RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
अजय
“अच्छा, तो गुड्डो रानी, अजय से चुदवाना चाहती हैं…” चन्दा ने कसकर मेरी क्लिट को पिंच कर लिया और मेरी सिसकी निकल गयी।
“तुम्हारी पसंद सही है, मुझे भी सबसे ज्यादा मजा अजय के ही साथ आता है, और उसे सिर्फ चोदने से ही मतलब नहीं रहता, वह मजा देना भी जानता है, जब वह एक निपल मुँह में लेकर चूसते और दूसरा हाथ से रगड़ते हुए चोदता है ना तो बस मन करता है कि चोदता ही रहे। तुम्हारा तो वह एकदम दीवाना है, और वैसे दीवाने तो सभी लड़के हैं तुम पर…”
चन्दा की उंगली अब फुल स्पीड में मेरा चूत मंथन कर रही थी और उसने मेरा भी हाथ खींच कर अपनी चूत पर रख लिया था।
चंदा रानी बोल रही थीं ,लेकिन मेरा मन अजय के पीछे लगा था।
भाभी का कजिन , मुझसे ४-६ साल बड़ा रहा होगा , खूब लम्बा , तगड़ा लेकिन बहुत सीधा। भाभी की चौथी लेके आया था और उसके बाद भी एक दो बार कभी भाभी को लेने कभी भाभी को छोड़ने।
और हर बार उस की मैं वो रगड़ाई करती थी की दूसरा कोई लड़का होता तो बुरा मान जाता।
चाय बिचारे को हर बार सिर्फ नमक या मिर्च मिली मिलती थी , और वो भी ऐसा , जो कभी एक बूँद भी छोड़ा हो उसने।
एक बार जब कोई नहीं था तो मैंने उससे पूछा की चाय कैसी थी , वो मुस्करा के बोला , तुम्हारा नमक और चाय का नमक मिल के शहद से भी मीठा हो जाता है। बस।
एक बार वो सो रहा था की मैं चुपके से उसके कमरे में गयी , जनाब घोड़े बेच के सो रहे थे।
मैंने चुटकी भर सिन्दूर उनके भर माँग लगा दिया और एक बड़ी सी गोल लाल लाल बिंदी , माथे पर।
अजय खूब गोरा है ,एकदम चिकना और उसके गोरे माथे पे बड़ी बड़ी बिंदी खूब फब रही थी।
मैं दोनों ऊँगली पे लिपस्टिक लगा के अजय के होंठों पे लगा के उसका सिंगार पूरा करना चाहती थी।
तभी उसने अपने मजबूत हाथों से मेरी कलाई पकड़ ली , और भाभी की भी एंट्री हो गयी।
घबड़ा के उसने कलाई छोड़ दी।
" सिंदूर दान हो गया तो बिन्नो सुहागरात भी मनाना पडेगा, पीछे मत हटना तब । " भाभी ने मुझे चिढ़ाया।
' अरे भाभी , आपकी एकलौती ननद हूँ , पीछे नहीं हटने वाली। हाँ आपका ये छोटा भैय्या ही शर्मा के भाग जाएगा।
और हुआ भी यही ,अजय एकदम बीरबहूटी बन गया था।
इधर मैं अजय के बारे में सोच रही थी , चंदा रवी के गुन गाये जा रही थी।
“और रवी तो… वह चाटने और चूसने में एक्सपर्ट है, नंबरी चूत चटोरा है, वह…”
मैं खूब मस्त हो रही थी। मेरी एक चूची चन्दा के हाथ से मसली जा रही थी और उसके दूसर हाथ की उंगली मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी।
ऐसा नहीं था कि मेरी चूत रानी को कभी किसी उंगली से वास्ता न पड़ा हो, पिछली होली में ही भाभी ने जब मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर मेरी चूत पर गुलाल रगड़ा मसला था तो उन्होंने उंगली भी की थी और वह तो ऐसे भांग के नशे में थीं की कैंडलिंग भी कर देतीं पर भला हो कि रवीन्द्र, उनका देवर आ आया तो, मुझे छोड़कर उसके पीछे पड़ गयीं।
पर जैसे चन्दा एक साथ, चूची, चूत और क्लिट कि रगड़ाई कर रही थी वैसे पहले कभी नहीं हुई थी और एक रसीले नशे से मेरी आँखें मुदी जा रही थीं।
