RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
" सुन नहीं रहे हो क्या बोल रही है बिचारी , इसकी चूत को हाथ भी मत लगाओ , न चोदना ,न ऊँगली करना। "
भौजी को देख के मैंने जोर जोर से हामी में सर हिलाया।
…………
भइया ने तुरंत हाथ हटा दिया।
प्यार से मेरे बाल सहलाते बोली , " न बुर चोदना है न बुर में ऊँगली करना है , क्यों बिन्नो "
मैंने ख़ुशी में मुस्कराते हुए हामी में सर हिलाया।
लेकिन भैया को भी तो थैंक्स देना था , उनके सामने से रसमलाई हटा ली थी मैंने , कहीं गुस्सा न हो जाएँ।
तो मूड के मैंने उन्हें देख के भी एक किस सीधे उनके लिप्स पे दिया और फिर एक बार जोर से मुठियाने लगी।
भैय्या की जीभ मेरी मुंह में थी और मैं उसे प्यार से चूस रही थी। भैया मेरे दोनों उभार अब जोर से मसल रहे थे और मैं उनके भी दुने जोर से उनका लंड दबा रही थी , मसल रही थी , मुठिया रही थी।
भाभी मुझे हलके हलके चूम रही थीं , फिर मेरे कान में बोली ,
" तूने उसे तो एकदम खड़ा कर दिया और फिर चुदवाने से भी मना कर दिया। कम से कम एकाध चुम्मी तो दे दे उसे। "
उसमें मुझे कोई ऐतराज नहीं था।
अजय ने खूब चुसवाया था मुझे। तो भैय्या के लंड चूसने में कौन ऐतराज हो सकता था ,
और जब तक मैं कुछ समझूँ , भैय्या सरक के पलंग के सिरहाने , और ' वो ' एकदम मेरे रसीले होंठों के पास ,
" जोर से आ बोल जैसे एक बार में पूरा लडू घोंटती है न ,खोल पूरा मुंह "
भौजी बोलीं और मैंने भी पूरी ताकत से मुंह खोल दिया ,
एक बार में पूरा सुपाड़ा , और भैय्या ने जो मेरा सर पकड़ के धक्का मारा , आधा लंड मेरे मुंह में था। आलमोस्ट गले तक।
,,,, चूसा मैंने पहले भी था , लेकिन,... जो मजा अभी आ रहा था , इतना बड़ा , इतना मोटा , इतना कड़ा।
पूरा मुंह मेरा भर गया था , गाल फूल गए थे ,ऊपर तलुवे तक रगड़ खा रहा था और नीचे से मेरी जीभ चपड़ चपड़ चाट रही थी , होंठ लंड को दबोचे हलके हलके दबा रहे थे।
कुछ देर पहले जैसे अंगूठे और तरजनी के बीच मैं उसे पकड़े थी , अब मुझे भी आदत हो गयी थी ,पकड़ने की रगड़ने की।
और एक मजा लेने के बाद मैं क्यों मौका छोड़ती ,एक बार फिर से लंड के बेस पे मेरी मुट्ठी ने उसे पकड़ लिया , हलके हलके दबाते सहलाते आगे पीछे , आगे पीछे ,...
चाट भी रही थी ,चूस भी रही थी ,मुठिया भी रही थी।
कितना मजा आ रहा था मुझे बता नहीं सकती।
उन्हें कोई जल्दी नहीं थी न कोई धक्का ,न पुश , बस अपने मुंह में उस कड़े मोटे खूंटे का मजा मैं ले रही थी और मेरे गरम गरम ,मखमली किशोर मुंह का मजा वो ,
उन्हें कैसा लग रहा था? चलिए आपसे ही पूछती हूँ , एक शोख चुलबुली लड़की , ग्यारहवें -बारहवें में पढ़ने वाली किशोरी , नरम नरम उँगलियों से अगर पकड़ करके हलके हलके दबाते मुठियाते , उसे अपने गुलाबी मखमली ,गुलाब की पंखड़ियों से होंठों से चाटे , अपने मुलायम मुंह में लेके चूसे तो कैसा लगेगा।
भैया ने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को पकड़ रखा था और बस मेरे मुंह का मजा ले रहे थे , न उन्हें कोई जल्दी थी न मुझे।
बसंती ने यही बात तो बार बार कही थी , एक बार कौने मरद से मरवा लगी न ननद रानी तब पता चलेगा लौंडन और मरद का फरक।
और जब उन्हें लग गया की मेरे कोमल किशोर मुंह को उनके उस मोटे खूंटे की आदत पड़ गयी है , तो फिर बहुत धीमे धीमे उन्होंने अंदर पुश करना ठेलना शुरू कर दिया। मेरी लार से लग कर अब लंड चिकना भी हो गया था और सरक सरक कर , ...
मैंने कहीं सुना था , मेरी उसी सहेली ने बताया था जिसने अपने सगे भाई से ही अपनी सील तुड़वा ली थी और पिछले साल तक ही उसके आधे दर्जन से ज्यादा यार थे , कई बार तो दो दो एक साथ , मुझसे बोलती रहती थी ,तू तो बहन जी टाइप है तेरे से कुछ नहीं होगा ,... उसी ने बोला था लड़कों को हैंड फ्री ओरल सेक्स बहुत अच्छा लगता है ,सिर्फ होंठों और मुंह का टच , और सर के जोर से धक्के मार के अंदर लेना , बहुत प्रैक्टिस से आता है लेकिन एक बार जो लड़की ऐसा करना सीख जाती है न बस लड़के उसके पीछे पीछे , ...
और मैंने हाथ हटा लिया। सिर्फ सर के धक्के से हलके हलके पुश कर के ,
और भैय्या ने भी हाथ हटा लिया।
उन्होंने थोड़ा सा अपने को शिफ्ट किया और बस अब जैसे वो मेरे मुंह चोद रहे हों ,उस हालत में , ऐसे में उनके पुश का जोर भी ज्यादा लग रहा था।
मेरे जबड़े दुःख रहे थे ,करीब तीन चार इंच से ज्यादा घोट लिया था मैंने ,लेकिन मोटा कितना था ,मुंह फटा जा रहा था।
मैं प्यार से चूस रही थी और उनके चेहरे को उनकी चमकती आँखों को देख रही थी। उनकी आँखों में छलकती ख़ुशी मेरा दर्द आधा कर दे रही थी।
हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और कामिनी भाभी मुझे , तारीफ़ भरी निगाहों से। उनकी छुटकी ननदिया इतना मस्त चूस रही थी।
' तनी जोर का धक्का मारो न , पूरा गन्ना चुसाओ , हमरी छिनार ननदिया को आधे तीहे में मजा नही आता। "
भैय्या ने अब पहली बार अपने चूतड़ के पूरे जोर से ठेला और मेरे तलुवे को छीलता , ऑलमोस्ट गले तक , ...
मैं गों गों करती रही लेकिन मेरा मुंह भर गया था।
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