RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
गुलबिया
अब तक
लेकिन भौजी तो भौजी थीं ,
" साल्ली छिनार, हरामी की जनी , गांड चट्टो , बहुत गांड चाटने का सौक है न चल चटवाती हूँ गांड तुझे , तेरा ये शौक भी पूरा हो जाए। "
और जब तक मैं सम्हलती समझती , उन्होंने खींच के मुझे अपने बगल में लिटा लिया , और वो मेरे ऊपर ,उनकी मोटी मोटी जाँघे मेरे चेहरे के दोनो ओर , कुछ उन्होंने एडजस्ट किया और
भौजी की गांड का छेद सीधे मेरे होंठों के ऊपर ,
" खोल मुंह ,भडुए की औलाद ,रंडी की जनी , कुत्ताचोदी,... खोल वरना ,... "
और मैंने मुंह खोल दिया। मुझे मालूम था भाभी बिना मुंह खुलवाए मानेंगे नहीं ,
थोड़ा और सरकी वो दोनों हाथों से पूरी ताकत से उन्होंने अपने बड़े बड़े ३८ ++ साइज के चूतड़ फैलाए और अब
उनकी खुली गांड का छेद सीधे मेरे मुंह में ,फंसा ,उसके ऊपर मैं टस से मस भी नहीं हो सकती थी।
" ले चाट , चाट कस के , जीभ ननद रानी ,एकदम अंदर तक जानी चाहिए समझ लो , बाहर बाहर से न तुझे मजा आयेगा न मुझे , तुझे बहुत शौक है तो पक्की गांडचट्टो तुझे बना के छोडूंगी चल चाट।“
कुछ देर तक तो मेरे समझ में नहीं आया ,
लेकिन मेरे समझ में न आने से क्या होता है , मेरी जीभ को तो समझ में आ गया था , भौजी का हुकुम क्या है।
और कुछ देर बिचकने , हिचकिचाने के बाद , जीभ की टिप ,हलके हलके , सम्हलते सम्हलते , गोलकुंडा के अंदर प्रवेश और उसकी दीवालों को ,
भौजी खुश।
और लगीं आशिसने
" मस्त चाट रही है , साली छिनार , खानदानी गांड चट्टो है ,लगता है पेट से सीख के आई है हां ,अरे भोंसड़ी के और अंदर , पूरा , और डाल गदहे की जनी। '
मैंने और कोशिश की ,.. कुछ , ...ऐसा वैसा , ..मन गिनगिना सा गया।
एक पल के लिए की लिए रुकी की भौजी फिर , ऐसा हड़काया उन्होंने की ,
" रुक क्यों गयी साल्ली , तेरे सारे खानदान की गांड मारुं , अरे सबेरा अपना तो ,भैया के लण्ड से सपड सपड , तो मेरे में ,... जब तक भौजाई का ,... ननद को , चल और अंदर डाल घुमा गोलगोल ,"
और उसके साथ ही , जैसे कोई अति अनुभवी खेली खायी प्रौढा किसी नयी उमर की नयी फसल टाइप लड़के पे , खुद चढ़के ,उसके बांस पे उछल उछल के ,...
कामिनी भाभी ने उसी तरह बागडोर अपने हाथ में ले ली। मेरी जीभ जैसे उस नौसिखिए लड़के का खूंटा हो , बस ,
कभी गोल गोल , तो कभी आगे पीछे ,उनके चूतड़
और उनकी गांड में घुसी जीभ ने धीमे धीमे उसी सुर ताल पे
चाटना , चूसना ,...
" जिस दिन गुलबिया के हाथ पडोगी न , बिना भर पेट खिलाए पिलाए वो छोड़ेगी नहीं। चार चार बच्चों की माँ ननदें , होली में उससे पनाह मांगती है। और इस बात की गारण्टी ,तुम्हे तो छोड़ेगी नहीं वो , और उस की क्या गलती , माल ही तुम इतनी नमकीन हो। कितनो चिंचियाओगी ,चूतड़ पटकोगी न , गुलबिया के आगे ,... "
तब तक दरवाजे पर खटखट हुयी।
मैं और कामिनी भाभी झट से पलंग के नीचे , खड़े हो गए।
मैंने पहले ही कहा था साडी का यही फायदा , सब कुछ ढँक गया।
आगे
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दरवाजा शायद ठीक से नहीं बंद था , दरवाजा खुल गया।
फटाक।
गुलबिया अंदर।
" अरे हम्मे कौन याद कर रहा था। " घुसते ही गुलबिया ने पूछा।
और मुस्कराते हुए कामिनी भाभी ने सवाल का मुंह मेरी ओर मोड़ दिया।
" और कौन,इहे हमार तोहार छिनार ननदिया। बहुत गुस्सा हो तुमे " उन्होंने गुलबिया से बोला।
गुलबिया ने मुझे अंकवार में भर लिया और वो कुछ मुझसे पूछ पाती की उसके अनबोले सवाल का जवाब खुद कामिनी भाभी ने खुद दिया। सदर्भ और प्रसंग वही था ,जस्ट गुलबिया के आने के पहले का।
