RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
और अब भाभी ने अपने हाथ में लगा तेल मेरे स्तन पे हलके हलके मसाज करना शुरू कर दिया , और मुझे समझा भी रही थीं की अपने से ब्रेस्ट मसाज कैसे करते हैं , साइज और कड़ेपन दोनों के लिए।
" पहले ये तेल दोनों हाथ में अच्छी तरह मल लो , जरा भी तेल बचा न रहे सब गदोरी में , और फिर ( उन्होंने खुद अपने हाथ से पकड़ के मेरा दायां हाथ ,बाएं उभार की ओर कर दिया ,कांख के ठीक नीचे ) हाँ , अब यहाँ से हलके हलके हाथ दबाते हुए बीच की ओर ले जाओ , हाँ एकदम ठीक ऐसे ही। मेरी पक्की ननद हो , जल्द सीख जाती हो। चलो अब दूसरा हाथ भी लेकिन ध्यान रखना की निपल खुला रहे , हाँ इस दूसरे हाथ से हलके हलके दबाओ , फिर गोल गोल गदोरी घुमाओ , १० बार क्लॉक वाइज फिर दस बार एंटी क्लॉक वाइज। और अब उसी तरह इस वाले पे "
दो चार बार उन्होंने मुझसे कराया और फिर खुद एक साथ अपने दोनों हाथों से , ... और जब उन्होंने हाथ हटाया तो मेरे दोनों उभार चमक रहे थे ,तेल से।
" पांच दस मिनट का इंटरवल ज़रा मैं रसोई से आती हूँ लेकिन तुम बस ऐसे ही लेटी रहना।
बादल थोड़े से हट गए थे और दुष्ट चाँद , जैसे इसी मौके की तलाश में था। बादल का पर्दा हटा के , सीधे मेरे दोनों उभार तक रहा था। चाँदनी मेरे पूरे बदन पे फैली हुयी थी।
रसोई से कुछ खटपट सुनाई दे रही थी।
कामिनी भाभी के बारे में कुछ तो चंपा भाभी ने और ज्यादा बसंती ने बताया था। ये पास के गाँव की किसी बड़े वैद्य की इकलौती लड़की थीं और बहुत कुछ गुन उन्होंने अपने पिता जी से सीख रखे थे। गाँव में औरतों टाइप जो भी प्राबलम होतीं थी , और जिसे औरतें किसी से कहने में हिचकती थी उन सब का हल कामिनी भाभी के पास था। माहवारी न आ रही हो , ज्यादा आ रही हो , बच्चा होने में दिक्कत हो रही हो , बच्चा रोकना हो , कहीं गलती से पेट ठहर गया हो ,सब चीज का इलाज उनके पास था। और सबसे बड़ी बात की वैसे तो उनके पेट में कोई बात नहीं पचती थी ,और मजाक करने में गारी गाने में न वो रिश्ता नाता देखती थीं न उमर, लेकिन ये सब बाते वो अगर किसी को उन्होंने हेल्प किया तो कभी भी नहीं बोलती थी ,जिसको हेल्प किया उससे भी नहीं।
लेकिन बसंती ने एक बात बतायी थीं , अगर मैं कामिनी भाभी को किसी तरह पटा लूँ ,उनसे पक्की वाली दोस्ती कर लूँ , तो बहुत सी चीजें उनसे सीख सकती हूँ। उनको बहुत से मंतर भी मालूम हैं ,तरीके भीं जो वो किसी को नहीं बताती। उनकी दोस्ती बहुत फायदे की रहेगी।
और अबकी वो आई तो साडी चोली ( बैकलेस ,पीछे से बंध वाली ) पहने थी और उनके हाथ में एक मेरे लिए साडी थी।
मैंने उनकी आखो में देखा तो मेरी बात वो समझ गयीं और मुस्कराते हुयी बोलीं ,
" अरी मेरी छिनरो ननदिया , ई जो तोहरे चूंची पे लगा है न आज पहली बार है इसलिए घंटे भर इसके ऊपर कोई रगड़ नहीं पड़नी चाहिए ,इसलिए तुम आज अभी ऐसे ही रहो , फिर हमहीं तुम हैं तो घर में। "
मैंने झपट्टा मार के उनके चोली के बंध खोल दिए और उनके बड़े बड़े कबूतर भी आजाद हो गए।
झुक के उन्होंने सीधे मेरे होंठों पे अपने होंठ रगड़ते हुए , कस के चुम्मा लिया और बोलीं , " आज मुझे मिली है मेरी असली ननद। "
और मैंने भी दोनों हाथों से जोर के उनका सर पकड़ते हुए उन्हें अपनी ओर फिर खिंचा और उनसे भी तगड़ा चुम्मा लेकर बोली ,
" अरे भाभी एहमें कौन शक , ननद तो हूँ ही आपकी। "
कामिनी भाभी ने एक और छोटी सी डिबिया खोली। उसमें मलहम जैसा कुछ था,चिपचिपा। अपनी तरजनी पर उन्होंने ज़रा सा लगाया और फिर मंझली और अगूंठे से मेरे निप्स को थोड़ा रोल किया। निप्स बाहर की ओर हलके हलके निकल आये थे। फिर उस तरजनी में लगे मलहम को उन्होंने निपल के बेस से लेकर ऊपर तक हलके हलके दो चार बार मला , और उसे अच्छी तरह उस क्रीम से कवर कर दिया। फिर दूसरे निपल का नंबर था। जब तक कामिनी भाभी ने उसमें क्रीम लगाना खत्म किया , पहली वाली में जैसे सुइयां चुभें , वह शुरू हो गया था।
" रोज स्कूल जाने के पहले जाने लगाना , नहाने के बाद। बस पांच मिनट तक ब्रा मत पहनना। इसका असर आधे घंटे के अंदर शुरू हो जाता है और ८-१० घण्टे तक पूरा रहता है। तू रोज लगाना इसको तो दो चार हफ्ते में तो परमानेंट असर हो जाएगा , लेकिन अभी १० मिनट तक चुप चाप लेटी रहो उसके बाद ही उठना ,हाँ साडी कमर के ऊपर जरा सा भी नहीं , .. लेकिन तेरी चुनमुनिया पे तो कुछ लगाया नहीं "और एक शीशी से दो चार बूंदे एक अंगुली पे लगा के सीधे वहीँ ,... .
कामिनी भाभी किचेन में चली गयीं लेकिन मैं उस बड़ी सी बोतल को देख रही थी जिस में से वो लेप अभी भी मेरे उरोजों पे लगा हुआ था।
उस समय तो नहीं लेकिन बहुत बाद में मुझे पता चला की उसमें क्या क्या था। बताएगा कौन ,कामिनी भाभी ने ही बताया। सौंफ ,मेथी ,सा पालमेटो ,रेड क्लोवर ,शतावर ,और एक दो हर्ब और ,.. प्याज का रस और घर की बनी देशी शराब भी थोड़ी सी ,और घृतकुमारी के रस में मिलाके लेप बना था और साथ में अनार के दानों का रस ... वो सारी चीजें भाभी ने अपने बगीचे में ही उगाई थी और उसमें भी बहुत पेंच था जैसे मेथी होते ही उसे कब तोडा जाय , . और सबसे कठिन था जो लेप उन्होंने निपल पर लगाया था उसमें कई तरह की भस्म थीं , सिन्दूर भस्म ( वो भी कोई कामिया भस्म होती थी वो ), लौह भस्म ,नाग भस्म और साथ में मकरध्वज और शहद ( जो की आम के पेड़ पर लगे छत्ते से निकाला गया हो ) से मिलाकर।
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