RE: Samuhik Chudai सामूहिक चुदाई
मेरी चीख सुनकर ललिता ने जय का लंड अपनी चूत में लेते हुए धीरे से बोली- लगता है कि राज और डॉली ने भी अपनी चुदाई शुरू कर दी है।
यह सुनकर जय ने आवाज़ दी- क्या राज, क्या चल रहा है? क्या तुम और डॉली भी वही कर रहे हो जो हम दोनों कर रहे हैं?
राज ने जवाब दिया- क्यों नहीं, तुम दोनों का लाइव शो देख कर कौन अपने आप को रोक सकता है। इसीलिए मैं और डॉली भी वही कर रहे हैं जो इस वक्त तुम और ललिता कर रहे हो यानी तुम ललिता को चओ रहे हो और मैं डॉली को चोद रहा हूँ।
जय बोला- अगर हम लोग सभी एक ही काम रहे हैं तो फिर एक-दूसरे से क्या छिपाना और क्या परदा? खुले मंच पर आ जाओ, राज। आओ हम लोग एक ही पलंग पर अपनी-अपनी बीवियों को चित्त लेटा करके उनकी टाँगें उठा के उनकी चूतों की बखिया उधेड़ते हैं।
राज ने पूछा- तुम्हारा क्या मतलब है, जय?
“मेरा मतलब है कि तुम लोगों को सोफे पर चुदाई करने में मुश्किल आ रही होगी, क्यों नहीं यहीं पलंग पर आ जाते हो हमारे पास, आराम रहेगा और ठीक तरीके से डॉली की सेक्सी चूत में अपना लंड पेल सकोगे, मतलब डॉली को चोद सकोगे।”
उसकी बात तो सही थी कि हम वाकयी सोफे पर बड़ी विचित्र स्थिति में थे।
राज ने मुझसे पूछा- पलंग पर ललिता के बगल में लेट कर चूत चुदवाने में कोई आपत्ति है?
मैंने कहा- नहीं…! बल्कि मैं तो उन दोनों की चुदाई देख कर काफ़ी चुदासी हो उठी थी और उनकी चुदाई को नज़दीक से देखना चाह रही थी।
टीवी की धीमी रोशनी में मैं यह सोच रही थी कि एक ही पलंग पर पर लेट करके ललिता के साथ साथ चूत चुदवाने में कोई परेशानी नहीं, पर मुझे आने वाली घटना का अंदेशा नहीं था।
राज ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और पलंग पर ले गया, जहाँ जय और ललिता चुदाई में लगे थे।
हमें आता देख जय ने अपनी चुदाई को रोक कर हमारे बिस्तर पर आने का इंतज़ार करने लगा।
जय ने ललिता की चुदाई तो रोक लिया था लेकिन अपना लंड ललिता की चूत से नहीं निकाला था, वो अभी भी ललिता की चूत में जड़ तक घुसा हुआ था और जय और ललिता की झांटें एक-दूसरे से मिली हुई थीं।
राज ने पलंग के नज़दीक पहुँच कर मुझे ललिता के पास चित्त हो कर लेटने को कहा।
जैसे ही मैं ललिता के बगल में चित्त हो कर लेटी, जय मुझे छूकर उठा और कमरे की लाइट जलाकर वापस बिस्तर पर आ गया।
हम लोगों को एकाएक सारा का सारा माहौल बदला हुआ नज़र आने लगा।
हम चारों एक ही पलंग पर चमकती रोशनी में सरे-आम नंग-धड़ंग चुदाई में लगे हुए थे।
जय और ललिता बिना कपड़ों के काफ़ी सुंदर लग रहे थे, ललिता की चूचियाँ छोटी-छोटी थीं पर चूतड़ काफ़ी बड़े थे। उसकी छोटी-छोटी झांटें बड़ी सफाई से उसकी सुंदर चूत को ढके हुए थीं।
कमरे की हल्की रोशनी में ललिता की चूत जो कि इस समय जय का लंड से चुद रही थी, काफ़ी खुली-खुली सी लग रही थी।
क्रमशः..................
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