RE: Samuhik Chudai सामूहिक चुदाई
यह देख कर राज भी गर्म हो गया और मुझे चूमने लगा, मेरी चूचियों से खेलने लगा।
अब जय और ललिता अपने आप में इतने व्यस्त थे कि उनका ध्यान हमारी ओर नहीं था।
यह जान मैंने भी राज के लंड को हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया। राज ने भी अपना हाथ मेरी ललिता पर रख दिया और हम भी जय और ललिता के बीच चल रहे संभावित खेल में शामिल हो गए।
अचानक राज ने देखा कि जय और ललिता के ऊपर से कम्बल एक ओर सरक गया था और उसकी नज़र जय के नंगे चूतड़ों पर पड़ी।
ललिता की साड़ी उतर चुकी थी और जय ललिता के ऊपर चढ़ा हुआ था, वे दोनों पूरी तरह चुदाई में लग गए थे, जय अपना 8″ का खड़ा लंड ललिता की चूत में घुसेड़ चुका था और अपने हाथों से ललिता की चूचियों को मसल रहा था।
यह देख कर राज ने कहा- चलो तुम भी मेरी ललिता बन जाओ !
और यह कह कर राज मेरे दोनों कबूतरों को पकड़ कर कस-कस कर मसलने लगा, पर मैं शर,आ रही थी क्योंकि जय और ललिता की तरह हमारे पास हमारे नंगे बदन को ढकने के लिए कुछ नहीं था।
पर थोड़ी ही देर में मैं भी चुदाई की चलती हुई फिल्म, अपनी चूची की मसलाई और जय और ललिता की खुली चुदाई से काफ़ी गर्म हो गई और राज से मैं भी अपनी चूत चुदवाने के लिए तड़पने लगी।
अब जय और ललिता के ऊपर पड़ा हुआ कम्बल बस नाम मात्र को ही उनके नंगे बदनों को ढक रहा था। ललिता की नंगी चूची और उसका पेट और नंगी जाँघें साफ-साफ दिख रही थीं।
जय इस समय ललिता के ऊपर चढ़ा हुआ था और अपनी कमर उठा-उठा कर जन्नत की चूत में अपना 8″ का लंड पेल रहा था और ललिता भी अपनी पतली कमर उठा-उठा कर जय के हर धक्के को अपनी चूत में ले रही थी और धीरे-धीरे बड़बड़ा रही थी जैसे ‘हाईईईईईईई, और जूऊऊर सीईई चोदूऊऊ, बहुउऊुउउट मज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ा आआआआ र्हईईईई हाईईईई..!’
यह देख कर मेरी चूत गीली हो गई और मैं भी राज से वहीं सोफे पर चुदवाने को राज़ी हो गई।
मेरी रज़ामंदी पाकर राज मुझ पर टूट पड़ा और मेरी दोनों चूचियों को लेकर पागलों की तरह उन्हें मसलने और चूसने लगा।
मैं भी अपना हाथ आगे ले जाकर राज का तना हुआ लंड पकड़ कर सहलाने लगी।
जब मैं राज के लंड तो सहला रही थी तो मुझे लगा कि आज राज का लंड कुछ ज़्यादा ही अकड़ा हुआ है।
राज ने तेज़ी से अपने कपड़े उतारे और मेरे ऊपर आते हुए मेरी भी साड़ी उतारने लगा।
कुछ ही देर में हम दोनों सोफे पर जय और ललिता की तरह नंगे हो चुके थे।
टीवी की धुंधली रोशनी में भी इतना तो साफ दिख रहा था कि कम्बल अब पूरी तरह से हट चुका था और जय खुले बिस्तर पर हमारे ही सामने ही ललिता को जमकर चोद रहा था।
ललिता भी अपने चारों तरफ से बेख़बर हो कर अपनी कमर उठा-उठा कर अपनी चूत चुदवा रही थी।
मेरे ख्याल से जय और ललिता की खुल्लम-खुल्ला चुदाई देख कर मैं भी अब बहुत गर्म हो चुकी थी और राज से बोली- अब जल्दी से तुम मुझे भी जय की तरह चोदो, मैं अपनी चूत की खुजली से मरी जा रही हूँ।
मेरी बात खत्म होने से पहले ही राज का तनतनाया हुआ लौड़ा मेरी चूत में एक जोरदार धक्के के साथ दाखिल हो गया।
राज अपने लंड से इतने ज़ोर से मेरी चूत में धक्का मारा कि मेरी मुँह से एक ज़ोरदार चीख निकल गई।
मैं तो इतनी ज़ोर से चीखी जैसे कि उसका लंड मेरी चूत के अन्दर पहली बार गया हो !
एकाएक पूरा माहौल ही बदल गया। मेरी चीख से जय और ललिता को भी पता लग गया था कि हम दोनों भी उसी कमरे में हैं और अपनी चुदाई में लग चुके हैं।
यह हमारे जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत थी जिसने कि हमें अदला-बदली करके चुदाई के आनन्द का रास्ता दिखाया।
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