निकालेगीं। पापा, क्यों न हम यह सब मम्मी के पीठ पीछे करें, तो उन्हें पता ही नहीं चलेगा।
राजेश: (अंधा क्या चाहे, दो आँखे) हाँ, यह ठीक रहेगा। अभी तुम्हारी मम्मी बेला आंटी के घर पर गयी हुई है, क्यों न हम ऐसे चूमने की कोशिश करके देखें। देखें कि क्या ऐसा करने से टाक्सिन बनते है कि नहीं।
टीना: (कुछ असमंजस में, कुछ शर्माती हुई और कुछ सकुचाई) हुं..हुं
राजेश: अगर तुम्हें कोई आपत्ति है तो नहीं करते है। बेटा, इससे मेरे प्यार में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
टीना: (कुछ शर्माती हुई) नहीं, ऐसी बात नहीं। पापा मुझे डर लग रहा है। चलिये आप मुझे सिखाना शुरु करिये।
(राजेश अपने सामने टीना को बैठाता है। टीन शर्म से अपनी आँखें मूंद लेती है। राजेश कुछ पल उसके चेहरे को निहारता है। तीखे नयन नक्श, मोहिनी मूरत, माँ का प्रंतिरुप, गुलाब सी पंखुड़ियों से होंठों को देख कर राजेश की दिल की धड़कने बड़ जाती हैं। वह धीरे से अपने होठों को टीना के होठों पर कुछ क्षणों के लिए रख कर हटा देता है।)
राजेश: बताओ टीना, कुछ हुआ क्या?
टीना: नहीं, कुछ भी नहीं।
राजेश: यह इस लिए कि मैनें सिर्फ अपने होंठों से तुम्हारे होंठों को स्पर्श किया था। इस क्रिया में प्यार नहीं था। तुमने अपने शरीर को अकड़ा लिया और होंठ भींच लिये थे। अपने शरीर को ढीला छोड़ दो और अपने होंठों को जरा सा खोलो।
टीना: (कुछ शर्माती हुई) ठीक है।
(एक बार फिर सकुचाती हुई टीना आँखें मूंद कर बैठ जाती है। राजेश एक बार फिर से टीना के कमसिन गुलाबी होंठों की ओर बढ़ता है। टीना की मासूम जवानी को सिर से पाँव तक आँखों से पीने की कोशिश करता है। कुछ क्षणों के लिये ठिठक कर रुक जाता है, पर फिर टीना की कमर को पकड़ कर अपनी ओर धीरे से खींचते हुए अपने शरीर से सटा लेता है।)
राजेश: (बहुत धीरे से अपने होठों को टीना के कान से छूते हुए) टीना अपने शरीर को ढीला छोड़ दो।
(राजेश की गर्म साँसों को कान पर मह्सूस होते ही टीना के शरीर में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। अपने हाथों में टीना का चेहरा ले कर, बड़े प्यार से अपने होंठ टीना के होठों पर रख देता है और धीरे से अपनी जुबान का अग्र भाग टीना के निचले होंठ पर फिराता है। इस नये एहसास से टीना के शरीर मे बिजली सी कौंध जाती है और उसके होंठ थोड़े से अपनेआप खुल जाते है। उसी क्षण राजेश के होंठ टीना के निचले होंठ को अपने कब्जे मे ले लेते है जैसे वह इसी ताक में बैठे थे। राजेश धीरे-धीरे निचले होंठ को चूसना शुरु कर देता है और बीच-बीच में अपनी जुबान टीना के उपरी होंठ पर फिराता है। टीना अपने आपे में नहीं रह पाती और अपने होठों को पूरा खोल देती है पर राजेश टीना से अलग हो जाता है। टीना आँखे मूंदें अपने झोंक में राजेश के होंठों को छूने के लिये आगे को झुकती है पर कुछ न पा कर आँखें खोलती है तो राजेश से आँख मिलते ही झेंप जाती है।)
राजेश: अब की बार कुछ हुआ क्या? मुझे तो 740 वोल्ट का करन्ट लगा। इसका तो यह मतलब है कि तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो।
टीना: (कुछ सकुचाई) हुं..हुं हाँ। पापा, मुझे पुरा विश्वास हो गया कि आप मुझ से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं।
राजेश: यह तुम्हें कैसे पता चला। क्या तुम्हें भी ऐसा लगा कि टाक्सिन बनने लगे?
