RE: Samuhik Chudai सामूहिक चुदाई
थोड़ी देर के बाद जब सांस थोड़ी सी ठीक हुई तब हम लोग बिना कपड़े पहने नंगे ही ड्राइंग-रूम में आए, कमरे में आकर जय ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मेरी चूचियों से खेलने लगा।
उधर राज ने ललिता को पीछे से पकड़ा और अपना झड़ा हुआ लंड उसके नंगे चूतड़ों से रगड़ने लगा।
मैं और ललिता दोनों जय और राज की नंगी गोद में बैठ कर अपने अपने हाथों को पीछे करके उनके लंड को सहलाना शुरू कर दिया।
तभी जय ने ललिता से एक गिलास पानी माँगा, ललिता नंगी ही रसोई की तरफ चल दी और राज भी उसके पीछे-पीछे चल दिया।
जय एक सोफे पर बैठ गया और मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया। मेरे नंगे चूतड़ उसके लम्बे लंड से छू रहे थे। राज और ललिता रसोई से ड्रिंक्स और खाने का सामान लेकर वापस आए।
राज ने भी ललिता को अपनी गोद में अपने लंड पर बिठा लिया और उसके चूतड़ों से खेलने लगा। इस तरह से दोनों लोग एक-दूसरे की पत्नियों के नंगे बदन से जी भर के खेलने लगे।
अचानक राज ने जय से पूछा- जय, बताओ तुमको डॉली कैसी लगी, खास कर उसकी चूत तुम्हें पसंद आई या नहीं?
जय ने उत्तर दिया- क्या बात करते हो राज..! डॉली को चोदने में तो मज़ा आ गया… अपने चूतड़ उठा-उठा कर… क्या चुदवाती है..! और सबसे मज़ा डॉली की चूची मसलने में है, क्या मस्त चूची है डॉली की…! कब से मैं ऐसी मस्त बड़ी-बड़ी चूचियों वाली औरत को चोदने के चक्कर में था, पर तुम बताओ कि तुम्हें ललिता को चोदने में कैसा मज़ा आया?
राज बोला- यार जय, मुझे भी ललिता की कसी हुई चूत चोदने में बड़ा मज़ा आया… मेरा लंड ललिता की चूत में फँस-फँस कर घुस रहा था। ललिता जब अपनी टांग उठा कर अपनी चूत में मेरा लंड पिलवा रही थी तब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं भी बहुत दिनों से एक छोटी-छोटी चूचियों और बड़े-बड़े चूतड़ों वाली औरत को चोदने के सपने देख रहा था। चाहो तो डॉली से पूछ लो।
मैंने कहा- हाँ राज को तो बस ललिता जैसी बीवी चाहिए थी। राज अपनी औरत को उल्टा लिटा करके पीछे से चूत में चोदना पसंद करता है और साथ ही साथ उसके भारी-भारी चूतड़ों से खेलना पसंद करता है।
यह सुन कर ललिता बोली- अच्छा तो राज को मेरे जैसी और जय को डॉली जैसी बीवी चाहिए थी, फिर हम क्यों ना एक-दूसरे से जीवन भर के लिए पति और पत्नी को बदल लें? वैसे मुझे भी राज के लंड की चुदाई बहुत अच्छी लगी। चूत चुदवाते वक़्त लग रहा था कि मेरी चूत पूरी की पूरी भर गई है।
राज तब झुक कर ललिता के होंठों को चूमते हुआ बोला- ललिता, थैंक्स फॉर दि कॉंप्लिमेंट्स… वैसे सारी उम्र का तो मैं नहीं जानता, पर मैं डॉली को ललिता से बदलने के लिए हमेशा तैयार हूँ। मुझे ललिता की चूत में लंड पेलना बहुत अच्छा लगा।
यह सुन कर जय बोला- यार राज, क्या बात है। तूने तो मेरे मन की बात कह डाली। तुम भी जब चाहो ललिता के साथ मज़ा ले सकते हो, उसकी चूत चाट सकते हो, उसकी चूत चोद सकते हो, चाहो तो तुम ललिता की गान्ड में अपना लंड भी घुसेड़ सकते हो। राज, कल शनिवार है और अगर तुम चाहो तो डॉली को मेरे पास ही कल तक रहने दो और तुम डॉली की जगह ललिता को अपने साथ घर ले जाओ।
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