Long Sex Kahani सोलहवां सावन
07-06-2018, 02:13 PM,
#78
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
वापस .... घर 





तभी सुनील ने मेरे चूतड़ों पर कस-कस के कई दोहथ्थड़ मारे, इत्ते जोर से की मेरे आँखों में गंसू आ गये। और उसने जोर से मेरी चोटी पकड़कर खींचा, और बोला-

“सच सच बोल गाण्ड मराने में मज़ा आ रहा है की नहीं…” 


“हां हां आ रहा है…” मुझे बोलना ही पड़ा। 


“तो फिर बोलती क्यों नहीं…” 


सच कहूं, मेरी समझ में नहीं आ रहा था अब मुझे कभी-कभी दर्द में भी अजब मज़ा मिलता था, कल जब दिनेश ने चोदते समय कीचड़ में जमकर मेरी चूचियां रगड़ीं थीं और आज जब इसने मेरे चूतड़ो पर मारा- 


“हां हां मेरे जानम मार लो मेरी गाण्ड, बहुत मजा आ रहा है ओह हां हां… डाल ले… मारो मेरी गाण्ड… कस के मारो पेल दो अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में…” 


और सच में मैं अब उसके हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी। काफी देर चोदने के बाद अजय और सुनील साथ-साथ ही झड़े। 


किसी तरह चन्दा का सहारा लेकर मैं घर लौटी। 



...............



मैं बता नहीं सकती कितना दर्द हो रहा था। किसी तरह चंदा का हाथ पकड़ के मैं चल रही थी।


“" साल्ले सुनील की बहन का भोसड़ा मारूं, उस छिनार नीरू की गांड में , अगर जाने के पहले उस की गांड न फ़ड़वायी तो कहना , तब पता चलेगा की कच्ची गांड में ठेलने में क्या आग लगती है , उउउ ओह्ह्ह्ह्ह्ह इइइइइइइइ , फट गयीईई। " मेरी बड़ी बड़ी आँखों से आंसू छलक पड़े। 

लग रहा था कोई लकड़ी की फांस , गांड के अंदर चुभ गयी है। 

चंदा कभी मुस्करा रही थी ,कभी समझा रही थी। 

" अरे एकदम मैं भी साथ दूंगी तेरा बिन्नो , उस कच्चे टिकोरे का मजा लेने में। मिल के लेंगे उसकी। " उसने मेरा मन रखा.

सुनील की बहना मुझसे भी दो साल छोटी थी ,अभी नौवें में गयी ही थी। बस छोटे से कच्चे टिकोरे , ... जब नदी नहाने हम सब गए थे तो पूरबी के साथ मिल के हमने थोड़ा रगड़ मसल की थी और नीचे भी हाथ लगाया था , रेशमी झांटे बस अभी निकलनी शुरू ही हुयी थीं। 

फिर चिढ़ाते हुए उस चंदा की बच्ची ने पूछा , क्यों ज्यादा दर्द हो रहा है क्या। 

मुझे बहुत गुस्सा आया ,मन तो किया एक हाथ लगाउं कस के , और उस चक्कर में गिरती गिरती बची। 

एक पतली सी मेंड़ पे हम दोनों चल रहे थे , एक पैर आगे रखो और दूसरा उसके ठीक पीछे , ऐसी संकरी। एक ओर आदमी से भी डेढ़ गुने ऊँचे गन्ने के खेत और दूसरी और अरहर के घने खेत और साथ में पानी बरसने से खेत गीला भी था.

चंदा ने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़ा और दूसरे से कमर और किसी तरह लड़खड़ाते मैं बची। 



लेकिन उस चक्कर में पिछवाड़े ऐसी चिलख उठी की बस मैं बिलबिला उठी , और सारा गुस्सा चंदा पर,

" जबरन फैला के अपने यार का पूरा ठेलवाया , उसे चढ़ा के और अब दर्द पूछ रही हो। " मैं दर्द से तड़पती बोल उठी। 

लेकिन चंदा कौन कम थी , पीछे से मेरे चूतड़ सहलाती बोली ,

" अरे मेरी नानी , तो परेशान काहें होती है अगली बार अपने यार से भी ठेलवा लेना , वो भी कौन तेरे पिछवाड़े का कम रसिया है। गांड के दर्द का इलाज यही है , चार पांच बार कस कस के मरवा लेगी न तो खुद तेरी गांड में कीड़े काटेंगे। तब मैं पूछूंगी तुझसे। "

बात चंदा की भी एकदम गलत नहीं थी। 

दर्द तो हो रहा था , लेकिन सुनील का सफ़ेद रस जब लसलसा गांड की दरार के बीच लगता तो एकदम से मजे से मैं गिनगीना उठती। अपनी पूरी मलाई उसने मेरे अंदर ही छोड़ दी और अभी भी ,... 

अरहर के खेत अब खत्म हो गए थे , एक ओर हरी कालीन की तरह धान के खेत थे और दूसरी ओर अभी भी गन्ने के खेत। हमारा घर अब पास आ गया था , एकछोटी सी अमराई बस उसके बगल से वो कच्चा रास्ता था जो घर के ठीक पीछे ,

जिस तरह से सहारा लेकर कभी लंगड़ा के मैं चल रही थी और हर चार पांच कदम के बाद जो मैं चिलख उठती बस मन यही कह रहा था ,मैं बार बार मना रही थी की बस घर पे भाभी , या भाभी की माँ न हों। 

कोई भी होगा तो क्या बोलुँगी मैं ,किसी तरह कोशिश कर के सीधे चलने की कोशिश कर रही थी पर दो चार कदम के बाद , चीख रोकते रोकते भी , ... 


तबतक मेरा ध्यान चंदा की ओर गया.वो कुछ बोल रही थी। 

गन्ने के घने खेतों के बीच एक बहुत पतली सी पगडंडी सी थी बल्कि मेंड़ ही , बहुत ध्यान से देखने पे ही दिखती थी। चंदा उधर मुड़ गयी थी और बोल रही थी ,

" अब तो घर आ गया है तू निकल ,मैं चलती हूँ। "


मुझे खेत के उस पार कोई लड़का सा दिखा लेकिन अगले पल वो आँख से ओझल हो गया था , हाँ ये लग रहा था की ये पतला रास्ता खेत के उस पार की किसी बस्ती की ओर जा रहा था , जहां ८-१० कच्चे घर बने थे। 


मेरे कुछ जवाब देने के पहले ही चंदा उस गन्ने के खेत में गायब थी। बस गन्नों के हलके हलके हिलने से लग रहा था की वो उसी और जा रही थी ,जिधर वो बस्ती थी। 

देखते देखते चंदा भी उन बड़े गन्ने के खेतों में खो गयी और मैं घर के रास्ते पे।


किसी तरह रुकते रुकाते मैं घर के सामने पहुँच गयी। 

दरवाजा बंद था। दो पल मैं सुस्ताई , गहरी सांस ली और दरवाजा खटखटाया बस यह सोचते की भाभी लोग न हों। 

दरवाजा बंसती ने खोला। 
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RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन - by sexstories - 07-06-2018, 02:13 PM

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