RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
सपने
थकी इतनी थी की झट से नींद ने आ दबोचा।
लेकिन आप कितनी भी थकी रहो , रात को , किसी भी गाँव की नयी दुल्हन से पूछो , मरद छोड़ता है क्या।
और वही हालत सपनों की थी , न जाने कहाँ कहाँ से रंग बिरंगे सपने , पंख लगाए इंद्रधनुषी।
बस सिर्फ एक बात थी की अगर सपने सेंसर होते , तो सब पर कैंची चल जाती और कुछ पर अडल्ट का सर्टिफिकेट लग जाता। सपनों की कोई सींग पूँछ भी तो नहीं होती कहीं से शुरू कहीं से खत्म हो जाते हैं। कोई भी बीच में आ जाता है। लड़के लड़कियां ,औारतें सब ,
एक लड़के के मोटे खूंटे पे मैं बैठ के झूला झूल रही थी , तभी उसने पकड़ के मुझे अपने ऊपर खींच लिया और दोनों पैर पिछवाड़े पे कर के बाँध दिया। मैं हिल डुल भी नहीं सकती थी। और तब तक पीछे से दूसरे ने , कामिनी भाभी के मर्द से भी मोटा औजार रहा होगा , ठेल दिया।
फट गईईईई ई ई, .... मैं जोर से चीखी लेकिन चीख न निकल पायी।
मेरे खुले मुंह में एक मोटा लण्ड किसी ने ठूंस दिया। उसके बाद तीनो ने हचक हचक कर ,
सपने में भी दर्द के मारे मैं मरी जा रही थी।
मजे से भी मैं मरी जा रही थी।
गपागप , गपागप
सटासट ,सटासट , तीनो छेदों में मोटा मूसल ,
और तभी एक कस के खिलखिलाहट भरी हंसी सुनाई दी और एक तगड़ा कमेंट।
सपने में भी ये आवाज मैं पहचान सकती थी , गुलबिया थी।
" कहो हमार छिनार ननदिया आ रहा है मजा भरौटी क लौंडन का , अरे अबहिन तो ई शुरआत है , आधा दरजन से ऊपर अभी तेल लगा के मुठिया रहे हैं। ' फिर
फिर गुलबिया ने उन लड़कों को लललकारा ,
" अरे हचक के पेलो सालों। आगे पीछे दुनो भोसड़ा बन जाना चाहिए। जब ई भरोटी से जाए न तो चार लड़कन वाली सी भी ढीली एकर भोसड़ा हो जाना चाहिए। "
अरे अचानक मैं ने उन लड़कों को पहचाना , वही तो थे जो आज भरोटी में मिले थे और जिन्हे ललचा के मैं दावत दे के आ गई थी।
गुलबिया एकदम पास आ गयी थी और सपने में मैं वो देख रही थी जो कल मैंने शाम को सच में देखा था।
झूले के बाद जब पानी बरसने लगा था तो वहीँ कीचड़ में लिटाकर ,पटक कर ,
नीरू अरे वही सुनील की बहन जो मुझसे भी थोड़ी छोटी है , और गुलबिया , बसंती , चंपा भाभी सबकी ननद लगती है ,
बसंती ने कस के उसे दबोच रखा था और गुलबिया सीधे उसके ऊपर , साडी उठा के , अपनी मोटी मोटी जाँघों से कस के उसका सर दबोच के ,
चारो ओर बारिश की बूंदे बरस रही थीं ,और गुलबिया की ,... से, हलकी हलकी सुनहली धार ,
नीरू छटपटा रही थी , छोटे छोटे किशोर चूतड़ पटक रही थी लेकिन , बसंती और गुलबिया की पकड़ ,
सपने में मैं कहीं भी नहीं थी ,
लेकिन सपनों का क्या भरोसा ,
कुछ देर में नीरू की जगह मैं थी और मेरे ऊपर बसंती
चंपा भाभी , चमेली भाभी , मेरी भाभी की माँ सब बसंती को ललकार रही थी , पिला दे , पिला दे ,
कुछ देर बाद बसंती ने सुनहला शरबत ,....
मैंने आँखे बंद कर ली पर सपने में आँखे बंद करने से क्या होता है ,
हाँ कुछ देर में सपना जरूर बदल गया।
बसंती और गुलबिया दोनों मेरे बगल में थी ,
मेरी गोरी चिकनी जाँघे फैली थीं , मैं देख नहीं पा रही थी ,लेकिन कुछ देर में मैंने वहां एक जीभ महसूस की ,
पहले हलके हलके फिर जोर से मेरी चूत चाट रहा था।
अपने आप जैसे मैं पिघल रही थी , मेरी जाँघे खुद ब खुद खुल रही थी , फ़ैल रही थी।
मैं एकदम आपे में नहीं थी। बस मन कर रहा था की ,
और वो जीभ भी , पहले ऊपर से नीचे तक जोर जोर से लिक करने के बाद , उसने जैसे ऊँगली की तरह मेरी गुलाबी पंखुड़ियों को फैलाया और ,सीधे अंदर।
फिर गोल गोल अंदर घूमने लगी।
' नहीं रॉकी नहीं , अभी नहीं , तुम बहुत शैतान हो गए हो , लालची छोड़ बस कर , बाद में बाद में, ... "
मैं नींद में बोल रही थी ,अपने हाथ से हटाने की कोशिश कर रही थी , लेकिन उसकी जीभ का असर , मस्ती से मेरी गीली हो गयी।
तबतक झिंझोड़ के मैं जगाई गयी।
" बहुत चुदवासी हो रही हो छिनार , अरे बिना रॉकी से चुदवाए तुझे जाने नहीं दूंगी लेकिन अभी तो उठो। "
मैंने मुश्किल से आँखे खोली। चम्पा भाभी थीं।
और जिसे मैं सपने में रॉकी की जीभ समझी थी , वो चम्पा भाभी की हथेली और उंगलियां थी। उन्होंने छोटी सी स्कर्ट को उलट दिया था और जो मुझे जगाने का उनका तरीका था , अपनी गदोरी से मेरी चूत को हलके हलके रगड़ मसल रही थीं ,और जब मैंने मस्त होकर खुद अपनी जाँघे फैला दी तो ऊँगली का एक पोर बल्कि उसकी भी टिप सिर्फ , खुले फैले निचले गुलाबी होंठों के बीच
मैं एकदम पनिया गयी थी , मन कर रहा था बस कोई हचक के ,...लेकिन मैं भी जानती थी कल सुबह तक उपवास है ,भूखी ही रहना होगा। "
" आ गयी है न चल आज से रॉकी तेरे हवाले फिर से। तुझे बहुत भूख लग रही होगी न ,बसंती हलवा बना रही है तेरा फेवरिट। "
लेकिन मेरे दिमाग में तो कामिनी भाभी की बाते याद आ रही थी जब वो गुलबिया को उकसा रही थी , मुझे 'खिलाने पिलाने ' के लिए , .... कहीं बसंती भी कुछ , और मैं कुछ कर भी तो नहीं सकती थी। घर में सिर्फ बसंती और चंपा भाभी ही तो थीं ,
और चंपा भाभी कौन कामिनी भाभी से कम थीं।
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