Long Sex Kahani सोलहवां सावन
07-06-2018, 02:10 PM,
#70
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
झूला हो और कजरी ना हो, दिनेश ने मुझसे कहा और मैं मस्ती में गाने लगी- 


हमरे आंगन में, नीम पे झूला डलवाय दो, हमका झुलाय दो ना, 
अरे अपनी गोदिया में हमका बैठाय के, सजन झुलाय दो ना, 
हमार दोनों जोबना पकड़, धक्का कस के लगावा, हमका झुलाय दो ना, 
लण्ड कस के घुसावा, बुर हमरी चुदावा, चुदवाय दो ना, सजन सावन में हमका झुलाय दो ना,



बारिश अब और तेज हो गयी थी। आंगन में पानी के बुलबुले फूट रहे थे। भाभी के मायके का आधा आंगन कच्चा था, जिसके बगल में फूलों की क्यारियां बनी थी। वहां मिट्टी गीली हो रही थी। 

दिनेश ने मुझसे पूछा- “तुमने कभी बिना झूले के झूला, झूला है…”

मैंने कहा- “नहीं, बिना झूले के कैसे…” 
वह बात काटकर बोला- “झूलना है, तुम्हें…” 
उसके होंठ चूमते हुये, मैं बोली- “हां… जरूर…” 

अब वह मुझे लिये झूले पर से उतरा, आधे से अधिक लण्ड मेरी चूत में घुसा था।


वह मुझे वैसे ही लिये वहां आया जहां आंगन कच्चा था और मुझे लिटा दिया।


मेरी दोनों टांगों अभी भी उसी तरह उसके दोनों ओर फैली थीं। उसने अपनी दोनों टांगें मेरे चूतड़ के नीचे की और फिर अचानक मेरी कमर के नीचे हाथ डालकर मुझे उठा लिया। मैं जैसे ऊपर आती, वह पीछे मुड़ जाता और जब वह आगे आता तो… मुझे लगभग अपने हाथों के सहारे जमीन पे लिटा देता, जैसे बच्चे सी-सा खेलते हैं उसी तरह। और इसी के साथ-साथ उसका लण्ड भी खूब कस-कस के रगड़ता हुआ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। 



आंगन का पानी भी बहकर मिट्टी वाले हिस्से की ओर से आ रहा था और वहां पूरा कीचड़ हो रहा था। मेरे चूतड़ में भी कीचड़ थोड़ा लगा गया। 



थोड़ी देर तक इस तरह झूला झूलाने के बाद उसने मुझे खींच के अपनी जांघ पे बिठा लिया और मेरे होंठों को कस के चूमते, पूछा- “क्यों कैसा लगा, झूला…” 


उसके चुम्बन का जवाब मैंने भी खूब कस के उसे चूमते हुए दिया और बोली- “बहुत मजा गया…” 

“तो लो इस तरह से भी झूलने का मजा लो…” 

अब वह मुझे अपनी जांघ पर बिठाकर चोदते हुये ही झूलने का मजा दे रहा था। इसमें और भी मजा आ रहा था, कभी वह मेरी कमर पकड़ के झुलाता, कभी दोनों चूंचिया पकड़ के। थोड़ी देर इस तरह से झुलाने के बाद उसने मुझे मिट्टी पर लिटा दिया। मेरी जांघें पूरी तरह फैली हुई थीं, और उसके बीच में वह।

उसका आधे से भी ज्यादा, विशालकाय मोटा लण्ड मेरी चूत को फाड़ते हुये, उसके अंदर घुसा हुआ था। पानी की धार चारों ओर उसके शरीर से होते हुये मेरी कंचन काया पर गिर रही थी। मेरी दोनों चूचियों को पकड़ वह मेरी आँखों में प्यार से झांक रहा था। जैसे उसकी आँखें पूछ रही हों- “क्यों… डाल दूं पूरा… दर्द तो तुम्हें होगा थोड़ा… पर मेरा मन भी…” 



और मेरी आँखों ने भी जैसे मुश्कुराकर हामी भर दी हो और मैंने अपने चूतड़ उठाकर अपनी देह की इच्छा का भी अहसास करा दिया। बस अब देर किस बात की थी, उसने मेरी दोनों टांगें अब अपने कंधे को रख लीं और मेरी कोमल कमर पकड़कर अपने लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और मेरे होंठों का रस चूमते, काटते कस के धक्का लगाया। कभी कमर पकड़ के, कभी चूंचियां पकड़के मेरी धुआंधार चुदाई चालू हो गयी थी 


