RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
फट गयीइइइइइ पिछवाड़े वाली
मैंने अपने मेंहदी लगे हाथों में दोनों के आधे-खड़े लण्ड पकड़ लिये, और आगे पीछे करने लगी।
जल्द ही दोनों तनकर खड़े हो गये।
अजय के लण्ड के चमड़े को मैंने कस के खींचा और उसका मोटा गुलाबी सुपाड़ा बाहर निकल आया। मैंने उंगली से उसके छेद को हल्के से छू दिया और वह सिहर गया।
तब तक अचानक अजय ने मुझे पकड़कर कस के झुका दिया और उसका गरम सुपाड़ा, मेरे गुलाबी होंठों से रगड़ खा रहा था-
“ले चूस इसे, घोंट, खोल के अपना मुँह ले अंदर जैसे अभी चन्दा चूस रही थी…”
और मैंने अपने होंठ खोलकर पहली बार उसके सुपाड़े को घोंट लिया। मेरे गुलाबी, मखमली होंठ उसके सुपाड़े को रगड़ते, घिसते हुये, उसे अंदर ले रहे थे। मेरी रेशमी जुबान, सुपाड़े के निचले हिस्से को चाट रही थी। थोड़ी देर तक मैं उसके मोटे सुपाड़े को चूमती चाटती रही। अजय ने उत्तेजित होकर मेरे सर को और जोर से अपने लण्ड पर दबाया और आधा लण्ड मेरे मुँह में घुस गया।
मेरे हाथ उसके लण्ड के बेस को पकड़े हुए, दबा सहला रहे थे और फिर मैं उसके पेल्हड़ को भी सहलाने लगी।
“हां हां ऐसे ही, और कस के चूस ले, चूस ले मेरा लण्ड साल्ली… ले-ले पूरा ले…”
मुझे अच्छा लगा रहा था कि मेरा चूसना अजय को इतना अच्छा लगा रहा है। मैं अपनी गर्दन ऊपर-नीचे करके खूब कस के चूस रही थी। कुछ देर चूसने के बाद, जब मैं थोड़ी थक जाती तो उसे बाहर निकालकर लालीपाप की तरह उसके लाल खूब बड़े सुपाड़े को चाटती, मेरी जीभ उसके पूरे लण्ड को चाटती और फिर मैं उसका लण्ड गप्प से लील जाती।
मेरे गाल एकदम फूल जाते, कभी लगता कि वह मेरे हलक तक पहुँच गया है पर मैं गप्पागप उसका लण्ड घोंटती रहती, चूसती रहती। मैं सुनील को एकदम भूल गयी थी पर मुझे तब उसकी याद आयी जब उसने मेरे चूतड़ सहलाते हुये मेरे गाण्ड के छेद पर अपना लण्ड लगाया।
“नहीं… नहीं… वहां नहीं…” मैंने कहने की कोशिश की।
पर अजय ने कस के मेरा सर अपने लण्ड पर दबा दिया और मेरी आवाज नहीं निकल पायी। थोड़ी देर वहां रगड़ने के बाद, सुनील ने लण्ड मेरी चूत पे सटाया और एक झटके में सुपाड़ा अंदर पेल दिया। मेरी जान में जान आयी कि मेरी गाण्ड बच गयी।
पर चन्दा के रहते, ये कहां होने वाला था।
चन्दा ने पहले तो सहलाने के बहाने मेरे चूतड़ को कस-कस के दो-दो हाथ लगाये और फिर अपनी उंगली में खूब थूक लगाकर उसे मेरी गाण्ड के छेद पे लगाया।
सुनील ने अपनी पूरी ताकत लगाकर मेरे दोनों कसे-कसे कोमल नितंबों को अच्छी तरह फैलाया और चन्दा ने भी कस के मेरी गाण्ड के छेद को चियार कर उसमें अपनी थूक लगी उंगली को ढकेल दिया। मैंने अपनी गाण्ड हिलाने की बहुत कोशिश की पर वह धीरे-धीरे, पूरी उंगली अंदर करके मानी।
पर वह वहां भी रुकने वाली नहीं थी।
जब मेरी गाण्ड को उसकी आदत हो गयी तो वह उसे गोल-गोल घुमाने लगी, और फिर जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगी।
जब मैंने अपने चूतड़ ज्यादा हिलाये तो वो बोली-
“अरे, अभी एक उंगली में इत्ता चूतड़ मटका रही हो तो अभी थोड़ी देर में ही पूरा मूसल ऐसा लण्ड इसी गाण्ड में घुसेगा तो कैसे गप्प करोगी…”
