Long Sex Kahani सोलहवां सावन
07-06-2018, 01:35 PM,
#5
RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
कच्चे टिकोरे 




दीपा , कामिनी भाभी के बगल में बैठी थी और गाँव के रिश्ते से उनकी ननद लगती थी। 


दीपा, मुझसे थोड़ी छोटी लम्बाई में और उम्र में दो साल , जैसे कहते हैं जो बचपन और जवानी की के बीच में खड़े हों एकदम उसी तरह की। 

चेहरा गोल ,हंसती तो बड़े बड़े गड्ढे पड़ते गालों में , और नमक बहुत ज्यादा। 

उभार बस आ रहे थे ,हाँ उनका पता उसको भी था और देखने वालों को भी और इत्ते कम भी नहीं , उसकी उमर वालियों से २० नहीं २१ से ज्यादा रहे होंगे। २८ सी होंगे।

और फिर भौजाई के लिए ननद की उमर नहीं रिश्ता इम्पोरटेंट है और मैं भी तो इसी उमर की थी , जब भाभी की शादी में यहाँ आई थी , एकलौती ननद तो सारी गालियाँ मेरे खाते में ही पड़ीं और एक से एक,… 


बस कामिनी भाभी ने फ्रॉक के ऊपर से उसके उभारों पर हाथ लगाया और दबाते बोली ," ये कच्चे टिकोरे किसी को चखाए की नहीं "

कुछ शरमा के कुछ घबड़ा के उसने भाभी का हाथ हटाने की कोशिश की , और भाभी कौन इत्ते आसानी से हाथ आई कच्ची कली को छोड़ देतीं , उनका हाथ सीधे से ऊपर से फ्राक के अंदर ,

और जिस तरह से दीपा ने सिसकी भरी , और हलके से होंठ काट के चीखी , उईई ईई 

साफ था कामिनी भाभी ने , उसके उठान को न सिर्फ दबाया था। बल्कि जोर से अंगूठे और तरजनी से उसके आ रहे निपल को भी जोर से मसल दिया। 

मूंगफली के दाने ऐसे खड़े खड़े फ्राक के ऊपर से साफ दिख रहे थे। 

और फिर चंपा भाभी भी मैदान में आ गयीं , क्यों कैसे हैं टिकोरे। पूछ लिया उन्होंने। 

कामिनी भाभी ने फिर जोर से मूंगफली के दाने मसले और दीपा से ही पूछा , बोल , किस किस लडके को गाँव में चखाया। 

पीछे से किसी भौजाई ने घी डाला , 

" अरे सब लौंडे तो इसके भाई ही लगेंगे ". 

" अरे हमारे सारे देवर हैं ही बहनचोद। " कामिनी भाभी ने दीपा के फ्राक में आते हुए उठान को दबाते मसलते बोला। 

" एकदम मेरे देवर की तरह। " मेरी भाभी क्यों मौका छोड़ती , मुझे देख के मुस्कराते हुए उन्होंने भी तीर छोड़ा। 

" देवर की क्या गलती , साल्ली ननदें ही छिनार हैं , जुबना उभार के ललचाती फिरती हैं " चंपा भाभी ( मेरी भाभी की भाभी ) ने मेरी भाभी ( और अपनी ननद ) की ओर देख कर मुस्करा के बोला। 

और उनका अगला निशाना दीपा थी , उसके गाल पे चिकोटी काटती बोलीं ,

" अरे हमारी ननदें तो चौदह होते होते चुदवासी हो जाती हैं। तुझे चौदह पार किये कित्ते महीने हो गए , अब तक तो कब की चुद जानी चाहिए थी। सीधे से किसी को पता के घोंट ले वरना अबकी होली में मैं और कामिनी भाभी मिल के तेरी नथ इसी आँगन में उतरवाएंगी। "

" जब रतजगा होगा न तो हो जाय मुकाबला , जंगी कुश्ती , देखे हमारी ननद ज्यादा छिनार है या बिन्नो तेरी " किसी ने भाभी को चैलेन्ज दिया। 

और भाभी ने मुझे मुस्कराकर देखते हुए बोला , "एकदम मंजूर है लेकिन जीतने वाले को इनाम क्या मिलेगा। "

चम्पा भाभी ने अपनी गोद ,भाभी के बच्चे को हलराते ,दुलराते बोला। 

" मुन्ने के सारे मामा "

" और हारने वाली पे मुन्ने के सारे मामा अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर चढ़ेंगे। " कामिनी भाभी ने पूरी स्कीम अनाउंस कर दी। 


हम लोगों को झूला झूलने जाना था इसलिए बात वहीँ रुक गयी। 

दीपा भी हम लोगों के साथ चलने वाली थी , लेकिन चंदा ने उसका हाथ दबा के बोला , तुझे तो कहीं और जाना था न , और फिर जैसे उसे कुछ याद आ गया हो , वो बजाय हमलोगों के साथ जाने के वो जल्दी जल्दी अपने घर की ओर चल दी।
चंदा ने फिर बोला दीपा , 

