RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
रात अभी बाकी है
हम दोनों साथ साथ देर तक ,.... लंड जड़ तक चूत में घुसा था।
मैं बुरी तरह थक गयी थी। हम दोनों एक दूसरे को बाँहों पकड़े जकड़े भींचे सो गए।
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मेरी नींद जब खुली बाहर अभी भी पूरा अँधेरा था।
मैं करवट लिए लेटी थी , सामने की ओर कामिनी भाभी और पीछे उनके पति ,भैया।
सोते समय भी उन्होंने पीछे से मुझे कस के दबोच रखा था , एक हाथ उनका मेरे एक उभार पे था। दूसरा उभार भौजी के हाथ में था।
रात अभी बाकी थी।
मैंने फिर सोने की कोशिश की तो लगा मेरे उठने के चक्कर में कामिनी भाभी की नींद भी टूट गयी थी।कामिनी भाभी की उँगलियाँ अब मेरे जोबन पे हलके हलके रेंगने लगी थीं।
मै डर गयी।
कहीं भैय्या भी जग गए , और वो दोनों लोग मिल के चालू हो गए , ...अभी भी नीचे बहुत दर्द हो रहा था।
मैंने झट से आँखे बंद कर ली और फिर से सोने की ऐक्टिंग करने लगी।
लेकिन बचत नहीं थी। लगता है मेरे हिलने डुलने से कामिनी भाभी के पति की भी नींद खुल गयी और मेरे उभार पे जो उन्होंने हाथ सोये में रखा था , वो हलके हलके उसे दबाने सहलाने लगा।
मैंने खर्राटे की एक्टिंग की और ऐसे की जैसे मुझे पता न चल रहा हो की वो दोनों जग गए हैं।
लेकिन कामिनी भाभी भी न , उनसे कौन ननद बच पायी है जो मैं बच पाती।
झट से दूसरे हाथ से गुदगुदी लगानी शुरू कर दी और बोलीं ,
" मेरी बिन्नो , ई छिनारपना कहीं और करना , मुझे सब मालूम है अच्छी तरह जग गयी हो , अब नौटंकी मत करो। "
खिलखिलाते हुए मैंने आँखे खोल दी और करवट से अब सीधे पीठ के बल लेट गयी।
बस मुझे दोनों ने बाँट लिया , एक उभार भैया के हाथ में तो दूसरा भौजी ने दबोच रखा था।
और सिर्फ चूंचियां ही नहीं गाल भी ,
एक पे कामिनी भौजी हलके हलके किस कर रही थी तो दूसरे पे लिक करते करते उन्होंने कचकचा के गाल काट लिया।" उईई , आह्ह्ह , लगता है " मैं जोर से चीखी।
नींद अच्छी तरह भाग गयी।
" सब कुछ तो ले लिहला , गाल जिन काटा , भैय्या बहुते ख़राब तू त बाटा। "
भौजी ने मुझे चिढ़ाया लेकिन भैय्या को और उकसाया ,
" अरे अस मालपुआ जस गाल है , खूब मजे ले कचकचा के काटा , दो चार दिन तक तो निशान रहना चाहिए। अरे पूरे गाँव को पता तो चलना चाहिए न की छुटकी ननदिया केहसे गाल कटवा के आय रही हैं। "
भैय्या कभी भौजी की बात टालते नहीं थे , तो उन्होंने एक फिर उसी जगह पे दुहरी ताकत से ,... और अबकी जो गाल पे निशान पड़ा तो सचमुच में तीन चार दिन से पहले नहीं मिटने वाला था।
वो खूब मस्ता रहे थे। उन्होंने अपने हाथ से मेरी चूंची अब जोर जोर से पकड़ ली थी और खूब कस कस के मीज रहे थे।
भौजी दोनों ओर से आग लगा रही थीं , वैसे उन्होंने मुझे खुद अपनी असली ननद बनाया था तो कुछ मेरा हक़ तो बनता ही था न। उन्होंने अब मेरी साइड ली और कान में फुसफुसाया ,
" सिर्फ वही थोड़ी पकड़ सकते हैं , तू भी तो पकड़ा पकड़ी कर सकती है। उनके पास भी तो पकड़ाने के लिए , ... :
