Long Sex Kahani सोलहवां सावन
07-06-2018, 01:58 PM,
#50
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
और आँगन में पैर रखते ही मेरी फट गयी , मारे डर के। 


एकदम घना अँधेरा , पूरा भयानक काला। 

आसमान में एक भी तारे नहीं। 

और हवा एकदम रुकी , आने वाले तूफान का इशारा करती। 

आँगन में एक दीवाल में बने ताखे में एक छोटी सी ढिबरी जल रही थी। 

दिन में जो बड़ा सा नीम का पेड़ इतना प्यारा लगता था , इस समय वही किसी बड़े जिन्नात सा , सिर्फ हल्का हलका रोशन और ऊपर का हिस्सा एकदम घुप्प अँधेरे में डूबा। 

रॉकी ने हम दोनों को देखा , लेकिन उसके पहले चंपा भाभी ने उसके खाने का तसला मुझे पकड़ा दिया था और लालटेन अपने हाथ में ले ली थी और मेरे कान में बोला,

" रॉकी को आज तुझे ही हैंडल करना है , इसको सहलाओ , पुचकारो , कुछ भी करे उसे रोकना मत। और फिर खाना खिलाओ। घबड़ाना मत मैं भी तुम्हारे साथ ही रहूंगी , थोड़ा पीछे। "


और मैं आगे बढ़ी।
आँगन पहचाना नहीं जा रहा था। 

नीम के पेड़ के निचले हिस्से और उस के आसपास का हिस्सा ढिबरी की रौशनी में बस हलके हलके उजाले में डूबा था। 

बाकी आँगन घटाटोप काले अँधेरे में , आँगन के चारो ओर खूब ऊँची दीवारे थीं , १२ -१४ फिट की रही होंगी उनके पार दिन में खूब हरे भरे पेड़ दिखते थे। लेकिन इस समय जैसे किसी ने मोटी काली चादर ओढ़ा दी हो। 

और तभी ,चंपा भाभी ने मेरे हाथ से लालटेन ले ली मुझे रॉकी के खाने का तसला पकड़ा दिया , और मेरे कान में फुसफुसाकर बोलीं ,

" जाओ , जरा भी डरना मत , बस उसे खूब प्यार से सहलाना , मैंने कुछ दूर ही पीछे रहूंगी। और ये खाना खिला देना। फिर उसे लेके बाहर जाना होगा।"

और अगले पल वो लालटेन की रोशनी धीमे धीमे दूर हो गयी। 

हिम्मत कर में मैं आगे बढ़ी , अब सिर्फ ढिबरी की रोशनी मेरा सहारा थी , बड़े से नीम के पेड़ का साया और रॉकी बस दिख रहे थे। 


और हलकी रोशनी में रॉकी और बड़ा दिख रहा था , वैसे भी वो दो फिट से ज्यादा ही ऊंचा था , मेरे बगल में खड़े होने पर वो मेरी जाँघों के ऊपरी हिस्से तक आ जाता था। 

पहले तो वो हलके भौका। 

मैं डर से सिहर गयी , लेकिन ये सिहरन सिर्फ डर की नहीं थी। कल रतजगा में जो मुझे रॉकी के साथ जोड़ के गालियां दी गयी थीं , चंपा भाभी और चमेली भाभी ने 'खूब विस्तार' से समझाया था, पूरे डिटेल के साथ कैसे पहले वो चाटे चूमेगा , फिर पीछे आके , .... और जब उसकी बड़ी सी मुट्ठी के साइज की गाँठ मेरे अंदर , .... खूब घिर्रा घिर्रा के , … और चंदा ने भी कल बोला था की ये मजाक नहीं है , चंपा भाभी सच में बिना चढ़ाये छोड़ेंगी नहीं , … मेरे दिल की धड़कन धक धक हो रही थी। 

