RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
लगभग 15 मिनट तक कोमल की जबरदस्त ठुकाई होती रही.. अब उसका दर्द गायब हो गया था और मज़ा दुगुना हो गया था, वो ‘आहें..’ भरती हुई चुदाई का मज़ा ले रही थी- आह्ह.. फक मी.. आह्ह.. फास्ट.. चोद दो.. मुझे.. आह्ह.. फाड़ दो मेरी चूत.. आह्ह.. गई.. आह्ह.. मेरा रस निकलने वाला है.. यू फास्ट.. आह्ह.. और फास्ट आह्ह..
कोमल की बातों से दोनों को जोश आ गया और ऊपर से जेम्स स्पीड से उसकी गाण्ड मारने लगा.. तो नीचे रंगीला का लौड़ा भी ‘खचाखच’ उसकी चूत को पेल रहा था।
कोमल की चूत ने रस का फव्वारा छोड़ दिया और उसके साथ ही रंगीला भी अपना कंट्रोल खो चुका था। उसका लौड़ा भी वीर्य की धारा उसकी चूत में भरने लगा।
करीब 5 मिनट तक तीनों ऐसे ही पड़े रहे रंगीला का लौड़ा मुरझा कर चूत से बाहर आ गया था.. मगर जेम्स तो अभी भी गाण्ड का भुर्ता बनाने में लगा हुआ था।
रंगीला- अरे बस कर.. अब रहम कर इस पर और मुझ पर.. हमारा हो गया है यार.. अब तो निकल दे अपना मूसल..
रंगीला की बात सुनकर जेम्स ने दोनों हाथों से कोमल को उठाया और रंगीला के ऊपर से हटा दिया और बिस्तर पर घोड़ी बना कर स्पीड से चोदने लगा। जल्दी ही उसका लौड़ा भी झड़ गया.. तब जाकर कोमल को चैन आया।
कुछ देर वो सब ऐसे ही पड़े रहे उसके बाद अपने-अपने कपड़े पहन कर जाने के लिए र हो गए।
साजन जब वापस आया.. तब तक तीनों बाहर आ चुके थे, हाँ कोमल की चाल थोड़ी बदल गई थी।
साजन- अरे बाप रे.. क्या कर दिया बॉस ये बेचारी तो सच में लंगड़ा रही है।
कोमल- चुप कर कुत्ते.. मेरा मजाक ना बना.. इतना बड़ा अगर तेरी गाण्ड में जाए ना.. तो तू हिल भी ना पाए।
जेम्स और रंगीला ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे और साजन का पोपट हो गया।
थोड़ी देर बाद रंगीला ने साजन को बताया- हम दोनों पहले जाएँगे.. बाद में तू और कोमल आ जाना.. ओके!
और वो दोनों वहाँ से निकल गए।
उनके जाने के बाद साजन ने कोमल को ऊपर से नीचे तक देखा।
कोमल- क्या देखता है रे साले..?
साजन- देख रहा हूँ कि दोनों ने तेरी चुदाई बहुत जबरदस्त की है.. तेरी आँखें बता रही हैं.. तू रोई भी है।
कोमल- बड़ा कमीना है रे तू.. तू तो सब जान गया कुत्ते!
साजन- मेरी जान अब गाली मत दे तू.. मेरी बहन का रोल कर रही है.. चल बता ना.. ऐसा क्या कर दिया उन दोनों ने कि तेरी आँखों में आँसू आ गए।
कोमल- अब क्या बताऊँ तुझे.. वो जेम्स है ना.. साला आदमी नहीं कोई घोड़ा है.. उसका ‘इतना’ लंबा और इतना मोटा है।
कोमल ने हाथ के इशारे से साजन को लौड़े के बारे में बताया।
साजन तो बस कोमल को देखता ही रह गया.. क्योंकि बताते वक़्त उसके चेहरे पर एक अजीब सा डर था।
साजन- ओह्ह.. तभी तू रोई होगी.. साला बॉस ठीक बोला था.. इसको लास्ट चान्स देंगे.. नहीं तो ये रश्मि की चूत का भोसड़ा बना देगा और हमें कुछ मज़ा नहीं आएगा।
कोमल- हाँ उसका लौड़ा है ही ऐसा तगड़ा.. कि किसी को भी रुला दे.. अब बातें ही करेगा या यहाँ से चलेगा भी?
साजन- तुझे बड़ी जल्दी पड़ी है वहाँ जाने की.. क्या बात है?