मैं चाहकर भी कुछ नहीं बोल सकती थी क्योंकी अजय मेरा सर पकड़ के मेरे मुँह को अब पूरी ताकत से लण्ड से चोद रहा था और अब मेरे थूक से वह इतना चिकना हो गया था कि गपागप मैं उसे लील रही थी और कई बार तो वह मेरे गले तक ढकेल देता।
और उधर सुनील भी मेरे मम्मे पकड़कर कस के चोद रहा था। जब कुछ देर बाद चन्दा ने मेरी गाण्ड से उंगली निकाली तो मेरी सांस आयी।
अब मेरी चूत सुनील के लण्ड की धकापेल चुदाई का पूरा मजा ले रही थी और मैं भी अपनी चूत उसके मोटे खूंटे जैसे लण्ड पर भींच रही थी।
तभी चन्दा ने किसी ट्यूब की एक नोज़ल मेरी गाण्ड के छेद में डाल दी। मैं मन ही मन उसे खूब गालियां दे रही थी। वह जेली की ट्यूब थी और उसने दबा-दबाकर पुरी ट्यूब मेरी गाण्ड में खाली कर दी। मेरी पूरी गाण्ड चप-चप हो रही थी।
उसके ट्यूब निकालते ही सुनील ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकालकर मेरी डर से दुबदुबाती गाण्ड के छेद पे लगा दी। चन्दा ने बेरहमी से मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़ के, खूब कस के गाण्ड के छेद तक फैला दिया था।
अब सुनील का लण्ड भी मेरी चूत को चोद के अच्छी तरह गीला हो गया था और गाण्ड के अंदर भी खूब क्रीम भरी थी, इसलिये अब जब उसने धक्का मारा तो थोड़ा सा मेरी गाण्ड में घुस गया। पर मेरी गाण्ड एकदम कड़ी हो गयी थी और मसल्स अंदर लण्ड घुसने नहीं दे रही थीं। सुनील ने मुझसे कहा कि मैं डरूं नहीं और थोड़ा ढीली करूं पर मैं और सहम गयी।
चन्दा कस के बोली-
“हे ज्यादा छिनारपना ना दिखा, गाण्ड ढीली कर ठीक से मरवा नहीं तो और दर्द होगा…” और उसने अचानक मेरी दोनों टांगों के बीच हाथ डालकर कस के अपने नाखूनों से मेरी क्लिट पर खूब कस के चिकोट लिया।
मैं दर्द से बिलबिला कर चीख उठी और मेरा ध्यान मेरी गाण्ड से हट गया।
सुनील पूरी तरह तैयार था और उसने तुरंत मेरी कमर पकड़ के कस के तीन-चार धक्कों में अपना पूरा सुपाड़ा मेरी गाण्ड में पेल दिया। मेरी पूरी गाण्ड दर्द से फटी जा रही थी। मैंने बहुत जोर से चीखने की कोशिश की पर अजय ने और कस के अपना लण्ड मेरे हलक तक ठेल दिया और कस के मेरा सर दबाये रहा। सिर्फ मेरी गों गों की आवाज निकल पा रही थी। मैं कस-कस के अपनी गाण्ड हिला रही थी पर…
“गुड्डी रानी, अब चाहो कितना भी चूतड़ हिलाओ, गाण्ड पटको, पूरा सुपाड़ा अंदर घुस गया है, इसलिये अब लण्ड बाहर निकलने वाला नहीं है…” चन्दा मेरे सामने आकर मुझे चिढ़ाते हुये बोली और मेरा जोबन कस के दबा दिया।
सुनील अब पूरी ताकत से मेरी कसी, अब तक कुंवारी गाण्ड के अंदर अपना सख्त, मोटा लण्ड धीरे-धीरे घुसा रहा था। मैं कितना भी चूतड़ पटक रही थी पर सूत-सूत करके वह अंदर सरक रहा था। दर्द के मारे मेरी जान निकली जा रही थी पर उस बेरहम को तो… कभी कमर तो कभी मेरे कंधे पकड़कर वह पूरी ताकत से अंदर ठेल रहा था और जब आधा लण्ड घुस गया होगा और उसको भी लगा कि अब और अंदर पेलना मुश्किल है तो वह रुका।
मुझे लगा रहा था कि किसी ने मेरी गाण्ड के अंदर लोहे का मोटा राड डाल दिया है। उसके रुकने से मेरा दर्द थोड़ा कम होना शुरू हुआ।