और मैं फ्लैश बैक से वापस आ गयी। 


" हाँ क्या हुआ दीपा को यार बोल न "

" जानती है वो तुझसे पूरी दो साल छोटी है " चंदा ने बोला। 

"मालूम है ,कच्चे टिकोरे वाली ,कच्ची कली ,…अभी " मैंने ऐसे ही बोला लेकिन आगे जो चंदा ने बताया तो मेरी ,

" और उसने सुनील का घोंटा है। " चंदा ने राज खोला। 

और अब चौंकने की बारी मेरी थी। 

" क्या,……… " मेरी बिन चोदे फट गयी। 

" उस छुटकी ने , " मुझे विश्वास नहीं हो रहा था " उस सुनील ने तुझे कहानी सुनाई होगी " मैंने फिर बोला। 

" जी नहीं , और उस कच्ची कली की सिर्फ ली ही नहीं बल्कि उसकी फाड़ने वाला वही है , और मैं इस लिए कह रही हूँ की मेरे सामने उसने ली है दीपा की। "

मुझे न समझ में आया न विश्वास हुआ। 

लेकिन कैसे , मैंने फिर पूछा। 

' लम्बी कहानी है। " जिस अंदाज से चंदा बोली , साफ था वो सस्पेंस बिल्ड कर रही है। 


" सुना न , अगर तू अपने को मेरी सच्ची सहेली मानती है , बता न यार। "

मैं सुनने के लिए बेचैन थी , ये कच्चे टिकोरे वाली कैसे , कलाई इतना मोटा , 

"लेकिन तुझे मेरी सारी बातें माननी होंगी ' चंदा ने ब्लैकमेल किया। 

" मानूंगी यार , देख तेरे साथ मेला देखने की बात मान गयी न आगे भी जो बोलेगी तू , …यार अब तेरे गाँव में हूँ तो तेरे हवाले हूँ , अब ज्यादा भाव न दिखा " मैंने बोला 

और चंदा चालू हो गयी।


बात सिम्पल भी थी और उलझी हुयी भी। 

चंदा एक बार गन्ने के खेत से निकल रही थी , और दीपा स्कूल से वापस आ रही थी और दीपा ने उसे आलमोस्ट रंगे हाथो पकड़ लिया। चंदा ने उसे पटाने की बहुत कोशिश की लेकिन दीपा उसे लगा 'गाएगी ' जरूर। रात भर वो परेशान रही। 

अगले दिन आम के बाग़ में सुनील से उसे मिलना था। मिली वो लेकिन उसके मन में डर घर किये हुए था। सुनील बहुत डिंग हांकता था की वो किसी भी लड़की को पटा सकता है। बस उसके दिमाग आइडिया आया और सुनील को चिढ़ाके वो बोली , 


" हे तुझे कच्चे टिकोरे पसंद है "


सुनील उसका मतलब समझ रहा था और मुस्करा के बोला, 

" एकदम ,किसके दिलवा रही है। " 

और चांस की बात तभी दीपा वहीँ से गुजरी। जिस तरह दीपा ने चंदा को देखा ,चंदा काँप गयी। अब ये बात साफ थी की ये तोता मैना की कहानी जग जाहिर होने वाली है और वो भी बहुत जल्द। उसके गुजरते ही चंदा ने सुनील को पकड़ लिया और बोली ,

" कैसे लगे कच्चे टिकोरे , अब इसे पटा के दिखा। " 

थोड़ी देर सुनील ना नुकुर करता रहा , फिर मान गया , और दो दिन बाद उस ने खुशखबरी दी , दीपा गन्ने के खेत में आने के लिए राजी हो गयी है। 

पहले तो चंदा को विश्वास नहीं हुआ , फिर जब सुनील मान गया की 'शो ' शुरू होने के बाद चंदा भी ज्वाइन कर सकती है तो फिर चंदा ने उसे पूरी बात बताई की कैसे दीपा उन दोनों के बारे में ,…

और अगले दिन शाम को , दीपा स्कूल से कुछ बहाना बना के एक घंटे पहले ही कट ली। 

सुनील उस की राह देख रहा था और उसे सीधे गन्ने के खेत में ले गया , जहाँ रोज मैं और वो ,… सुनील ने थोड़ी देर बाद अपनी स्पेशल सीटी बजाई ,वही जो बजा के मुझे वो बुलाता था। 

मैं पास में गन्ने के बीच से देख रही थी , दीपा की टाँगे उठी थीं और चड्ढी दूर पड़ी थी , सुनील अपना मोटा खूंटा उसकी चुनमुनिया पे रगड़ रहा था और वो मस्ती से चूतड़ पटक रही थी। मुझे भी मुश्किल लग रहा था की ये कच्चे टिकोरे वाली , कैसे इतना मोटा गन्ना घोंटेगी। मैंने वहीँ से सुनील को इशारा किया की उसे कूल्हे के बल कुतिया वाली पोज में कर दे। 

