RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
जादूगर सैयां...बना भैय्या
और जब मैंने आँखों खोली तो , बाहर अब सब कुछ बदल गया था। चाँद की आँखे शैतान कजरारी बदरियों ने अपनी गदोरियों में बंद कर दी थी। बस बादलो से छिटक कर थोड़ी सी चाँदनी अभी भी कमरे में छलक रही थी। बाहर खिड़की से दिखती अमराई और गन्ने के खेत अब स्याह अँधेरे में पुत गए थे।
लेकिन अंदर कुछ भी नहीं बदला था।
भैय्या का 'वो ' , वो लंड अभी भी पूरी तरह पैबस्त था ,एकदम जड़ तक ,मेरी कुँवारी चूत में। उनके हाथ अभी भी मेरी पतरी कमरिया को पकडे थे जोर से। उनकी जादू भरी आँखे मेरी चेहरे को टकटकी लगाए देख रही थी ,जैसे कोई नदीदा बच्चा हवा मिठाई देखता है।
कामिनी भाभी अभी भी अपनी गोद में मेरा सर रखे हलके प्यार से मेरा सर सहला रही थीं।
झड़ते समय तो लग रहा था मैं हवा में उड़ रही थी , लेकिन अब ,... मेरी पूरी देह टूट रही थी , दर्द में डूबी थी। खासतौर से दोनों फैली खुली जांघे फटी पड़ रही थीं। ऐसी थकान लग रही थी की बस , ...
मेरी खुली आँखों को देख के भैय्या की आँखे मुस्कराईं।
भाभी ने भी शायद कुछ इशारा किया ,और जैसे कोई फिल्म जो फ्रीज़ हो गयी ,एक बार फिर से स्लो मोशन में शुरू हो जाए बस उसी तरह ,
………………..
भैय्या ने अपनी पोज ज़रा भी नहीं बदली , उनके हाथ मेरी कमर को थामे रहे। उन्होंने अपने उसको भी नहीं बाहर निकाला न धक्के शुरू किये। लंड उसी तरह पूरी तरह मेंरी चूत में , ,... बस ,उनके लंड के बेस ने मेरी क्लिट को हलके हलके रगड़ना शुरू किया , पहले बहुत धीमे धीमे ,जैसे बाहर से हलकी हल्की पुरवाई अंदर आ रही थी।
कोई धीरे से आलाप छेड़े लेकिन कुछ देर में रगड़न का जोर और स्पीड दोनों बढ़ने लगी।
भौजी ने ऊपर की मंजिल सम्हाली।
पहले तो माथे से उनका एक हाथ मेरे चिकने चिकने गाल को सहलाता रहा लेकिन जैसे ही भैय्या के लंड के बेस ने क्लिट को रगड़ने की रफ़्तार तेज की उन्होंने मेरे दोनों जुबना को दबोच लिया , लेकिन बहुत हलके से ,प्यार से , कभी सहलाती , तो कभी धीरे से मीज देती। झुक के उन्होंने मेरे होंठ भी चूम लिए।
मुझ से ज्यादा कौन जानता था उनकी उँगलियों के जादू को।
और भैया और भौजी के दुहरे हमले का असर तुरंत हुआ , एक बार फिर मेरे तन और मन दोनों ने मेरा साथ छोड़ दिया।
दर्द से देह टूट रही थी लेकिन मेरे चूतड़ हलके हलके भैय्या के लंड के बेस की रगड़ाई के रिदम में ऊपर नीचे होने लगे। जैसे ही भौजी मेरे निपल्स पिंच किये मस्ती की सिसकी जोर से मेरे होंठों से निकली।
दिल का हर तार हिला छिड़ने लगी रागिनी ,
और कुछ ही देर में भइया ने लंड हलके से थोड़ा सा बाहर निकाला और बहुत हलके से पुश किया। जिस तरह से उनका मोटा लंड मेरी चूत की दीवालों को रगड़तै दरेरते अंदर बाहर हो रहा था , मस्ती से मैं काँप रही थी।
भौजी ने झुक के एक निपल मेरे होंठों में भर लिया और लगी पूरी ताकत से चूसने , दूसरी चूंची उनके हाथों से रगड़ी मसली जा रही थी।
बहुत समय नहीं लगा मुझे उस आर्केस्ट्रा का हिस्सा बनने में।
मैं कमर हिला रही थी , चूतड़ उचका रही थी। और जब मेरी दोनों लम्बी गोरी टांगों ने भैया की कमर को लता की तरह घेर के दबोच लिया , अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया , मेरे दोनों हाथ उनके कंधे पे थे , मेरे लम्बे नाख़ून उनके शोल्डर ब्लेड्स पे धंस रहे थे और जब मैंने खुद बोल दिया ,
"ओह्ह आह,... भैय्या , करो न , आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह। "
फिर तो कमरे में वो तूफान मचा।
एक बारगी उन्होंने लंड ऑलमोस्ट बाहर निकाल लिया और मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ के वो करारा धक्का मारा की सीधे सुपाड़ा बच्चेदानी पे। बालिश्त भर का उनका पहलवान अंदर।
दर्द से मेरी जान निकल गयी लेकिन साथ साथ मजे से मैं सिहर गयी।
जादूगर सैयां छोडो मेरी बैंयां ,
लेकिन मेरा सैयां बना भैय्या जानता था मुझे क्या चाहिये।
आज की पूरी रात उनके नाम थी। और बचा खुचा बताने के लिए थीं न मेरी भौजी ,
" अरे चोदो न हचक हचक के , मुझे तो इतनी जोर से और तुम्हारी बहन है तो रहम दिखा रहे हो , फाड़ दो इसकी आज "
भौजी ने मौके का फायदा उठाया, और साथ उनकी ननद यानी मैंने भी दिया , अपना चूतड़ जोर से उचकाकर। और खूब जोर से भैय्या को अपनी ओर खींच कर ,
फिर क्या था , एक बार फिर से मेरी दोनों उभरती चूंचियां भैय्या के कब्जे में आ गयी और अब वो बिना किसी रहम के उसे मसल रहे थे थे रगड़ रहे थे और धक्के पर धक्के ,
" दोनों जुबन जरा कस के दबाओ , लगाय जाओ राजा धक्के पे धक्का। "
भौजी ने एक बार फिर भैय्या को उकसाया।
चूत दर्द से फटी जा रही थी , फिर भी मस्ती में चूर मेरी देह उनके हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी। जब उनका सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी से टकराता तो रस में डूबी चूत जोर से उनके मोटे लंड को भींच लेती जैसे कभी छोड़ेगी नहीं।
और कामिनी भाभी अब भैया के पास बैठी कभी उन्हें उकसातीं कभी छेड़ती ,
और मेरी भौजी हो तो बिना गालियों के ,... लेकिन अब गालियों की रसीली दरिया में मैं और भैय्या भी खुल के शामिल हो गए थे। और अक्सर मैं और भैया एक साथ ,...