कोमल- अबे जल्दी होगी ही ना.. कब तुम लोगों का ये नाटक ख़त्म होगा और कब मुझे मेरे पूरे पैसे मिलेंगे।
साजन- तू भी ना साली पैसे के लिए मरी जा रही है.. चल अब निकलते हैं।
ये दोनों भी फार्म के लिए निकल गए। अब ज़रा हम विजय की तरफ़ चलकर देखते हैं कि वो क्या कर रहा है।
जय और रश्मि एक गाड़ी में निकले और जेम्स उनके पीछे दूसरी गाड़ी में निकला.. क्योंकि उसको तो वहाँ पर रानी को लेकर जाना था ना।
रश्मि के दिल में अब भी थोड़ा डर था कि अगर जय हार गया तो क्या होगा? बस वो रास्ते में यही सब सोचती जा रही थी। उधर रंगीला और जेम्स कुछ खाने-पीने का सामान लेकर मंज़िल की ओर चल पड़े थे।
स्तों अब रास्ते का हाल आपको क्या बताऊँ.. तो चलो सीधे फार्म का सीन ही बता देती हूँ।
सबसे पहले जय और रश्मि वहाँ पहुँचे थे। वहाँ जाकर जय ने नौकरों को कुछ हिदायत दी और उसके बाद कमरे में रश्मि को आराम के लिए भेज कर खुद बाहर सब का वेट करने लगा।
उनके कुछ देर बाद सुंदर और आनंद भी वहाँ आ गए तो जय उनसे बातें करने लगा।
उधर विजय सीधा रानी के घर पहुँच गया.. जिसे देख कर रानी बहुत खुश हुई।
रानी- अरे बाबूजी आपने आने में बड़े दिन लगा दिए?
जेम्स- वो शहर में थोड़ा काम था ना.. इसलिए.. चल अब जल्दी से तैयार हो जा हमें अभी निकलना है।
रानी- आप अन्दर तो आओ.. माँ से मिल लो.. तब तक मैं कपड़े ले लेती हूँ।
विजय उसकी माँ से बातें करने लगा और कुछ पैसे भी दे दिए।
कोई 15 मिनट बाद वो रानी को लेकर वहाँ से निकल गया।
दोस्तो, रानी याद है या भूल गए.. चलो अगर भूल गए तो कोई बात नहीं.. अभी सब याद आ जाएगा।
रानी ने एक पुरानी सी मैक्सी पहनी हुई थी.. जो उसके बदन पर बहुत टाइट थी.. अन्दर उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिससे उसके 30″ के चूचे साफ दिखाई दे रहे थे.. उसके निप्पल एकदम तने हुए थे।
विजय- अरे क्या बात है रे रानी.. तूने ये किसके कपड़े पहने हैं.. बहुत छोटे हैं ये तो.. और तेरे ये निप्पल ऐसे खड़े क्यों हो रहे हैं?
रानी का चेहरा शर्म से लाल हो गया, उसने शर्म के मारे अपना चेहरा हाथों से छुपा लिया।
विजय ने एक हाथ से उसके मम्मों को हल्के से दबाया.. तो रानी के मुँह से ‘आह्ह..’ निकल गई।
विजय- अरे क्या हुआ हूँ रानी.. तू तो ऐसे शर्मा रही है.. जैसे पहली बार मैंने इनको छुआ है।
रानी- सस्स आह्ह.. बाबूजी.. आपका हाथ लगते ही बदन में बिजली सी रेंगने लगी।
विजय- अच्छा ये बात है.. लगता है इतने दिन में तू मेरा स्पर्श भूल गई है.. अब दोबारा तुझे नंगी करके पूरे जिस्म पर अपनी छाप देनी होगी।
रानी- आह्ह.. बाबूजी भगवान के लिए ऐसी बातें ना करो.. आपको देखते ही मेरे जिस्म में हलचल पैदा हो गई.. ये चूचुक जो तने हुए से हैं ये आपको देखने से तने हैं.. अब आप ऐसी बातें कर रहे हो.. तो नीचे भी कुछ-कुछ हो रहा है।
विजय- ओह्ह.. अच्छा ये बात है.. लगता है इतने दिन बिना चुदे रही हो.. तो तेरी चूत अब लण्ड के लिए प्यासी हो गई है.. अब तो मुझे ही कुछ करना होगा.. तेरी प्यासी चूत की प्यास अब मेरा लौड़ा ही बुझाएगा।
विजय की बात सुनकर रानी की चूत से पानी रिसने लगा.. वो काफ़ी ज़्यादा उत्तेजित हो गई और विजय के लण्ड को पैन्ट के ऊपर से मसलने लगी।
विजय तो पहले ही रानी के खड़े निप्पल देख कर गर्म हो गया था.. अब रानी की ये हरकत उसको पागल बना गई।
विजय- आह्ह.. रानी.. तेरे हाथों में क्या जादू है.. देख लौड़ा कैसे बेकाबू हो गया है।
रानी- बाबूजी आप गाड़ी आराम से चलाओ.. तब तक आपके लौड़े को मैं काबू में लाती हूँ।
इतना कहकर रानी ने विजय की पैन्ट का हुक खोल दिया और तने हुए लौड़े को बाहर निकाल लिया।
लौड़ा एकदम टाइट हो रहा था.. रानी ने देर ना करते हुए अपने होंठ लण्ड पर रख दिए और बड़े प्यार से पूरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी।
विजय- आह ससस्स.. रानी आह्ह.. मज़ा आ गया.. चूस.. आह्ह.. तेरे होंठ भी क्या कमाल के हैं.. आह्ह.. चूस मेरी जान।
विजय का लौड़ा एकदम फड़फड़ा रहा था.. अब उसकी साँसें तेज हो गई थीं। विजय ने रानी को अपने से अलग किया और गाड़ी को एक साइड में खड़ा करके वो रानी के मम्मों को कपड़ों के ऊपर से चूसने लगा।
रानी- आह्ह.. बाबूजी.. अब बर्दास्त नहीं हो रहा आह्ह.. मेरी चूत किसी भट्टी की तरह जल रही है.. आह्ह.. अपने लौड़े की बरसात कर दो.. आह्ह.. मेरी चूत में.. इससस्स.. आह्ह.. आहह..