और इसी के साथ मेरे चूतड़ भी आंगन की मिट्टी में, जो अब अच्छी तरह कीचड़ हो गआया था, रगड़े जा रहे थे। हम दोनों सब कुछ भूलकर वहशियों की तरह चुदाई कर रहे थे। 


थोड़ी देर में उसने मुझे पलट दिया। अब मेरे दोनों हाथ कोहनियों के बल मुड़े थे और उनके और घुटनों के बल मैं थी, मेरे चूतड़ उठे थे। वो कमर पकड़ के अपना लण्ड हर धक्के के साथ सुपाड़े तक निकालकर पूरा पेल रहा था और मैं भी उसके हर धक्के का जवाब कस के दे रही थी। थोड़ी ही देर में उसके जोरदार धक्कों से मेरी कुहनी जमीन पर लग गयी और अब मेरी रसीली चूचियां कस-कस के कीचड़ में लिथड़ रही थीं, उसके हर धक्के के साथ वह बुरी तरह कीचड़ में रगड़ खा रहीं थी, मैं कभी दर्द से, कभी मजे से चिल्ला रही थी पर उसके ऊपर कोई असर नहीं था। 


सटासट-सटासट वह धक्के मारे जा रहा था और मेरी चूत भी गपागप-गपागप उसका लण्ड घोंट रही थी। बरसात भी अब तूफानी बरसात में बदल चुकी थी। 


मुसलाधार पानी के साथ तूफानी हवा भी चल रही थी, पेड़ जोर से हर हरा रहे थे। चर-चर धड़ाम की आवाज से बाहर अचानक कोई बड़ा पेड़ गिरा। और उसी समय उसके मोटे गधे की तरह लंबे लण्ड का बेस मैंने अपने चूत के मुँह पे महसूस किया। 



और मैं तेजी से झड़ने लगी। मैं ऐसे इसके पहले कभी नहीं झड़ी थी। मेरी पूरी देह जोर-जोर से कांप रही थी, मेरी चूचियां पत्थर जैसी कड़ी हो गयीं थीं और मेरे चूचुकों में भी झड़ने का सेंसेशन हो रहा था। मेरा झड़ना रुकता और फिर एक नयी लहर शुरू हो जाती। मेरी चूत में उसके लण्ड का एहसास बार-बार झड़ना ट्रिगर कर रहा था। 


जैसे किसी बहुत पतली मुँह वाली बोतल में खूब ठूंस कर कोई मोटा, बड़ा कार्क घुसेड़ दिया जाय, और बड़ी मुशिक्ल से वह घुस तो जाय पर उसका निकालना उतना ही मुश्किल हो, वही हालत मेरी हो रही थी। जब उसने आखिरी बार कस के धक्का मारा तो मैं कीचड़ में पूरी तरह लेट गयी थी और चूंचिया तो अच्छी तरह लिथडीं थीं हीं, बाकी पेट, जांघों पर भी अच्छी तरह कीचड़ लिपट गया था। मेरी कमर को पकड़कर ऊपर उठाकर खूब कस-कस के खींचा तो लण्ड थोड़ा, बाहर निकला। अब उसने मुझे पीठ के बल लिटा दिया। 


जब उसने मुझे, मेरे जोबन को कीचड़ से लथपथ देखा तो कहने लगा- “अरे, तेरी चूचियां तो कीचड़ में…” 


“और क्या, कीचड़ में ही तो कमल खिलते हैं, लेकिन तुम क्यों अलग रहो…” और मैंने अपने हाथ में बगल की क्यारी में से खूब अच्छी तरह कीचड़ ले लिया था, उसे मैंने उसके दोनों गालों पर होली में जैसे रंग मलते हैं, खूब कसकर मल दिया। 


“अच्छा, अभी लगता है थोड़ी कसर बाकी है…” और उसने ढेर सारा कीचड़ निकालकर मेरे जोबन पर रख दिया और कसकर मेरी चूचियों की रगड़ाई मसलाई करने लगा। मैं क्यों पीछे रहती मैंने भी अबकी ढेर सारा कीचड़ लेकर उसके मुंह, पीठ पर अच्छी तरह लपेट दिया। 


मुझे फिर एक आइडिया आया। मैंने उसे कस के अपनी बाहों में भींच लिया और अपनी चूंचियां उसकी चौड़ी छाती पर रगड़ने लगी और अब वह भी उसी तरह लथपथ था, जैसे हम कीचड़-कुश्ती कर रहे हों। 

