RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
रोटियां बन गयी थीं। भाभी ने पूछा ,
" सुन यार दूध रोटी चलेगी ,अचार भी है या सब्जी भी बनाऊं। "
" दूध रोटी दौड़ेगी ,भाभी। " उन्हें प्यार से दबोचते मैं बोलीं।
और दूध रोटी के साथ भाभी ने दूसरा पाठ शुरु किया ,लड़कों को पटाने का।
" जुबना दिखा के ललचाना लुभाना एक बात है , लेकिन थोड़ा लाइन देना भी पड़ता है लौंडन को पटाने के लिए। अरे चुदवाने में खाली लौंडन को मजा थोड़े ही आता है तो पटने पटाने में लौंडिया को भी हाथ बटाना चाहिए न। "
भाभी अब फुल फ़ार्म पर आगयी थीं और बात उनकी सोलहो आना सही भी थी। जोश में मैं भी उनकी हामी भरते बोल गयी ,
" भाभी आप एकदम सही कह रही हैं, जब जाता है अंदर तो बहुत दर्द होता है ,जान निकल जाती ही लेकिन जो मजा आता है मैं बता नहीं सकती। "
ऊप्स मैं क्या बोल गयी , मैंने जीभ काटी।
भाभी ने गनीमत था मुझे चिढ़ाना नहीं चालू किया , अभी वो एकदम समझाने पढ़ाने के मूड में थीं। बोलीं ,
"इसलिए तो समझा रही हूँ , जब लौटोगी शहर तो कुछ करना पडेगा न , अरे जैसे पेट को दोनों टाइम भोजन चाहिए न , वैसे जो उसके बीतते भर नीचे छेद है उसकी भूख मिटाने का भी तो इंतजाम होना चाहिए न। और ओकरे लिए ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा बहुत छिनारपना सीखना पड़ता है। तुम्हारे जैसे सीधी भोली लड़की के लिए तो बहुत जरूरी है वरना कोई लड़का साला फंसेगा ही नही। "
मैं चुप रही। भाभी की बात में दम था।
और भाभी ने मेरे चिकने गोर गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए एक सवाल दाग दिया ,
" जस तोहार रंग रूप हो ,चिक्कन चिक्कन गाल हो ,इतना मस्त जोबन हौ , खाली अपने स्कूल में नहीं पूरे तोहरे शहर में अइसन सुन्दर लड़की शयद ही होई। "
भाभी की बात सही थी , लाज से मेरे गाल गुलाल हो गए , लेकिन अपनी तारीफ़ में मैं क्या कहती।
लेकिन अगली बात जो भाभी ने कही वो ज्यादा सही थी।
" लेकिन खाली खूबसूरत होने से लौंडे नहीं पटते। ई बात पक्की है दर्जनो तोहरे पीछे पड़े होंगे , लेकिन मजा कौन लूटी होंगी , जो तुमसे आधी भी अच्छी नहीं होंगी। क्यों , एह लिए की उ उनके छेड़ने का जवाब दी होंगी , लौंडन कुछ दिन तक तो लाइन मारते हैं फिर अगर कौनो जवाब नहीं मिला तो थक जाते हैं और फिर जउन जवान माल जवाब देती है ,बस उसी के ऊपर ध्यान लगाते हैं , मिलने मिलाने का जुगाड़ करते हैं और बात आगे बढ़ी तो बस , किला फतह। बाकी तोहरे अस सुन्दर लड़की के साथ वो खाली आँख गरम कर लेंगे , कमेंट वमेंट मार लेंगे बस ,उसके आगे नहीं बढ़ेंगे।
भाभी को तो मनोवैज्ञानिक होना चाहिए था। या जासूस।
उन्होंने जो कुछ कहा था सब एकदम सही था। मेरी क्लास में दो तिहाई से ज्यादा लड़कियों की चिड़िया कब से उड़ने लगी थी। दो चार ही बची थी मेरी जैसी। ये तो भला हो भाभी का जो मुझे अपने गाँव ले आयीं और चंदा का जिसने अजय और सुनील से , ...
और ये बात भी सही थी कामिनी भाभी की , कि सीने पे मेरे आये उभारों का पता मुझे बाद में चला , गली के बाहर खड़े लौंडो को पहले। एक से एक भद्दे खुले कमेंट ,कई बार बुरा भी लगता लेकिन ज्यादातर अच्छा भी। कमेंट ज्यादातर मेरे ऊपर होते थे , लेकिन मेरे साथ जाने वाली मेरी एक सहेली ने अपने ताले में ताली पहले लगवा ली , उन्ही में से एक से. दो तीन हम लोगों के पीछे स्कूल तक जाते थे और शाम को वापस लौटते , और उनकी रनिंग कमेंट्री चालू रहती। उन्ही में से एक से , और आके खूब तेल मसाला लगा के गाया भी।
सब लड़कियां खूब जल रही थी उससे। मैं भी। और उसके बाद उसने अबतक ६-७ से तो अपनी नैया चलवा ली। सबसे पॉपुलर लड़कियों में हो गयी वो।
और फिर शहर में पाबंदी भी कितनी , घर से स्कूल ,स्कूल से घर। हाँ भाभी के यहाँ मैं रेगुलर जाती थी और सहेलियों के यहाँ जाने पे भी कोई रोक टोक नहीं थी , अक्सर उनके साथ पिक्चर विक्चर भी चली जाती थी , शॉपिंग को भी।
बात भाभी की सही थी लेकिन कैसे , एक तो मेरे अंदर हिम्मत नहीं थी ,डर भी लगता था और फिर कैसे क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आता था ,और जब तक मैं कुछ करू , मेरी कोई सहेली उस लड़के को ले उड़ती थी। कैसे ,कुछ समझ में नहीं आता था।
और यही बात मेरे मुंह से निकल गयी ,
" कैसे भाभी ?"