विजय- रानी मेरा हाल भी ऐसा ही है.. अब तो तेरी चूत चोद कर ही सुकून आएगा.. चल पीछे की सीट पर चल.. आज तुझे गाड़ी में ही चोदूँगा।
रानी तो चुदने को बेकरार थी.. जल्दी से वो पीछे चली गई और विजय भी सीट को एड्जस्ट करके पीछे चला गया और रानी पर टूट पड़ा।
विजय ने रानी को जल्दी से नंगा किया और उसके निप्पल चूसने लग गया।
रानी- आह्ह.. बाबूजी.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.. ओह्ह आह्ह.. घुसा दो अपना डंडा.. मेरी चूत में.. आह्ह.. कर दो मुझे शान्त..
विजय- चल मेरी जान अब तू घोड़ी बन जा.. अब मेरा लौड़ा भी बेताब है तेरी चूत में जाने के लिए।
रानी घोड़ी बन गई और विजय ने एक ही झटके में पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया।
रानी काफ़ी दिनों की प्यासी थी, उसकी चूत में लौड़ा जाते ही वो ‘आह्ह..’ भरने लगी और गाण्ड को पीछे करके चुदवाने लगी।
विजय- आह्ह.. मेरी जान तू तो बड़ी चुदक्कड़ बन गई रे.. आह्ह.. ले साली.. एक बात तो बता.. गाँव में तो किसी से नहीं चुदी ना… इतने दिन.. आह्ह..
रानी- आह्ह.. फाड़ दो.. चोदो आह्ह.. नहीं बाबूजी.. आह्ह.. ये आप कैसी बात करते हो.. आह्ह.. आपके अलावा में किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती आह्ह..
विजय- आह ले आह्ह.. अच्छा किया.. नहीं तो साली मज़ा खराब हो जाता मेरा.. आह्ह.. ले आह्ह..
विजय स्पीड से रानी की चूत को चोद रहा था.. वो भी उसका पूरा साथ दे रही थी। लगभग 20 मिनट तक ये तूफान जोरों पर था.. उसके बाद रानी की चूत नामक बाँध में दरार पैदा हो गई.. वो बाँध कभी भी फट सकता था।
रानी- आह्ह.. तेज तेज करो.. आह्ह.. मेरी चूत आह्ह.. गई.. आआ एयेए..
रानी का झरना फूट पड़ा और उसके साथ ही विजय का लौड़ा भी झड़ गया.. दोनों के पानी का संगम हो गया।
कुछ देर दोनों ऐसे ही पीछे की सीट पर पड़े रहे.. उसके बाद इस चुप्पी को रानी ने तोड़ा- अच्छा बाबूजीm अपने बताया नहीं.. आप अकेले क्यों आए हो.. जय जी कहाँ हैं?
विजय- क्यों साली.. मेरा लौड़ा कम पड़ गया तेरे को.. जो जय को याद कर रही है तू हाँ?
रानी- अरे बाबूजी.. आप भी ना बस.. मैं तो ऐसे ही पूछ रही हूँ और वैसे भी अब वहाँ तो आप दोनों मुझे कहाँ सुकून लेने दोगे.. वहाँ तो दोनों मेरी जमकर चुदाई करोगे ना..