फिर जैसे उसने मुझे पहचान लिया हो और उसका भौंकना एकदम बंद हो गया।
मेरी निगाह फिर रॉकी के ' वहां ' पड़ गयी , वो , .... वो, … बाहर निकला था , एकदम किसी आदमी के जैसा , लाल गुलाबी करीब तीन चार इंच , और ,… मेरी साँस रुक गयी ,… वो थोड़ा मोटा होता जा रहा था , और बाहर निकल रहा था। 

मैंने थूक घोंटा , सांस आलमोस्ट रुक गयी। मुझे भाभी की माँ की बात याद आ गयी। ' बेटी कातिक -वातिक की सिर्फ कुतिया के लिए है, कुतिया कातिक में गरमाती हैं , रॉकी तो बारहो महीना तैयार रहता है , अगर उसे महक लग जाय ,…लौंडिया "

पैंटी तो मैं पहनती नहीं थी , और नीचे अब कुछ लसलसा सा लग रहा था। 

मेरी टाँगे अब पिघल रही थीं , और मैं समझ रही थी , की अगर इस अँधेरे में रॉकी ने कुछ ,… तो कोई आएगा भी नहीं। 


मुश्किल से मैंने अपने को सम्हाला। 

अब तक मैं रॉकी के एकदम पास पहुँच गयी थी ,वो चेन से बंधा जरूर था मगर एक तो चेन बहुत ही पतली थी , उसके लिए उसको तुड़ाना बहुत ही आसान था ,दूसरी चेन इतनी लम्बी थी की आधे आँगन से ज्यादा वो आराम से जा सकता था।

और रॉकी ने अपनी नाक ऊपर की जैसे उसे मेरी जांघो के बीच की लसलस की महक मिल गयी हो.

फिर सीधे उसकी जीभ मेरी खुली पिंडलियों पे ,उसने चाटना शुरू कर दिया। 

मैं घबड़ा रही थी लेकिन हिल भी नहीं सकती थी। 

चंपा भाभी ने पहले ही समझा दिया था की अगर वो चाटम चूटी कर रहा हो तो जरा सा भी डिस्टर्ब नहीं करना , वरना अगर गुस्सा हो गया सकता है। 

कुछ ही देर में उसकी जीभ घुटनो तक पहुँच गयी , मैंने भी उसे खूब प्यार से सहलाना , हलके हलके रॉकी रॉकी बोलना शुरू कर दिया। 

धीरे धीरे मेरा डर कुछ कम हो रहा था , मैंने उसका ध्यान बंटाने के लिए , उसे खाने का तसला दिखाया।

मुझे लगा खाने को देख कर शायद कर उसका मन बदल जाय , 

लेकिन शायद उसके सामने ज्यादा मजेदार रसीला भोजन था , और अब रॉकी के नथुने मेरे स्कर्ट में घुस गए थे , वो जांघ के ऊपरी हिस्से को चाट रहा था , लपलप लपलप, 

मेरी जांघे अब अपने आप पूरी फैल गयी थीं , 'वो 'खूब पानी फ़ेंक रही थी , 

मेरे पैर लग रहा था अब गए , तब गए , … मैं रॉकी को खूब प्यार से सहला रही थी , रॉकी रॉकी बुला रही थी ,


और तभी मेरी निगाह नीचे की ओर मुड़ी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह , मेरी चीख निकलते निकलते बची , … 


कम से कम ८ इंच ,लाल गुस्सैल , एकदम तना ,कड़ा गुस्सैल , और मोटा ,


मेरी तो जान सूख गयी , 

मतलब ,मतलब वो ,… पूरे जोश में है , एकदम तन्नाया। और अब कहीं वो मेरे ऊपर चढ़ बैठा ,.... 


और जिस तरह से अब उसकी जीभ , मैं गनगना रही थी ,चार पांच मिनट अगर वो इसी तरह चाटता रहां तो मैं खुद किसी हालत में नहीं रहूंगी कुछ ,.... 

मेरी जांघे पूरी तरह अपने आप फैल गयी थीं, 

ताखे में रखी ढिबरी की लौ जोर जोर से हिल रही थी , अब बुझी ,तब बुझी।
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RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन - by sexstories - 07-06-2018, 01:58 PM

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