" क्यों मजा आ रहा है भैया को सैयां बना के चुदवाने का " भौजी ने मुझे चिढ़ाया , लेकिन मैंने भी जवाब उसी लेवल का दिया।
" अरे भौजी रोज रोज हमरे भैया से चुदवावत हो तो एक दिन तो हमारा भी हक़ बनता है न ,क्यों " भैय्या की आँखों में झांक के मैंने बोला और भौजी को सुना के गुनगुनाया ,
सुन सुन सुन मेरे बालमा,
और सीधे उनके होंठों को चूम लिया।
भैया ने भी जवाब अपने ढंग से दिया ,आलमोस्ट मुझे दुहरा करके वो धक्का मारा की,
बस जान नहीं निकली।
और भौजी को सुनाते मुझसे बोले ,
" तू एकदम सही कह रही है। एक दिन क्यों, ... हर रोज, बिना नागा ,जब तक तू है यहां पे , अरे मेरी बहन पे जोबन आया है तो मैं नहीं चोदूंगा तो कौन चोदेगा। "
दर्द बहुत हुआ लेकिन मजा भी बहुत अाया , उस धक्के में। मैं एक बार फिर झड़ने के कगार पे थी ,लेकिन बजाय रुकने के भैय्या ने एक और ट्रिक शुरू कर दी थी वो पोज बदल लेते थे। आसान बदल बदल कर चोदने में मुझे भी एक नया मजा आ रहां था।
उन्होंने उठाकर मुझे गोद में बिठा लिया लेकिन इस तरह की उनका लंड उसी तरह मेरी चूत में धंसा हुआ था।
कामिनी भाभी ने मेरी टाँगे एडजस्ट कर के उनके पीठ के पीछे फंसा दी। अब मैं गोद में थी ,लंड अंदर जड़ तक धंसा हुआ , और मेरी चूंचियां उनके सीने में रगड़ खाती।
मेरी थकान कुछ कम हुयी इस आसन में क्यंकि अब उनके धक्के का असर उतना नहीं हो रहा था।
" ज़रा हमरी ननदिया को झूला झुलाओ ,मैं आती हूँ। " बोल के भाभी चली गयीं।
बाहर हवाएँ तेज हो गयीं थी , रुक रुक के हलकी बूंदे भी शुरू हो गयी थीं।
और फिर उन्होंने हलके हलके अंदर बाहर , ...और मैं भी उन्ही के ताल पे आगे पीछे आगे पीछे , एकदम झूले का मजा था।
जब वो बाहर निकालते तो मैं भी कमर पीछे खीच लेती और सुपाड़ा तक बाहर निकालने के बाद कुछ रुक के जब मेरी कमरिया पकड़ के वो पुश करतै तो मैंने उन्ही की स्पीड में बराबर के जोर से धक्के मारती। उनका हाथ मेरी पीठ पे और मेरा हाथ उनकी पीठ पे , साथ साथ हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे ,चाट रहे थे।
भाभी एक बड़े गिलास में दूध भर के ले आयीं ,कम से कम दो अंगुल तक मलाई।
हम दोनों ने तो पिया ही थोड़ा बहुत भौजी को भी , ...
और फिर तो भैया को एकदम जैसे नयी ताकत ,.... और मेरी भी सारी थकान जैसे उतर गयी।
( ये तो मुझे बाद में पता चला की इस दूध में कुछ रेयर हर्ब्स पड़ी थी जिससे उनकी ताकत दूनी हो गयी और मेरी थकान कम होने के साथ उत्तेजना भी बढ़ गयी। शिलाजीत ,अश्वगंधा ,जिनसेंग ,सफ़ेद मूसली ,शतावरी, शुद्ध कुचला ,केसर और भी बहुत कुछ )
कुछ देर बाद मैं फिर उनके नीचे थी। और अब मूसल लगातार चल रहा था।
मैं चीख रही थी ,सिसक रही थी।
लेकिन वो रुकने वाले नहीं थी और न मैं चाहती थी की वो रुकें।
दो बार मैं झड़ चुकी थी , एक बार जब उन्होंने पहली बार सुपाड़ा ठेला था और दूसरी बार जब उन्होंने पूरा लंड पेल दिया था , सुपाड़ा बच्चेदानी से टकराया था।
तीसरी बार जब मैं झड़ी तो साथ में वो भी ,
हम दोनों साथ साथ देर तक ,.... लंड जड़ तक चूत में घुसा था।
मैं बुरी तरह थक गयी थी। हम दोनों एक दूसरे को बाँहों पकड़े जकड़े भींचे सो गए।
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