विजय- मेरी भोली रानी.. वहाँ हम दो के अलावा 5 दोस्त और हैं.. तू बच के रहना.. कहीं सभी तेरे पीछे ना पड़ जाएं हा हा हा।
विजय की बात सुनकर रानी चौंक गई- हे राम रे पांच और.. ना ना बाबूजी.. ऐसा ज़ुल्म ना करना.. मैं तो मर ही जाऊँगी।
विजय- अरे डरती क्यों है.. मजाक कर रहा हूँ.. वहाँ मेरे दोस्त की बहन और जय की बहन भी होगी।
रानी- हाय राम.. तब तो मुझे बहुत सावधान रहना होगा आपकी बहन के सामने.. थोड़ी आप कुछ कर पाओगे.. मैं तो बस चुपचाप अपना साफ सफ़ाई का काम ही करती रहूँगी.. ठीक है ना..
विजय- अबे साली.. तू क्या समझ रही है.. वो यहाँ कोई भजन कीर्तन करने आई है क्या.. और हाँ मेरी नहीं.. जय की बहन कहा है मैंने..
रानी- बाबूजी आप तो पहेलियाँ सी बुझा रहे हो.. और जब आप दोनों भाई हो.. तो वो आपकी बहन हुई ना?
विजय समझ गया कि इसको ऐसे कुछ समझ नहीं आएगा.. तो उसने रानी को सब कुछ साफ-साफ बताया.. जिसे सुनकर रानी की आँखें फटी की फटी रह गईं।
रानी- हाय राम कैसा जमाना आ गया.. ऐसा भी कोई खेल होता है क्या जिसमें अपनी बहन को दांव पर लगाना पड़े.. ना बाबा ना.. ये तो कलयुग है।
विजय- अबे साली द्रौपदी का चीर हरण हुआ था.. वो भी तो कुछ ऐसा ही गेम था.. बस फ़र्क ये है उसमें बीवी थी.. यहा बहन है।
रानी- बाबूजी हम ठहरे गाँव के लोग.. हमें क्या पता ऐसे खेल के बारे में.. आप बड़े लोग हो.. आप ही जानो।
विजय- अब सुन.. वहाँ तुझे नॉर्मल ही रहना है.. वैसे तो रश्मि को पता है कि तू हमसे चुदी हुई है.. फिर भी तू उससे ज़्यादा बात ना करना।
रानी- हाय राम.. कैसे भाई हो आप.. ऐसी बातें कोई अपनी बहन को बताता है क्या?
रानी की बात सुनकर विजय का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसकी आँखों में खून उतर आया- चुप साली कुतिया.. क्या बार-बार उस रंडी को मेरी बहन बता रही है.. वो उस कुत्ते की बहन है बस.. समझी..
विजय का ये रूप देख कर रानी बहुत डर गई- माफ़ करना बाबूजी.. दोबारा नहीं कहूँगी.. मगर आप उसको रंडी क्यों बोल रहे हो?
विजय- अबे साली रंडी को रंडी ना बोलूँ तो क्या बोलूँ.. हाँ बता.. वो हरामजादी कुतिया जब ऐसे गेम के लिए मानी.. तभी वो मेरे लिए एक रंडी बन गई थी.. समझी?
रानी- बाबूजी आप भगवान के लिए शान्त हो जाओ.. इतना गुस्सा मत करो.. मैं अब आपसे कोई सवाल नहीं करूँगी।
विजय- सॉरी यार.. मैं थोड़ा गुस्से में आ गया था.. अब सुन तुझे एक बहुत जरूरी बात बतानी है.. वहाँ जाकर कोई गड़बड़ ना कर देना।
रानी- ठीक है बाबूजी आप बताओ।
विजय बड़े आराम से रानी को कुछ समझाने लगा.. जिसे सुनकर रानी के चेहरे के भाव बदलने लगे। उसका सर चकराने लगा.. वो बस गर्दन ‘हाँ’ या ‘ना’ में हिला कर सब कुछ चुपचाप सुनती रही।
विजय- अब समझ आ गया ना.. वहाँ कोई गड़बड़ ना कर देना तू..
रानी- ना बाबूजी ना.. अब आप चिंता ना करो.. अब मैं सारी बात समझ गई हूँ। अब तो आप बस अपनी रानी का कमाल देखना।
विजय ने खुश होकर रानी को किस किया, उसके बाद दोनों वहाँ से अपनी मंज़िल की ओर बढ़ गए।
दोस्तो, ये रास्ते में चुदाई कर रहे थे रंगीला और जेम्स वहाँ पहुँच भी गए।
हाँ एक बात और साजन भी कोमल को लेकर वहाँ पहुँच गया था.. जिसे देख कर रश्मि मन ही मन सोच रही थी कि आज इसका क्या हाल होगा.. पता नहीं और वहीं कोमल भी रश्मि को देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी कि बेचारी आज पता नहीं कितने लौड़ों से चुदने वाली है।
जब विजय और रानी वहाँ पहुँचे तो हॉल में सब बैठे हुए चिप्स और कोल्डड्रिंक्स का मज़ा ले रहे थे।
रानी को देख कर साजन और उसके फालतू दोस्तों की आँखें चमक गईं.. वहीं मगर जेम्स और रंगीला ने नॉर्मल बिहेव किया। यही हाल रानी का था जेम्स को देख कर उसको ज़रा भी ताज्जुब नहीं हुआ।
दोस्तो, आपके मन में कई सवाल खड़े हो गए होंगे। अब ज़्यादा वेट नहीं करना होगा.. बस वक़्त आ गया है तो आगे खुद देख लो।
साजन- अरे विजय.. ये किसको साथ ले आए तुम?