और सुनील ने उसे उसके घुटनो के बल कर दिया , फायदा ये हुआ की जो मैं वहां पहुंची तो दीपा देख नहीं सकती थी मुझे। और बस पहुँचते ही उसका कन्धा दोनों हाथों से पकड़ के मैंने पूरी ताकत से झुका दिया ,उसका सर खेत में झुका था। वो मुझे देख नहीं सकती थी और न अब हिल डुल सकती थी।


उसकी कमर सुनील ने पकड़ रखी थी और उसका हथियार , उसकी प्रेमपियारी से सटा था। एक हाथ से निचले होंठों को पूरी ताकत से फैलाकर जोर से उसने ठोंक दिया। दोचार धक्के में सुपाड़ा अंदर था। दीपा अब लाख गांड पटकती , लंड निकाल नहीं सकती थी। 

एक पल के लिए सुनील को भी लगा , कही ज्यादा फट वट गयी , और इतना मोटा कैसे घोंट पाएगी। लेकिन मैंने उसे चढ़ाया की एक बार जब प्रेम गली में सुपाड़ा घुस गया है तो बाकी का रास्ता बना लेगा। और फिर सुनील का एक हाथ उसके चूतड़ पे और दूसरा टिकोरे पे , और वो धक्के लगाए उसने की दीवाल में छेद हो जाता , १५-२० धक्को में आधा से ज्यादा लंड अंदर। 

चंदा की बात सुन सुन के सोच सोच के मैं गीली हो रही थी। लेकिन उसे रोक के मैंने अपना डर जाहिर किया। 

" हे वो कच्चे टिकोरे वाली इत्ता मोटा घोंट रही थी , तो रो गा तो नहीं रही थी , कहीं कोई सुन लेता तो?"


चंदा जोर खिलखिलाई , 

" अरे यार यही तो ख़ास बात है उस गन्ने के खेत की। खूब बड़ा लम्बा चौड़ा खेत है ,और उसके एक ओर आम की बाग़ है , वो भी बहुत गझिन। खेत के बगल में एक पगडंडी है पतली सी जिसपे दूसरे ओर सरपत के बड़े बड़े झुरमुट और बँसवाड़ी है। खेत खत्म होने के बाद एक खुला मैदान है जहाँ मेले मेला लगता है बाकी टाइम ऊसर है और एक पोखर है। कई एकड़ तक किसी के आने जाने वाले का जल्दी सवाल नहीं। खेत और आम का बाग़ तो सुनील का ही है। और उसमें लगे गन्ने भी स्पेशल वैरायटी के हैं , २५ से ३० फिट के।

और एक बात और सुनील को मजा आता है , कोई लड़की जितना चीखती चिल्लाती है उसे वो उतनी ही ज्यादा बेरहमी से पेलता है, और फिर इतना मोटा औजार बिना बेरहमी के घुसेगा भी नहीं। "

मेरा चेहरा एकदम फ्लश्ड था। मुश्किल से थूक घोंटते मैंने पुछा तो क्या , उस टिकोरे वाली ने पूरा ,… 

हँसते हुए चंदा बोली ," एकदम। थोड़ी देर बाद जब पूरा घोंट लिया था तो सुनील ने फिर उसको पीठ के बल लिटा दिया , और हचक हचक के , जबतक चूतड़ गन्ने के खेत में मिटटी के ढेले पे रगड़े न जाय तो क्या मजा , और अब वो मुझे देख भी रही थी। मैं उसको चिढ़ा रही थी ,और उसकी चड्ढी मैंने जब्त कर ली।"


मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था , मैंने रुक रुक के चंदा से पुछा , वो गुस्सा तो नहीं हुयी , कही किसी से जा के ,शिकायत विकायत। 

चंदा जोर से खिलखिलाने लगी। बड़ी देर तक हंसती रही फिर मुझे जोर से भींच के चूम के बोली , " यार तू सच में बच्ची है , मम्मे बड़े हो जाने से कुछ नहीं होता। अरे दो दिन बाद वो खुद सुनील के पीछे पड़ गयी। एक बार इस चुन्मुनिया में औजार घुस जाए न तो खुद चींटे काटने लगते हैं। "

मैं चुप हो गयी। 

चंदा ही बोली " अच्छा , चल तू अपनी नथ अजय से उतरवा लेना। बहुत सम्हाल सम्हाल के लेगा तेरी। और तेरा दीवाना भी एक नंबर का है। "
"धत्त , तू भी न।" मैं जिस तरह शरमाई वो शर्माहट कम थी , हामी ज्यादा।


“ “अच्छा, तो गुड्डो रानी, अजय से चुदवाना चाहती हैं…” चन्दा ने कसकर मेरी क्लिट को पिंच कर लिया और मेरी सिसकी निकल गयी।
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RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन - by sexstories - 07-06-2018, 01:35 PM

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