Long Sex Kahani सोलहवां सावन
07-06-2018, 02:24 PM,
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
घुस गया ,अटक गया ,अंडस गया 


लेकिन उससे १०० गुना ज्यादा ताकत से भैय्या के दोनों हाथों ने मेरी गांड को फैला के , मैंने उनके सुपाड़े के टच को महसूस किया , 

लेकिन तभी 




………………….

पूरे जोर से , कककचा के कामिनी भाभी ने मेरे निपल काट लिए। उनके दांत गड गए और वो तब भी दबाती रही , चबाती रहीं। 




मैं दर्द से बिलबिला रही थी , आँखों में आंसू छलक रहे थे लेकिन उसी समय कामिनी भाभी के लम्बे नाखूनों ने उससे भी जोर से मेरे क्लिट को नोच लिया और नाख़ून वहां भी दबा रहे थे। 

दर्द से मैं तड़प रही थी , उलट पलट रही थी लेकिन मेरी सारी सिसकियाँ मेरी मुंह में घुंट घुंट के दब रही थी। कामिनी भाभी ने इतनी जोर से अपनी चूंची मेरे कोमल किशोर मुंह में ठेल रखी थी ,कि ,... 





मैं बिलबिला रही थी और मुहे पता नहीं चला की कब मोटा कड़ा तगड़ा सुपाड़ा भैय्या ने ठेलना शुरू कर दिया मेरी गांड में। 

दोनों हाथ से उन्होंने गांड के छेद को चियार रखा था और पूरी ताकत से अपने मोटे भाले को ठेल रहे थे , पेल रहे थे ,धकेल रहे थे। 



बिना रुके वो पुश करते रहे 



उधर भाभी के दांतों का दबाव मेरे निपल पर कम नहीं हुआ ,मेरा पूरा ध्यान उधर ही था। दर्द से मेरी चूंची बिलबिला रही थी। 

भैया ने मेरी लम्बी छरहरी टाँगे अपने कंधो पर कर रखी थी , उनके दोनों हाथ मेरे गोल गोल चूतड़ों को पकड़ के लंड मेरी कसी कुँवारी गांड पे अपनी पूरी ताकत से पेल रहे थे। 

चार पांच मिनट तक वो ठेलते रहे वो , और कलाई ऐसा मोटा सुपाड़ा मेरी गांड में पूरी तरह पैबस्त हो गया। 






गुड्डी ,रतिया में खेललू कवना खेल , अबहीं ले महके कड़वा तेल। 



और उसके बाद कामिनी भाभी ने अपने दाँतो का जोर मेरे निपल पर कुछ कम किया


लेकिन जैसे वहां का दर्द कुछ कम हुआ , गांड का दर्द तेजी से महसूस हुआ। लग रहा था जैसे किसी ने लोहे का राड घुसेड़ दिया हो ,मेरी कुँवारी गांड में। 

उनका लंड मोटा तो बहुत था ही कड़ा भी बहुत था। फिर चूस चूस कर मैंने भी तो ,... मेरी गाँड फटी जा रही थी। 

कामिनी भाभी ने अब दाँतो का जोर हटा लिया था ,बल्कि अब उनकी जीभ मेरी काटी कुचली चूंची पे हलके हलके ,...जैसे कोई मलहम लगा रहा हो , बस उस तरह से ,... और धीमे धीमे दर्द भी कम होता जा रहा था। निपल चाटने में , चूसने में तो भौजी को महारत हासिल थी इसलिए थोड़े ही देर में दर्द की जगह चूंचियों में एक अजब सनसनाहट महसूस हो रही थी। 

मेरे मुंह में भी घुसी अपनी चूंची का जोर उन्होंने कम कर दिया था , लेकिन निकाला नहीं था।

मैं बोल तो नहीं सकती थी , लेकिन गाल और जबड़े अब दुःख नहीं रहे थे। 

नीचे भैया ने भी अब लंड ठेलना बंद कर दिया था। उनके दोनों हाथ अभी भी मेरे गोल गोल चूतड़ों पे थे ,लेकिन बजाय दबोचने के अब उसकी गोलाइयों का वो सहलाते हुए मजा ले रहे थे। 




मुट्ठी ऐसा मोटा सुपाड़ा अभी भी मेरी गांड में धंसा था। दर्द बहुत हो रहा था , लेकिन धीमे धीमे मेरी गांड अब उनके सुपाड़े की आदी होती जा रही थी। 

दो चार मिनट के बाद भाभी ने मेरे थके फैले मुंह से अपनी बड़ी बड़ी ३८ डी डी साइज की चूंची निकाली , और हलके हलके मेरे गाल को सहलाया। 

कुछ देर बाद भैय्या को देख के बनावटी गुस्से से बोलीं , 

"ये क्या किया तुमने , माना तुम्हारी बहन है ये , ये भी माना की तेरी बहन होने के नाते नंबरी छिनार , चुदवासी है , लेकिन इसका क्या मतलब इस बिचारी की कसी कसी कुँवारी गांड में इतना मोटा सुपाड़ा तुमने पेल दिया। कितना दर्द हो रहा होगा बिचारी को। "

वो खिस्स खिस्स मुस्कराये जा रहे थे। 

बाहर काले बादलों ने आसमान में काली स्याही पोत दी थी। न तारे ,न चाँद ,न चांदनी। हवा एकदम रुकी हुयी।



भाभी उठी और उन्होंने लालटेन की रौशनी थोड़ी तेज कर दी। 

अब मुझे मेरी गांड में घुसा हुआ उनका वो मोटा खूंटा साफ़ साफ़ दिख रहा था। 


भौजी , मेरी कमर के पास बैठ गयीं और एक बार फिर प्यार से मेरी चुन्मुनिया सहलाते आँख मार के मुझसे बोलीं ,

" मेरी छिनार बिन्नो , असली दरद तो अब होगा। अभी तक तो कुछ नहीं था। जब ये मोटा खूंटा तेरी गांड के खूब कसे छल्ले को रगड़ते ,दरेरते ,घिसटते पार करेगा न , बस जान निकल जायेगी तेरी। लेकिन रास्ता ही क्या है ,गुड्डी रानी तोहरे पास।
 

दोनों हाथ तो कस के बंधे हुए हैं , हिला भी नहीं सकती। सुपाड़ा गांड में धंस गया है , लाख चूतड़ पटको सूत भर भी नहीं हिलेगा। हाँ चीखने चिल्लाने पर कोई रोक नहीं है। फिर कुँवारी ननद की उसके भैय्या गांड मारे और चीख चिल्लाहट न हो , ये तो सख्त नाइंसाफी है। जब तक आधे गाँव को तुम्हारी चीख न सुनाई पड़े तो न गांड मारने का मजा न मरवाने का। "


और फिर उन्होंने भैया को भी ललकारा ,

" देख क्या रहे हो तेरी ही तो बहन है। तेरी मायके वाली तो सब पैदायशी छिनार होती हैं , तो इहो है। पेलो हचक के। खाली सुपाड़ा घुसाय के कहने छोड़ दिए हो। ठेल दो जड़ तक मूसल। बहुत दरद होगा बुरचोदी को लेकिन गांड मारने ,मराने का यही तो मजा है। जब तक दर्द न हो तब तक न मारने वाले को मजा आता है न मरवाने वाली को। "





और भैया ने , एक बार फिर जोर से मेरीटाँगे कंधे पे सेट कीं ,चूतड़ जोर से पकड़ा सुपाड़ा थोड़ा सा बाहर निकाला , और वो अपनी पूरी ताकत से ठेला की ,... 
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RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन - by sexstories - 07-06-2018, 02:24 PM

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