टीना: (कुछ शर्माती हुई सिर हिला कर हामी भर देती है)
राजेश: पर बेटा, मुझे कुछ ज्यादा महसूस नहीं हुआ क्योंकि इस बार सब कुछ मैं ही कर रहा था। अगर तुम भी वही सब मेरे साथ करोगी तो मेरे अन्दर भी टाक्सिन बनने शुरु हो जाएँगे। क्या एक बार फिर से करें?
टीना: (एक बार फिर से शर्माती हुई सिर हिला कर हामी भर देती है)
राजेश: बेटा, एक या दो बार, या दस बार? प्लीज बताओ।
टीना: पा.. पा. (ठुनकते हुए) आप भी...न.. जाओ मै आप से नहीं बोलती।
राजेश: (मुस्कुराते हुए) मेरी गुड़िया फिर से नाराज हो गयी। पर बताओ तो सही क्योंकि मै जानना चाहता हूँ कि तुम्हें कैसा लगा। बताओ प्लीज्।
टीना: (शर्माते हुए) जितनी बार आप चाहें।
राजेश: मै तो बार-बार करना चाहता हूँ। तुम्हारे प्रति अपना प्यार बाँट्ने का सपना हमेशा देखता रहता हूँ।
टीना: (थोड़ा इठलाते हुए) आप ही बेकार बातों में समय बिता रहें है।
राजेश: सौरी। लेकिन अब की बार हम खड़े हो कर करते हैं। बैठ्ने से मिलन आधा-अधुरा रहता है और झुकने से पीठ में दर्द भी होता है।
(टीना सकुचाई सी राजेश से सट के खड़ी हो जाती है। दोनो अब आमने-सामने से चिपक कर खड़े हो जाते है। टीना की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से अपनी ओर खींचता है। राजेश की दिल की धड़कने बड़ जाती हैं क्योंकि अब टीना के स्तन राजेश के सीने में गड़ जाते है और नीचे से लिंगदेव मे भी हरकत आ जाती है। वह धीरे से अपने होठों को टीना के होठों के करीब ले जाता और कुछ क्षणों के लिए रख कर हटा देता है।)
राजेश: टीना अब की बार तुम करो।
(शर्माते हुई धीरे से टीना भी अपने होठों को राजेश के होठों के करीब ले जाती है और कुछ क्षणों के लिए रख कर हटा लेती है।)
राजेश: कुछ हुआ क्या? तुमको वही करना है जो मैनें पहले तुम्हारे होठों के साथ किया था। इसी तरह से हम दोनों के शरीरों मे टाक्सिन बनेगें।
(टीना को राजेश ने अपनी बालिष्ठ बाहों मे और कस कर जकड़ लेता है। टीना कसमसाती है, हिलने से उसकी अर्धविकसित छोटी-छोटी घुन्डियां रगड़ खा कर खड़ी होने लगती है। राजेश टीना के स्तनों को पीस देता है। टीना की मासूम आँखों में एक बार फिर से लाल-लाल डोरे तैरने लगते है। अजीब बैचैनी और कश्मकश में मासूम टीना अपने होठों के बीच राजेश के निचले होंठ को ले कर धीरे से चूसते हुए आँखे मूंद लेती है। स्तनों की घुन्डियों मे एक बार फिर से करन्ट प्रावाहित होना शुरु हो जाता है। नीचे पाजामे में राजेश का लिंग कठोरता धारण कर टीना के पेट पर बार-बार ठोकर मारना शुरु कर देता है। जैसे ही टीना अपनी जुबान का अग्र भाग राजेश के उपर के होठ पर फिराती है, कि दरवाजे की घंटी बज उठ्ती है। डर के मारे दोनों जल्दी से अलग हो जाते हैं।)
राजेश: शायद मुमु आ गयी, तुम अपने कमरे मे जाओ। मैं जाकर दरवाजा खोलता हूँ। याद रहे यह हमारा सीक्रेट है। अभी यह काम अधूरा रह गया, शाम को तुम्हारी मम्मी एलन अंकल के फिट्नेस सेन्टर जाएगीं। उसके जाने के बाद इस अध्याय को पूरा करेगें। कल मै एलन के पास जा कर तुम्हारी ट्रेनिंग का कोई रास्ता खोजता हूँ।
