Long Sex Kahani सोलहवां सावन
07-06-2018, 01:58 PM,
#48
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
और इन्ही कमरों में से एक में भाभी रहती थीं , और एक भाभी के कमरे से सटे कमरे में मैंने अड्डा जमाया था। और उसमें भी एक छोटी खिड़की नुमा दरवाजा था जिससे जब चाहे तब चंदा और मेरी बाकी सब नयी सहेलियां , कजरी , पूरबी , गीता आ धमकती थीं। हम लोगों के आने पर जो सोहर और गाने हुए थे वो इसी इलाके में बरामदे में हुए थे। 

एक फायदा ये भी था की इस इलाके में मर्दों का प्रवेश लगभग वर्जित था , उसी तरह औरते ,लड़कियां आगे वाले दरवाजे से नहीं आती थीं। हाँ उन लड़कों की बात और थी जो रिश्ते में भाभी के भाई लगते थे , लेकिन वो भी अकेले कम ही इस इलाके में आते थे , जैसे अजय आया तो भाभी को छोड़ने। 





चम्पा भाभी और किचेन में छेड़छाड़ 






तो इस के बात चलिए वापस चलते हैं किचेन में जहाँ चंपा भाभी गरम गरम चाय के साथ गरम गरम बातें परोस रही थीं।
आज चंपा भाभी और मेरी भाभी में खुल के छेड़छाड़ चल रही थी,और इस बात का कोई फरक नहीं पड़ रहा था की भाभी की माँ भी वहीँ बैठी थीं। बल्कि वो खुद भी इस मजाक में खुल के रस ले रही थीं और बजाय अपनी बेटी का साथ देने के चम्पा भाभी को और उकसा, चढ़ा रही थीं। 

चंपा भाभी ,मेरी भाभी के ग्लास मेंचाय ढाल रही थीं , भाभी ने कुछ ना नुकुर किया तो चंपा भाभी ने ग्लास पूरी भरते हुए बोला ,

" अरी बिन्नो , अब तक तो तुझे ये अंदाज लग जाना चाहिए था की ये डालने वाला तय करता है की आधा डाले की पूरा , और ससुराल से सैयां के साथ देवर ननदोई संग इतनी कब्बडी खेल के आई होगी , तो फिर आधे में क्या मजा आएगा। "

और उसमें टुकड़ा लगाया , भाभी की माँ ने , बोलीं , " अरे आधे में तो न डालने वाले को मजा न डलवाने वाले को ,सही तो कह रही है चंपा। "

भाभी कुछ झिझकी , मेरी ओर देखा फिर चंपा भाभी से बोलीं , " अरे चलिए भाभी थोड़ी देर की बात है , रात में देखती हूँ आप की पहलवानी , कौन आधा डालता है कौन पूरा ,पता चल जायेगा। "

मैं मुस्कराहट रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन तभी मेरा नाम आ गया और मेरा कान खड़ा होगया। 

"माँ , आज भैया नहीं है , भाभी को डर लगेगा , तो मैं आज उनके साथ सोऊंगा , और मुन्ना को आप सम्हाल लीजियेगा रात में , वैसे भी अब वो आपसे इतना हिलगया है। " 

लेकिन फिर उन्होंने मेरी ओर देखा और कुछ सोच के मुझसे बोलीं , 

" लेकिन , फिर तुझे उस कच्ची खंद में अकेले सोना पडेगा , कही डर तो नहीं लगेगा मेरी ननद रानी को "

और मैं सचमुच डर गयी , वो भी बहुत जोर से। 

कहीं अगर मेरे सोने की जगह बदली तो बिचारे अजय का क्या होगा ? कल वैसे ही रतजगे के चक्कर में उसका उपवास हो गया था। और अब मेरी बुलबुल को भी चारा घोंटे २४ घंटे से ऊपर होगया था , उस को भी जोर जोर से चींटे काट रहे थे। 

ऊपर से मैंने उसे बोल भी दिया था ,कुण्डी मत खड़काना राजा ,सीधे अंदर आना राजा। 

लेकिन मुझे भाभी की माँ ने बचाया , मेरी पीठ सहलाते वो मेरी आँख में आँख डाल के खूब रस ले ले के बोल रही थी, भाभी से बोलीं 

" अरे ये मेरी बेटी है ,किससे डरेगी। तुम क्या सोचती हो तेरे भाइयों से डरेगी , अरे उन्हें तो एक बार में गप्प कर जाएगी ये। गपागप गपागप घोंट लेगी। नहीं डरेगी न। "

मैंने तुरंत जोर से हामी में सर हिलाया, मैं किसी भी हालत में अपनी कुठरिया में ही सोना चाहती थी , वरना मेरा जबरदस्त हो जाता। 

लेकिन चम्पा भाभी कहाँ छोड़ने वाली थीं , उन्होंने खोल के पूछा,

" तो बोल न साफ़ साफ़ नहीं डरेगी। "

"नहीं एकदम नहीं।" मैंने पूरे कांफिडेंस में बोला और एक्स्ट्रा कन्फर्मेशन के लिए सर भी हिलाया खूब जोर जोर से। 

और मेरी भाभी , चम्पा भाभी दोनों खूब जोर से हंसी। उनकी माँ भी मीठा मीठा मुस्करा रही थीं। 

मेरी भाभी ने जोर से सबके सामने मेरी टॉप फाड़ती चूंचियों को जोर जोर से टीपते बोला , " मेरी बिन्नो , किस चीज ने नहीं डरेगी , मेरे भाइयों का गपागप , सटासट घोंटने से , अरे अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों फाड़ के रख देंगे , मेरे भाई। "

फिर भाभी की माँ मेरे बचाव में आयीं , 
" अरे सबका फटता है ,तो ये भी फटवा लेगी। कौन सी नयी बात है, फिर कल तो इसने सबको अपनी चुनमुनिया खोल के दिखाई न ,कितनी प्यारी एकदम गुलाबी ,कसी, मक्खन जैसी , फटने को तैयार। और अगर सावन में , अपने भैया के ससुराल में नहीं फटा तो फिर… , ठीक है ये वहीँ सोयेगी जहाँ रोज सोती है।"

मैंने तो चैन की सांस ली ही , भाभी और चंपा भाभी ने भी चैन की सांस ली। 

अरेंजमेंट तय हो गया था , भाभी, चंपा भाभी के कमरे में। मुन्ना , भाभी की माँ के साथ और मैं वहीँ जहाँ रोज सोती थी। 

तब तक भाभी की माँ ने बाहर देखा तो जैसे घबड़ा गयीं , रात हो गयी थी लेकिन आकाश में न चंदा न तारे , खूब घने बादल। 

" बहुत जोर की बारिश होने वाली है , तूफान भी आएगा , हवा एकदम नहीं चल रही है , चलो जल्दी जल्दी तुम तीनो छिनारो मिल के खाना आधे घंटे के अंदर बना लो। आठ बजे के पहले सब काम खत्म हो जाय। मैं ज़रा बाहर शामू और चंदू को बोल के आती हूँ , गाय भैस ठीक से अंदर कर के बंद कर दे। "

और वो बाहर निकल गयीं और हम तीनो भूत की तरह ,.... 

१५ मिनट में वो आयीं तब तक चंपा भाभी ने दाल चढ़ा दिया था मैं सब्जी काट रही थी और भाभी आटा गूंथ रही थीं।
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RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन - by sexstories - 07-06-2018, 01:58 PM

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