“अच्छा…” कहकर उसने मेरे भरे-भरे गालों को कसकर काट लिया और जोर से काटता रहा। 


उईइइइइइ… मैं चीख पड़ी पर बारिश और तूफान में क्या सुनाई पड़ता। पर उसे कोई फरक नहीं पड़ा और कुछ रुक कर उसने दुबारा वहीं पूरी ताकत से काटा। मैं समझ गयी, गाल के ये दाग, मेरे घर लौटने के भी बहुत दिन बाद तक रहेंगे। तभी उसने, मैंने जो उसके गाल पे कीचड़ लगाया था, कसकर अपने गाल को मेरे गालों पर रगड़कर लगाना शुरू कर दिया। 

“इस मलहम से तेरे गालों का दर्द चला जायेगा…” वह हँसकर बोला। 


मैंने बदले में ढेर सारा कीचड़ उठाकर उसकी पीठ पर डाल दिया। हमारे बदन एक दूसरे को रगड़ रहे थे, लग रहा था उसके ढेर सारे हाथ और होंठ हो गये हों। 


कभी वह मेरी चूचियों को कस-कस के रगड़ता, मसलता, कभी क्लिट को छेड़ता, कभी उसके होंठ मेरे गाल और होंठ चूसते काटते, कभी मेरे निपल का सारा रस निकाल लेते, और उसका लण्ड तो किसी मोटे पिस्टन की तरह बिना रुके मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, कभी वह मेरे चूतड़ पकड़ के चोदता, कभी कमर पकड़के। 

उसने अपना लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकालकर मेरी दोनों किशोर चूंचियों को कस के पकड़ के पूछा- “क्यों गुड्डी मजा आ रहा है, चुदवाने का…” 

“हां साजन हां, ओह…” और मेरे चूतड़ अपने आप ऊपर उठ गये। मैंने अपनी दोनों टांगें उसके कमर के पीछे जकड़कर खींचा और उसने इत्ता कस के धक्का मारा कि पूरा लण्ड एक बार में अंदर हो गया। चोदते-चोदते कभी वह मुझे ऊपर कर लेता, उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में और वह मेरी मस्त चूचियों को मसलता रहता, उसकी पूरी पीठ कीचड़ से लथपथ हो जाती। 


पर हम दोनों को कोई परवाह नहीं थी। वह चोदता रहा, मैं चुदवाती रही। 


मुझे पता नहीं कि मैं कित्ती बार झड़ी पर जब वह झड़ा तब तक मैं पस्त हो चुकी थी। बारिश धीमी हो गयी थी। हम दोनों ने जब एक दूसरे को देखा तो हंसे बिना नहीं रह सके, कीचड़ में एकदम लथपथ। आंगन के बगल की खपड़ैल जो थी उसपर से छत का पानी परनाले की तरह बह रहा था। मैं उसे, उसके नीचे खींच के ले गयी और छोटे बच्चों की तरह, जैसे मोटे नल की धार के नीचे खड़े होकर हम दोनों नहाते रहे और मल-मल कर एक दूसरे का कीचड़ छुड़ाते रहे। फिर मैं एक तौलिया ले आयी और दिनेश को मैंने रगड़-रगड़ के सुखाया।


और वह भी मुझे रगड़ने का मौका क्यों छोड़ता। वह बार-बार पूछता- “अगली बार कब…” 


पानी लगभग बंद हो गया था। मैं उसे छोड़ने दरवाजे तक गयी। बाहर गली में दोनों ओर देखकर मैंने उसे कसकर बाहों में पकड़ लिया और उसके मुँह पर एक कसकर चुम्मा लेते हुए बोली- “तुम, जब चाहो तब…” 


अब मेरी देह बुरी तरह टूट रही थी। पलंग पर लेटते ही मुझे पता नहीं क्यों रवीन्द्र की याद आ रही थी। मुझे अचानक याद आया, चन्दा ने जो कहा था, रवीन्द्र के बारे में, उसका… उसने जितना देखा है उन सबसे ज्यादा… और उसने दिनेश का तो देखा ही है… तो क्या रवीन्द्र का दिनेश से भी ज्यादा… उफ़… आज तो मेरी जान ही निकल गयी थी और रवीन्द्र… यह सोचते सोचते मैं सो गयी। 

सपने में भी, रवीन्द्र मुझे तंग करता रहा। 

जब मैं उठी तो शाम ढलने लगी थी। बाहर निकलकर मैंने देखा तो भाभी लोग अभी भी नहीं आयी थीं। मैंने किचेन में जाकर एक गिलास खूब गरम चाय बनायी और अपने कमरे की चौखट पर बैठकर पीने लगी। बादल लगभग छट गये थे, आसमान धुला-धुला सा लगा रहा था। 
Reply


Messages In This Thread
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन - by sexstories - 07-06-2018, 02:10 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,638,131 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 560,235 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,291,997 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 976,407 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,730,862 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,145,638 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,064,174 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,445,641 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,156,686 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 298,034 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)