पर चन्दा को कहां चैन, वह बोली- “हे गुड्डी रानी, क्या मजे हैं तुम्हारे, एक साथ दो लण्ड का मजा, एक मुँह में चूस रही हो और दूसरे से गाण्ड में मजा ले रही हो, और मैं यहां सूखी बैठी हूं।
और अजय से कहा- “हे इसका मुँह छोड़ो, जब तक सुनील इसकी गाण्ड का हलुवा बना रहा है, तुम मेरे साथ मजा लो ना…” अजय ने जब इशारे से बताने की कोशिश कि जैसे ही वह मेरे मुँह से लण्ड निकालेगा, मैं चीखने चिल्लाने लगूंगी।
तो चन्दा ने अजय का लण्ड मेरे मुँह से निकालते हुए कहा- “अरे चीखने चिल्लाने दो ना साल्ली को। पहली बार गाण्ड मरा रही है तो थोड़ा, चीखना, चिल्लाना, रोना, धोना, अच्छा लगाता है। थोड़ा, रोने चीखने दो ना उसको…” ये कहकर उसने अजय को वैसे ही नीचे लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गयी
।
मैं भी गर्दन मोड़कर उसको देख रही थी। वह अपनी चूत, ऊपर से अजय के सुपाड़े तक ले आती और जब अजय कमर उचकाकर लण्ड घुसाने की कोशिश करता, तो वह छिनार चूत और ऊपर उठा लेती। उसने अजय की दोनों कलाई पकड़ रखी थी। फिर उसने अपने माथे की बिंदी उतारकर अजय के माथे को लगा दी और कहने लगी- “आज मैं चोदूंगी और तुम चुदवाओगे…”
और उसने अपनी चूत को उसके लण्ड पे जोर के धक्के के साथ उतार दिया। थोड़ी ही देर में अजय का पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर था। अब वह कमर ऊपर-नीचे करके चोद रही थी और अजय, जैसे औरतें मस्ती में आकर नीचे से चूतड़ उठा-उठाकर चुदवाती हैं, वैसे कर रहा था।
चन्दा ने मेरा एक झुका हुआ जोबन कस के दबा दिया और अब सुनील को चढ़ाते हुए, कहने लगी-
“हे अभी मेरी चूत की चुदाई तो सुपाड़ा बाहर लाकर एक धक्के में पूरा लण्ड डालकर कर रहे थे, और अब इस छिनाल की गाण्ड में सिर्फ आधा लण्ड डालकर… क्या उसकी गाण्ड मखमल की है और मेरी चूत टाट की… अरे मारो गाण्ड पूरे लण्ड से, फट जायेगी तो कल क्ललू मोची से सिलवा लेगी साल्ली… ऐसी गाण्ड मारो इस छिनाल की… की सारे गांव को मालूम हो जाये कि इसकी गाण्ड मारी गयी, पेल दो पूरा लण्ड एक बार में इसकी गाण्ड में… वरना मैं आ के अभी अपनी चूची से तेरी गाण्ड मारती हूं…”
चन्दा का इतना जोश दिलाना सुनील के लिये बहुत था। सुनील ने मेरी कमर पकड़कर अपना लण्ड थोड़ा बाहर निकाला और फिर पूरी ताकत से एक बार में मेरी गाण्ड में ढकेल दिया।
उउह्ह्ह, मेरी तो जान निकल गयी।
मैंने दांत से होंठ काटकर चीख रोकने की कोशिश की पर दर्द इतना तेज था कि तब भी चीख निकल गयी। पर मैं जानती थी, कि अब सुनील नहीं रुकने वाला है, चाहे मेरी गाण्ड फट ही क्यों ना जाये। और वही हुआ, सुनील ने बिना रुके फिर पहले से जोरदार धक्का मारा और मैं बेहोश सी हो गयी, मेरी बहुत तेज चीख निकली पर चन्दा ने कसकर मेरे मुँह पर हाथ लगाकर भींच लिया।
सुनील धक्के को धक्का मारता रहा। मैं छटपटा रही थी, दर्द से बेहाल हो रही थी लेकिन चन्दा ने इतनी कस के पूरी ताकत से मेरा मुँह भींच रखा था कि मेरी जरा सा भी चीख नहीं निकल पायी।
कुछ देर में सुनील के धक्के रुक गये, पर मुझे अहसास तभी हुआ, जब चन्दा ने हाथ हटा लिया और बोली- “अरे जरा बगल में तो देख, कितनी आराम से तेरी गाण्ड ने लण्ड घोंट रखा है…”