(टीना जल्दी से सीड़ीयाँ चड़ती अपने कमरे में चली जाती है। राजेश दरवाजा खोल देता है। मुमु का आगमन्।)
मुमु: तुम्हारी टीना से बात हुई क्या? क्या हाल है।
राजेश: हाँ, बात तो हो गयी। बहुत नाराज थी पर मैने उसे मना लिया है।
मुमु: मै जानती थी कि वह तुम्हारी बात नहीं टाल सकती। यह ठीक रहेगा कि सिर्फ पहले मै वहाँ का जायजा लूँ, अगर सब ठीक रहा तो बाद मे लीना और टीना को भी एनरोल करा देंगे।
राजेश: तुम भूल मत जाना कि आज शाम को 6 बजे तुम्हें एलन के फिट्नेस सेन्टर जाना है।
मुमु: हाँ, मुझे याद है।
(राजेश टीवी के सामने जा कर बैठ जाता है और मुमु रसोई मे चली जाती है।)
सीन-5
(शाम को फिट्नेस सेन्टर पर)
मुमु: डौली, एलन कहाँ है। आज मै उस से मिलने आयी और वह नदारद्।
डौली: नहीं यार, वह यहीं पर कुछ क्लाइन्टस के साथ बिजी है। अभी उनसे फारिग हो कर आता है।
(एलन का आगमन।)
एलन: हाय्। मुमु तुम्हारा वजन वाकई में बड़ गया है। राजेश बता रहा था कि तुम इसके बारे मे बहुत चिन्तित हो। तुम कुछ दिनों के लिये हमारे वजन घटाने वाला प्रोग्राम मे शामिल हो जाओ और फिर उसका असर देखलो।
मुमु: एलन तुम ठीक कह रहे हो। लेकिन मुझे शर्म आती है। मैने तुम्हारे फिटनेस केन्द्र के बारे में बहुत अश्लील बाते सुनी है।
एलन: सुनी सुनाई बातें पर विश्वास नहीं करना चाहिये। हां, यहाँ पर कुछ खास बातों का ख्याल रखना पड़ता है, जैसे वस्त्र, क्रीडा, आसन, ईमोशन, इत्यादि।
डौली: सारी बातें यहीं पर करोगे क्या? तुम एक बार मुमु को फिट्नेस सेन्टर का चक्कर लगवा दो, मुझे विश्वास है कि मुमु को पसन्द आएगा। मुमु जाकर देख लो, अगर पसन्द आये तो जौइन कर लेना।
मुमु: हाँ एलन, यह ठीक रहेगा। मेरे साथ कौन चलेगा, एलन या डौली?
डौली: (कुछ आँखों मे शैतानी भर कर) अगर तुम्हें औरतें आर्कषित करती हैं तो मै चलती हूँ। (आखँ मारते हुए) पर अगर जवाँ मर्दों का शौक रखती हो तो एलन के साथ जाओ।
मुमु: (शर्माते हुए और झेंपती हुई) डौली जब से तुम एलन के साथ इस काम को शुरु किया है, तुम ने बेशर्मी की सारी हदें पार कर दी है।
एलन: नहीं तुम गलत समझ रही हो। ट्रेनिंग का पहला नियम है कि क्लाइन्ट अपने ट्रेनिंग पार्टनर के साथ सुखदायी एवं आरामदायक अवस्था मे हमेशा रहे। यह तभी संभव होगा जब पार्टनर क्लाइन्ट के मन मुताबिक हो।
मुमु: ठीक है। डौली, तुम क्या सलाह देती हो।
डौली: मुमु, मै तुम्हें पिछ्ले 12 साल से जानती हूँ, मैं तो चाहूँगी कि तुम एलन के साथ जाओ। तुम्हें मैने कभी भी दूसरी औरत में रुचि लेते नहीं देखा है।
एलन: (डौली को आँख मारते हुए) मेरे साथ का घूमने का फायदा है कि तुम अकेली नहीं ए ..क लन के साथ घूमती हुई दिखोगी।
मुमु: (शर्म से लाल होते हुए) तुम भी न, ऐसा साथ कौन औरत नहीं चाहेगी।
(सब खिलखिला के हँस पड़ते है। एलन मुमु को ले कर फिटनेस केन्द्र का चक्कर लगाने चला जाता है।)