विजय- काम वाली है.. दिखाई नहीं देती क्या तुझे?
साजन- अच्छा कौन-कौन से काम कर लेती है ये.. हा हा हा हा..
जय- अबे चुप साले कुत्ते.. जब देखो लार टपकाता रहता है।
साजन- अरे यार जय अब बस भी कर ये शराफत का ढोंग.. अब तो बन्द कर दे सबको पता है.. हम यहाँ क्यों जमा हुए हैं.. अब थोड़ा तो मज़ा लेने दे।
विजय- साजन, ये यहाँ खाना बनाने के लिए आई है.. हम जो करेंगे वो करेंगे.. इसका इससे कोई मतलब नहीं है ओके.. अब चुपचाप बैठ।
विजय ने रानी को अन्दर भेज दिया और खुद सोफे पर बैठ कर एक कोल्डड्रिंक ली और आराम से पीने लगा।
कोमल और प्रिया पहले ही कमरे में चली गई थीं.. आराम करने के लिए।
साजन- अरे यार ये कोक ही पीओगे क्या.. अब तो कोई दारू-वारू का राउंड चालू करो..।
विजय- साले अभी से पीने लगेगा तो रात तक टुन्न हो जाएगा.. फिर गेम क्या तेरा बाप आकर खेलेगा।
साजन- देख विजय तू बाप तक मत जा.. हाँ बोल देता हूँ मैं।
जय- अबे चुप साले हरामी.. कल बड़ा अकड़ रहा था ना.. तेरे बाप का तो पता नहीं.. मगर तेरी बहन की आज हालत बिगाड़ दूँगा।
साजन- वो तो वक़्त ही बताएगा कि तू मेरी बहन की हालत बिगाड़ता है या रश्मि की चीखें सुनकर अपने कान बन्द कर लेगा.. हा हा हा।
जय- अबे कुत्ते.. तेरी इतनी हिम्मत कि तू अपनी गंदी ज़ुबान से रश्मि का नाम ले.. साले रुक अभी तुझे बताता हूँ।
जय गुस्से में साजन की तरफ़ लपका तो रंगीला ने उसका हाथ पकड़ लिया।
रंगीला- जय ये क्या हो रहा है.. तुम बोलो तो ठीक है.. और ये बोले तो गुस्सा.. ऐसा क्यों?
जय- यार तूने सुना ना.. इसने रश्मि के बारे में क्या कहा अभी?
रंगीला- हाँ सब सुना और ऐसा क्या गलत कह दिया.. हम यहाँ जिस काम के लिए जमा हुए हैं.. उसमें एक की चीखें तो निकलेंगी ही.. अब ये गुस्सा जाने दो और और रूल्स की बात कर लो। सब पहले वाले होंगे या कुछ चेंज करना है।
विजय- नहीं आज खास गेम के लिए खास रूल होंगे.. रंगीला तुम ऐसा करो रश्मि और कोमल को भी बुला लाओ.. ताकि वो भी रूल सुन लें।
रंगीला ने दोनों को बुला लिया.. अब वो भी पास में आकर बैठ गईं।
जेम्स चुपचाप बस ये तमाशा देख रहा था.. उसको तो बस रश्मि की चुदाई से मतलब था.. बाकी दुनिया जाए भाड़ में।
साजन- बोलो क्या रूल चेंज होंगे?
विजय- देखो हम 6 लोग खेलेंगे एसीपी साहब तो हमारे मेहमान हैं.. तो ये बस साइड में बैठ कर गेम देखेंगे।
साजन- हाँ सही बात है.. आगे बताओ।
विजय- ये गेम टीम बना कर खेलेंगे तुम तीन और हम तीन.. सबको पहले की तरह तीन-तीन कार्ड्स दिए जाएँगे। अब नया रूल ये है कि हम तीनों आपस में एक-एक कार्ड बदल सकते हैं.. सेम तुम भी ऐसा कर सकते हो।
रंगीला- गुड यार.. इसमें तो मज़ा आएगा जैसे मेरे पास बड़ा कार्ड आ गया तो मैं जय को दे दूँगा और वो जीत जाएगा।
साजन- मस्त है ये आइडिया.. तो मगर तुम तीनों में अगर जय के पास बड़े कार्ड्स होंगे.. वो तो जीत जाएगा मगर तुम्हारा क्या होगा?
