RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
भैय्या
अब तक
की भैय्या को शहर में दो लोगों से मिलना था। एक ने बोला की वो कल मिलेगा , इसलिए वो शाम को ही लौट आये और बगल के गाँव में अपने दोस्त के यहाँ रुक गए थे। तब तक तेज बारिश आ गयी और उन्होंने खाना वहीँ खा लिया। लेकिन जब बारिश थमी तो वो ,... "
बात काट के मैं खिलखिलाते हुए बोली , तो रात को जो चूहा आप कह रही थीं , वो वही,....
" एकदम बिल ढूंढता हुआ आ गया। चूहे को तो बिल बहुत पसंद आयी लेकिन बिल को चूहा कैसा लगा। " कामिनी भाभी भी हँसते मुझे चिढ़ाते बोलीं।
" बहुत अच्छा ,बहुत प्यारा लेकिन भौजी मोटा बहुत था। " मैंने ने भी उसी तरह जवाब दिया।
…
तब तक बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई ,
हँसते हुए भाभी बोलीं ," चूहा "
आगे
हँसते हुए भाभी बोलीं ," चूहा "
भैया थे ,नहा के निकले। सिर्फ एक छोटा सा गीला अंगोछा पहने , जो 'वहां ' पर एकदम चिपका था , सब कुछ दिखने वाले अंदाज में।
भाभी और उनके पीछे मैं वहीँ पहुँच गए।
मैं बस ,... पागल नहीं हुयी।
देखा तो उन्हें कल रात में भी था। लेकिन धुंधली रौशनी उस पर चांदनी और बादलों की लुकाछिपी का खेल, फिर कभी मैं दर्द में डूबती, कभी मजे में उतराती और सबसे बढ़कर भाभी आधे समय मेरे ऊपर चढ़ी हुयी थीं , इस लिए कल देखने से ज्यादा उन्हें मैंने महसूस किया था।
लेकिन इस समय तो बस ,क्या मेल मॉडल्स की फोटोग्राफ्स होंगी ,...
सबसे दुष्ट होती हैं आँखे। और उनकी बड़ी बड़ी खुश खुश आँखों में जो मस्ती तैर रही थी,जो नशा तारी हो रहा था ,वो किसी भी लड़की को पागल बनाने के लिए काफी था।
चार आँखों का खेल कुछ देर चला , फिर मैंने आँखे थोड़ी नीचे कर लीं।
पर वो जादू कम नहीं हआ।
वो जादू क्या जो सर पे चढ़ के न बोले और उन के देह का तिलस्म , बस मैं हमेशा के लिए उसमें कैद हो चुकी थी।
जैसे साँचे में बदन ढला हो , एक एक मसल्स , और क्या ताकत थी उनमें , जोश और जवानी दोनों छलक रही थीं।
फ़िल्मी हीरों के सिस्क्स पैक्स सूना भी था और देखा भी था , लेकिन आज लगा वो सब झूठ था। असली जो था मेरे सामने था।
सीना कितना चौड़ा और एकदम फौलादी ,लेकिन कमर वैसी ही पतली ,केहरि कटि ,
एकदम V शेप में ,
और उसके नीचे , एक पल के लिए ,... मेरी आँखे अपने आप मुंद गयी , ... लाज से।
आप कहोगे रात भर घोटने के बाद भी , लेकिन रात की बात और थी , यहां दिन दहाड़े , बल्कि सुबह सबेरे,...
लेकिन नदीदी आँखे , लजाते शर्माते , झिझकते सकुचाते आँखे मैंने खोल ही दिन।
ढका था वो , अपनी सहेलियों की भाषा में कहूँ तो सबसे इम्पॉरटेंट मेल मसल , ...
लेकिन ढका भी क्या , गीले गमछे में सब कुछ दिख रहा था। था भी मुश्किल से डेढ़ बित्ते का वो और गीला देह से एकदम चिपका।सब कुछ दिख रहा था। शेप , साइज ,...
बाकी लोगो का जो एकदम तन्नाने के बाद जिस साइज का होता है , ५-६ इंच का उतना बड़ा तो वो इसी समय लग रहा था। खूब मोटा ,प्यारा सा , मीठा और सबसे बढ़ कर उसका सर , एकदम लीची सा ,... मन कर रहा था झट से मुंह में ले लूँ।
मेरी आँखे अब बस यहीं चिपक के रह गयीं।
अगर मेरे नैन चोर थे तो उनकी आँखे डाकू।
अगर मेरी निगाहें गीले गमछे के अंदर उनके 'वहां' चिपकी थीं, तो उनकी आँखे भी मेरे किशोर नए आये उभारो पे ,
और वहां भी तो सिर्फ पतली सी साडी से मेरे जुबना ढके थे , न ब्रा न ब्लाउज। और उन्हें छिपाने के लिए जो मैंने कस के साडी उनके ऊपर बाँधी थी वही मेरा दुश्मन हो गया।
पूरे उभार ,उनका कटाव और यहाँ तक की गोल गोल कड़े कंचे के शेप और साइज के निपल्स , सब कुछ दिख रहा था।
दिख रहा था तो दिखे , मुझे भी अब ललचाने में रिझाने में मजा अाने लगा था। और मैं ये भी जानती थी की मेरे जोबन का जादू सर चढ़ के बोलता है।
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हम दोनों का देखा देखी का खेल पता नहीं कितने देर तक चलता रहता , मैच ड्रॉ ही रहता अगर कामिनी भाभी ने थर्ड अंपायर की तरह अपना फैसला नहीं सुनाया होता ,
" आपसे कहा था न , सारे गीले कपडे वहीँ बाथरूम में , तो ये गीला गीला गमछा पहने , ... उतार कर वहीँ , जहाँ बाकी गीले कपडे हैं ,... "
भाभी ने बोला भैय्या से था , लेकिन जिस तरह से मेरी ओर देख के वो मुस्कराई थीं , मैं समझ गयी , हुकुम मेरे लिए है।
बस अगले ही पल , मैंने झट से गमछा खीच के उतार दिया और गोल गोल लपेट के ,पूरी ताकत से , ,... एकदम लांग आन बाउंड्री से सीधे विकेट पर। गीले कपड़ों वाली बाल्टी में।
……………..
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