एलन: मुमु यहाँ पर क्लाइन्ट अपने ट्रेनिंग पार्टनर का चुनाव खुद करता है। मेरे पास तुम्हारे लिये एक सुझाव है कि कोई पार्टनर फिक्स मत करना। तुम रोज एक नये पार्टनर के साथ Tट्रेनिंग करना। ऐसा करने मे तुम्हे रोज एक नयी तकनीक सीखने को मिलेगी।
मुमु: मैं तो तुम्हें अपना पार्टनर बनाने की सोच रही थी।
एलन: मैं तो हमेशा तुम्हारे लिये हाजिर हूँ। पर अभी नहीं, तुम्हें अभी यहाँ की दुनिया देखनी है। यहाँ पहली ट्रेनिंग की झलक मिलेगी। तुम भी करना चाहोगी तो मै इन्तजाम कर दूगाँ।
(सामने एक ह्र्ष्ट-पुष्ट युवक बड़ी उत्तेजक आसन मे एक अधेड़ औरत के साथ आसन लगाए हुए है। वह औरत एक महीन से कपड़े की ब्रा और पैन्टी में नग्न युवक की बाँहों में पीठ के बल झूलती हुई अपना निचला अंग को युवक के लिंग से धीरे-धीरे रगड़ती हुई दिखाई देती है। युवक भी झुलाते हुए आगे-पीछे होने की क्रिया मे लीन है।)
मुमु: छिः, यह यँहा पर क्या कर रहे है।
एलन: क्या तुम इसको एक ईलाज की दृष्टि से नहीं देख सकती। दोनों ट्रेनिंग भी कर रहें है और पूरा मजा भी ले रहे है। मेरा मानना है कि सिर्फ ट्रेनिंग करना ही काफ़ी नहीं, शरीर के पूरे विकास के लिये व्यक्ति की सारी भावनाएँ की संतुष्टी बेहद जरुरी है।
मुमु: परन्तु गैर मर्द और औरत एक दूसरे के साथ, यह क्या अच्छी बात है।
एलन: मुमु, क्या ठीक है और क्या नहीं, मै नहीं जानता और जानना भी नहीं चाहता। अगर किसी कार्य से मुझे असीम सुख की अनुभूति होती है मैं उस कार्य को ठीक मानता हूँ।
एलन: सेक्स एक जरुरत है, जैसे खाना, पानी, इत्यादि। तुम्हे अपने आप पर बहुत विश्वास है न्। क्या तुम मेरे साथ एक प्रयोग में भाग लोगी? मेरे लिये आधा-घंटा ही काफी है तुम्हें अपनी बात समझाने के लिए। तुम सिर्फ अपनी आँखें कुछ देर के लिये मींच लो। मैं तुम्हारे बिना हाथ लगाये, तुम्हें मजबूर कर दूँगा कि तुम अपनी सारी लाज त्याग कर मेरे साथ कुछ भी करने तैयार हो जाओगी।
मुमु: अगर तुम नहीं कर सके तो?
एलन: मै तुम्हारी आजीवन फीस माफ कर दूँगा और कहीं तुम हार गयीं तो जैसा मै कहूँ वैसा तुम करोगी। मंजूर?
मुमु: ठीक है, मंजूर।
एलन: तुम उस के जैसे ट्रेंनिग वाले लिबास में आ जाओ। सामने चेंजिग रूम है।
मुमु: यह तो तुम ने नहीं कहा था। मैं सिर्फ ब्रा और पैन्टी में तुम्हारे सामने, कभी नहीं।
एलन: क्यों डरती हो कि अपना आपा खो दोगी?
मुमु: नहीं तो। पर
एलन: पर क्या? मैने कहा है कि मै तुम्हें छूऊँगा भी नहीं। तो फिर किस बात का डर है।
मुमु: ....पर...
एलन: पर क्या, फिर से? प्लीज मेरा कहा मान लो, इसको सिर्फ एक साईंस का प्रयोग की तरह लो, बस्।
मुमु: (कुछ सोचते हुए) यहाँ के बजाय किसी और जगह पर नहीं कर सकते यह प्रयोग?
एलन: ठीक है। तुम चेंज करो, फिर एक दूसरे कमरे में चलते है।
(मुमु चेंजिग रूम में चली जाती है। एलन मोबाइल फोन पर राजेश से बात करता है)
एलन: यार, मछ्ली जाल में फँस गयी है। बस कुछ देर की बात है।
राजेश: थैंक्स यार्। तेरी फीस कल मैं खुद देने आऊँगा। चल रख, क्योकि मै टीना को चूमना सीखा रहा हूँ।
एलन: बेस्ट आफ लक्। बाय।
क्रमशः
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