विजय- गधे के गधे रहोगे तुम.. ये गेम तुम्हारे और जय के बीच है.. समझे? बस तुम दोनों के कार्ड्स ही ओपन होंगे.. बाकी सब सारे कार्ड्स गड्डी में मिला देंगे।
रश्मि- वाउ भाई.. इट्स न्यू आइडिया मज़ा आएगा आज तो..
रश्मि के बोलने के साथ ही जेम्स की नज़र उससे मिली.. उसका लौड़ा तो उसको देख कर ही सलामी दे रहा था।
विजय- और कुछ पूछना है?
साजन- हाँ एक बात बताओ.. रूल तो वही हैं ना.. एक गेम हारा तो एक कपड़ा निकालना होगा?
जय- हाँ वो सब वही होगा.. इसमें पूछना क्या है।
साजन- अच्छा एक बात और क्लियर कर लो.. जो हारेगा उसकी बहन के साथ कौन-कौन लेटेगा?
कोमल- छी.. साजन कुछ तो शर्म करो.. सबके सामने ये कैसी बात कर रहे हो.. तुम्हें शर्म नहीं आती।
कोमल ने बड़ी अदा के साथ ये बात बोली थी.. जिसे सुनकर सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।
विजय- अरे कोमल तू तो बड़ी भोली बन रही है यहाँ.. ये तुझे ऐसे तो लाया नहीं होगा, सब बता कर ही लाया होगा ना.. अब थोड़ी देर में जब सबके सामने कपड़े उतारोगी तो शर्म नहीं आएगी क्या.. हा हा हा..
विजय की बात सुनकर कोमल सहम गई और सब फिर से हँसने लगे। बेचारी रश्मि का हाल भी कोमल जैसा था.. मगर मजबूरी में वो भी हँसने का नाटक कर रही थी।
साजन- भाई हँसना बन्द करो और मेरे सवाल का जबाव दो।
जय- जबाव क्या देना था.. हारने वाली लड़की के साथ सब करेंगे।
जय को तो पूरा यकीन था.. वो जीतेगा इसलिए सबका नाम ले रहा था मगर उसको कहाँ पता था उसके साथ क्या खेल खेला जा रहा है।
साजन- एक बात कहूँ.. बुरा मत मानना.. अगर तू हार गया तो हम तीन तो करेंगे ही.. एसीपी साहब भी करेंगे.. तुम तीनों तो नहीं करोगे.. दो की तो बहन है और रंगीला आपका बेस्ट फ्रेण्ड है?
जय- तू ज़्यादा होशियार मत बन.. कोमल को बचाना चाहता है क्या.. बस तू उसका भाई है.. तो नहीं करेगा बाकी हम सब करेंगे ओके..
साजन- ऐसी बात है तो रश्मि के साथ भी ऐसा ही होगा.. समझे उसके साथ भी तुम्हारे अलावा सब करेंगे.. बोलो मंजूर है?
विजय- नहीं.. हम दोनों के अलावा सब करेंगे.. मैं भी तो उसका भाई हूँ।
रंगीला- मगर यार विजय में कैसे कर सकता हूँ रश्मि के साथ?
रंगीला ने जब ये बात कही तो रश्मि उसकी तरफ़ देखने लगी और सोचने लगी कि रात को तो इसके इरादे कुछ और ही थे.. अब ये मेरे भाई के सामने शराफत क्यों दिखा रहा है?
जय ने रंगीला को आँख मारी कि हम हारेंगे तब ये नौबत आएगी ना.. बस हाँ कहने में क्या जाता है और इस तरह सब की रजामंदी हो गई।
जय- देखो अब खाना खा लेते हैं.. उसके बाद थोड़ा रेस्ट करेंगे.. और शाम को हमारा गेम शुरू हो जाएगा.. ठीक है ना..
सब ने हामी भर दी और जय के कहने पर नौकरों ने खाना लगा दिया, सबने मिलकर खूब खाया, उसके बाद अलग-अलग कमरों में सब चले गए।
साजन की टीम अलग और जय की अलग कमरे में गई.. ताकि गेम के बारे में कुछ बात करनी हो तो एक-दूसरे को पता ना लग पाए।
हाँ। हमारे एसीपी यानि जेम्स को आराम के लिए अलग कमरा दिया गया।
रानी मौका देख कर जेम्स के कमरे में चली गई।
जेम्स- रानी तू यहाँ क्यों चली आई.. कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.. जा वापस..
