RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
पकौड़ियाँ
" अरे काहें नहीं पिलाऊँगी , मेरी पियारी दुलारी बिटिया है। तुम लोगों की तरह नहीं की एक बार जरा सा दो बूँद ओस की तरह चटा के पूरे गाँव में गाती हो। अरे मैं तो मन भर पेट भर , और एक बार नहीं बार बार , ...मेरी बिटिया एकदम नंबर वन है हर चीज में। तुम्ही लोग जब ये आई थी तो पूछ रही थीं न की बिन्नो किससे किससे चुदवाओगी ,अजय से की सुनील से की दिनेश से , मैंने कहा था न की अरे सोलहवां सावन है ये सबका मन रखेगी। और वही हुआ न , आज तक जो किसी को मना किया हो इसने , ...है न बेटी। "
मैं क्या बोलती। और वो फिर चालू हो गईं हाँ टोन थोड़ा बदल गया , मेरी आँखों में आँखे डाल के मुस्कराते हुए जैसे मुझसे कह रही हों , कहने लगी ,
" और अगर ये सीधे से नहीं , ...तो मुझे जबरदस्ती करनी भी आती है। अरे जबरदस्ती का अलग मजा है। कई बार छोटे बच्चे नहीं मानते तो उन्हें मार के ,जबरदस्ती समझाना पड़ता है तो बस , ... छोटी सी तो है , देखना वो नमकीन शरबत पी पी के , इतना नमकीन हो जायेगी की , अपने स्कूल का बल्कि शहर का सबसे नमकीन माल , पीना तो इसे पडेगा ही। "
मेरी आँखे बंद हो गयी और कारण उनकी बाते नहीं उँगलियाँ थीं जो अब खुल के मेरे कंचे की तरह कड़े कड़े गोल निपल पे घूम रहीं थीं उसे मसल रही थीं , और मस्ती से मैं पनिया रही थी मेरी आँखे बंद हो रही थीं।
एक रात पड़ोस के गाँव में बिताने के बाद न जाने मेरी भाभी को क्या हो गया था। आज वो बसंती और गुलबिया से भी दो हाथ आगे बढ़ बढ़ के , ... उन्होंने चैलेन्ज थ्रो कर दिया,
" अरे तो फिर देर किस बात की , न नाउन दूर ,न नहन्नी दूर , तो हो जाय , की आपकी बिटिया हम लोगों से सरमा लजा रही है। मिटा दीजिये पियास इसकी। वर्ना जंगल में मोर नाचा किसने देखा , हो जाय। "
चंपा भाभी और बसंती दोनों ने हामी भरी।
अब मेरी हालत खराब थी ,बुरी फंसी, बचने का कोई रास्ता भी नहीं समझ में आ रहा था।
बस मैंने वही ट्रिक अपनाई जो कई बार अपना चुकी थी , बात बदलने की।
बाहर मौसम बहुत मदमस्त हो रहा था। ढेर सारे सफ़ेद आवारा बादल धूप का रस्ता रोक के खड़े हो जा रहे थे , गाँव के लौंडो की तरह। हवा भी ठंडी ठंडी चल रही थी। बाहर कहीं से कजरी गाने की आवाजें आ रही थीं।
" आज सोच रही हूँ बाहर घूम आऊं , मस्त मौसम हो रहा है। "
लेकिन काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती सो मेरी ट्रिक फेल हो गयी।
और हुआ ये की मेरी भाभी कड़ाही में पकौड़ियाँ छान रही थीं , प्याज ,आलू और बैगन के।
बंसती निकाल के ले आई और उसने भाभी की मां की ओर बढ़ाया , तो मेरी भाभी और चम्पा भाभी दोनो ने जोर जोर से सर हिला के मना किया और मेरी ओर इशारा किया।
मेरे कुछ कहने के पहले ही बसंती ने सीधे मेरे मुंह में दो गरमागरम पकौड़े ,... खूब करारी ,स्वादिष्ट,मजेदार।
' ओह अाहहहह , ... उहह ,' पूरा मुंह छरछरा रहा था जैसे आग लग गयी हो।
पकौड़ी नहीं मिर्चों का बाम्ब हो जैसे और सब की सब एक से एक तीखी , जोर से लग रही थी , चीख भी नहीं पा रही थी। पूरे मुंह में ऊपर से नीचे तक , उफ्फ,
पानी ,... ओह पानी ,... पानी ,... मिर्च लग गयी मैं तड़फड़ाती चिल्लाई।
लेकिन वहां कौन पानी देने वाला था ,ऊपर से जले पर मिर्च छिड़कने वाले और ,
मेरी भाभी और चंपा भाभी मेरी हालत देख के मुस्करा रही थीं। और आज मैंने कहा था न की मेरी भाभी सबके कान काट रही थीं , अपनी हंसी रोकती मुझसे बोलीं ,
" अरे बहुत पियास लगी है , तो तेरे मुंह के पास ही तो झरना है। बस मुंह लगाओ , और मन भर के पीओ ,चुसुर चुसुर। कुल प्यास बुझ जायेगी। अरे पीने का मन है तो पी लो न , काहें पकौड़ी में मिर्चों का बहाना बना रही हो। अब भौजाई लोग पानी नहीं देंगी वही देंगी जो इतनी देर से बिटिया को प्यार दिखा रही हैं। "
" अच्छा चल ये बैगन वाली खा लो , इसमें मिर्च नहीं होगी। " मेरे मना करते करते ,बसंती ने एक बैंगनी मेरे मुंह में ठेल दिया।
इसमें तो पहले से भी दस गुनी मिर्चे थीं।
मेरी आँख से नाक से पानी बह रहा था , मुंह से बोल भी मुश्किल से निकल रहे थे।
चंपा भाभी के मुंह से बोल निकले लेकिन अबकी निशाने पर उनकी सास यानि मेरी भाभी की माँ थी।
" इतने देर से बोल रही थीं न की बिटिया की प्यास बुझा देंगीं , दुलारी बिटिया ,पियारी बिटिया , और ये भी बोल रही थी की नहीं मानेगी तो जबरदस्ती हाथ पैर बाँध के , ... बिचारी अब खुद इतनी देर से रिरिया रही है , बिनती कर रही है , पानी पानी तो काहे नहीं पिलाती पानी। ये तो खुदे मुंह बाए मांग रही है और आप ,... "
मेरे हाथ तो वैसे ही मेरी भाभी की मां की टांगो के बीच फंसे थे , मिर्चों के चक्कर में मुंह से आह आह के अलावा कुछ आवाज नहीं निकल रही थी। हिलने डुलने की हालत में मैं एकदम नहीं थी और ऊपर दूत की तरह बसंती , उनके साथ ही बैठी थी। उसकी पकड़ तो मैं देख ही चुकी थी।
पता नहीं सच या मेरी आँखों को धोखा हुआ वो ( मेरी भाभी की माँ , अपनी गोरी गोरी मांसल पिंडलियों से साड़ी ऊपर सरका रही थीं ).
लेकिन ,...
मुझे बचाने दूत की तरह वो आई , चन्दा।
|