कामिनी भाभी ने आँख नचाकर गुलबिया से बोला ," हमार ननद तोहसे इसलिए गुस्सा हौ की , वो कह रही है की , भौजी हमको आपन स्पेसल हलवा अबहीं तक नहीं नहीं खिलायीं ,लागत है हमको आपन ननद नहीं मानती है। "
गुलबिया ने तुरंत मेरे गाल पे एक जोर का चुम्मा लिया अपने एक हाथ से साडी के ऊपर से ही मेरे चूतड़ भींचे और हंस के बोलीं ,
" अरे ई तो हमार सबसे पक्की असली छिनार ननद हौ। बकि इसकी शिकायत तो सही है लेकिन अबहीं तोिंके शहर जाय में ७-८ दिन है न। एक बार क्यों ,बार बार खिलाऊंगी। बल्कि भरोटी में बुलायके दावत दूंगी , घबड़ा जिन। और अगर तनिको चूं चपड़ किहु न तो बस जबरदस्ती , हाथ गोड़ बाँध के। "
और साथ ही उसकी समझदार उंगलियां साडी के ऊपर से ही मेरी गांड की दरार में दबा के हलके से घुसा के , हालचाल पता कर रही थीं।
और गुलबिया की आँखों की चमक से पता चल गया की वो समझ गयी है की रात भर पिछवाड़े जम कर हल चला है।
और रात भर क्यों सुबह सबेरे भी ,... अभी भी मक्खन मलाई दोनों छलक रही थी।
मैंने बात बदलने की कोशिश करते हुए ,अपनी भाभी के लौटने के बारे में पूछा।
पता चला की भाभी और माँ देर शाम तक आ जाएंगी। वो दोनों लोग पड़ोस के गाँव में गयी थीं। घर पे बसंती और चंपा भाभी हैं। और उन दोनों लोगों ने गुलबिया को भेजा है मुझे लाने के लिए। वो अपने साथ मेरे लिए कपडे भी लायी है , और उसने कपडे मुझे दे दिए।
एक टॉप , जिसकी सबसे निचली बटन को छोड़के सब टूटी ( या तोड़ दी गयी थीं , और मुझे सोचने की जरुरत नहीं थी की ये हरकत बसंती भौजी की थी ). जिसे मैं दो साल पहले पहनना छोड़ चुकी थी और अब बहुत मुश्किल से घुस सकती थी। और कपडा भी बहुत पतला सा , साथ में एक स्कर्ट , वो भी दो साल पहले की , अब घुटनों से कम तीन बित्ते ऊपर ,..
और मैं कपडे बदलने के लिए अंदर मुड़ी तो कामिनी भाभी ने मुझे रोक लिया ,
" अरे हमसे सरमाय रही हो की गुलबिया से ,हम तो कुल देखी चुकी हैं और ,... "
बात काट के गुलबिया बोली ," और हम भी देख लेंगे ".
गुलबिया बात में नहीं हाथ में विशवास करती थी और जब तक मैंने कुछ समझू मेरी साडी का आँचल उसके हाथ में , और सरर ,
" अरे ननदों की साडी खोलने की बहुत ट्रेनिंग है हमको , " हँसके चिढ़ाते गुलबिया बोली।
" और क्या छिनार रंडी ननदें अपने भाइयों के सामने तो चट्ट से खोल देती हैं तो भौजाइयों से का सरम। " कामिनी भाभी ने गुलबिया की हाँ में हाँ मिलाई। मेरी झिझक का नुक्सान ये हुआ की साडी तो उतार के गुलबिया ने दूर फेंक दी, मुझे जो वो टॉप स्कर्ट लायी थी वो भी नहीं मिली।
पहले तो कामिनी भाभी अकेली थीं अब गुलबिया भी शामिल हो गयी थी छेड़ने में ,
और जब तक तीन तिरबाचा नहीं भरवाया , कसम नहीं खिला दी , पता नहीं क्या किस किस बात की , जिसे बोलने बताने में भी शरम लगे , हाँ उसमें ये भी शामिल था की मैं एक दिन पूरा उसके साथ भरोटी में बिताऊंगी।
और उसके साथ गुलबिया ने पूरा मौका मुआयना भी किया , सिर्फ आँखों से नहीं , उँगलियों से भी ,.. पहले ऊपर की मंजिल का ,मेरी चूचियों पे जो भैया के दांतों के निशान थे , भौजी के नाखूनों की खरोचें थी ,सब एक एक , ...और उसके बाद नीचे की मंजिल भी ,आगे भी ,पीछे भी ,...
और खूब खुश हो के गुलबिया ने पहले मुझे देखा और फिर कामिनी भाभी को अचानक झप से अंकवार में भरते , दबोचते बोलीं।
" अब हो गयी हो मस्त माल , हमार असली ननद , ... अब तो तोहरे ऊपर चार चार मरद एक साथ चढ़ने चाहिए ,आगे पीछे एक साथ , रात भर , दो चोदे , दो मुठियावत खड़ा रहें , एक निकारे दूसरा डारे , एको पल खाली न रहे , ... "
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