RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
सुनील ने उसकी लौ तेज की तो मैंने देखा , लालटेन की झिलमिलाती रोशनी में बस हल्का आभास हो रहा था,
वो एक हाफ शर्ट और नेकर में था , कमरे के एक कोने में पुआल के ढेर सारे ढेर रखे थे ,उसी पर बैठा।
खूब गोरा चिकना , कमसिन , हम लड़कियां जैसे चिकने लड़कों को देखकर आपस में 'कच्चा केला ' कहती थीं , बस एकदम वैसा , लग रहा था अभी अभी दूध के दांत टूटे हैं।
सोच तो में पहले से रही थी ,पर उसको देख के मेरा इरादा पक्का हो गया ,भले ही 'रेप' करना पड़े ,लेकिन इस की नथ आज उतार के रहूंगी।
और मैं धप्प से उसके बगल में पुआल पे बैठ गई , एकदम उससे सट कर, और वो बिचारा सहम कर थोड़ा और सरक गया।
मैं और सरक गई , फिर उसके सरकने की जगह ही नहीं बची। आगे दीवाल थी। हम लोगों की देह अब एकदम चिपकी थी , उसके हिलने की जगह भी नहीं थी। अब मैंने उसे ध्यान से देखा,
और मैं चीख उठी। वो भी चौंक गया।
" चुन्नू , तुम। " मैं चीखी।
" आप , आप , आप दीदी की ननद हैं ". वो हकलाते बोला।
सुनील जो अब मेरे बगल में सट के बैठ चुका था , वो भी चौंक के बोला, तुम दोनों जानते हो एक दूसरे को।
" अच्छी तरह से , लेकिन आज पता चला ये साला , मेरे भइया का साला है , इसलिए अब तो मेरा भी साला हुआ ,क्यों साले। " और जोर से मैंने उसके गोरे गुलाबी गालों को पिंच कर दिया।
किसी लौंडिया की तरह बिचारा गुलाल हो गया।
वो मुझसे एक निचली क्लास में पढता था , मेरे स्कूल से सटे हुए ब्वायज स्कूल में। उसकी एक जुड़वां बहन थी , वो भी मुझसे एक निचली क्लास में पढ़ती थी , चुन्नी। इसी की तरह एकदम कोरी , कच्ची भोली।
कच्ची और कोरी होने की तो चेकिंग मैंने खुद की थी उसकी बहन की रैगिंग में। जितना वो शर्माती उतनी ही हम उसकी और रगड़ाई करते , फिर मैंने ही रास्ता निकाला उसे बचाने का वरना कुछ लड़कियां तो पूरी कैंडलिंग कराने के चक्कर में थी।
" तू गांव से आई है न तो चल गालियां सुना , नान स्टाप , और पूरे दस मिनट तक। हाँ अपने भाई से नाम जोड़ के , अब अगर ये बोलेगी की भाई नहीं है तो फिर ये कैंडिल देख रही है न चूत के अंदर सात इंच पेल के जलाऊँगी। "
बिचारी ,उसने कबूला की उसका एक जुड़वां भाई है , एकदम उससे मिलता जुलता ,चुन्नू नाम है और बगल के ही स्कूल में वो भी उसी क्लास में पढ़ने आया है।
और क्या क्या गालियां नहीं दिलवाई हमने उससे , लेकिन तब भी रही वैसी ही शर्मीली। लेकिन मुझसे पक्की दोस्ती हो गई। वो मुझे दी कहती और उसने एक दिन अपने भाई से मिलवाया भी, हम सब एक पिकचर देखने गए थे वहीं मिला वो।
फिर तो लड़कियों ने उसकी बहन को इतना चिढ़ाया , " यार ये चुन्नू कम चून्नी ज्यादा लगता है। "
मैंने उसकी बहन को छेड़ा , " है बोल तूने इस चुन्नू कम चुन्नी ज्यादा की नूनी पकड़ के देखी है , है भी की नहीं। "
