RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
पूरा अंदर , ...
अंदर तक ,...
…………….
दरेरते रगड़ते छीलते घिसटते गांड का छल्ला पार हो गया था।
मैं बड़ी जोर से चीखी ,और किसी ने भी मेरी चीख रोकने की कोशिश नहीं की। भैय्या ने भी नहीं ,
भाभी तो बोलीं , " अरे चीखने दो साल्ली को , बिना चीख पुकार के गांड मरौवल का मजा क्या। रोने दो , चोदो हचक हचक के। आखिर तेरी बहन भी तो इसका भाई बिना नागा रोज चोदता होगा। चोदो गांड इस छिनार की हचक के , फाड़ दो साली की मोची से सिलवा लेगी। "
भैय्या पे वही असर हुआ जो भौजी चाहती थीं।
वो पूरे जोश में आगये , हचक हचक के पूरी ताकत से ,..
दरेरते ,रगड़ते, फाड़ते घुस रहा था।
दर्द के मारे जान निकल रही थी , मैं गांड पटक रही थी , चीख रही थी , आंसू मेरे गाल पे गिर रहे थे , लेकिन भौजी की गालियां ,
" काहें छिनरो मजा आ रहा है मोटा लौंडा घोंटने में , अबहिन तो बहुत मोट मोट लौंडा घोंटोगी , मेरी रंडी की जनी। घोंटो घोंटो बहुत चुदवासी हो न तेरी गांड का भोंसड़ा बनवा के भेजूंगी , कुत्ता चोदी। "
अनवरत ,नान स्टाप।
तबतक उन्होंने कुछ किया जिससे मेरी बस जान नहीं निकली,
आधे से ज्यादा खूंटा मैं घोंट चुकी थी।
भइया बजाय धक्का मारने के बस ठूंसे जा रहे थे , गजब की ताकत थी उनमे।
लेकिन भौजी ने मुझे पकड़ के ऊपर खींचा जोर से , और भैया ने भी नीचे , आलमोस्ट लंड बाहर हो गया सुपाड़ा भी काफी कुछ बाहर , लेकिन तभी ,... दोनों ने एकसाथ , भौजी ने ऊपर से दबाया और भइया ने नीचे से पेलना शुरू किया और एक बार फिर , मेरी गांड के छल्ले को चीरता फाड़ता वो मोटा सुपाड़ा ,
और भौजी ने जोर से मेरे निपल की घुन्डियाँ मरोड़ दीं ,
और मुझसे बोलने को कहा ," बोल छिनार बोल , वरना चाहे जितना चीखेगी छोडूंगी नहीं , बोल की मैं छिनार हूँ , भाईचोदी हूँ , चुदवासी हूँ।
लेकिन बोलने से भी नहीं जान बची ,
" जोर से बोल , और जोर से बोल। ..अरे पूरी ताकत से बोल , दस दस बार , वरना गांड में तेरे कुछ भी दरद नहीं हो रहा है , छिनार की जनी , जिस भोंसड़े से शहर भर के भंडुओं के छोड़ने के बाद से निकली है न , उसी में इस गाँव के सारे मर्दों को , ...घोड़े दौड़ा दूंगी उसमे। "
मैं रंडी की जनी हूँ , मैं गाँव में चुदवाने ,गांड मरवाने आई हूँ , पूरे गाँव की रखैल हूँ , मैं पूरे गाँव से गांड मरवाउंगी। मैं नंबरी छिनार हूँ ,...और भी। ..
पांच दस मिनट तक , पूरे जोर से ,... भौजी की धमकी , ...अगर एक बार भी धीमे बोली न तो पांच बार और बोल , भंडुए की औलाद , ...और साथ में धमकी ,... तेरी गांड में तो कुछ भी दरद नहीं हो रहा है ननद रानी। अगर एक बार भी बोलने में हिचकी न ,तो ये अपना हाथ कोहनी तक तेरी बुर में पेल दूंगी , कुँवारी आई थी गाँव में भोसड़ी वाली हो के जायेगी।
और मुझे उनके बात पे पूरा विश्वास था।
उस दिन रात में मैं चंपा भाभी के दरवाजे के बाहर से सुन चुकी थी ,चंपा भाभी मेरी भाभी से कह रही थीं की वो और कामिनी भाभी दोनों मिल के मुट्ठी करेंगी , एक गांड में और दूसरी भाभी की बुर में।
भाभी की माँ भी तो एक बार अपनी होली का किस्सा सूना रही थी , चम्पा भाभी और मेरी भाभी के सामने, कैसी अपनी शादी के चार पांच साल बाद , होली में मेरी भाभी की बुआ की ( यानी अपनी ननद की ) इसी आँगन ,इसी आँगन में पहले नंगा करके रंग लगाया , रगड़ा और पूरी की पूरी मुट्ठी उनकी बुर में ,...
इसलिए कामिनी भाभी कर भी सकती थीं , और मैं उनकी बात मान के जोर जोर से बोल रही थी ,
मैं रंडी की जनी हूँ , मैं गाँव में चुदवाने ,गांड मरवाने आई हूँ , पूरे गाँव की रखैल हूँ , मैं पूरे गाँव से गांड मरवाउंगी। मैं नंबरी छिनार हूँ। ...
लेकिन जब पांच दस मिनट बोल के रुकी तो मैंने देखा , भैय्या मुस्करा रहे थे और उससे भी ज्यादा , भाभी। ..
" नीचे देख ज़रा छिनरो , " भौजी बोलीं और मैंने देखा और दंग रह गयी।
आलमोस्ट पूरा , मुश्किल से दो ढाई इंच बचा होगा , छ सात इंच मैं घोंट गयी थी।
अब मैं भाभी की ट्रिक समझी , गाली दे दे के , मुझसे गालियां दिलवा के मेरा ध्यान उन्होंने गांड में हो रहे दर्द से हटा दिया था। और भैय्या मेरी दोनों चूंचियां पकड़ के ,कस कस के , हुमच हुमच के अपना मोटा लंड उचका उचका के मेरी कसी कुँवारी गांड में ठेल रहे थे।
( हाँ ये बात अलग है जो मैं चिल्ला चिल्ला के बोल रही थी ,मैं चुदवासी हूँ ,पूरे गाँव की रखैल बनूँगी , मेरी गांड को मोटे मोटे लंड चाहिए , बाहर धान के खेत में काम करने वालियां अच्छी तरह सुन रही थीं और जिस तरह से वोबातें बाटतीं है ,पनघट पे ,खेत में ,गाँव के पोखर पे ,... शाम तक गाँव की सारी औरतों को ये बातें मालूम हो गयीं। )
" बिन्नो अब तेरा नंबर है , घोंट चूतड़ उठा के ,दिखा दे कैसी नंबरी चुदक्कड़ है तू , अपनी मायकेवाली रंडियों का नाम मत डूबा। "
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