रानी- अच्छा, मेरे आने से मुसीबत हो जाएगी.. और तू यहाँ जो फोकट की चूत के चक्कर में आया है.. उससे कुछ नहीं होगा क्या?
जेम्स- देख तू बात को समझ.. मैं सब कुछ तुझे बाद में बता दूँगा.. अभी तेरा यहाँ रुकना ठीक नहीं।
रानी- डर मत.. मेरे राजा मुझे विजय बाबूजी ने खेल के बारे में सब बता दिया है।
जेम्स- नहीं तू कुछ नहीं जानती.. मैं यहाँ कोई खेल के लिए नहीं अपनी आशा का बदला लेने आया हूँ। अब तू कुछ नहीं बोलेगी.. तुझे मेरी कसम है.. जा यहाँ से अब..
रानी कुछ कहना चाहती थी.. मगर जेम्स ने उसको जबरदस्ती कमरे से बाहर निकाल दिया।
रानी बेचारी कुछ बोल भी ना पाई और जेम्स ने दरवाजा बन्द कर दिया।
उधर विजय और रंगीला चुपचाप बैठे हुए जय और रश्मि को देख रहे थे।
रश्मि- भाई मुझे बहुत डर लग रहा है कहीं आप हार ना जाओ।
जय- अरे पागल.. कुछ नहीं होगा अभी देख में कैसी सैटिंग जमाता हूँ.. हम किसी हाल में नहीं हारेंगे।
रश्मि- वो कैसे भाई.. ज़रा मुझे भी तो बता?
रंगीला- मैं बताता हूँ.. ये तीन पत्ती का गेम है.. इसमें सिर्फ़ बड़े कार्ड्स से ही गेम नहीं जीता जाता.. कभी-कभी एक दुग्गी भी गेम जिता देती है।
रश्मि- वो कैसे? ये बात तो मेरी समझ के बाहर है?
रश्मि की बात सुनकर सब के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
रंगीला- देखो रश्मि तुम्हारी उलझन मैं दूर करता हूँ.. मान लो जय के पास 3, 7, 9 पत्ते हैं और विजय के पास इक्का गुलाम और 5 हैं.. और मेरे पास बादशाह 2, 2 है.. तो मैं बड़ा पत्ता बादशाह और विजय गुलाम जय को देगा.. और यदि जय के पास 9 आया है.. तो अब क्या बना.. इक्का बादशाह और 9..
अगर साजन के पास इससे कोई बड़े पत्ते हुए जैसे 8 8 6 भी हुआ.. तो भी वो जोड़ी में जीत जाएगा।
रश्मि- हाँ आपने बिल्कुल ठीक कहा.. ये गेम मुझे अच्छी तरह आता है।
रश्मि आगे कुछ बोलती.. तभी विजय बीच में बोल पड़ा- इसी लिए हम दिमाग़ से खेलेंगे.. जय अपने तीन पत्ते हमें इशारे से बता देगा.. उसके बाद हम अपने-अपने पत्ते उसे बता देंगे.. और वो जो माँगेगा.. वही पत्ते हम उसको दे देंगे और वो जीत जाएगा।
रश्मि- वाउ भाई.. अब मैं सब समझ गई.. आप भाई को इक्का देंगे और रंगीला 2 यानी दुग्गी देगा और भाई के पास 3 पहले से ही है.. तो हो गई सेक्वेल 1 2 3 की और भाई जीत जाएगा.. वाउ वाउ.. मज़ा आएगा..
दोस्तो, वैसे तो ये बात यहाँ बताना जरूरी नहीं थी.. मगर मैं चाहती हूँ गेम के बारे में आप सब कुछ जान लो तो ज़्यादा अच्छा रहेगा। अब हर कोई तो तीन पत्ती का गेम जानता नहीं है.. इसी लिए मैंने थोड़ा विस्तार से यहाँ बता दिया। अब आगे शॉर्ट में निपटा दूँगी।
वो लोग काफ़ी देर तक आगे की प्लानिंग करते रहे और उधर साजन अपने दोस्तों को उनकी प्लानिंग बता रहा था कि वहाँ क्या हो रहा है और तुम्हें क्या करना है।
कुछ देर बातें करने के बाद सभी रेस्ट करने लगे और शाम तक सब सोकर फ्रेश हो गए।
दोस्तो, अब वक़्त आ गया है हमारे गेम शो का.. जो कहने को तो एक बस खेल है.. मगर उसमें कितने राज छुपे हैं.. आज सब आपके सामने आ जाएँगे ..तो खुद मजा देख लो।
शाम को हल्का सा दौर चाय नाश्ता का चला.. उसके बाद सब हॉल में जमा हो गए और इधर-उधर की बातें करने लगे।
कोमल और रश्मि उन सबसे अलग बाहर गार्डन में घूम रही थीं।
रश्मि- हाय कोमल.. कैसी हो तुम?