मेरी दूसरी सहेली बोली , " नूनी है भी की नहीं " लेकिन अबकी चुन्नी ने पट जवाब दिया ,
" अबकी आयेगा न तो खोल के देख लेना ,झट पता चल जाएगा। "
सारी लड़कियां उसकी बहन को छेडतीं उसका नाम ले ले के और आपस में भी , " हे ऐसे 'कच्चे केले ' की नाथ उतारने में कितना मजा आएगा। "
लेकिन आज उसकी नथ उतारने का जिम्मा मे्रे हवाले अाया।
मै समझ रही थी वो गौने की दुल्हन की तरह शरमाएगा,झिझकेगा ना ना करेगा , पर गौने की रात किसी दुलहन की फटने से बचती है की उसकी बचेगी। थोड़ा समझाना, थोड़ा प्यार थोड़ा दुलार और ज्यादा जबरदस्ती , ... बस।
मेरी निगाह पहले उसके छोटे से नेकर पर पड़ी , तना तो था। नूनी नही अच्छा खासा खूंटा लग रहा था। सोच तो रही थी की झट से खोल के गप्प से मुंह मे ले लूँ।
लेकिन जब उसके चेहरे पर निगाह पड़ी तो वो एकदम शरम से लाल सुर्ख,...
बस मैने दोनो हाथ से उसका चेहरा पकड़ के जोर से एक चुम्मा ले लिया ,पहले टमाटर ऐसे लाल शर्माते गालों पर उसके बाद सीधे होंठों पर.
और चुम्मा लेके भी मैंने नहीं छोड़ा ,देर तक अपने रसीले गुलाबी होंठ उसके होंठों पर रगड़ती रही।
वास्तव में दूध के दांत लगता है उसके नहीं टूटे थे , पर स्वाद था मीठा।
होंठ हटाते ही मैंने उसे चिढ़ाया , " कल तो बहुत हिम्मत दिखा रहे थे , अब आ गई हूं न करो न जो करना है। "
( कल शाम को सुनील के साथ , उसकी देखादेखी वो भी अंगूठे को गोल कर के उसमें उंगली अंदर बाहर करते , इंटरनेशनल चुदाई का सिंबल दिखा रहा था )
और ये कह के मैंने कस कस के अपने उभारों को उसके सीने के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया।
सुनील से अब नहीं रहा गया , और पीछे से उसने भी मेरे एक उभार को पकड़ के दबाना मसलना शुरू कर दिया।
सुनील की हरकत का बदला मैंने चुन्नू से लिया ,एक झटके में उसकी शर्ट खींच कर के उसे टॉपलेस कर दिया।
एकदम गोरा नमकीन , वैसे ही जिसको लड़के 'चिकना ' बोलते हैं न , एकदम वैसे ,मक्खन पूरा।
आँख नचा के उसे चिढ़ाते बोली , " देख तूने बुलाया था तो मैं आ गयी। अब तू कुछ करे न करे , मैं तो नहीं छोड़ने वाली , एक तो इतना चिकना उपर से भैय्या का साला। साल्ले अब तो मैं तेरी ले के रहूंगी। "
वो बेचारा ,शर्म से उसकी हालात खराब हो रही थी शरमाते ,झिझकते। मुझे उस दिन की याद आ रही थी जब हम रैगिंग में हम लोगों ने उसके जुड़वा बहन के कपडे उतरवाए थे।
लेकिन सुनील आ गया अब उसकी मदद को,कपडे का दुश्मन , और पीछे से अब उसने मेरे कुर्ते को एक झटके में खींच कर उतार दिया।
ब्रा तो मैं जिस दिन भाभी के गाँव पहुंची थी उसी दिन से जब्त हो गयी थी , इसलिए झट से मेरी दोनों जवानी की गोल गोल गोलाइयाँ अनावृत हो गईं , मेरे गोरे गदराए मांसल जोबन , जिन्होंने पूरे गाँव में आग लगा रखी थी।
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