भौजी का इशारा काफी था। वैसे भी 'वो ' थोड़ा सोया थोड़ा जागा बहुत देर से मेरे पिछवाड़े पड़ा था। और जब वो जग जाता तो इतना मोटा हो जाता की मेरी मुट्ठी में समाता ही नहीं।
बस मैंने पकड़ लिया।
अभी भी थोड़ा थोड़ा सोया ही था।
सिर्फ पकड़ने से थोड़े ही होता है ,मैंने हलके हलके मुठियाना भी शुरू कर दिया। डरती तो थी लेकिन इतना भी नहीं ,अभी थोड़ी देर पहले ही पूरा घोंट चुकी थी। फिर अजय सुनील ने पकडवाके और चंदा मेरी सहेली,चम्पा भाभी ,बसंती की संगत में मुठियाना,रगड़ना सीख भी गयी थी।
फिर जब हम तीनो अच्छी तरह जग गए थे तो उसके सोने का क्या मतलब।
भैया जोर जोर से मेरी चूंचियां मसल रहे थे , मजे ले ले के मेरे मुलायम मुलायम गाल काट रहे थे।
कामिनी भाभी भी दूसरे उभार को अपनी मुट्ठी में ले के मजे ले रही थी।
और मैं भी इन दोनों के साथ , और 'उसे' ले के जोर जोर से मुठिया रही थी।
नतीजा वही हुआ जो होना था ,शेर अंगड़ाई ले के जाग गया।
पर बसंती ,गुलबिया का सिखाया पढ़ाया , मैंने एक झटके से खींचा तो सुपाड़ा खुल गया। खूब मोटा ,एकदम कड़ा , ... लेकिन था तो मेरी मुट्ठी में , मुझे एक और शरारत सूझी।
मैंने अंगूठे से सुपाड़े पे रगड़ दिया , और वो मस्ती से गिनगीना उठे।
भौजी ने मस्ती से ,कुछ तारीफ़ से मेरी और देखा।
मेरी शैतानी और बढ़ गयी , और मैंने अंगूठे को सीधे 'पी होल ' ( पेशाब के छेद ) पे लगा के हलके से दबा दिया।
अब भैय्या के पास जवाब देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।
उन्होंने अपना एक हाथ मेरी दोनों जाँघों के बीच पहुँच गया और उंगलिया प्रेम गली की ओर बढ़ने लगीं।
बुर मेरी अभी भी किसी ताज़ी चोट की तरह दुःख रही थी। जांघे भी दर्द से फटी पड़ रही थीं। मुझे डर लगा की कहीं भैया दुबारा मेरी बुर तो नहीं ,... बुरी हालत थी बुर की।
[attachment=0]holding cock.jpg[/attachment]मैंने उसी अदालत में गुहार लगाई , " भौजी , भैय्या से बोलिए वहां नहीं , प्लीज वहां नहीं ,.. "
" अरे वहां नहीं , मतलब कहाँ नहीं , नाम डुबो देगी मेरा बोल साफ़ साफ़ , ...." उलटे कामिनी भाभी की डांट पड़ गयी।
" भौजी , भैय्या से बोल दीजिये ,उन्हें मना कर दीजिये , बहुत दुःख रहा है , भईया से कहिये दीजिये मेरी , .... मेरी चूत मत चोदें। चूत बहुत दुःख रही है। "
भैय्या ने दूसरा रास्ता निकाला , उन्होंने अपनी ऊँगली मेरी चूत के मुहाने पे लगा दी और अभी कुछ देर पहले लंड के जो धक्के उसने खाए थे ,जो चोटें लगी थी ,... दर्द से मैं दुहरी हो गयी। जोर से चीख उठी ,
" भौजी नहीईइइइइइइइइइ ,ऊँगली भी नहीं , चूत में कुछ मत डालें ,मना करिये न उन्हें "
और अब डांट भैय्या को पड़ी।
" सुन नहीं रहे हो क्या बोल रही है बिचारी , इसकी चूत को हाथ भी मत लगाओ , न चोदना ,न ऊँगली करना। "
भौजी को देख के मैंने जोर जोर से हामी में सर हिलाया।
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