RE: Samuhik Chudai सामूहिक चुदाई
ललिता अपनी चूत में राज का लंड पिलवाते हुए हर धक्के के साथ ‘श.. श.. आ.. आ..’ कर रही थी और बोल रही थी- हाय राज क्या मस्त चोद रहे हो… और ज़ोर-ज़ोर से चोदो मुझे, बहुत दिनों के बाद आज मेरी कायदे से चुद रही है… हाय क्या मस्त लौड़ा है तुम्हारा… मेरी चूत… लग रही है आज फट ही जाएगी… तुम रुकना मत.. मुझे आज खूब चोदो… चोद-चोद कर मेरी चूत का भोसड़ा बना दो।
राज भी ललिता की चूची दबाते हुए अपनी कमर उठा-उठा कर हचक-हचक कर ललिता को चोद रहा था और बोल रहा था- हाय मेरी चुदक्कड़ रानी… आज तक तूने जय का लंड खाया है, आज तुझे मैं अपने लंड से चोद-चोद कर तेरी चूत का बाजा बजा दूँगा… आज तेरी चूत की खैर नहीं…!
इधर जय मेरी चूत चोदते हुए बोल रहा था- हाय मेरी जान.. तुम इतने दिन क्यों नहीं मुझसे चुदवाई… आज तेरी चूत देख.. मैं कैसे चोदता हूँ… तेरी चूत मेरे लंड के लिए ही बनी हुई है… आज के बाद तू सिर्फ़ मुझसे चुदवाएगी… ले ले मेरे लंड की रानी.. ले.. मेरे लंड की ठोकर खा.. अपनी चूत के अन्दर… मज़ा आ रहा कि नहीं.. मेरी जान.. बोल ना..! बोल.. कुछ तो बोल…!
पूरे कमरे में बस पक… पक.. पका.. पक.. की आवाज़ गूँज रही थी।
तभी अचानक जय ने मुझे चोदते-चोदते अचानक चोदना बंद कर दिया और अपना लंड मेरी चूत से निकाल कर के मुझे पलंग पर से उठने के लिए बोला। जैसे ही मैं पलंग पर से उठी तो जय झट मेरी जगह पर लेट गया और मुझे अपने ऊपर खींच करके मुझसे उस पर चढ़ कर के चोदने के लिए बोला।
मैं तो गर्म थी ही और इसलिए मैं जय की कमर के दोनों तरफ अपने हाथों को रख कर के जय के लंड को अपने हाथों से पकड़ के उसके सुपारे पर एक चुम्मा दिया और जय के ऊपर चढ़ गई, अपने हाथों से जय का लंड पकड़ के अपनी चूत के छेद से भिड़ा दिया।
जय ने भी नीचे से मेरी दोनों चूचियों को अपने हाथों से पकड़ कर उनको दबाते हुए नीचे अपना कमर उठा कर के अपना लंड मेरी चूत के अन्दर पेल दिया।
मैं जय के ऊपर बैठ कर उसके लंड को अपने चूत में लेती हुई मुड़ कर देखने लगी कि राज ने भी ललिता की चूत मारने का आसान बदल लिया है और वो अब ललिता को घोड़ी बना करके उकडूँ होने के लिए कह रहा था। उसके बाद राज ने ललिता के बड़े चूतड़ों को पकड़ कर उसे पीछे से चोदना शुरू कर दिया।
ललिता घोड़ी बन कर राज के धक्कों का जवाब देने लगी और मैं भी जय को ऊपर से तेज़ी से जय को चोदने लगी। थोड़ी ही देर में हम चारों एक साथ झड़ गए।
झड़ते समय जय ने मुझे अपने से चिपका लिया और अपना लंड जड़ तक मेरी चूत में घुसेड़ कर अपना पूरा का पूरा माल मेरी चूत की गहराई में छोड़ दिया।
उधर राज भी ललिता को अपने चिपका कर ललिता की चूत अपने लंड के पानी से भर दिया। झड़ते वक़्त मैं और ललिता ने अपने हाथों से जय और राज को अपने से सटा लिया था और जैसे ही चूत के अन्दर लंड का फुव्वारा छूटा.. चूत ने भी अपनी अपना रस छोड़ दिया।
अपनी इस पहली अदला-बदली चुदाई के बाद हम सब बहुत थक गए और थोड़ी देर तक अपनी जगह पर लेट कर और बैठ करके सुस्ताने लगे।
जय अपना लंड मेरी चूत से बिना निकाले मेरे ऊपर ही पड़ा रहा और अपने हाथों से मेरी चूचियों से खेलता रहा और कभी-कभी मेरी होंठों पर चुम्मा दे रहा था, मैं भी जय को चुम्मा दे रही थी।
उधर राज भी ललिता की चूत से अपना लंड बिना निकाले उसकी चूचियों को चूस रहा था।
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