और सच में जब मैंने बगल में देखा तो वहां शीशे में साफ दिख रहा था कि, कैसे मेरी कसी-कसी गाण्ड में उसका मोटा लण्ड पूरे जड़ तक मेरी गाण्ड में घुसा है। अब दर्द जैसे धीरे-धीरे कम हुआ मेरी गाण्ड ने लण्ड अपने अंदर महसूस करना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर तक रुक के सुनील ने लण्ड थोड़ा बाहर निकाल के कस-कस के धक्के फिर मारने शुरू कर दिये। पर अब मुझे दर्द के साथ एक नये तरह का मजा मिल रहा था। उधर, अजय ने भी अब चन्दा को चौपाया करके चोदना शुरू कर दिया था। मैं और चन्दा दोनों एक साथ एकदम सटकर चुदवा रहे थे।
सुनील अब मेरी चूचियां पकड़ के गाण्ड मार रहा था।
वह एक हाथ से मेरी चूची पकड़ता और दूसरी से चन्दा की दबाता। अब अजय और सुनील दोनों पूरी तेजी से धक्के पे धक्के मारे जा रहे थे। सुनील ने मेरी चूत में पहले तो दो, फिर तीन उंगलियां घुसा दीं और कस के अंदर-बाहर करने लगा। कहां तो मेरी चूत को एक उंगली घोंटने में पसीना होता था और कहां तीन उंगलीं… मेरी गाण्ड और चूत दोनों का बुरा हाल था, पर मजा भी बहुत आ रहा था। जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड में जाता तो वह उंगली बाहर निकाल लेता और जब चूत में तीन उंगलियां एक साथ पेलता तो गाण्ड से लण्ड बाहर खींच लेता।
मैं बार-बार झड़ने के कगार पर पहुँचती तभी चन्दा ने कस के मेरी क्लिट पकड़कर रगड़ मसल दी और मैं झड़ने लगी और बहुत देर तक झड़ती रही। मेरा सारा रस उसकी उंगली पर लग रहा था। जब मैं झड़ चुकी तो सुनील ने मेरी चूत से अपनी उंगली निकालकर मेरे मुँह में लगा दी और मुझे मजबूर करके चटाया। फिर तो मैंने उसके उंगलियों से एक-एक बूंद रस चाट लिया।
चन्दा मुझे चिढ़ाते हुए बोली- “क्यों कैसा लगा चूत रस…”
मैं चुप रही।
पर चन्दा क्यों चुप रहती। वह बोली- “अरे अभी तो सिर्फ चूत रस चाटा है अभी तो और बहुत से रस का स्वाद चखना है…”
जब सुनील ने उसे आँख तरेर कर मना किया तो वो बोली- “अरे गाण्ड मरवाने का मजा ये लेंगी, तो चूम चाटकर साफ कौन करेगा…”
तभी सुनील ने मेरे चूतड़ों पर कस-कस के कई दोहथ्थड़ मारे, इत्ते जोर से की मेरे आँखों में गंसू आ गये। और उसने जोर से मेरी चोटी पकड़कर खींचा, और बोला- “सच सच बोल गाण्ड मराने में मज़ा आ रहा है की नहीं…”
“हां हां आ रहा है…” मुझे बोलना ही पड़ा।
“तो फिर बोलती क्यों नहीं…”
सच कहूं, मेरी समझ में नहीं आ रहा था अब मुझे कभी-कभी दर्द में भी अजब मज़ा मिलता था, कल जब दिनेश ने चोदते समय कीचड़ में जमकर मेरी चूचियां रगड़ीं थीं और आज जब इसने मेरे चूतड़ो पर मारा- “हां हां मेरे जानम मार लो मेरी गाण्ड, बहुत मजा आ रहा है ओह हां हां… डाल ले… मारो मेरी गाण्ड… कस के मारो पेल दो अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में…” और सच में मैं अब उसके हर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी। काफी देर चोदने के बाद अजय और सुनील साथ-साथ ही झड़े।
किसी तरह चन्दा का सहारा लेकर मैं घर लौटी।
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