RE: Samuhik Chudai सामूहिक चुदाई
मैं और राज कल्पना में जय और ललिता के साथ इतनी बार एक-दूसरे को चोद चुके थे कि ये सब बातें मेरे लिए नई नहीं थीं।
इसलिए मैं राज से बोली, “राज, आज मेरी चूत इतनी गर्म हो चुकी है कि मुझे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आज मुझे कौन चोदता है, तुम या जय.. बस मुझे अपनी चूत में कोई ना कोई लंड की ठोकर चाहिए और वो लंड इतनी ठोकर मारे कि मैं जल्दी से झड़ जाऊँ। इस समय मैं अपनी चूत की खुजली से बहुत परेशान हूँ।
यह सुनते ही राज ने जय की ओर मुड़ कर कहा- जय, क्या तुम आज एक नए आनन्द के लिए डॉली की चूत में अपना लंड डालना चाहोगे? क्या तुम आज डॉली को चोदना चाहोगे?
राज की बात सुन कर जय झटपट ललिता की चूत में चार-पाँच कस-कस कर धक्के मारे और ख़ुशी से बोला, “ज़रूर राज, पर अगर ललिता भी एक नए आनन्द के लिए तुम से अपनी चूत चुदवाना कहती है तो !
जब मैंने देखा कि जय और राज अपनी-अपनी बीवियों को एक-दूसरे से चुदवाना चाहते हैं, तो फिर मैंने हिम्मत करके ललिता से पूछा- ललिता, क्या तुम भी एक नया आनन्द लेना चाहती हो, राज का लंड अपनी चूत में डलवा करके उससे चुदवाना चाहती हो?
ललिता थोड़ी देर तक सोचने के बाद जय के गले में अपनी बाँहों को डाल कर और उसके सीने से अपनी चूचियों को रगड़ते हुए बोली- क्यूँ नहीं..! अगर दूसरे मर्द के साथ डॉली अपनी चूत चुदवा सकती है और यह डॉली के लिए ठीक है तो मुझे क्यों फ़र्क पड़ना चाहिए? मैं भी राज के लंड से अपनी चूत चुदवाना चाहती हूँ और यह भी देखना चाहती हूँ कि जय का लंड कैसे डॉली की चूत में घुसता है और निकलता है और कैसे डॉली अपनी चूत जय से चुदवाती है। आज मैं भी डॉली की तरह छिनाल बनना चाहती हूँ और किसी दूसरे मर्द का लंड अपनी चूत में पिलवाना चाहती हूँ।
और यही हम लोगों की अदला-बदली चुदाई का आगाज़ था।
ललिता की बातों को सुनकर जय ने अपना लंड ललिता की चूत से बाहर खींच लिया और राज से बोला- चल अब हम अपनी-अपनी बीवियाँ बदल कर उनकी चूत को चोद-चोद कर उनका भोसड़ा बनाते हैं।
जय की बात सुनकर राज ने भी अपना लंड मेरी चूत में से निकाला और ललिता की ओर बढ़ गया।
जय भी अपने हाथ से अपना लंड पकड़ कर मेरे पास आया, मेरे पास आकर मेरी जांघों के बीच झुकते हुए उसने पहले मेरी चूत पर एक जोरदार चुम्मा दिया और फिर अपना लंड मेरी कुलबुलाती हुई चूत में लगाया और एक धक्के के साथ अपना लंड मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ दिया।
मैंने भी अपनी कमर उचका कर जय का पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में डलवा लिया। फिर मैं अपनी चूत में जय का लंड लेती हुई और राज को भी ललिता की चूत में अपना लंड घुसा कर ललिता की चुदाई शुरू करते हुए देखने लगी।
राज और ललिता दोनों बड़े जोश के साथ एक-दूसरे को चोद रहे थे।
जितना तेज़ी से राज अपना लंड ललिता की चूत में घुसेड़ता उतनी ही तेज़ी से ललिता भी अपनी कमर उचका कर राज का लंड अपनी चूत में ले रही थी। मैं एक नया लंड अपनी चूत में डलवा कर बहुत खुश थी और खूब मज़े से जय का लंड अपनी चूत में पिलवा रही थी।
जय का लम्बा लंड मेरी चूत के खूब अन्दर तक जा रहा था और मुझे जय की चुदाई से बहुत मज़ा मिल रहा था। जय भी मेरी चूचियों को अपने दोनों हाथों से मसलते हुए मुझे चोद रहा था।
मैं बार-बार राज के मोटे लंड को ललिता की चूत में जाता हुआ देख रही थी। राज भी मेरी चूत को जय के लंड से चुदते हुए बिना परेशानी के देख रहा था।
ललिता भी राज के लंड को मेरी चूत मैं अन्दर-बाहर होते देख रही थी और जय सिर्फ़ मेरी बिना झांटों वाली चिकनी चूत को देख कर उसे चोदने में पूरा ध्यान लगाए हुए था।
इस समय मुझे लगा कि दुनिया में अपने पति को अपनी सबसे चहेती सहेली को चोदते हुए देखने का सुख अपरम्पार है और तब जबकि मैं खुद भी उसी बिस्तर पर उस सहेली के पति से अपने पति के सामने खुल्ल्म-खुल्ला चुदवा रही होऊँ।
कमरे में सिर्फ हमारी चुदाई की आवाज़ गूँज रही थी।
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