चन्दा साथ में मुझे समझा भी रही थी-
“सुन, मेरी बात मान ले, यहां जमकर मजा लूट ले, देखो यहां दो फ़ायदे हैं। अपने शहर में किसी और से करवायेगी तो ये डर रहेगा की बात कहीं फैल ना जाय, वह फिर तुम्हारे पीछे ना पड़ जाय, पर यहां तो तुम हफ्ते दस दिन में चली जाओगी फिर कहां किससे मुलाकात होगी।
और फिर शहर में चांस मिलना भी टेढ़ा काम है, जब भी बाहर निकलोगी कोई भी टोकेगा की कहां जा रही हो, जल्दी आना, और फिर अगर किसी ने किसी के साथ देख लिया और घर आके शिकायत कर दी तो अलग मुसीबत,
और यहां तो दिन रात चाहे जहां घूमो, फिरो, मौज मस्ती करो, और फिर तुम्हारी भाभी तो चाहती ही हैं कि तेरी ये कोरी कली जल्द से जल्द फूल बन जाये…”
ये कह के उसने कस के मेरी क्लिट को दबा दिया।
मैं मस्ती से कांप गयी-
“पर… मैंने सुना है कि पहली बार दर्द बहुत होता है…” मस्ती ने मेरी भी शर्म शत्म कर दी थी।
“अरे मेरी बिन्नो… बिना दर्द के मजा कहां आता है, और कभी तो इसको फड़वाओगी, जब फटेगी… तभी दर्द होगा… वह तो एक बार होना ही है… आखिर तुमने कान छिदवाया, नाक छिदवायी कित्ता दर्द हुआ, पर बाद में कित्ते मजे से कान में बाला और नाक में कील पहनती हो। ये सोचो न कि मेरी उंगली से जब तुम्हें इतना मजा आ रहा है… तो मोटा लण्ड जायेगा तो कित्ता मजा आयेगा।
और अगर तुम्हें इतना डर लगा रहा है तो मैं तो कहती हूँ तुम सबसे पहले अजय से चुदवाओ, वह बहुत सम्हाल-सम्हाल कर चोदेगा…”
सेक्सी बातों और उंगली के मथने से मैं एकदम चरम के पास पहुँच गयी थी, पर चन्दा इत्ती बदमाश थी… वह मुझे कगार तक ले जाकर रोक देती और मैं पागल हो रही थी।
“हे चन्दा प्लीज, रुको नहीं हो जाने दो… मेरा…” मैंने विनती की।
“नहीं पहले तुम प्रामिस करो कि अब तुम सब शर्म छोड़कर…”
“हां हां मैं अजय, रवी, सुनील, दिनेश, जिससे कहोगी, करवा लूंगी… बस प्लीज़ रुको नहीं…” उसे बीच में रोककर मैंने बोला।
“नहीं ऐसे थोड़े ही… साफ-साफ बोलो और आगे से जैसे खुलकर चम्पा भाभी बोलती हैं ना तुम भी बस ऐसे ही
बोलोगी…” चन्दा ने धीरे-धीरे, मेरी क्लिट रगड़ते हुए कहा।
“हां… हां… हां… मैं अजय से, सुनील से तुम जिससे कहोगी सबसे चुदवाऊँगी… ओह… ओह्ह्ह्ह…” मैं एकदम कगार पर पहुँच गयी थी।
चन्दा ने अब तेजी से मेरी चूत में उंगली अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया और मेरी क्लिट कसकर पिंच कर ली और मैं बस… झड़ती रही… झड़ती रही… मेरी आँखें बहुत देर तक बंद रहीं। जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि चन्दा ने मुझे अपनी बाहों में भर रखा है और वह धीरे-धीरे मेरे उभारों को सहला रही है। मैंने भी उसके जोबन को जो मेरे जोबन से थोड़े बड़े थे, को हल्के-हल्के दबाने शुरू कर दिया। थोड़ी देर में ही हम दोनों फिर गर्म हो गये। अबकी चन्दा मेरी दोनों टांगों को फैलाकर, किसी मर्द की तरह, सीधे मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे सख्त मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
“जानती हो अब तक सबसे मोटा और मस्त लण्ड किसका देखा है मैंने…” चन्दा ने कहा।
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