" अरे बस मेरी बात सुनो ध्यान से और बस वैसे ही करना ,महीने दो महीने में जब लौटोगी न यहाँ तो कम से कम ६-७ लौंडे तो तोहरे मुट्ठी में होंगे। गारंटी हमार है। अबहीं कितने लड़के तोहरे पीछे पड़े रहते हैं। " भाभी ने पूछा।
दो चार मिनट लगे होंगे ,मुझे जोड़ने में। मैं खाली परमानेण्ट वालों को जोड़ रही थी , चार पांच तो गली के मोड़ पे रहते हैं ,जब भी मैं स्कूल जाती हूँ, लौटती हूँ , यहाँ तक की किसी सहेली के यहां जाती हूँ , और तीन चार स्कूल के बाहर मिलते हैं। उसके अलावा दो वहां रहते हैं जहाँ मैं म्यूजिक के ट्यूशन को जाती हूँ। उसमें से एक ने तो कई बार चिट्ठी भी पकड़ाने की कोशिश की। एक दो और हैं , मेरी सहेली उन की सिफारिश करती रहती है ,
" भाभी ,१० -११ तो होंगे। " मुस्करा के मैं बोली।
' कमेंट करते रहते हैं , चार पांच तो आगे पीछे , मेरे साथ साथ आते जाते भी है , दो तीन ने चिट्ठी देने की भी कोशिश की। " मैंने पूरा हाल बता दिया।
" और तुम क्या करती हो जब वो कॉमेंट करते हैं , या आगे पीछे चलते हैं तेरे " मुस्कराते हुए कामिनी भाभी ने इन्क्वायरी की।
" भाभी ,टोटल इग्नोर। मैं ऐसे बिहेव करती हूँ जैसे वो वहां हो ही नहीं। उनके बारे में किसी से बात भी नहीं करती ,अपनी सहेलियों से भी नहीं। आज पहली बार आप को बता रही हूँ। "
भाभी ने गुस्सा होने का नाटक किया और बोलीं , " तुम तो एकदमै बुद्धू हो , तबै ,.. पिटाई होनी चाहिए तुम्हारी। "
फिर उन्होंने क्या करना चाहिए ये समझाया ,
"सबसे बड़ी गलती यही करती हो जो इग्नोर करती हो। अरे बहुत हो तो गुस्सा हो जाओ , हड़काओ उसे लेकिन इग्नोर कभी मत करो। आखिर बिचारा कितने दिन तक पीछे पड़ा रहेगा। उसे लगेगा की यहाँ कुछ नहीं हो रहा है तो किसी और चिड़िया को दाना डालने लगेगा। गुस्सा होने से उतना नुक्सान नहीं है ,जितना इग्नोर करने से ,... "
बात भाभी की एकदम सही थी। मेरी एक सहेली थी साथ में , एक दिन हम लोग मॉल जा रहे थे और एक ने कमेंट किया , " मॉल में माल , अरे आज तो मालामाल हो जायेगा। " पीछे वो मेरे पड़ा था , कमेंट भी मेरे ऊपर था लेकिन मेरी सहेली ने एकदम गुस्से में सैंडल निकाल लिया। पंद्रह दिनों के अंदर मेरी वो सहेली ,उस लड़के के नीचे लेट गयी , और फिर तो बिना नागा , और उस लड़के की इतनी तारीफ़ की,..
" अरे सारे कमेंट बुरे थोड़े ही लगते होंगे ,कुछ कुछ अच्छे भी लगते होंगे ".
मैंने सर हिला के माना ,ज्यादातर अच्छे ही लगते हैं।
" बस, कुछ बोलने की जरूरत नहीं , अरे कम से कम रुक के अपनी चप्पल झुक के ठीक करो। उनको जोबन का नजारा मिल जाएगा। दुपट्टा ठीक करने के बहाने जुबना झलका दो , लेकिन मुड़ के एक बार देख तो लो और अपना दिखा दो उन बिचारों को , सबसे जरूरी है ,हलके से मुस्करा दो , हाँ उनकी आँखों से आँख मिलाना जरूरी है। बस पहली बार में इतना काफी है। और अगर कोई सहेली साथ में हो तो थोड़ा हिम्मत कर के कमेंट का जवाब भी दे सकती , उन सबको नहीं ,अपनी सहेली को लेकिन उन्हें सुना के। और वो समझ जाएंगे इशारा। लेकिन तीन स्टेज होती है इसमें , ... " उन्होंने ट्रिक का पिटारा खोला।
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