कोमल- मैं अच्छी हूँ.. जब से यहाँ आई हूँ.. तुमसे बात करना चाह रही थी.. मगर मौका ही नहीं मिला..
रश्मि- हाँ यार मेरा भी कुछ ऐसा ही है और सुनाओ कहाँ पढ़ती हो?
कोमल तो पहले से ऐसी बातों के लिए तैयार थी। उसने अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में रश्मि को फँसा लिया और जो तीर वो मारना चाहती थी.. वो उसने निशाने पर लगा दिया।
कुछ देर बाद रंगीला ने दोनों को अन्दर बुला लिया और पार्टी का दौर शुरू हो गया। सब बियर और चिकन फ्राइड का मज़ा लेने लगे।
करीब आधा घंटा बाद जय ने रात का खाना तैयार करवा कर सब नौकरों को छुट्टी दे दी। बस रानी वहाँ उनकी सेवा के लिए रह गई।
विजय ने सुंदर और आनंद की मदद से बियर का पूरा कार्टन वहीं रखवा लिया और गेम के लिए कार्ड्स भी ले आया।
रश्मि- गेम शुरू हो उसके पहले मैं कुछ कहना चाहती हूँ।
रश्मि की बात सुनकर सबका ध्यान उसी तरफ़ हो गया।
साजन- क्या हुआ जय.. तेरी बहन का इरादा बदल गया क्या.. कहीं ये ना तो नहीं बोल रही ना.. हा हा हा हा..
रश्मि- नो वे.. ऐसी कोई बात नहीं है.. मैं बस इतना कहना चाहती हूँ कि ये गेम आप दोनों के बीच हो रहा है.. कोई भी जीते.. इसमें मेरा और कोमल का क्या फायदा होगा.. हाँ हमें तो तुम सब के नीचे आना ही पड़ेगा।
रश्मि की बात सुनकर सबको झटका सा लगा कि ये पॉइंट तो इसने बहुत जोरदार मारा है।
रंगीला- तुम कहना क्या चाहती हो?
रश्मि- कुछ नहीं मैं बस ये चाहती हूँ इस गेम का रिजल्ट जो भी हो.. हम दोनों लड़कियों की भी एक-एक डिमाँड पूरी होनी चाहिए।
विजय- बिल्कुल ठीक कहा तुमने.. रश्मि ये गेम में तुम दोनों का रोल बहुत बड़ा है.. तो तुम अपनी भी डिमाँड रखो।
साजन- नहीं नहीं.. यह गलत है जब सुबह सब प्लानिंग चल रही थी.. तब क्यों नहीं इसने कुछ कहा.. अब कोई रूल चेंज नहीं होगा ओके..
कोमल- साजन भाई.. आप चुप रहो, यह फैसला अकेली रश्मि का नहीं.. मेरा भी है.. आपने कैसे मुझे यहाँ आने के लिए रेडी किया? याद है ना..? अब भूलो मत। अगर हम दोनों ने इन्कार कर दिया तो खेलते रहना अकेले-अकेले दोनों मिलकर गेम..
कोमल थोड़ी गुस्से में आ गई थी.. जिसे देख कर वहाँ बैठे सबकी गाण्ड फट गई।
ओह्ह सॉरी.. ‘सबकी’ कहना ग़लत होगा क्योंकि यह तो एक सोची समझी चाल का हिस्सा है..
हाँ किसी और का पता नहीं, जय की जरूर फट गई.. तभी तो सबसे पहले वो बोला- ओह्ह साजन.. तू चुप रह.. साला सारे किए कराए पर पानी फेर देगा। पहले इनकी डिमाँड तो सुन लो।
रंगीला- बिल्कुल ठीक.. मैं इन दोनों लड़कियों के साथ हूँ.. बोलो रश्मि पहले तुम बोलो क्या डिमाँड है?
रश्मि- ओके तो सुनो, हारने वाली लड़की को यह हक़ होगा कि उसके साथ पहले कौन करेगा.. यह वो खुद तय करेगी ओके?
साजन- नो नो.. यह गलत है.. यह जरूर जय की कोई चाल है.. अरे मैं जीतूँगा तो पहले मैं ही जाऊँगा ना.. नो… मैं नहीं मानता इस बात को..
विजय- ओये चूतिए, तुझे कैसे पता तू जीतेगा.. साला हार गया तो यह फैसला तेरी बहन के बहुत काम आएगा.. वो भी अपनी मर्ज़ी से बोलेगी.. समझे..
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